नई दिल्ली । सीओएल का चुनाव बड़े अंतर से जीतने वाले पूर्व गवर्नर सुधीर मंगला इस बात को लेकर बुरी तरह परेशान और निराश हैं कि डिस्ट्रिक्ट में उन्हें कोई पूछता ही नहीं है, और वह पूरी तरह अलग-थलग पड़े हुए हैं । विडंबना और मजे की बात यह है कि सत्ता खेमे में तो उन्हें इसलिए तवज्जो नहीं मिल रही है, क्योंकि सीओएल के चुनाव में उन्होंने सत्ता खेमे के उम्मीदवार अमित जैन को खासे बड़े अंतर से हराया और इस तरह सत्ता खेमे के नेताओं की भारी किरकिरी की/करवाई; लेकिन विरोधी खेमे के जिन नेताओं ने सीओएल के चुनाव में उनके लिए दिन/रात एक किया, वह भी उनसे कन्नी काटते हुए दिखाई दे रहे हैं । मजे की बात यह भी है कि सुधीर मंगला यह रोना रोते हुए और शिकायत करते हुए तो सुने गए हैं कि उनके अपने लोगों ने उन्हें अलग-थलग किया हुआ है, लेकिन इस आरोप पर वह चुप्पी साध लेते हैं कि इस स्थिति के लिए खुद वह ही जिम्मेदार हैं । दरअसल, सीओएल का चुनाव जीतने के बाद सुधीर मंगला घमंड से भर गए थे, और कहते/सुनाते तथा दावा करने लगे थे कि सीओएल का चुनाव तो उन्होंने अपने दम पर जीता है, तथा किसी ने उनकी कोई मदद नहीं की ।
Wednesday, September 30, 2020
रोटरी इंटरनेशनल डिस्ट्रिक्ट 3011 में सीओएल का चुनाव बड़े अंतर से जीतने के बावजूद सुधीर मंगला डिस्ट्रिक्ट में अलग-थलग और अकेले पड़े, तथा इसके लिए उनके मतलबी और घमंडी व्यवहार को ही जिम्मेदार ठहराया जा रहा है
Tuesday, September 29, 2020
इंस्टीट्यूट ऑफ चार्टर्ड एकाउंटेंट्स में पहले तो प्रेसीडेंट पद का निजी खुन्नस में दुरुपयोग करने और अब वाइस प्रेसीडेंट पद के चुनाव में अपना वोट/समर्थन राजेश शर्मा को 'बेचने' के आरोपों के चलते अतुल गुप्ता की मुसीबतें और बढ़ीं; तथा उन्हें बचाने की कोशिशों में विजय झालानी भी विवाद में फँसे
नई दिल्ली । मोहित बंसल मामले में फँसे इंस्टीट्यूट के प्रेसीडेंट अतुल गुप्ता को बचाने के लिए सेंट्रल काउंसिल सदस्य राजेश शर्मा तथा विजय झालानी ने जो मोर्चा संभाला है, उससे इंस्टीट्यूट के वाइस प्रेसीडेंट पद की चुनावी राजनीति में खासी गर्मी आ गई है । उक्त मामले में अतुल गुप्ता की बुरी तरह फँसी गर्दन को निकालने के लिए राजेश शर्मा लगातार मिनिस्ट्री ऑफ कॉर्पोरेट अफेयर्स के मंत्री से लेकर अधिकारियों तक के चक्कर काट रहे हैं, और अतुल गुप्ता को बचाने की तरकीबें ढूँढ़ने में लगे हुए हैं । अपने इस 'लगे होने' का कारण बताते हुए खुद राजेश शर्मा ने दावा किया है कि उक्त मामले में बचाने की उनकी कोशिशों के बदले में अतुल गुप्ता ने वाइस प्रेसीडेंट पद के चुनाव में उनका समर्थन करने की कसम खाई है । राजेश शर्मा के इस दावे ने वाइस प्रेसीडेंट पद के दूसरे संभावित उम्मीदवारों को भड़का दिया है, और वह प्रेसीडेंट के रूप में अतुल गुप्ता की निजी खुन्नस निकालने की हरकत को लेकर अतुल गुप्ता को निशाना बना रहे हैं । अतुल गुप्ता को निशाना बनाने वाले सेंट्रल काउंसिल सदस्यों को मनाने की जिम्मेदारी विजय झालानी ने संभाली है, जिसके तहत उनके द्वारा कुछेक सेंट्रल काउंसिल सदस्यों को अपने घर पार्टी देने की बात भी चर्चा में है ।
लायंस क्लब्स इंटरनेशनल डिस्ट्रिक्ट 321 सी वन में डिस्ट्रिक्ट गवर्नर अश्वनी काम्बोज द्वारा अपनी पत्नी को जोन चेयरपरसन बनाने के पीछे - पंकज बिजल्वान को सेकेंड वाइस डिस्ट्रिक्ट गवर्नर बनने से रोकने, अन्यथा उनसे 'सौदेबाजी' करने की उनकी 'तैयारी' को देखा/पहचाना जा रहा है
देहरादून । डिस्ट्रिक्ट गवर्नर अश्वनी काम्बोज ने अपनी पत्नी प्रतिभा काम्बोज को जोन चेयरपरसन बना कर डिस्ट्रिक्ट की चुनावी राजनीति में चर्चाओं का शोर खासा बढ़ा दिया है । माना/समझा जा रहा है कि अपनी पत्नी को जोन चेयरपरसन बना कर अश्वनी काम्बोज ने सेकेंड वाइस डिस्ट्रिक्ट गवर्नर पद की राजनीति की चाबी अपने पास रखने की तैयारी की है; जिसके तहत जरूरत पड़ने पर वह अपनी पत्नी को सेकेंड वाइस डिस्ट्रिक्ट गवर्नर पद का उम्मीदवार बना सकेंगे । अश्वनी काम्बोज के नजदीकियों के अनुसार, अश्वनी काम्बोज दरअसल सेकेंड वाइस डिस्ट्रिक्ट गवर्नर पद के लिए पंकज बिजल्वान की उम्मीदवारी के रास्ते में काँटे बोना चाहते हैं, और पंकज बिजल्वान को सेकेंड वाइस डिस्ट्रिक्ट गवर्नर न बनने देने के लिए कुछ भी करने को तैयार हैं । इस उद्देश्य को पूरा करने के लिए अश्वनी काम्बोज ने पहले विनय शिशोदिया पर डोरे डाले थे, जिसके चलते विनय शिशोदिया ने उम्मीदवारी की तैयारी भी शुरू कर दी थी । विनय शिशोदिया को लेकिन सत्ता खेमे के दूसरे नेताओं का सहयोग/समर्थन मिलता हुआ नहीं दिखा, तो फिर वह पीछे हटते हुए नजर आए । विनय शिशोदिया को हालाँकि विरोधी खेमे के कुछेक पूर्व गवर्नर्स नेताओं ने समझाने की कोशिश तो की कि अश्वनी काम्बोज के उम्मीदवार के रूप में मैदान में कूद पड़ो, फिर उन्हें विरोधी खेमे के नेताओं का समर्थन भी मिल जायेगा । विनय शिशोदिया ने लेकिन न अश्वनी काम्बोज पर भरोसा किया और न विरोधी खेमे के नेताओं के साथ जुड़ने में दिलचस्पी दिखाई, और अपनी उम्मीदवारी से पीछे हटने में ही अपनी भलाई देखी ।
Monday, September 28, 2020
