Tuesday, November 3, 2020

रोटरी इंटरनेशनल डिस्ट्रिक्ट 3080 में जितेंद्र ढींगरा के नेतृत्व वाले मौजूदा सत्ताधारियों ने अपने विरोधियों को चुप करने तथा बदनाम करने के लिए राजा साबू के नेतृत्व वाले पिछले सत्ताधारियों जैसे हथकंडे अपना कर विडंबना, ट्रैजिडी और कॉमेडी का नजारा पेश किया हुआ है

कुरुक्षेत्र । डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी पद की चुनावी लड़ाई में सत्ता खेमे की पक्षपातपूर्ण मनमानियों और बेईमानियों को लेकर होने वाली शिकायतें रोटरी इंटरनेशनल के बड़े और प्रमुख पदाधिकारियों तक जा पहुँची हैं, और इस तरफ डिस्ट्रिक्ट की चुनावी लड़ाई एक बड़ा मुद्दा बन गया है । डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी पद के उम्मीदवार पंकज डडवाल के क्लब - रोटरी क्लब शिमला मिडटाऊन के प्रेसीडेंट अनिल सूद ने पहले डिस्ट्रिक्ट गवर्नर रमेश बजाज को पत्र लिख कर पक्षपातपूर्ण मनमानियों और बेईमानियों पर लगाम लगाने का अनुरोध किया था; लेकिन अपने अनुरोध पर उन्हें जब कोई कार्रवाई होते हुए नहीं दिखी तो उन्होंने रोटरी इंटरनेशनल के दिल्ली स्थित साऊथ एशिया ऑफिस के पदाधिकारियों से लेकर इंटरनेशनल प्रेसीडेंट इलेक्ट शेखर मेहता तथा इंटरनेशनल डायरेक्टर्स भरत पांड्या व  कमल सांघवी को अपनी शिकायतों से अवगत कराते हुए पत्र लिखे/भेजे और उनसे उचित कार्रवाई का अनुरोध किया । इस घटना ने डिस्ट्रिक्ट में इतिहास को ट्रैजिक रूप में दोहराने का काम किया है । अभी कोई चार/पाँच वर्ष पहले ही, आज के सत्ताधारी तब के सत्ताधारियों की मनमानियों व बेईमानियों की शिकायत किया करते थे; राजा साबू के नेतृत्व वाले तब के सत्ताधारी बड़े अहंकार के साथ दावा किया करते थे कि रोटरी इंटरनेशनल के बड़े पदाधिकारियों तक उनकी चूँकि सीधी पहुँच है, इसलिए उनके खिलाफ होने वाली शिकायतों पर कोई कार्रवाई नहीं होगी; विडंबना और ट्रैजिडी यह है कि आज के सत्ताधारी भी वही 'भाषा' बोल रहे हैं और दावा कर रहे हैं कि पंकज डडवाल के समर्थक रोटरी इंटरनेशनल के किसी भी पदाधिकारी से चाहें जो शिकायत कर लें, उनकी शिकायतों पर कोई कार्रवाई नहीं होगी ।
