Wednesday, October 28, 2020

लायंस क्लब्स इंटरनेशनल मल्टीपल डिस्ट्रिक्ट 321 के चेयरमैन क्षितिज शर्मा को पूर्व चेयरमैन पारस अग्रवाल के अकाउंट की जाँच रोकने के मामले में लायंस इंटरनेशनल से झटका लगा, और इस प्रकरण में काउंसिल सेक्रेटरी राजीव अग्रवाल की भूमिका की चर्चा ने मामले को और दिलचस्प बनाया  

आगरा । लायंस इंटरनेशनल कार्यालय ने पूर्व मल्टीपल काउंसिल चेयरमैन पारस अग्रवाल के अकाउंट में गड़बड़ी के आरोपों की जाँच को रोकने के मल्टीपल काउंसिल चेयरमैन क्षितिज शर्मा के फैसले को रद्द करके जाँच प्रक्रिया को आगे बढ़ाने का आदेश देकर पारस अग्रवाल की मुश्किलों को एक बार फिर से बढ़ा दिया है । लायंस इंटरनेशनल कार्यालय के फैसले से 'रचनात्मक संकल्प' की 9 अक्टूबर की रिपोर्ट में व्यक्त की गई आशंका सच साबित हुई है, जिसमें कहा गया था कि जाँच रुकवाने की कोशिश करके पारस अग्रवाल ने अकाउंट में झोलझाल होने के आरोपों को विश्वसनीयता दे दी है, और इस तरह जो काम मधु सिंह लगातार सक्रियता दिखा/बना कर नहीं कर पा रही थीं - उसे खुद पारस अग्रवाल ने एक गलत कदम के जरिये कर दिया है । पारस अग्रवाल ने सोचा तो यह था कि मल्टीपल काउंसिल चेयरमैन पद पर क्षितिज शर्मा नाम की जो एक कठपुतली है, उससे वह जाँच को रुकवा लेंगे; लेकिन उन्हें यह ध्यान नहीं रहा होगा कि ऊपर का कार्यालय जाँच रोकने के फैसले को रद्द भी कर सकता है और तब उनकी ज्यादा फजीहत होगी । मल्टीपल काउंसिल चेयरमैन के रूप में क्षितिज शर्मा ने मनमानी तथा नियमों की अनदेखी करते हुए पारस अग्रवाल के अकाउंट की जाँच को रोक देने का तो फैसला कर लिया था, लेकिन लायंस इंटरनेशनल कार्यालय ने उनके फैसले को रद्द करके जाँच की प्रक्रिया को आगे बढ़ाने का जो आदेश दिया है, उसने क्षितिज शर्मा और पारस अग्रवाल के लिए मुसीबतों को और बढ़ा दिया है ।
पारस अग्रवाल दरअसल जाँच से इसलिए डरे हुए हैं, क्योंकि वह यह मान कर चल रहे हैं कि जाँच कमेटी अवश्य ही अकाउंट में फर्जीवाड़ा करने का उन्हें दोषी ठहरायेगी । जाँच कमेटी में अभी अशोक गुप्ता, पारस अग्रवाल के; अशोक कपूर, मधु सिंह के; और संजय चोपड़ा, विशाल सिन्हा के प्रतिनिधि के रूप में हैं - और इन तीनों को कमेटी का चेयरमैन चुनना है, जो मल्टीपल डिस्ट्रिक्ट के पूर्व इंटरनेशनल डायरेक्टर्स केएम गोयल, विनोद खन्ना व जगदीश गुलाटी में से कोई एक होगा । मल्टीपल डिस्ट्रिक्ट 321 में इस वर्ष जो हो रहा है और इंटरनेशनल डायरेक्टर एंडॉर्सी जितेंद्र चौहान तथा मल्टीपल काउंसिल चेयरमैन क्षितिज शर्मा जिस तरह की मनमानी कर रहे हैं, उसके चलते तीनों पूर्व डायरेक्टर्स अपने आप को पूरी तरह उपेक्षित महसूस कर रहे हैं तथा बुरी तरह नाराज हैं । पारस अग्रवाल तथा उनके शुभचिंतकों को डर वास्तव में यही है कि तीनों पूर्व डायरेक्टर्स में से जो भी चेयरमैन बनेगा, वह अकाउंट की कमियों और गलतियों को खोजेगा तथा पारस अग्रवाल को दोषी ठहरायेगा । पारस अग्रवाल और उनके नजदीकी दरअसल इसीलिए चाहते थे कि मधु सिंह ने अकाउंट को लेकर जाँच की जो माँग की हुई है, उस माँग को किसी न किसी बहाने से रद्द किया जाए और जाँच से बचा जाए । लेकिन लायंस इंटरनेशनल कार्यालय ने मल्टीपल डिस्ट्रिक्ट चेयरमैन क्षितिज शर्मा से जाँच को रुकवा तथा रद्द करवा देने की उनकी कोशिश पर पानी फेर दिया है ।
पारस अग्रवाल के अकाउंट के मुद्दे पर मल्टीपल डिस्ट्रिक्ट में जो घमासान मचा हुआ है, उसने मल्टीपल काउंसिल सेक्रेटरी राजीव अग्रवाल के लिए एक अलग तरह की मुसीबत पैदा की है । पारस अग्रवाल और उनके समर्थकों ने राजीव अग्रवाल पर सूचनाओं को लीक करने का आरोप लगाया हुआ है । पारस अग्रवाल और उनके समर्थकों को असल में यह बात हैरान किए हुए है कि उनके बीच की बातें विरोधी खेमे के लोगों तक तुरंत कैसे पहुँच जाती हैं ? इस हैरानी को दूर करने की उनकी कोशिशें राजीव अग्रवाल को संदिग्ध बनाती हैं । दरसअल राजीव अग्रवाल ही मल्टीपल डिस्ट्रिक्ट के ऐसे पदाधिकारी हैं, जिनकी नजदीकियत विरोधी खेमे के नेताओं के साथ भी है । विरोधी खेमे के नेताओं के साथ उनकी नजदीकियत वास्तव में संयोगवश ही है । राजीव अग्रवाल अपने डिस्ट्रिक्ट - डिस्ट्रिक्ट 321 ए थ्री - में जिन नेताओं के साथ और संपर्क में ज्यादा रहते हैं, वह मल्टीपल डिस्ट्रिक्ट की राजनीति में विरोधी खेमे के सक्रिय सदस्यों के रूप में देखे/पहचाने जाते हैं - और इसीलिए पारस अग्रवाल तथा उनके नजदीकियों को लगता है कि उन्हें बचाने के लिए मल्टीपल डिस्ट्रिक्ट के पदाधिकारी जो भी योजना बनाते हैं, वह राजीव अग्रवाल के जरिये विरोधी खेमे के नेताओं तक पहुँच जाती है और विरोधी खेमे के लोग पहले से ही उनकी योजना को फेल करने में जुट जाते हैं । मामले में राजीव अग्रवाल को घसीटे जाने से लग रहा है कि अकाउंट के जरिये पारस अग्रवाल को घेरने/फँसाने तथा बचाने की 'लड़ाई' में अन्य कई लोगों के भी फजीहत का शिकार होने के हालात बन रहे हैं, और इससे मल्टीपल डिस्ट्रिक्ट के राजनीतिक समीकरणों में कई तरह के उतार-चढ़ाव देखने को मिलेंगे ।