रोटरी इंटरनेशनल डिस्ट्रिक्ट 3054 में अशोक गुप्ता की गुडबुक में होते हुए तथा शेखर मेहता के नजदीक होने की कोशिश करते हुए भरत पांड्या के नजदीकी जयप्रकाश व्यास को नोमीनेटिंग कमेटी की उम्मीदवारी के लिए प्रेरित करने की डिस्ट्रिक्ट गवर्नर राजेश अग्रवाल की कोशिशों ने डिस्ट्रिक्ट में गर्मी पैदा की
अहमदाबाद । इंटरनेशनल डायरेक्टर पद के लिए अधिकृत उम्मीदवार का चयन/चुनाव करने वाली नोमीनेटिंग कमेटी के लिए पूर्व डिस्ट्रिक्ट गवर्नर जयप्रकाश व्यास को उम्मीदवार 'बनाने' के डिस्ट्रिक्ट गवर्नर राजेश अग्रवाल के प्रयासों ने जयप्रकाश व्यास तथा उनके नजदीकियों को गफलत में डाल दिया है । जयप्रकाश व्यास के नजदीकियों का कहना/बताना है कि राजेश अग्रवाल ने जिस अचानक तरीके से जयप्रकाश व्यास को उम्मीदवार बनने के लिए 'प्रेरित' करना शुरू किया है, उससे उन्हें यह समझने में मुश्किल हो रही है कि इसके पीछे राजेश अग्रवाल की मंशा आखिर क्या है, और जयप्रकाश व्यास को उम्मीदवार बना/बनवा कर वह आखिर अपना कौन सा 'स्वार्थ' पूरा करना चाहते हैं ? उल्लेखनीय है कि डिस्ट्रिक्ट गवर्नर के रूप में राजेश अग्रवाल लगातार यह दावा करते रहे हैं कि वह डिस्ट्रिक्ट में चुनावी राजनीति को किसी भी तरह से प्रश्रय नहीं देंगे, और कोशिश करेंगे कि चुनावी राजनीति के चक्कर में डिस्ट्रिक्ट का माहौल खराब न हो; लेकिन देखने/सुनने में आ रहा है कि राजेश अग्रवाल खुद चुनावी राजनीति में दिलचस्पी ले रहे हैं, और माहौल गर्म कर रहे हैं । डिस्ट्रिक्ट के कई लोगों को यह बात भी मजे की लग रही है कि राजेश अग्रवाल एक तरफ तो तरह तरह के करतबों से अपने आप को इंटरनेशनल प्रेसीडेंट इलेक्ट शेखर मेहता के नजदीक 'दिखाने' की कोशिश करते हैं, लेकिन दूसरी तरफ वह इंटरनेशनल डायरेक्टर भरत पांड्या के नजदीकी के रूप में देखे/पहचाने जाने वाले जयप्रकाश व्यास को डायरेक्टर पद की चुनावी राजनीति में 'आगे बढ़ाने' की कोशिश कर रहे हैं ।
Friday, September 25, 2020
रोटरी इंटरनेशनल डिस्ट्रिक्ट 3012 में डिस्ट्रिक्ट गवर्नर इलेक्ट अशोक अग्रवाल के दाँव-पेचों ने मुकेश अरनेजा व जेके गौड़ के बीच जो लड़ाई छिड़वाई है, उसमें अशोक अग्रवाल का खुद का गवर्नर-वर्ष ही फजीहत का शिकार बनता नजर आ रहा है
गाजियाबाद । मुकेश अरनेजा और जेके गौड़ की तू तू मैं मैं ने डिस्ट्रिक्ट गवर्नर इलेक्ट अशोक अग्रवाल की मुसीबतों को खासा बढ़ा दिया है । विडंबना और मजे की बात यह है कि मुसीबतों को बढ़ाने का काम खुद अशोक अग्रवाल ने ही किया है; इसी बिना पर उनके नजदीकियों को भी लग रहा है कि अशोक अग्रवाल ने खुद अपने पैरों पर कुल्हाड़ी मार ली है । दरअसल जेके गौड़ के गवर्नर-वर्ष में रोटरी फाउंडेशन के लिए जमा हुई रकम में हेराफेरी के आरोपों की जाँच के लिए डिस्ट्रिक्ट गवर्नर आलोक गुप्ता द्वारा गठित की गई स्टुअर्डशिप कमेटी को भंग करने की माँग करते हुए जेके गौड़ ने मुकेश अरनेजा को जिस तरह से निशाना बनाया है, उसके पीछे अशोक अग्रवाल का ही 'दिमाग' देखा/बताया जा रहा है । डिस्ट्रिक्ट में चर्चा है कि जेके गौड़ ने जो मेल 'भेजी' है, उसे 'लिखा' पूर्व गवर्नर शरत जैन ने है - और शरत जैन से लिखवाने का आईडिया अशोक अग्रवाल का था । असल में, अशोक अग्रवाल की मुकेश अरनेजा के साथ ज्यादा खुन्नस है । अशोक अग्रवाल को उम्मीद थी कि शरत जैन विस्तार से मुकेश अरनेजा की पोल खोलेंगे, तो मुकेश अरनेजा दबाव में आयेंगे और चुप बैठेंगे । अशोक अग्रवाल लेकिन सामाजिक व्यवहार का वह सिद्धांत पूरी तरह भुला बैठे कि 'जो लोग खुद शीशे के घरों में रहते हैं, उन्हें दूसरों के ऊपर पत्थर नहीं फेंकने चाहिए ।' मुकेश अरनेजा के जबावी हमले ने लेकिन मामले का रुख ही बदल दिया है, और जेके गौड़ को कई तरह से बेईमानियों के आरोपों के साथ कठघरे में खड़ा कर दिया है ।
डिस्ट्रिक्ट ग्रांट अकाउंट को डिस्ट्रिक्ट गवर्नर आलोक गुप्ता के पास जाने से रोकने के लिए डीआरएफसी (डिस्ट्रिक्ट रोटरी फाउंडेशन चेयरमैन) के रूप में जेके गौड़ ने हस्ताक्षर करने से इंकार करने का जो रवैया अपनाया हुआ है, उसे दीपक गुप्ता व शरत जैन व ललित खन्ना के साथ-साथ अशोक अग्रवाल ने भी समर्थन भले ही दिया हुआ हो - लेकिन हर कोई समझ रहा है कि यह रवैया यदि जारी रहा तो यह आलोक गुप्ता के साथ-साथ अशोक अग्रवाल को भी अपनी चपेट में लेगा - और यह अनोखा मामला होगा, जिसमें अशोक अग्रवाल अपने आपको मुसीबत में फँसाते हुए देखे जा रहे होंगे । जेके गौड़, शरत जैन, अशोक अग्रवाल, ललित खन्ना की चौकड़ी अपने रवैये से डीडीएफ के मामले में निवर्त्तमान डिस्ट्रिक्ट गवर्नर दीपक गुप्ता को पहले ही तगड़ा नुकसान पहुँचा चुकी है; इनका रवैया अब अशोक अग्रवाल को मुसीबत में फँसाता नजर आ रहा है । आरोप है कि जेके गौड़ और अशोक अग्रवाल की जोड़ी ने दीपक गुप्ता के गवर्नर-वर्ष में अपने क्लब के प्रोजेक्ट के लिए ग्रांट के रूप में मोटी रकम ऐंठने के लिए दीपक गुप्ता को डीडीएफ का पैसा अपने निजी अकाउंट से देने के लिए राजी किया, और फिर दीपक गुप्ता की मदद करने के नाम पर मामले को वहाँ पहुँचा दिया, जहाँ दीपक गुप्ता की मोटी रकम फँसती दिख रही है । इससे जाहिर है कि जेके गौड़ और अशोक अग्रवाल के दाँवपेंचों ने अभी तक उन्हें ही फजीहत का शिकार बनाया है, और इसीलिए लग रहा है कि उनकी हरकतें कहीं अशोक अग्रवाल के गवर्नर-वर्ष को भी चपेट में न ले लें । मुकेश अरनेजा और जेके गौड़ के बीच शुरू हुई तू तू मैं मैं में यह खतरा नजर भी आ रहा है ।