इसी दावे के भरोसे, निवर्त्तमान डिस्ट्रिक्ट गवर्नर जितेंद्र ढींगरा ने घोषणा की है कि अभी वह अपने बेटे की शादी के आयोजन में व्यस्त थे, लेकिन अब वह जल्दी ही 'बिग गेट टुगेदर' आयोजित करेंगे । उनकी इस घोषणा पर उनके उम्मीदवार अरुण मोंगिया खुशी जता रहे हैं । पिछले दिनों पहले सहारनपुर में और फिर अंबाला में अरुण मोंगिया की उम्मीदवारी के समर्थन में वोट जुटाने के उद्देश्य से मीटिंग/पार्टी की गई, जिसमें जितेंद्र ढींगरा के साथ-साथ डिस्ट्रिक्ट गवर्नर इलेक्ट अजय मदान और डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी नवीन गुलाटी भी शामिल हुए । किसी ने इसे लेकर आपत्ति की, तो उसे जबाव दिया गया कि जितेंद्र ढींगरा अपने बेटे की शादी में भीड़भाड़ से बचने के लिए लोगों को बुला नहीं सके थे, इसलिए वह अब लोगों को पार्टी दे रहे हैं । इस पर लोगों के बीच सुनने को मिला कि अपने बेटे की शादी की पार्टी लोगों को अपने घर बुला कर दी जाती है, जितेंद्र ढींगरा ने अलग रिवाज शुरू किया है, वह लोगों के घर जाकर पार्टी दे रहे हैं । जाहिर है कि उनके तर्क को डिस्ट्रिक्ट में लोग हजम नहीं कर पा रहे हैं, और इसे लोगों की आँखों में धूल झोंकने की कोशिश के रूप में ही देखा/पहचाना जा रहा है ।
डिस्ट्रिक्ट में इतिहास अपने आप को सिर्फ ट्रैजिक रूप में ही नहीं दोहरा रहा है, बल्कि कुछेक मामलों में वह कॉमेडी भी बन गया है । लोगों को याद है कि डेविड हिल्टन के गवर्नर-वर्ष में टीके रूबी के पक्ष में आयोजित की गई मीटिंग में शामिल होने के 'अपराध' में डिस्ट्रिक्ट टीम के 12 प्रमुख सदस्यों को टीम से निलंबित कर दिया गया था, उसी तरह की 'मानसिकता' को प्रकट करते हुए पंकज डडवाल की उम्मीदवारी के एक समर्थक - रोटरी क्लब सोलन सिटी के पूर्व प्रेसीडेंट वीरेंद्र अग्रवाल को वाट्स-ऐप ग्रुपों से निकाल दिया गया है । वीरेंद्र अग्रवाल का 'अपराध' ठीक वही है, जो डेविड हिल्टन के गवर्नर-वर्ष में टीके रूबी और उन 12 सदस्यों का था - सत्ताधारियों की पक्षपातपूर्ण मनमानियों व बेईमानियों का विरोध करना । डेविड हिल्टन की डिस्ट्रिक्ट टीम से 12 सदस्यों को निकालने का कोई कारण नहीं बताया गया था, वीरेंद्र अग्रवाल को वाट्स-ऐप ग्रुपों से निकालने का भी कोई कारण नहीं बताया गया है । एक ग्रुप में एक सदस्य ने जितेंद्र ढींगरा से कारण पूछा तो जितेंद्र ढींगरा ने उन्हें जबाव दिया कि वह फोन पर उन्हें कारण बताते हैं । फोन पर क्यों ? वीरेंद्र अग्रवाल को आपने ग्रुपों से निकाला, यह बात सभी को पता है - तो कारण भी सभी को पता होना चाहिए ! कारण आप किसी के कान में क्यों बतायेंगे ? इस रवैये पर हर किसी को हैरानी है, और आरोप सुने जा रहे हैं कि कारण सार्वजनिक रूप से बताएंगे, तो हो सकता है कि वह झूठे साबित हों !
