Sunday, November 1, 2020

इंस्टीट्यूट ऑफ चार्टर्ड एकाउंटेंट्स की नॉर्दर्न इंडिया रीजनल काउंसिल में आनन-फानन में श्रीनगर में सब-रीजनल कॉन्फ्रेंस करने की तैयारी के पीछे चेयरमैन शशांक अग्रवाल की सेंट्रल काउंसिल की चुनावी तैयारी तथा इंस्टीट्यूट के पैसे पर श्रीनगर घूमने के जुगाड़ को देखा/पहचाना जा रहा है

नई दिल्ली । नॉर्दर्न इंडिया रीजनल काउंसिल के चेयरमैन शशांक अग्रवाल की 'सब-रीजनल कॉन्फ्रेंस' के बहाने से श्रीनगर घूमने की तैयारी पर सेंट्रल काउंसिल सदस्य संजीव सिंघल ग्रहण लगाते दिख रहे हैं । संजीव सिंघल ने औपचारिक रूप से हालाँकि कोरोना से बचाव को लेकर लोगों की भागीदारी वाले आयोजनों के संदर्भ में केंद्रीय गृह मंत्रालय (मिनिस्ट्री ऑफ होम अफेयर्स - एमएचए) द्वारा जारी गाइडलाइंस का हवाला देकर 6 नबंवर को आयोजित की जाने वाली सब रीजनल कॉन्फ्रेंस पर सवाल उठाया है, लेकिन अनौपचारिक रूप से अपने संपर्क में आने वाले चार्टर्ड एकाउंटेंट्स को वह इस कॉन्फ्रेंस को आनन-फानन में आयोजित करने तथा इसके बहाने से श्रीनगर घूमने व अपनी राजनीति चलाने की शशांक अग्रवाल की कोशिशों के रूप में व्याख्यायित कर हैं ।नॉर्दर्न इंडिया रीजनल काउंसिल के ही सदस्यों का कहना/बताना है कि संजीव सिंघल को लग रहा है कि शशांक अग्रवाल सेंट्रल काउंसिल का चुनाव लड़ने की तैयारी कर रहे हैं, और उनकी इस तैयारी को इंस्टीट्यूट के प्रेसीडेंट अतुल गुप्ता से सहयोग व समर्थन मिल रहा है । संजीव सिंघल को ही नहीं, अन्य कई सेंट्रल काउंसिल सदस्यों तथा प्रमुख चार्टर्ड एकाउंटेंट्स को लग रहा है कि बिना किसी उचित योजना के जल्दीबाजी में 'सब रीजनल कॉन्फ्रेंस' के आयोजन पर अतुल गुप्ता ने कोई आपत्ति क्यों नहीं की ?
शशांक अग्रवाल की जल्दीबाजी में 'सब रीजनल कॉन्फ्रेंस' करने की घोषणा के पीछे कहानी यह बताई/सुनाई जा रही है कि 6 नबंवर को दरअसल श्रीनगर में जम्मू-कश्मीर ब्रांच के एक प्रतिनिधि ऑफिस का उद्घाटन होने का कार्यक्रम है । यह ऑफिस और उसका उद्घाटन भी मजाक को विषय बना हुआ है, और इसकी जरूरत किसी को समझ में नहीं आ रही है । उल्लेखनीय है कि श्रीनगर में कश्मीर सीपीई चैप्टर है, और जाहिर है कि उसका ऑफिस भी है - जिसे श्रीनगर में जो थोड़े से चार्टर्ड एकाउंटेंट्स हैं उनकी जरूरतों को पूरा करने के लिए पर्याप्त माना/समझा जाता है । ऐसे में, वहाँ तथाकथित प्रतिनिधि ऑफिस खोलना सिर्फ अपनी उपलब्धियों को बढ़ा/चढ़ा कर दिखाने का मौका बनाना भर है । और सिर्फ इतना ही नहीं, चेयरमैन शशांक अग्रवाल तथा सेक्रेटरी अजय सिंघल को लगा कि तथाकथित प्रतिनिधि ऑफिस के उद्घाटन में शामिल होने के नाम पर उन्हें इंस्टीट्यूट के पैसे पर श्रीनगर घूमने का मौका भी मिल जायेगा । हालाँकि इन्हें यह डर भी हुआ कि एक ब्रांच स्तर के छोटे से कार्यक्रम में इंस्टीट्यूट के पैसे पर जाने को लेकर बबाल मचेगा, सो आनन-फानन में इन्होंने श्रीनगर में सब-रीजनल कॉन्फ्रेंस करने की तैयारी कर ली । आरोप है कि सब-रीजनल कॉन्फ्रेंस के नाम पर चेयरमैन शशांक अग्रवाल और सेक्रेटरी अजय सिंघल ने वास्तव में इंस्टीट्यूट के पैसे पर श्रीनगर घूमने का जुगाड़ बना लिया है । समझा जाता है कि प्रेसीडेंट अतुल गुप्ता ने भी आनन-फानन में सब-रीजनल कॉन्फ्रेंस करने पर आपत्ति इसीलिए नहीं की, क्योंकि शशांक अग्रवाल व अजय सिंघल की इस योजना में उन्हें भी श्रीनगर घूमने का मौका मिलता नजर आया ।
उल्लेखनीय है कि अतुल गुप्ता ने इसी तरह की जल्दबाजी के साथ अभी हाल ही में आयोजित हुए गुरुग्राम ब्रांच के एक कार्यक्रम में मुख्य अतिथि बनने का जुगाड़ किया था, जिसकी जानकारी नॉर्दर्न इंडिया रीजनल काउंसिल के पदाधिकारियों और सदस्यों को भी नहीं थी - और यहाँ तक कि गुरुग्राम ब्रांच के चैयरमेन तक को उक्त कार्यक्रम में शामिल होने  का मौका नहीं मिला । गुरुग्राम ब्रांच के दूसरे सदस्यों को यही समझ में नहीं आया कि कार्यक्रम वास्तव में था क्या ? ब्रांच के एक पदाधिकारी ने इन पंक्तियों के लेखक को बताया कि कार्यक्रम वास्तव में कुछ नहीं था, वह तो अतुल गुप्ता का सुबह सुबह फोन आया कि वह आयेंगे इसलिए तम्बू-कनात लगवा लेना और एक फोटोग्राफर बुलवा लेना । लोगों को ऐसा लगता है कि अतुल गुप्ता की उसी हरकत से प्रेरित होकर शशांक अग्रवाल और अजय सिंघल ने श्रीनगर का कार्यक्रम बना डाला । असल में, अतुल गुप्ता और शशांक अग्रवाल के लिए प्रेसीडेंट और चेयरमैन बनना कोरोना वायरस के प्रकोप से बने हालात की भेंट चढ़ गया है, और इन बेचारों को ब्रांचेज में आने-जाने, गले में माला डलवाने तथा फोटो खिंचवाने का मौका ही नहीं मिल सका है । इसलिए, इस तरह के मौके बनाने के लिए इन्हें फर्जी तरीके अपनाने पड़ रहे हैं । गुरुग्राम वाले मामले में तो ज्यादा बबाल नहीं हुआ, लेकिन श्रीनगर के कार्यक्रम को लेकर लोगों की नाराजगी इसलिए मुखर हो रही है, क्योंकि इसमें इंस्टीट्यूट की मोटी रकम बर्बाद होनी है, और इसे शशांक अग्रवाल की सेंट्रल काउंसिल की उम्मीदवारी की तैयारी से जोड़कर देखा जा रहा है ।