Thursday, September 24, 2020
रोटरी इंटरनेशनल डिस्ट्रिक्ट 3080 में डिस्ट्रिक्ट गवर्नर रमेश बजाज की विज्ञापन के जरिये पैसे जुटाने के लिए की जा रही जबरदस्तियों के आरोपों ने जितेंद्र ढींगरा और अरुण मोंगिया को फँसाया और मुसीबत में डाला
पानीपत । डिस्ट्रिक्ट डायरेक्टरी के लिए विज्ञापन जुटाने तथा विज्ञापन के मनमाने दाम बसूलने के लिए डिस्ट्रिक्ट गवर्नर रमेश बजाज द्वारा की जा रही जबरदस्तियों की शिकायतों ने निवर्तमान डिस्ट्रिक्ट गवर्नर जितेंद्र ढींगरा तथा डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी पद के उम्मीदवार अरुण मोंगिया को खासी मुसीबत में डाल दिया है । डिस्ट्रिक्ट में कई आम और खास रोटेरियंस का आरोप है कि डिस्ट्रिक्ट गवर्नर के रूप में रमेश बजाज ने ज्यादा से ज्यादा पैसा इकट्ठा करने को ही अपना एकमात्र उद्देश्य बना लिया है । हालाँकि जितेंद्र ढींगरा ने इस तरह की बातों/शिकायतों पर यह कहते हुए मामले से अपना पल्ला झाड़ने का रवैया अपनाया हुआ है कि वह डिस्ट्रिक्ट गवर्नर के काम में कोई हस्तक्षेप नहीं करना चाहते । लेकिन जैसे जैसे रमेश बजाज की तरफ से विज्ञापन लेने के लिए जबरदस्तियाँ बढ़ती गईं, जितेंद्र ढींगरा के पास शिकायतों का ढेर भी बढ़ता गया है । लोगों ने अरुण मोंगिया पर भी यह कहते हुए दबाव बनाया कि आप लोगों ने अच्छा गठजोड़ बना लिया है - आपको हमसे वोट चाहिए, और आपके गवर्नर को हमसे विज्ञापन/पैसे चाहिए । कई लोगों ने इन पंक्तियों के लेखक को बताया कि उन्होंने अरुण मोंगिया से साफ कह दिया है कि उन्हें यदि अपनी उम्मीदवारी के लिए वोट चाहिए, तो गवर्नर से कहो कि विज्ञापन के लिए जबरदस्ती न करे ।
Wednesday, September 23, 2020
इंस्टीट्यूट ऑफ चार्टर्ड एकाउंटेंट्स बनाम मोहित बंसल मामले में हाईकोर्ट द्वारा व्यक्तिगत रूप से पार्टी बनाये जाने के खिलाफ अतुल गुप्ता सुप्रीम कोर्ट में अपील करने की तैयारी करते तो सुने जा रहे हैं, लेकिन उन्हें यह डर भी है कि वहाँ राहत न मिलने पर उन्हें और ज्यादा फजीहत का शिकार बनना पड़ेगा
नई दिल्ली । बेचारे अतुल गुप्ता 'गए थे नमाज़ पढ़ने, रोजे गले पड़ गए' वाले हालात के शिकार हो गए हैं । अतुल गुप्ता ने बड़ी तैयारी के साथ खड्डा खोदा था, जिसमें वह 24 सितंबर को मोहित बंसल को गिराने वाले थे, लेकिन एक दिन पहले आज 23 सितंबर को वह खुद उस खड्डे में गिर गए । मोहित बंसल की याचिका पर आज सुबह दिल्ली हाईकोर्ट ने याचिका पर फैसला होने तक मोहित बंसल वाले मामले में इंस्टीट्यूट की कार्रवाई पर रोक लगा दी है । अतुल गुप्ता के लिए इससे भी ज्यादा झटके वाली बात यह रही कि याचिका में दिए गए तथ्यों पर गौर करते हुए कोर्ट ने मामले में अतुल गुप्ता को व्यक्तिगत रूप से पार्टी बनाने का भी फैसला किया है । हाईकोर्ट के इस फैसले के आधार पर लोगों के बीच इस बात की पुष्टि होना माना/समझा जा रहा है कि अतुल गुप्ता ने व्यक्तिगत खुन्नस निकालने की तैयारी में इंस्टीट्यूट के प्रेसीडेंट पद का दुरुपयोग किया है । अतुल गुप्ता के नजदीकियों का कहना है कि मामले में उन्हें व्यक्तिगत रूप से पार्टी बनाने के हाईकोर्ट के फैसले खिलाफ अतुल गुप्ता सुप्रीम कोर्ट में अपील करने के बारे में तैयारी कर रहे हैं । सेंट्रल काउंसिल के कुछेक सदस्य इस बात से खफा और खिन्न हैं कि अतुल गुप्ता अपनी निजी खुन्नसबाजी में प्रेसीडेंट पद का इस्तेमाल करते हुए इंस्टीट्यूट का मोटा पैसा कानूनी कार्रवाई में नाहक ही खर्च कर रहे हैं ।
Tuesday, September 22, 2020
इंस्टीट्यूट ऑफ चार्टर्ड एकाउंटेंट्स के प्रेसीडेंट अतुल गुप्ता ने मिनिस्ट्री ऑफ कॉर्पोरेट अफेयर्स के स्पष्टीकरण को अनदेखा करते हुए, नॉर्दर्न इंडिया रीजनल काउंसिल की पूर्व पदाधिकारी पूजा बंसल से खुन्नस के चलते उनके पति मोहित बंसल की सदस्यता की बलि लेने की तैयारी की
नई दिल्ली । नॉर्दर्न इंडिया रीजनल काउंसिल में सेक्रेटरी, वाइस चेयरपरसन तथा कार्यकारी चेयरपरसन रहीं पूजा बंसल से अपनी खुन्नस निकालने के लिए इंस्टीट्यूट के प्रेसीडेंट अतुल गुप्ता ने एक बार फिर उनके पति मोहित बंसल की सदस्यता खत्म करने/करवाने की तैयारी कर ली है । उल्लेखनीय है कि वर्षों पहले, मोहित बंसल के चार्टर्ड एकाउंटेंट बनने से भी पहले उनके खिलाफ बने/चले एक आपराधिक मामले में दिल्ली हाईकोर्ट के फैसले की मनमानी व्याख्या करते हुए अतुल गुप्ता ने वर्ष 2018 में भी मोहित बंसल की सदस्यता को खत्म करवाने की चाल चली थी । तत्कालीन प्रेसीडेंट नवीन गुप्ता को झाँसे में रख कर अतुल गुप्ता ने तैयारी तो पूरी की थी, लेकिन जैसे ही पोल खुली कि यह मामला 'टिकेगा' नहीं, तथा इसके चक्कर में इंस्टीट्यूट प्रशासन को फजीहत का सामना और करना पड़ जायेगा - नवीन गुप्ता ने पॉँव वापस खींच लिए थे । अतुल गुप्ता उस समय नवीन गुप्ता को तो मोहित बंसल की सदस्यता खत्म करने/करवाने के लिए राजी नहीं कर सके थे, लेकिन उन्हें लगता है कि अब जब वह खुद प्रेसीडेंट हैं, तो दो वर्ष पहले अधूरे छोड़े गए काम को वह अब पूरा कर सकते हैं । अतुल गुप्ता को लोगों के बीच कहते सुना गया है कि मोहित बंसल बाद में भले ही अपनी सदस्यता बहाल करवा लें, लेकिन एक बार के लिए तो मैं उन्हें प्रेसीडेंट की पॉवर दिखा कर और मजा चखा कर ही रहूँगा ।