वीरेंद्र अग्रवाल, डिस्ट्रिक्ट गवर्नर इलेक्ट अजय मदान के एक 'झूठे' बताये जा रहे आरोप के पहले भी शिकार हो चुके हैं । अजय मदान ने कई लोगों को अलग अलग बताया है कि वीरेंद्र अग्रवाल ने शेखर मेहता वाले कार्यक्रम में उनकी पत्नी के साथ बदतमीजी की थी । कुछेक लोगों के जरिये यह बात जब वीरेंद्र अग्रवाल के सामने पहुँची, तो उन्होंने पूरी घटना बताते हुए हैरानी प्रकट की कि एक सामान्य सी बात को बदतमीजी घोषित कर अजय मदान उन्हें बदनाम करने की कोशिश क्यों कर रहे हैं ? वीरेंद्र अग्रवाल के अनुसार, हुआ यह था कि कुरुक्षेत्र में आयोजित शेखर मेहता के सम्मान समारोह का आयोजन देर रात तक चलता रहा था । रात 12 बजे के करीब, कई लोगों को जब भूख सताने लगी और उन्होंने घर लौटने के बारे में भी सोचना शुरू किया, तो वह खाने के स्टॉल की तरफ बढ़े और खाना खाने की तैयारी करने लगे । तभी अजय मदान की पत्नी ने वहाँ आकर कहा कि अभी कार्यक्रम चल रहा है, इसलिए अभी खाना शुरू नहीं किया जाना चाहिए । इस पर कुछेक अन्य लोगों के साथ-साथ वीरेंद्र अग्रवाल ने भी कहा कि रात के 12 बज रहे हैं, लोगों को भूख लग रही है और वह घर लौटना चाहते हैं; जिन लोगों की कार्यक्रम में रुचि हो, वह रुकें - और जिन लोगों की रुचि न हो, उन्हें खाना खाकर घर जाने दिया जाए । वीरेंद्र अग्रवाल के इन तर्कों से दूसरे लोगों को भी बल मिला, और तब अजय मदान की पत्नी की खाना रोकने की कोशिश सफल नहीं हो सकी । अजय मदान इस घटना को अपनी पत्नी के साथ बदतमीजी करना कह/बता रहे हैं । यहाँ यह याद करना प्रासंगिक होगा कि तीन-चार वर्ष पहले तब के सत्ताधारी अपने विरोधियों को इसी तरह की बहानेबाजियों से बदनाम किया करते थे; विडंबना, ट्रैजिडी और कॉमेडी यह है कि तब के विरोधियों ने आज सत्ताधारी बन कर अपने विरोधियों से निपटने के लिए वैसे ही हथकंडे अपना लिए हैं ।

Monday, November 2, 2020

रोटरी इंटरनेशनल डिस्ट्रिक्ट 3011 में निवर्त्तमान डिस्ट्रिक्ट गवर्नर सुरेश भसीन लंबे समय तक डिस्ट्रिक्ट व रोटरी के सीन से गायब रहने के बाद, अब जब पुनः वापस लौटे हैं, तो विनय भाटिया और विनोद बंसल के लिए वास्तव में मुसीबत बन कर ही लौटे हैं

नई दिल्ली । निवर्त्तमान डिस्ट्रिक्ट गवर्नर सुरेश भसीन की पुनः शुरू हुई सक्रियता ने रोटरी फाउंडेशन के लिए दिए गए दान के बदले में प्वाइंट न मिलने के मामले को एक बार फिर गर्म कर दिया है, और इस स्थिति ने इंटरनेशनल डायरेक्टर पद के लिए अधिकृत उम्मीदवार का चयन/चुनाव करने वाली नोमीनेटिंग कमेटी के लिए विनय भाटिया की उम्मीदवारी के सामने गंभीर संकट खड़ा कर दिया है । ऐसे में, मजे की स्थिति यह बनी है कि सुरेश भसीन तो विनय भाटिया की उम्मीदवारी को मदद करने में जुटना चाहते हैं, लेकिन विनय भाटिया और उनकी उम्मीदवारी की कमान संभालने वाले विनोद बंसल उनकी मदद से बचने की कोशिश कर