Wednesday, September 23, 2020

इंस्टीट्यूट ऑफ चार्टर्ड एकाउंटेंट्स बनाम मोहित बंसल मामले में हाईकोर्ट द्वारा व्यक्तिगत रूप से पार्टी बनाये जाने के खिलाफ अतुल गुप्ता सुप्रीम कोर्ट में अपील करने की तैयारी करते तो सुने जा रहे हैं, लेकिन उन्हें यह डर भी है कि वहाँ राहत न मिलने पर उन्हें और ज्यादा फजीहत का शिकार बनना पड़ेगा 

नई दिल्ली । बेचारे अतुल गुप्ता 'गए थे नमाज़ पढ़ने, रोजे गले पड़ गए' वाले हालात के शिकार हो गए हैं । अतुल गुप्ता ने बड़ी तैयारी के साथ खड्डा खोदा था, जिसमें वह 24 सितंबर को मोहित बंसल को गिराने वाले थे, लेकिन एक दिन पहले आज 23 सितंबर को वह खुद उस खड्डे में गिर गए । मोहित बंसल की याचिका पर आज सुबह दिल्ली हाईकोर्ट ने याचिका पर फैसला होने तक मोहित बंसल वाले मामले में इंस्टीट्यूट की कार्रवाई पर रोक लगा दी है । अतुल गुप्ता के लिए इससे भी ज्यादा झटके वाली बात यह रही कि याचिका में दिए गए तथ्यों पर गौर करते हुए कोर्ट ने मामले में अतुल गुप्ता को व्यक्तिगत रूप से पार्टी बनाने का भी फैसला किया है । हाईकोर्ट के इस फैसले के आधार पर लोगों के बीच इस बात की पुष्टि होना माना/समझा जा रहा है कि अतुल गुप्ता ने व्यक्तिगत खुन्नस निकालने की तैयारी में इंस्टीट्यूट के प्रेसीडेंट पद का दुरुपयोग किया है । अतुल गुप्ता के नजदीकियों का कहना है कि मामले में उन्हें व्यक्तिगत रूप से पार्टी बनाने के हाईकोर्ट के फैसले खिलाफ अतुल गुप्ता सुप्रीम कोर्ट में अपील करने के बारे में तैयारी कर रहे हैं । सेंट्रल काउंसिल के कुछेक सदस्य इस बात से खफा और खिन्न हैं कि अतुल गुप्ता अपनी निजी खुन्नसबाजी में प्रेसीडेंट पद का इस्तेमाल करते हुए इंस्टीट्यूट का मोटा पैसा कानूनी कार्रवाई में नाहक ही खर्च कर रहे हैं ।
दिल्ली हाईकोर्ट में आज हुई सुनवाई/कार्रवाई में अतुल गुप्ता के उस झूठ की भी पोल खुल गई, जिसमें वह मिनिस्ट्री ऑफ कॉर्पोरेट अफेयर्स द्वारा दो वर्ष पहले दिए गए स्पष्टीकरण को वापस ले लिए जाने का दावा कर रहे थे । उल्लेखनीय है कि दो वर्ष पहले मिनिस्ट्री ऑफ कॉर्पोरेट अफेयर्स की तरफ से बाकायदा लिखित में यह स्पष्टीकरण आया था कि जिस आधार पर मोहित बंसल के खिलाफ कार्रवाई करने की बात की जा रही है, वह किसी भी तरह से तर्कपूर्ण तथा नियमानुसार नहीं है, और वास्तव में वह कोई आधार बनता ही नहीं है । इस स्पष्टीकरण के आने के बाद ही, दो वर्ष पहले तत्कालीन प्रेसीडेंट नवीन गुप्ता ने मोहित बंसल के खिलाफ कार्रवाई करने की प्रक्रिया को रद्द कर दिया था । अतुल गुप्ता लेकिन पिछले छह/आठ दिन से लोगों को बता रहे थे कि मिनिस्ट्री ऑफ कॉर्पोरेट अफेयर्स ने उक्त स्पष्टीकरण को वापस ले लिया है, और जिसके चलते मोहित बंसल के खिलाफ कार्रवाई करने का रास्ता खुल गया है । किंतु आज दिल्ली हाईकोर्ट में इंस्टीट्यूट की तरफ से ऐसा कोई दस्तावेज पेश नहीं किया गया, जिससे उक्त स्पष्टीकरण के वापस होने का पता चलता । जानकारों का कहना है कि ऐसा कोई दस्तावेज यदि सचमुच पेश किया गया होता, तो हाईकोर्ट मोहित बंसल के मामले में कार्रवाई करने को लेकर इंस्टीट्यूट पर रोक नहीं लगाने का फैसला नहीं करता । 
हर किसी को हैरानी है कि प्रेसीडेंट पद के नशे में निजी खुन्नस के चलते मोहित बंसल को फँसाने के लिए अतुल गुप्ता इस हद तक कैसे और क्यों चले गए कि उन्होंने जरा भी इस बात का ख्याल नहीं रखा कि मोहित बंसल यदि कोर्ट चले गए, तो कोर्ट में मामला कैसे टिकेगा ? अतुल गुप्ता के नजदीकियों का बताना/कहना है कि अतुल गुप्ता ने यह तो सोचा था कि 24 सितंबर को जब वह मोहित बंसल की सदस्यता खत्म कर/करवा देंगे, तब सदस्यता बहाल करवाने के लिए मोहित बंसल कोर्ट जायेंगे; इसे लेकर अतुल गुप्ता ने लेकिन परवाह नहीं की, क्योंकि अपनी खुन्नस निकालने के लिए वह एक बार मोहित बंसल की सदस्यता खत्म कर/करवा देना चाहते थे । मोहित बंसल लेकिन होशियार निकले, वह पहले ही कोर्ट चले गए । कोर्ट ने उनके द्वारा प्रस्तुत तथ्यों को देखते हुए इंस्टीट्यूट की कार्रवाई पर रोक लगाने का फैसला करने में देर नहीं लगाई । अतुल गुप्ता के लिए मुसीबत और फजीहत की बात यह हुई कि हाईकोर्ट ने उन्हें व्यक्तिगत रूप से मामले में पार्टी बना लिया है । हाईकोर्ट के इस फैसले के खिलाफ अतुल गुप्ता सुप्रीम कोर्ट जाने की तैयारी करते तो सुने जा रहे हैं; लेकिन उनके नजदीकियों के अनुसार, उन्हें यह डर भी सता रहा है कि सुप्रीम कोर्ट में उन्हें यदि राहत नहीं मिली - तब उन्हें और ज्यादा फजीहत का शिकार बनना पड़ेगा । निजी खुन्नसबाजी के चक्कर में इंस्टीट्यूट के प्रेसीडेंट पद का दुरुपयोग करते हुए अतुल गुप्ता ने अपनी और इंस्टीट्यूट की एकसाथ जैसी जो फजीहत करवाई है, वह उनके प्रेसीडेंट-वर्ष को कलंकित करने का काम भी करती है ।