Monday, September 21, 2020
रोटरी इंटरनेशनल डिस्ट्रिक्ट 3054 के पूर्व गवर्नर अनिल अग्रवाल को 'सर्विस अबव सेल्फ' का उदाहरण बताने वाले शेखर मेहता के ट्वीट को देख कर रोटेरियंस के बीच बूढ़ों, बीमारों, गरीबों व अनपढ़ों के नाम पर ली गई ग्रांट की रकम को हड़पने के मामले में अनिल अग्रवाल को दोषी ठहराए जाने तथा उनके सजायाफ्ता होने का मामला एक बार फिर चर्चा में आया
जयपुर । पूर्व डिस्ट्रिक्ट गवर्नर अनिल अग्रवाल के लिए इंटरनेशनल प्रेसीडेंट इलेक्ट शेखर मेहता की तारीफ पाना फजीहत का कारण बन गया है । दरअसल ट्विटर पर शेखर मेहता ने ब्लड डोनेट करने को लेकर अनिल अग्रवाल की जो तारीफ की, उससे अनिल अग्रवाल का अपने गवर्नर वर्ष में ली गई ग्लोबल ग्रांट (नंबर 1420550) के करीब 20 लाख रुपये हड़पने का मामला एक बार फिर से चर्चा में आ गया, जिसके लिए अनिल अग्रवाल रोटरी में ग्रांट्स, अवॉर्ड्स, असाइनमेंट्स व अपॉइंटमेंट्स से वंचित किए जाने की सजा पा चुके हैं । हालाँकि काफी जद्दोजहद के बाद, उक्त हड़पी गई रकम वापस करने के चलते अनिल अग्रवाल को मिली सजा की अवधि कम कर दी गई, लेकिन रोटरी इंटरनेशनल के रिकॉर्ड में वह रोटरी फाउंडेशन की रकम हड़पने के मामले में दोषी हैं और सजायाफ्ता हैं । रोटेरियंस को हैरानी है कि बूढ़ों, बीमारों, गरीबों और अनपढ़ों की मदद के नाम पर रोटरी फाउंडेशन से ग्रांट लेकर उसे हड़प जाने वाले अनिल अग्रवाल को शेखर मेहता 'सर्विस अबव सेल्फ' का प्रतिनिधि/उदाहरण कैसे कह/बता सकते हैं ? और ऐसा करके शेखर मेहता रोटेरियंस को आखिर क्या संदेश और प्रेरणा दे रहे हैं ? रोटेरियंस के बीच यह सवाल भी चर्चा में है कि अनिल अग्रवाल आखिरकार शेखर मेहता के लिए किस रूप में उपयोगी हैं, जिसके लिए शेखर मेहता ने अपनी, रोटरी की, और इंटरनेशनल प्रेसीडेंट जैसे बड़े पद की गरिमा और मर्यादा को दाँव पर लगा दिया है ?
Saturday, September 19, 2020
रोटरी इंटरनेशनल डिस्ट्रिक्ट 3012 में जेके गौड़ पर लगे बेईमानी के आरोपों के चलते शुरू हुई तू तू मैं मैं में जेके गौड़ ने मुकेश अरनेजा को गवर्नर्स को बेफालतू की मुसीबतों में फँसाने का 'आदी' बताया, तो मुकेश अरनेजा ने जेके गौड़ के निजी जीवन के 'रसीले' किस्सों को सामने लाने की धमकी दी है
गाजियाबाद । पूर्व गवर्नर जेके गौड़ के कार्यकाल में रोटरी फाउंडेशन के लिए जमा हुई रकम में हेराफेरी के पूर्व गवर्नर मुकेश अरनेजा के आरोपों की जाँच के लिए डिस्ट्रिक्ट गवर्नर आलोक गुप्ता द्वारा गठित की गई स्टुअर्डशिप कमेटी को भंग करने की माँग करते हुए जेके गौड़ ने मुकेश अरनेजा के खिलाफ जो जहर उगला है, उसने पूर्व गवर्नर्स के बीच खासी हलचल मचा दी है । जबाव में मुकेश अरनेजा ने भी जेके गौड़ के चरित्र को लांछित करने के जो तेवर अपनाए हैं, उससे लगता है कि इन दोनों के बीच शुरू हुई यह तू तू मैं मैं अभी और घटिया दृश्य दिखायेगी । मुकेश अरनेजा के आरोपों से बौखला कर जेके गौड़ ने मुकेश अरनेजा पर आरोप लगाया है कि वह झूठे और ओछे आरोप लगा कर गवर्नर्स को परेशान करने के 'आदी' रहे हैं । जेके गौड़ के इस आरोप पर मुकेश अरनेजा ने उन्हें 'हद में रहने' की नसीहत देते हुए चेताया है कि उन्हें यह नहीं भूलना चाहिए कि उनके निजी जीवन के 'रसीले' किस्सों पर किताब लिखी जा सकती है । मुकेश अरनेजा की इस धमकी ने मामले को संगीन तो बना ही दिया है, साथ ही जेके गौड़ को वह महान सुझाव भी याद दिला दिया होगा जिसमें कहा गया है कि 'दोस्तों के साथ झगड़ा नहीं करना चाहिए । यदि हो भी जाये, तो उसे खत्म करने की कोशिश करना चाहिए, न कि उसे बढ़ाना चाहिए । यह कभी नहीं भूलना चाहिए कि कमीनों को तुम्हारे सारे राज पता होते हैं ।'
जेके गौड़ की बौखलाहट ने जेके गौड़ की स्थिति को संदेहास्पद बना दिया है, और उन्हें कठघरे में खड़ा कर दिया है । जिन लोगों को उनसे हमदर्दी है भी, उनका भी कहना है कि वह मुकेश अरनेजा के बारे में जो कहना चाहते हैं, वह सच है - लेकिन कहने के तरीके की उनकी फूहड़ता ने मुकेश अरनेजा को उन पर हमलावर होने का मौका दे दिया है । इस मामले में मजे की बात यह है कि गुलाम वाहनवती को ईमेल-पत्र लिखने से पहले मुकेश अरनेजा व अन्य कुछेक लोगों ने जेके गौड़ से रोटरी फाउंडेशन में दी गई रकम के बदले में प्वाइंट्स न मिलने की शिकायत की थी, और उनसे सच्चाई बताने का अनुरोध किया था । जेके गौड़ ने उनके अनुरोध पर लेकिन कोई ध्यान नहीं दिया, और 'अपनी तड़ी' में उन्हें जबाव दिया कि अभी वह एमएलसी के चुनाव में व्यस्त हैं और इसलिए अभी उनके पास सच्चाई देखने/बताने का समय नहीं है । जेके गौड़ के इस जबाव पर कुछेक लोगों ने चुटकी भी ली कि एमएलसी के चुनाव के चक्कर में उनके पास यदि रोटरी तथा रोटेरियंस के काम के लिए समय नहीं है, तो उन्होंने डीआरएफसी (डिस्ट्रिक्ट रोटरी फाउंडेशन चेयरमैन) तथा अशोक अग्रवाल के डिस्ट्रिक्ट ट्रेनर जैसे जिम्मेदार पद अपने पास क्यों रखे हुए हैं, और वह इन पदों को छोड़ क्यों नहीं देते हैं ? दरअसल इसी तरह के प्रसंगों ने जेके गौड़ को पद-लोलुप तथा बेईमान होने के आरोपों के घेरे में ला दिया है । मुकेश अरनेजा ने उनके जीवन के 'रसीले' किस्सों की किताब लिखने/छापने की बात करके उनकी मुश्किलों को और बढ़ा दिया है ।