रहे हैं । दरअसल विनय भाटिया और विनोद बंसल जान/समझ रहे हैं कि डिस्ट्रिक्ट में सुरेश भसीन की जैसी बदनामी है, उसके कारण उनके साथ जुड़ने से लाभ की बजाये नुकसान ज्यादा होगा - इसलिए सुरेश भसीन से दूर रहने तथा उनको दूर रखने में ही भलाई है । डिस्ट्रिक्ट में लोगों के बीच, सुरेश भसीन की बदनामी हालाँकि तभी शुरू हो गई थी, जब वह गवर्नर थे - और इसका खामियाजा डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी पद के चुनाव में महेश त्रिखा को तथा सीओएल प्रतिनिधि के चुनाव में अमित जैन को उठाना/भुगतना पड़ा था । सुरेश भसीन ने इन दोनों का खुलकर समर्थन किया था । डिस्ट्रिक्ट में हर किसी का मानना/समझना रहा कि डिस्ट्रिक्ट गवर्नर के रूप में सुरेश भसीन की बदनामी के चलते उनका समर्थन महेश त्रिखा और अमित जैन को भारी पड़ा 
सुरेश भसीन के लिए फजीहत की बात यह रही कि गवर्नर पद से हटने के बाद उनकी बदनामी में और इजाफा ही हुआ है । दरअसल, उनके गवर्नर-वर्ष के आखिरी दो-तीन महीनों में रोटरी फाउंडेशन के लिए जिन लोगों ने पैसे दिए, उनमें से कईयों की शिकायत रही कि उनके द्वारा दी गई रकम के बदले में मिलने वाले प्वाइंट उन्हें नहीं मिले हैं । शुरू में तो सुरेश भसीन ने शिकायतकर्ताओं को यह कहते/बताते हुए टाला कि रोटरी फाउंडेशन के लिए रकम जुटाने/जुटवाने का काम विनोद बंसल और अशोक कंतूर ने किया था और जैसे ही उन्हें इन दोनों से संबंधित डिटेल्स मिलेंगे - वह प्वाइंट्स दिलवाने का काम करवायेंगे । खास बात यह रही कि सुरेश भसीन की इस बात पर विनोद बंसल और अशोक कंतूर ने पहले तो कोई सफाई या जबाव नहीं दिया, लेकिन जब शिकायतकर्ताओं का शोर बढ़ता गया और बदनामीभरे आरोपों ने सुरेश भसीन के साथ-साथ उन्हें भी घेरे में लेना शुरू कर दिया, तब मामले से पीछा छुड़ाने की कोशिश करते हुए उन्होंने कहा/बताया कि उन्होंने तो रोटरी फाउंडेशन के लिए रकम जमा करवाने के काम में सुरेश भसीन की मदद भर की थी, और हिसाब-किताब तो सुरेश भसीन के पास ही है । इस मामले में ज्यादातर शिकायतकर्ता ऐसे रोटेरियंस रहे, जिन्होंने रोटरी फाउंडेशन के लिए नकद रकम दी थी; इसलिए उन्हें डर हुआ कि उनके द्वारा दी गई रकम रोटरी फाउंडेशन में पहुँची भी कि नहीं । इस मामले में शोर-शराबा अभी चल ही रहा था कि सुरेश भसीन डिस्ट्रिक्ट और रोटरी के सीन से गायब ही हो गए । इससे पहले तो बबाल बढ़ा, लेकिन फिर मामला शांत-सा हो गया ।
सुरेश भसीन लेकिन अब जब यह बताते हुए फिर से सक्रिय हुए हैं कि कुछ व्यक्तिगत व पारिवारिक कारणों से वह पिछले कुछेक सप्ताहों से लोगों के संपर्क में नहीं रह पा रहे थे; तो फिर शांत सा पड़ा उक्त मामला भी गर्म होता लग रहा है । सुरेश भसीन ने यह कहते हुए उक्त गर्मी को राजनीतिक ट्विस्ट भी दे दिया है कि इंटरनेशनल डायरेक्टर पद के लिए बनने वाली नोमीनेटिंग कमेटी में प्रतिनिधित्व