सूरत । सूरत ब्रांच की नई बनी बिल्डिंग के उद्घाटन के नाम पर ब्रांच के पदाधकारियों तथा सेंट्रल काउंसिल सदस्य जय छैरा ने जिस तरह की धोखाधड़ी और बेईमानी की, उसने सूरत के चार्टर्ड एकाउंटेंट्स को बुरी तरह निराश और नाराज किया है । जय छैरा बिल्डिंग कमेटी के चेयरमैन हैं । सेंट्रल काउंसिल के लिए उन्हें सूरत के चार्टर्ड एकाउंटेंट्स का भरपूर और एकतरफा समर्थन मिलता रहा है, जिसके बूते वह शानदार तरीके से सेंट्रल काउंसिल का चुनाव जीतते रहे हैं । हाल ही में संपन्न हुए इंस्टीट्यूट की सेंट्रल काउंसिल के चुनाव में वेस्टर्न रीजन में जय छैरा को सबसे ज्यादा वोट मिले और सबसे पहले वही विजेता घोषित किए गए । सूरत के चार्टर्ड एकाउंटेंट्स को दुःख और नाराजगी इसी बात पर है कि उन्होंने तो जय छैरा को खूब खूब प्यार और सम्मान दिया, और जय छैरा ने ब्रांच की बिल्डिंग के उद्घाटन जैसे छोटे से मामले में उन्हें ही 'धोखा' दे दिया । इस मामले में गंभीर बात यह है कि जय छैरा और ब्रांच के पदाधिकारियों ने बिल्डिंग के उद्घाटन की धोखाधड़ी में देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी तक के नाम का इस्तेमाल कर लिया - और वह भी तब, जब कि नई बिल्डिंग का काम अभी पूरा नहीं हुआ है । इंस्टीट्यूट की सेंट्रल काउंसिल के सदस्य और इंस्टीट्यूट के प्रेसीडेंट बनने की इच्छा रखने तथा अभी से उसके लिए तैयारी शुरू करने वाले जय छैरा की तरफ से मजेदार हरकत अब यह देखने/सुनने को मिल रही है कि चार्टर्ड एकाउंटेंट्स की नाराजगी को देखते हुए वह सारे झमेले की जिम्मेदारी ब्रांच के चेयरमैन भविन हिंगर के सिर थोपने की कोशिश कर रहे हैं । जय छैरा की तरफ से सुनने को मिल रहा है कि नई बिल्डिंग के नाम-पट्ट पर अपना नाम खुदवाने के स्वार्थ में भविन हिंगर ने उद्घाटन करवाने में जल्दबाजी की और जिसके चलते सारा तमाशा हुआ ।
इस तमाशे की शुरुआत उस मैसेज से हुई, जिसे ब्रांच पदाधिकारियों की तरफ से भेजा गया और जिसमें बताया गया कि 30 जनवरी को देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सूरत में हो रहे एक कार्यक्रम में मौजूद होंगे, इसलिए 'हमने उनसे अनुरोध किया है' कि वह ब्रांच की नई बिल्डिंग का ई-उद्घाटन कर दें । इस मैसेज में यह दावा भी किया गया कि इंस्टीट्यूट के प्रेसीडेंट नवीन गुप्ता और वाइस प्रेसीडेंट प्रफुल्ल छाजेड़ भी मौके पर मौजूद होंगे । ब्रांच के पदाधिकारियों की तरफ से भेजा गया यह संदेश मूर्खता का चरम उदाहरण है । ब्रांच के पदाधिकारियों को क्या इतनी भी अक्ल नहीं है, और कि उन्हें यह भी पता नहीं है कि देश के प्रधानमंत्री का 'कार्यक्रम' क्या ऐसे मिलता है ? ब्रांच के पदाधिकारी आखिर किस नशे में रहते हैं कि उन्होंने मान/सोच लिया कि प्रधानमंत्री चूँकि उनके शहर में होंगे, तो वह उनसे अनुरोध करेंगे कि सर, हमारे ऑफिस का भी उद्घाटन कर दो, और वह कर देंगे । कुछेक लोगों का कहना है कि ब्रांच के पदाधिकारियों और जय छैरा को भी पता था कि प्रधानमंत्री के हाथों ई-उद्घाटन होने का अवसर नहीं मिलेगा; लेकिन फिर भी उन्होंने यह तमाशा इसलिए किया ताकि वह लोगों