Friday, September 18, 2020
रोटरी इंटरनेशनल डिस्ट्रिक्ट 3080 में डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी पद की उम्मीदवारी के लिए रीता कालरा की पीएस तुलसी की मदद से टीके रूबी का समर्थन जुटाने की कोशिशों ने अरुण मोंगिया को परेशान किया, तो जितेंद्र ढींगरा को सत्ता खेमे के गवर्नर्स की इमरजेंसी मीटिंग बुलाने के लिए मजबूर होना पड़ा
चंडीगढ़ । रोटरी क्लब चंडीगढ़ मिडटाउन की पूर्व प्रेसीडेंट रीता कालरा ने डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी पद के लिए अपनी उम्मीदवारी को लेकर सक्रियता दिखा/जता कर डिस्ट्रिक्ट के सत्ता खेमे के नेताओं के बीच खलबली सी मचा दी है, जिसे शांत करने के लिए निवर्त्तमान डिस्ट्रिक्ट गवर्नर जितेंद्र ढींगरा ने कुरुक्षेत्र में अपने घर पर सत्ता खेमे के गवर्नर्स की एक इमरजेंसी मीटिंग बुलाई । समझा जाता है कि इस मीटिंग को करने/बुलाने के लिए जितेंद्र ढींगरा को सत्ता खेमे के उम्मीदवार के रूप में देखे/पहचाने जा रहे अरुण मोंगिया ने 'मजबूर' किया । दरअसल, रीता कालरा को अभी पंद्रह/बीस दिन पहले अपनी उम्मीदवारी से पीछे हटने के बाद, अचानक से फिर आगे बढ़ता देख - अरुण मोंगिया को शक हो रहा है कि सत्ता खेमे के ही कुछेक नेता रीता कालरा की उम्मीदवारी को हवा दे रहे हैं । अरुण मोंगिया के नजदीकियों के अनुसार, उन्हें पूर्व गवर्नर टीके रूबी और मौजूदा गवर्नर रमेश बजाज के रवैये पर शक है । इसीलिए अरुण मोंगिया ने जितेंद्र ढींगरा पर दबाव बनाया कि उन्हें यह जानने/समझने की कोशिश करना चाहिए कि टीके रूबी और रमेश बजाज के मन में आखिर चल क्या रहा है, और यह दोनों डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी पद के लिए उनकी उम्मीदवारी के समर्थन में सचमुच हैं भी या नहीं ?
Tuesday, September 15, 2020
रोटरी इंटरनेशनल डिस्ट्रिक्ट 3011 में विनय भाटिया के साथ मिल कर विनोद बंसल एक बार फिर अपने निजी स्वार्थ में इंटरनेशनल डायरेक्टर पद के मामले में डिस्ट्रिक्ट के लोगों तथा डिस्ट्रिक्ट की पहचान को 'धोखा' देने की तैयारी कर रहे हैं क्या ?
नई दिल्ली । डिस्ट्रिक्ट में आयोजित हुए रोटरी फाउंडेशन के लेबल टू ट्रेनिंग सेमीनार में की-नोट स्पीकर के रूप में शामिल हुए टीएन सुब्रमणियन उर्फ राजु सुब्रमनियन की पूर्व डिस्ट्रिक्ट गवर्नर विनोद बंसल के साथ जो जुगलबंदी देखने को मिली, उससे इंटरनेशनल डायरेक्टर पद के चुनाव में इन दोनों के बीच गठबंधन होने के कयासों को खासी हवा मिली है । इन कयासों में यह भी सुना/बताया जा रहा है कि विनोद बंसल ने एक बार फिर अपने निजी स्वार्थ में डिस्ट्रिक्ट के हितों के साथ 'सौदा' कर लिया है, और इसके लिए पूर्व गवर्नर विनय भाटिया को अपने साथ मिला लिया है । दरअसल ट्रेनिंग सेमीनार में कुछेक लोगों ने जब रोटरी फाउंडेशन के लिए पैसे जुटाने के विनोद बंसल के 'तरीकों' को लेकर सवाल उठाये, तो राजु सुब्रमणियन ने खासी तत्परता के साथ विनोद बंसल का बचाव किया । यह नजारा देख कर ट्रेनिंग सेमीनार में शामिल लोगों का माथा ठनका । उल्लेखनीय है कि विनोद बंसल को डिस्ट्रिक्ट में रोटरी फाउंडेशन को 'एक के चार' करने का जरिया बना देने के आरोपों का सामना पड़ रहा है, और उन पर यह गंभीर आरोप लगता रहा है कि उन्होंने रोटरी को 'बिजनेस' तथा रोटरी फाउंडेशन में दिए जाने वाले दान को 'इन्वेस्टमेंट' बना दिया है । ऐसे में, राजु सुब्रमणियन की उनके बचाव की कोशिशों में 'राजनीतिक डील' के संकेतों को देखा/पहचाना गया - और डिस्ट्रिक्ट में चर्चा शुरू हुई कि विनोद बंसल और विनय भाटिया की जोड़ी ने डिस्ट्रिक्ट की पहचान के साथ 'धोखा' करने की तैयारी कर ली है ।
Sunday, September 13, 2020
रोटरी इंटरनेशनल डिस्ट्रिक्ट 3012 में गाजियाबाद में समर्थन जुटाने की अजय सिन्हा की कोशिशों को विफल होता देख दीपक गुप्ता को अपना 'गणित' बिगड़ता नजर आ रहा है; और इन दोनों की असफलता प्रियतोष गुप्ता के लिए वरदान बनती दिख रही है