के लिए वह विनोद बंसल के उम्मीदवार विनय भाटिया को चुनाव जितवाने के लिए काम करेंगे । सुरेश भसीन की इस घोषणा ने विनोद बंसल और विनय भाटिया को खुश करने की बजाये डरा और दिया है । उन्हें डर हुआ है कि सुरेश भसीन की बदनामी के कारण, उनका समर्थन वास्तव में नुकसान पहुँचाने का काम ही करेगा - इसलिए वह सुरेश भसीन को अपने से दूर रखने का ही प्रयास करना चाहते हैं । उनकी समस्या लेकिन यह भी है कि वह सुरेश भसीन को दूर रखने का, और उनसे पीछा छुड़ाने का काम करें, तो कैसे करें ? विनोद बंसल को सुरेश भसीन से, रोटरी फाउंडेशन के लिए पैसे देने वाले लोगों को अभी प्वाइंट दिलवाने का काम करवाना है - इसलिए उनके सामने सुरेश भसीन को साथ रखने की मजबूरी भी है । इस मजबूरी को निभाते हुए उन्हें लेकिन सुरेश भसीन की बदनामी के चलते होने वाले राजनीतिक नुकसान से बचने की चुनौती से भी जूझना है । इस तरह, लंबे समय से डिस्ट्रिक्ट व रोटरी के सीन से गायब रहे सुरेश भसीन अब जब पुनः वापस लौटे हैं, तो विनय भाटिया और विनोद बंसल के लिए वास्तव में मुसीबत बन कर ही लौटे हैं । 

Sunday, November 1, 2020

इंस्टीट्यूट ऑफ चार्टर्ड एकाउंटेंट्स की नॉर्दर्न इंडिया रीजनल काउंसिल में आनन-फानन में श्रीनगर में सब-रीजनल कॉन्फ्रेंस करने की तैयारी के पीछे चेयरमैन शशांक अग्रवाल की सेंट्रल काउंसिल की चुनावी तैयारी तथा इंस्टीट्यूट के पैसे पर श्रीनगर घूमने के जुगाड़ को देखा/पहचाना जा रहा है

नई दिल्ली । नॉर्दर्न इंडिया रीजनल काउंसिल के चेयरमैन शशांक अग्रवाल की 'सब-रीजनल कॉन्फ्रेंस' के बहाने से श्रीनगर घूमने की तैयारी पर सेंट्रल काउंसिल सदस्य संजीव सिंघल ग्रहण लगाते दिख रहे हैं । संजीव सिंघल ने औपचारिक रूप से हालाँकि कोरोना से बचाव को लेकर लोगों की भागीदारी वाले आयोजनों के संदर्भ में केंद्रीय गृह मंत्रालय (मिनिस्ट्री ऑफ होम अफेयर्स - एमएचए) द्वारा जारी गाइडलाइंस का हवाला देकर 6 नबंवर को आयोजित की जाने वाली सब रीजनल कॉन्फ्रेंस पर सवाल उठाया है, लेकिन अनौपचारिक रूप से अपने संपर्क में आने वाले चार्टर्ड एकाउंटेंट्स को वह इस कॉन्फ्रेंस को आनन-फानन में आयोजित करने तथा इसके बहाने से श्रीनगर घूमने व अपनी राजनीति चलाने की शशांक अग्रवाल की कोशिशों के रूप में व्याख्यायित कर हैं ।नॉर्दर्न इंडिया रीजनल काउंसिल के ही सदस्यों का कहना/बताना है कि संजीव सिंघल को लग रहा है कि शशांक अग्रवाल सेंट्रल काउंसिल का चुनाव लड़ने की तैयारी कर रहे हैं, और उनकी इस तैयारी को इंस्टीट्यूट के प्रेसीडेंट अतुल गुप्ता से सहयोग व समर्थन मिल रहा है । संजीव सिंघल को ही नहीं, अन्य कई सेंट्रल काउंसिल सदस्यों तथा प्रमुख चार्टर्ड एकाउंटेंट्स को लग रहा है कि बिना किसी उचित योजना के जल्दीबाजी में 'सब रीजनल कॉन्फ्रेंस' के आयोजन पर अतुल गुप्ता ने कोई आपत्ति क्यों नहीं की ?