को दिखा सकें कि देखो, उन्होंने तो प्रधानमंत्री से बिल्डिंग का उद्घाटन करवाने का प्रयास किया था । जिस उतावलेपन, मूर्खता और धोखाधड़ी के साथ, प्रधानमंत्री से ब्रांच की बिल्डिंग का ई-उद्घाटन करवाने का प्रयास किया गया था, वह न तो सफल होना था और न वह हुआ । तब इंस्टीट्यूट के प्रेसीडेंट नवीन गुप्ता से उद्घाटन करवाने का 'प्रोग्राम' सामने आया । कुछेक लोगों ने कहा भी कि नई बिल्डिंग का काफी काम अभी बाकी है, इसलिए अभी इस आधी-अधूरी बिल्डिंग का उद्घाटन करवाना उचित नहीं होगा । किंतु जय छैरा तथा ब्रांच के पदाधिकारियों ने इस बात को अनसुना ही कर दिया, और नवीन गुप्ता को ई-उद्घाटन करने के लिए राजी कर लिया ।
इंस्टीट्यूट के प्रेसीडेंट नवीन गुप्ता को कुछेक और आधी-अधूरी ब्रांच-बिल्डिंग्स का उद्घाटन करने का 'गौरव' प्राप्त है, इसलिए उन्हें सूरत ब्रांच की बिल्डिंग का भी उद्घाटन करने करने में कोई हिचक नहीं हुई । ब्रांच के चेयरमैन और इंस्टीट्यूट के प्रेसीडेंट की कुर्सी पर चूँकि अब जल्दी ही नए लोगों को बैठना है, इसलिए उन पर अभी बैठे लोगों का 'स्वार्थ' तो समझ में आता है; लेकिन यह बात किसी की समझ में नहीं आ रही है कि जय छैरा आधी-अधूरी बिल्डिंग का उद्घाटन करवाने की जल्दी में क्यों रहे ? कुछेक लोगों को शक है कि जय छैरा शायद सूरत ब्रांच की नई बिल्डिंग का उद्घाटन प्रफुल्ल छाजेड़ से नहीं करवाना चाहते हैं, इसलिए उन्हें उद्घाटन अभी करवा लेने की जल्दी रही । गौर करने की बात यह है कि करीब आठ/दस दिन बाद प्रफुल्ल छाजेड़ इंस्टीट्यूट के प्रेसीडेंट हो जायेंगे; सूरत ब्रांच की बिल्डिंग का उद्घाटन यदि अभी नहीं होता - तो फिर उद्घाटन करने का मौका प्रफुल्ल छाजेड़ को मिलता; प्रफुल्ल छाजेड़ को मौका न मिले, इसके लिए जय छैरा भी जल्दबाजी में अभी ही उद्घाटन करवाने के लिए उतावले हो गए । नवीन गुप्ता ने भी दिल्ली में बैठे बैठे जो ई-उद्घाटन किया, उसमें भी तमाशा हो गया । ब्रांच के अधिकतर लोगों को उद्घाटन-कार्यक्रम की सूचना ही नहीं मिली, जिस कारण उद्घाटन अवसर पर गिनती के लोग ही उपस्थित हो पाए । गिनती के जो लोग उपस्थित हुए भी, उनके बैठने के लिए कुर्सी आदि की तथा पीने के पानी की व्यवस्था तक नहीं थी । उद्घाटन के लिए जो समय तय हुआ था, नवीन गुप्ता उस समय तक दिल्ली मुख्यालय में पहुँच ही नहीं सके । उनका इंतजार करते हुए सूरत ब्रांच में उपस्थित हुए लोगों को करीब एक-डेढ़ घंटा इंतजार करना पड़ा, और जैसे-तैसे बड़े ही उजाड़ तरीके से बिल्डिंग का उद्घाटन हुआ ।
सूरत के चार्टर्ड एकाउंटेंट्स को दुःख और नाराजगी इस बात की है कि सूरत जैसी बड़ी और प्रमुख ब्रांच, जिसमें करीब पाँच हजार सदस्य हैं और जिनमें से करीब तीन हजार ने अभी हाल ही में हुए चुनाव में वोट दिया था, की जो बड़ी और बढ़िया बिल्डिंग बनी है - उसका उद्घाटन भी शानदार तरीके से होना चाहिए था, और ब्रांच के पूर्व पदाधिकारियों तथा सदस्यों को उसमें शामिल होने का अवसर मिलना चाहिए था; लेकिन भविन हिंगर, जय छैरा और नवीन गुप्ता की स्वार्थी व 'धोखाधड़ी' भरी सोच व हरकत ने उनसे वह अवसर छीन लिया ।