गाजियाबाद । डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी पद की अपनी उम्मीदवारी के लिए समर्थन जुटाने और 'दिखाने' के लिए अजय सिन्हा और दीपक गुप्ता द्वारा की जा रही पार्टियों को लगातार जो झटके पर झटके लग रहे हैं, उससे प्रियतोष गुप्ता की उम्मीदवारी को समर्थन की और मजबूती मिलती लग रही है । अजय सिन्हा ने पिछले दिनों अपने घर और अपने ऑफिस में छोटे-छोटे समूहों में गाजियाबाद के रोटेरियंस के लिए पार्टियाँ आयोजित कीं, लेकिन उनमें भी इक्का-दुक्का लोग ही पहुँचे । दीपक गुप्ता ने गाजियाबाद में आयोजित की गई पिछली पार्टी की असफलता से सबक लेकर, और ज्यादा तैयारी के साथ एक और पार्टी आयोजित की - लेकिन उसका हाल पिछली वाली पार्टी से भी बुरा हुआ । अजय सिन्हा की तरफ से आयोजित हुई पार्टियों का तो लोगों के बीच खासा मजाक भी बना । अजय सिन्हा ने अपने घर और ऑफिस में छोटे-छोटे समूहों में जो पार्टियाँ आयोजित कीं, उन्हें लेकर लोगों का कहना रहा कि उन्हें तो यही समझ में नहीं आया कि अजय सिन्हा अपनी उम्मीदवारी के लिए समर्थन जुटाने के लिए पार्टी कर रहे हैं, या अपनी उम्मीदवारी के श्राद्ध का भोज दे रहे हैं ।
लोगों ने इसे अजय सिन्हा की लीडरशिप की असफलता के रूप में देखा/पहचाना है, और माना/कहा है कि अजय सिन्हा को पहले अपने क्लब में अपनी लीडरशिप बनानी चाहिए, और उसके बाद डिस्ट्रिक्ट गवर्नर बनने के बारे में सोचना चाहिए । गाजियाबाद में समर्थन जुटाने की अजय सिन्हा की कोशिशों को विफल होता देख दीपक गुप्ता को अपना 'गणित' बिगड़ता नजर आ रहा है । उन्हें लगता था कि अजय सिन्हा की उम्मीदवारी गाजियाबाद में प्रियतोष गुप्ता के समर्थन-आधार को कमजोर करने का काम करेगी, और इससे उन्हें प्रियतोष गुप्ता के साथ अपनी दूरी को कम करने का मौका मिलेगा । दीपक गुप्ता को लेकिन यह देख कर झटका लगा है कि गाजियाबाद में न उन्हें समर्थन मिल पा रहा है, और न अजय सिन्हा को । ऐसे में, इन दोनों के नजदीकियों को ही लगने लगा है कि प्रियतोष गुप्ता की उम्मीदवारी को उनकी खुद की सक्रियता से जितना जो फायदा हो रहा है, उससे कहीं ज्यादा फायदा उन्हें अजय सिन्हा तथा दीपक गुप्ता की गतिविधियों को लगातार मिल रही असफलताओं से हो रहा है । दरअसल जब तक अजय सिन्हा और दीपक गुप्ता की सक्रियता नहीं थी, तब तक उनकी मुट्ठी बंद थी और कुछेक लोगों को लगता था कि उनकी मुट्ठी में बंद समर्थन प्रियतोष गुप्ता के लिए चुनौती सकता है - लेकिन अब जब अजय सिन्हा और दीपक गुप्ता की मुट्ठी खुलती जा रही है, तो पता चल रहा है कि जिसे 'लाख की समझा जा रहा था, वह तो खाक की है ।'
Saturday, September 12, 2020
लायंस क्लब्स इंटरनेशनल मल्टीपल डिस्ट्रिक्ट 321 में पारस अग्रवाल के मल्टीपल अकाउंट्स को लेकर लगे आरोपों की जाँच करने वाली कमेटी के चेयरमैन के चुनाव/चयन में अशोक कपूर के हाथ लगा अवसर, क्या सचमुच पारस अग्रवाल की मुश्किलों को बढ़ाने का काम कर सकेगा ?
आगरा । पूर्व मल्टीपल काउंसिल चेयरमैन पारस अग्रवाल के अकाउंट्स को लेकर चल रहे विवाद में निर्णायक भूमिका निभाने का मौका जिस प्रकार पूर्व गवर्नर अशोक कपूर के हाथ में आ गया दिख रहा है, उससे निवर्त्तमान डिस्ट्रिक्ट गवर्नर मधु सिंह और उनके नजदीकी खुश हो रहे हैं - और उन्हें लग रहा है कि अब पारस अग्रवाल को मुश्किल का सामना करना पड़ेगा । पारस अग्रवाल के अकाउंट्स को लेकर लायंस इंटरनेशनल के नियम-कानून के तहत मधु सिंह ने मल्टीपल में अधिकृत रूप से शिकायत दर्ज कराई थी, जिस पर कार्रवाई करते हुए जाँच कमेटी बनाने की तैयारी शुरू हुई है । इस तैयारी के तहत शिकायतकर्ता के रूप में मधु सिंह ने अशोक कपूर को; तथा शिकायत में आरोपी बनाये गए पारस अग्रवाल और विशाल सिन्हा ने क्रमशः अशोक गुप्ता तथा संजय चोपड़ा को अपना अपना प्रतिनिधि बनाया है । जाँच कमेटी का चेयरमैन कोई पूर्व इंटरनेशनल डायरेक्टर होगा, जिसका चुनाव/चयन तीनों प्रतिनिधियों के वोटों के बहुमत से तय होगा । नियमानुसार व व्यवस्थानुसार, तीनों प्रतिनिधियों को दो दो पूर्व इंटरनेशनल डायरेक्टर्स के नाम देने होंगे, और जिसका नाम सबसे ज्यादा बार लिया गया होगा, वह चेयरमैन बनेगा । खेमेबाजी तथा पसंद/नापसंद के आधार पर जो अनुमान लगाए जा रहे हैं, उनमें अशोक कपूर के द्वारा दिए जाने वाले दो नामों में से एक के चेयरमैन बनने की संभावना देखी जा रही है - और लोगों को लग रहा है कि यह संभावना पारस अग्रवाल के लिए मुश्किलें खड़ी करने वाली हो सकती है ।
Friday, September 11, 2020
रोटरी इंटरनेशनल डिस्ट्रिक्ट 3011 में रोटरी ब्लड बैंक में मोटी रकम के बकाया बिलों के मामले का ठीकरा दिवंगत सुदर्शन अग्रवाल के सिर फोड़ कर खुद को बचाने की कोशिश ने पूर्व गवर्नर विनोद बंसल की मुश्किलों को बढ़ा और दिया है
नई दिल्ली । रोटरी ब्लड बैंक के प्रेसीडेंट पद से 'जबर्दस्ती' और बड़े फजीहतपूर्ण तरीके से हटा दिए जाने के बाद भी, पूर्व डिस्ट्रिक्ट गवर्नर विनोद बंसल को ब्लड बैंक के गड़बड़झालों से जुड़ी मुश्किलों से छुटकारा नहीं मिल पा रहा है । ब्लड बैंक के नए पदाधिकारियों के सामने जैसे जो तथ्य आ रहे हैं, उनसे तमाम वित्तीय अनियमितताओं की चर्चाओं को बल मिला है । एक सप्लायर के मोटी रकम के बकाया बिलों ने तो ब्लड बैंक के नए पदाधिकारियों का सिर ही चकरा दिया है, जिसके बाद ब्लड बैंक के पदाधिकारियों व प्रमुख सदस्यों की मीटिंग बुलाना पड़ी । ब्लड बैंक के नए बने ट्रेजरर आशीष घोष ने मीटिंग में मोटी रकम के बकाया बिलों का मामला उठाया, तो विनोद बंसल ने उन बिलों की जिम्मेदारी से पल्ला