शशांक अग्रवाल की जल्दीबाजी में 'सब रीजनल कॉन्फ्रेंस' करने की घोषणा के पीछे कहानी यह बताई/सुनाई जा रही है कि 6 नबंवर को दरअसल श्रीनगर में जम्मू-कश्मीर ब्रांच के एक प्रतिनिधि ऑफिस का उद्घाटन होने का कार्यक्रम है । यह ऑफिस और उसका उद्घाटन भी मजाक को विषय बना हुआ है, और इसकी जरूरत किसी को समझ में नहीं आ रही है । उल्लेखनीय है कि श्रीनगर में कश्मीर सीपीई चैप्टर है, और जाहिर है कि उसका ऑफिस भी है - जिसे श्रीनगर में जो थोड़े से चार्टर्ड एकाउंटेंट्स हैं उनकी जरूरतों को पूरा करने के लिए पर्याप्त माना/समझा जाता है । ऐसे में, वहाँ तथाकथित प्रतिनिधि ऑफिस खोलना सिर्फ अपनी उपलब्धियों को बढ़ा/चढ़ा कर दिखाने का मौका बनाना भर है । और सिर्फ इतना ही नहीं, चेयरमैन शशांक अग्रवाल तथा सेक्रेटरी अजय सिंघल को लगा कि तथाकथित प्रतिनिधि ऑफिस के उद्घाटन में शामिल होने के नाम पर उन्हें इंस्टीट्यूट के पैसे पर श्रीनगर घूमने का मौका भी मिल जायेगा । हालाँकि इन्हें यह डर भी हुआ कि एक ब्रांच स्तर के छोटे से कार्यक्रम में इंस्टीट्यूट के पैसे पर जाने को लेकर बबाल मचेगा, सो आनन-फानन में इन्होंने श्रीनगर में सब-रीजनल कॉन्फ्रेंस करने की तैयारी कर ली । आरोप है कि सब-रीजनल कॉन्फ्रेंस के नाम पर चेयरमैन शशांक अग्रवाल और सेक्रेटरी अजय सिंघल ने वास्तव में इंस्टीट्यूट के पैसे पर श्रीनगर घूमने का जुगाड़ बना लिया है । समझा जाता है कि प्रेसीडेंट अतुल गुप्ता ने भी आनन-फानन में सब-रीजनल कॉन्फ्रेंस करने पर आपत्ति इसीलिए नहीं की, क्योंकि शशांक अग्रवाल व अजय सिंघल की इस योजना में उन्हें भी श्रीनगर घूमने का मौका मिलता नजर आया ।
उल्लेखनीय है कि अतुल गुप्ता ने इसी तरह की जल्दबाजी के साथ अभी हाल ही में आयोजित हुए गुरुग्राम ब्रांच के एक कार्यक्रम में मुख्य अतिथि बनने का जुगाड़ किया था, जिसकी जानकारी नॉर्दर्न इंडिया रीजनल काउंसिल के पदाधिकारियों और सदस्यों को भी नहीं थी - और यहाँ तक कि गुरुग्राम ब्रांच के चैयरमेन तक को उक्त कार्यक्रम में शामिल होने  का मौका नहीं मिला । गुरुग्राम ब्रांच के दूसरे सदस्यों को यही समझ में नहीं आया कि कार्यक्रम वास्तव में था क्या ? ब्रांच के एक पदाधिकारी ने इन पंक्तियों के लेखक को बताया कि कार्यक्रम वास्तव में कुछ नहीं था, वह तो अतुल गुप्ता का सुबह सुबह फोन आया कि वह आयेंगे इसलिए तम्बू-कनात लगवा लेना और एक फोटोग्राफर बुलवा लेना । लोगों को ऐसा लगता है कि अतुल गुप्ता की उसी हरकत से प्रेरित होकर शशांक अग्रवाल और अजय सिंघल ने श्रीनगर का कार्यक्रम बना डाला । असल में, अतुल गुप्ता और शशांक अग्रवाल के लिए प्रेसीडेंट और चेयरमैन बनना कोरोना वायरस के प्रकोप से बने हालात की भेंट चढ़ गया है, और इन बेचारों को ब्रांचेज में आने-जाने, गले में माला डलवाने तथा फोटो खिंचवाने का मौका ही नहीं मिल सका है । इसलिए, इस तरह के मौके बनाने के लिए इन्हें फर्जी तरीके अपनाने पड़ रहे हैं । गुरुग्राम वाले मामले में तो ज्यादा बबाल नहीं हुआ, लेकिन श्रीनगर के कार्यक्रम को लेकर लोगों की नाराजगी इसलिए मुखर हो रही है, क्योंकि इसमें इंस्टीट्यूट की मोटी रकम बर्बाद होनी है, और इसे शशांक अग्रवाल की सेंट्रल काउंसिल की उम्मीदवारी की तैयारी से जोड़कर देखा जा रहा है ।