झाड़ते हुए बताया कि उक्त बिल उनके प्रेसीडेंट बनने से पहले के, यानि सुदर्शन अग्रवाल के प्रेसीडेंट रहने के दौरान के हैं - और उनके लिए उन्हें जिम्मेदार नहीं ठहराया जा सकता । विनोद बंसल के इस जबाव ने उनकी मुश्किलों को कम करने की बजाये बढ़ाने का काम किया । लोगों का कहना है कि विनोद बंसल अपनी नाकामियों तथा बेईमानियों को छिपाने के लिए दिवंगत सुदर्शन अग्रवाल का नाम बदनाम करने की कोशिश कर रहे हैं । इंटरनेशनल डायरेक्टर रहे सुदर्शन अग्रवाल का नाम डिस्ट्रिक्ट तथा रोटरी में बहुत सम्मान से लिया और याद किया जाता है । इसीलिए, रोटरी ब्लड बैंक में अपनी नाकामियों तथा बेईमानियों को सुदर्शन अग्रवाल के नाम से ढकने की विनोद बंसल की कोशिश ने कई लोगों को भड़का दिया है ।
Tuesday, September 8, 2020
रोटरी इंटरनेशनल डिस्ट्रिक्ट 3110 में पदों का लालच देकर अपने उम्मीदवार को नोमीनेटिंग कमेटी का चुनाव जितवाने के अभियान में लगे डिस्ट्रिक्ट गवर्नर इलेक्ट मुकेश सिंघल अपने जोन के रोटेरियंस के साथ दोहरा विश्वासघात करने के आरोप में फँसे
अलीगढ़ । डिस्ट्रिक्ट गवर्नर इलेक्ट मुकेश सिंघल ने डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी पद की चुनावी लड़ाई में 'अपनी' पराजय को सुनिश्चित देख/जान कर जोन जीतने पर ध्यान केंद्रित किया है, और इसके लिए अपने जोन - अलीगढ़ के क्लब्स के साथ ही विश्वासघात करने पर उतर आए हैं । अभी हाल ही में अलीगढ़ के क्लब्स के पदाधिकारियों तथा नेताओं के बीच बनी सहमति में मुकेश सिंघल ने डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी पद के लिए अधिकृत उम्मीदवार का चयन करने वाली नोमीनेटिंग कमेटी के लिए अपने उम्मीदवार अंबरीश गर्ग की उम्मीदवारी को वापस लेने का भरोसा दिया/दिलाया था, लेकिन गिरगिट की तरह रंग बदल कर अब वह अंबरीश गर्ग के लिए समर्थन जुटाने में लगे हुए हैं - और इस चक्कर में डिस्ट्रिक्ट गवर्नर इलेक्ट पद की मर्यादा व गरिमा भी भूल बैठे हैं । इंटरनेशनल प्रेसीडेंट इलेक्ट शेखर मेहता कभी अप्रत्यक्ष तो कभी प्रत्यक्ष रूप से मुकेश सिंघल को कई मौकों पर नसीहत दे चुके हैं कि उन्हें नेतागिरी छोड़कर रोटरी तथा डिस्ट्रिक्ट के काम पर ध्यान देते हुए सभी को साथ लेकर चलना चाहिए, मुकेश सिंघल ने लेकिन शेखर मेहता की बात को भी एक कान से सुनकर दूसरे कान से बाहर निकालने का जुगाड़ अपना लिया है ।
रोटरी इंटरनेशनल डिस्ट्रिक्ट 3012 में दीपक गुप्ता और मुकेश अरनेजा के बीच के 'झगड़े' में होने वाले नुकसान से बचने के लिए ललित खन्ना ने दीपक गुप्ता को डिस्ट्रिक्ट ट्रेनर बनाने के वायदे से पीछे हटने की तैयारी शुरू कर दी है क्या ?
गाजियाबाद । निवर्त्तमान डिस्ट्रिक्ट गवर्नर दीपक गुप्ता को डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी ललित खन्ना के गवर्नर वर्ष में डिस्ट्रिक्ट ट्रेनर बनने की तैयारी खटाई में पड़ती नजर आ रही है । ऐसा उन्हें ललित खन्ना के बदले बदले से तेवरों को देख/सुन के लग रहा है । ललित खन्ना दरअसल हाल के दिनों में दीपक गुप्ता और उनके नजदीकियों को बता चुके हैं कि पूर्व गवर्नर मुकेश अरनेजा उन्हें इशारों इशारों में दीपक गुप्ता को डिस्ट्रिक्ट ट्रेनर बनाये जाने के प्रति आगाह कर चुके हैं । उल्लेखनीय है कि ललित खन्ना की मुकेश अरनेजा के साथ लंबी दोस्ती रही है, जिसमें वह उनके 'पार्टनर इन क्राइम' रहे थे - और फिर दुश्मनी भी रही; इसलिए ललित खन्ना उनके खुन्नसी व्यवहार और बदला लेने की प्रवृत्ति से परिचित, सहयोगी व शिकार रहे हैं । ललित खन्ना जानते हैं कि मुकेश अरनेजा के नए/ताजे शिकार दीपक गुप्ता हैं । ललित खन्ना विभिन्न मौकों पर कुछेक लोगों के बीच कहते/बताते सुने गए हैं कि डीडीएफ अकाउंट मामले में दीपक गुप्ता को जो फजीहत झेलना पड़ रही है, उसके वास्तविक रचयिता और सूत्रधार मुकेश अरनेजा हैं ।
दीपक गुप्ता तथा उनके नजदीकियों को हालाँकि यह भी लगता है कि मुकेश अरनेजा का नाम ले कर दीपक गुप्ता को डिस्ट्रिक्ट ट्रेनर न बनाना ललित खन्ना की अपनी चालाकी भी हो सकती है । दरअसल इस बीच यह पोल पूरी तरह खुल चुकी है कि दीपक गुप्ता को रोटरी के बारे में न तो कुछ अतापता है, और न वह ढंग/तरीके से कोई काम कर सकते हैं । दीपक गुप्ता बस एक ही काम में माहिर हैं, और वह है - ज्यादा बोलना, बढ़चढ़ कर बोलना और बोलने के नाम पर बकवास करना । इसलिए ललित खन्ना को लग रहा है कि डिस्ट्रिक्ट ट्रेनर के रूप में दीपक गुप्ता उन पर बोझ ही साबित होंगे । इस तरह की बातें ललित खन्ना ने कुछेक लोगों के बीच कही भी हैं, जो दीपक गुप्ता तक भी पहुँची हैं । असल में, इसीलिए दीपक गुप्ता को लग रहा है कि ललित खन्ना खुद ही उन्हें डिस्ट्रिक्ट ट्रेनर बनाना नहीं चाहते हैं, और इसके लिए मुकेश अरनेजा के खुन्नसी व्यवहार तथा बदला लेने की प्रवृत्ति को बहाने के रूप में इस्तेमाल कर रहे हैं । डिस्ट्रिक्ट ट्रेनर के मामले में दीपक गुप्ता से पीछा छुड़ाने की ललित खन्ना की कोशिशों का कारण चाहें जो हो; लोगों को लेकिन लग रहा है कि दीपक गुप्ता यदि डिस्ट्रिक्ट ट्रेनर बनने में सफल हो गए, तो ललित खन्ना के गवर्नर-वर्ष में खूब पटाखे फूटेंगे - कुछ दीपक गुप्ता के व्यवहार और रवैये के कारण, तो कुछ मुकेश अरनेजा की बदला लेने की प्रवृत्ति के कारण ।
Monday, September 7, 2020
रोट्रेक्ट इंटरनेशनल डिस्ट्रिक्ट 3011 में अन्यायपूर्ण तरीके से डीआरआर पद से हटाई गईं यामिनी थरेजा को न्याय दिलवाने के अभियान में शामिल होने की बजाये डीआरआर बनने का लालच दिखाने के कारण सार्थक बंसल को मुश्किलों के साथ-साथ, फजीहत का सामना भी करना पड़ रहा है
नई दिल्ली । सार्थक बंसल ने रोट्रेक्ट इंटरनेशनल डिस्ट्रिक्ट 3011 में डीआरआर (डिस्ट्रिक्ट रोट्रेक्ट रिप्रेजेंटेटिव) का पद तो संभाल लिया है, लेकिन उन्हें अपनी टीम के लिए पदाधिकारियों को चुनने में खासे विरोध और फजीहत का सामना करना पड़ रहा है । दरअसल रोट्रेक्ट्स उनसे बुरी तरह नाराज हैं, और उनके साथ काम नहीं करना चाहते हैं । रोट्रेक्ट्स का कहना है कि सार्थक बंसल यदि एक सच्चे रोट्रेक्ट हैं, तो उन्हें यामिनी थरेजा को मनमाने व षडयंत्रपूर्ण तरीके से डीआरआर पद से हटाने का विरोध करना चाहिए, और डीआरआर पद पर हुई अपनी 'गैरकानूनी' नियुक्ति को स्वीकार नहीं करना चाहिए । रोट्रेक्ट्स का मानना और कहना है कि नैतिकता, न्याय की स्वाभाविक प्रक्रिया तथा रोटरी इंटरनेशनल के नियम व 'व्यवस्था' को एक साथ ठेंगा दिखाते हुए यामिनी थरेजा को डीआरआर पद से हटाये जाने के बाद सार्थक बंसल ने जिस तत्परता से डीआरआर का पद स्वीकार कर लिया - उससे साबित होता है कि सार्थक बंसल को न नैतिकता की परवाह है, न वह न्याय की स्वाभाविक प्रक्रिया में यकीन रखते हैं, और न वह रोटरी के उच्च आदर्शों व नियमों का पालन करने की जरूरत समझते हैं; उन्हें तो किसी भी तरह से सिर्फ बड़ा पद चाहिए । रोट्रेक्ट्स का कहना है कि सार्थक बंसल यदि डीआरआर का पद स्वीकारने की जल्दबाजी न दिखाते, तो यामिनी थरेजा को उक्त पद वापस दिलवाने के लिए रोटरी इंटरनेशनल डिस्ट्रिक्ट 3011 के गवर्नर संजीव राय मेहरा पर दबाव बनाया जा सकता था ।
Thursday, September 3, 2020
रोटरी इंटरनेशनल डिस्ट्रिक्ट 3012 का ग्रांट्स के मामलों में एक के बाद एक लगातार मुसीबतों व फजीहतों का शिकार बनने के लिए पूर्व गवर्नर शरत जैन की पनोती को जिम्मेदार माने/ठहराए जाने के साथ ही पूछा जा रहा है कि दीपक गुप्ता के बाद उनका अगला शिकार कौन होगा ?
नई दिल्ली । निवर्त्तमान डिस्ट्रिक्ट गवर्नर दीपक गुप्ता डीडीएफ ग्रांट की रकम के मामले में कहीं पूर्व गवर्नर शरत जैन की पनोती के शिकार तो नहीं हो गए हैं ? डीडीएफ ग्रांट की रकम के मामले में दीपक गुप्ता के साथ जो तमाशा हुआ है, और जिसके चलते वह करीब 70 लाख रुपये गँवाते नजर आ रहे हैं, वह दीपक गुप्ता का बड़ा बेवकूफीपूर्ण काम है - और इसे लेकर दीपक गुप्ता का डिस्ट्रिक्ट में और रोटरी में खासा मजाक बन रहा है । हर किसी को हैरानी है कि दीपक गुप्ता डिस्ट्रिक्ट ग्रांट अकाउंट में अपने हस्ताक्षर जुड़वाने जैसा मामूली काम आखिर क्यों नहीं करवा सके ? इसी हैरानी में लोगों का ध्यान इस बात पर गया है कि कहीं शरत जैन की पनोती की 'हवा' ने तो दीपक गुप्ता पर असर नहीं कर दिया, जिसके चलते दीपक गुप्ता एक सामान्य सी प्रक्रिया को भी पूरा नहीं कर सके - और अपनी जेब भी ढीली करवा बैठे तथा मजाक का विषय भी बन गए । इस बात पर लोगों का ध्यान दरअसल इसलिए गया, क्योंकि रोटरी फाउंडेशन की ग्रांट के जिस भी मामले में शरत जैन प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष रूप से जुड़े, उसका अंततः कबाड़ा ही हुआ है ।
किसे पता था कि रोटरी की ग्रांट्स के मामले में शरत जैन की पनोती दीपक गुप्ता के लिए भी फजीहत का कारण बन जायेगी । मजे की बात यह रही कि डिस्ट्रिक्ट गवर्नर के रूप में दीपक गुप्ता किसी भी मामले में शरत जैन पर निर्भर नहीं थे, लेकिन डिस्ट्रिक्ट कॉन्फ्रेंस से पहले पता नहीं किस घड़ी में उन्होंने शरत जैन को डिस्ट्रिक्ट एडवाईजर बना लिया । उसके बाद शरत जैन असिस्टेंट रीजनल रोटरी कोऑर्डीनेटर बन गए, जिसके चलते दीपक गुप्ता ने शरत जैन से निकटता और बढ़ा ली । लोगों को लग रहा है कि इस तरह शरत जैन की पनोती को दीपक गुप्ता ने खुद ही गले लगाया, और डीडीएफ ग्रांट की रकम को लेकर झमेले में फँस गए । शरत जैन के क्लब, रोटरी क्लब दिल्ली अशोका के कुछेक सदस्यों को लगता है कि उनके क्लब में जो फूट हुई, उसके लिए भी शरत जैन की पनोती ही जिम्मेदार है - क्योंकि क्लब में झगड़े की शुरुआत ग्लोबल ग्रांट के इस्तेमाल के तरीके को लेकर ही हुई थी, जो क्लब को दोफाड़ करने का कारण बनी । लोगों को हैरानी लेकिन इस बात की है कि शरत जैन की पनोती से पूर्व गवर्नर सुभाष जैन आखिर कैसे बचे रह गए, जबकि शरत जैन तो उनके डिस्ट्रिक्ट ट्रेनर थे । लोगों को लगता है कि या तो सुभाष जैन की किस्मत शरत जैन की पनोती पर भारी पड़ी, और या सुभाष जैन डिस्ट्रिक्ट के कामकाज के लिए शरत जैन पर ज्यादा निर्भर नहीं रहे होंगे - और उन्होंने अपना काम अपने आप ही किया होगा । इन चर्चाओं के बीच देखना दिलचस्प होगा कि दीपक गुप्ता के बाद शरत जैन की पनोती का अगला शिकार कौन होता है ?