आगरा । पूर्व मल्टीपल काउंसिल चेयरमैन पारस अग्रवाल के अकाउंट्स को लेकर चल रहे विवाद में निर्णायक भूमिका निभाने का मौका जिस प्रकार पूर्व गवर्नर अशोक कपूर के हाथ में आ गया दिख रहा है, उससे निवर्त्तमान डिस्ट्रिक्ट गवर्नर मधु सिंह और उनके नजदीकी खुश हो रहे हैं - और उन्हें लग रहा है कि अब पारस अग्रवाल को मुश्किल का सामना करना पड़ेगा । पारस अग्रवाल के अकाउंट्स को लेकर लायंस इंटरनेशनल के नियम-कानून के तहत मधु सिंह ने मल्टीपल में अधिकृत रूप से शिकायत दर्ज कराई थी, जिस पर कार्रवाई करते हुए जाँच कमेटी बनाने की तैयारी शुरू हुई है । इस तैयारी के तहत शिकायतकर्ता के रूप में मधु सिंह ने अशोक कपूर को; तथा शिकायत में आरोपी बनाये गए पारस अग्रवाल और विशाल सिन्हा ने क्रमशः अशोक गुप्ता तथा संजय चोपड़ा को अपना अपना प्रतिनिधि बनाया है । जाँच कमेटी का चेयरमैन कोई पूर्व इंटरनेशनल डायरेक्टर होगा, जिसका चुनाव/चयन तीनों प्रतिनिधियों के वोटों के बहुमत से तय होगा । नियमानुसार व व्यवस्थानुसार, तीनों प्रतिनिधियों को दो दो पूर्व इंटरनेशनल डायरेक्टर्स के नाम देने होंगे, और जिसका नाम सबसे ज्यादा बार लिया गया होगा, वह चेयरमैन बनेगा । खेमेबाजी तथा पसंद/नापसंद के आधार पर जो अनुमान लगाए जा रहे हैं, उनमें अशोक कपूर के द्वारा दिए जाने वाले दो नामों में से एक के चेयरमैन बनने की संभावना देखी जा रही है - और लोगों को लग रहा है कि यह संभावना पारस अग्रवाल के लिए मुश्किलें खड़ी करने वाली हो सकती है ।
पारस अग्रवाल के अकाउंट्स को लेकर लगे आरोपों की जाँच करने वाली कमेटी के चेयरमैन के चुनाव/चयन में अशोक कपूर के हाथ लगा अवसर दरअसल कई तरह के संयोगों के कारण बना है । माना/समझा जा रहा है कि पारस अग्रवाल और विशाल सिन्हा के प्रतिनिधि के रूप में अशोक गुप्ता तथा संजय चोपड़ा किसी भी हालत में विनोद खन्ना का नाम नहीं देंगे; ऐसे में उनके पास केएम गोयल व जगदीश गुलाटी का नाम देने का ही विकल्प बचा रह जाता है । अशोक कपूर को लेकर लोगों का मानना और कहना है कि वह विनोद खन्ना का नाम तो जरूर देंगे, और दूसरा नाम केएम गोयल तथा जगदीश गुलाटी में से किसी एक का देंगे । ऐसे में अशोक कपूर दूसरा जो भी नाम देंगे, वह सबसे ज्यादा - तीन वोट पाकर चेयरमैन बनने का अधिकारी हो जायेगा । वह चूँकि तीनों प्रतिनिधियों की पसंद होगा, इसलिए कोई उसके चुनाव/चयन पर आपत्ति भी नहीं कर पायेगा । ऐसे में जाहिर है कि अशोक कपूर के सामने यह देखने/समझने का पूरा मौका है कि जाँच कमेटी के चेयरमैन के रूप में केएम गोयल तथा जगदीश गुलाटी में से कौन पारस अग्रवाल के अकाउंट्स पर की जा रही आपत्तियों को सही ठहराने का 'काम' कर सकेगा - और पारस अग्रवाल की मुश्किलों को बढ़ायेगा ?
हालाँकि मल्टीपल के कई एक नेताओं को लगता है कि पारस अग्रवाल के समर्थक व शुभचिंतक अवश्य ही कोई तोड़ निकाल लेंगे और वह अशोक कपूर को मिलते दिख रहे 'अवसर' को आसानी से सफल नहीं होने देंगे । इंटरनेशनल डायरेक्टर पद के लिए जितेंद्र चौहान के एंडोर्समेंट को लेकर उड़ी एक बेफालतू की खबर पर बौखलाहट दिखाते हुए मल्टीपल काउंसिल चेयरमैन क्षितिज शर्मा ने जैसी जो सक्रियता दिखाई थी, उसे याद/ध्यान करते हुए लोगों को लगता है कि क्षितिज शर्मा जाँच कमेटी का ऐसा कोई स्वरूप तो नहीं 'बनने' देंगे, जो पारस अग्रवाल के लिए मुश्किलें खड़ी कर सके । इसके लिए नरेश अग्रवाल के नाम का भी इस्तेमाल किया जा सकता है, जो पूर्व प्रेसीडेंट होने के साथ-साथ पूर्व डायरेक्टर भी तो हैं - और जिन्हें लेकर भले ही कहा जा रहा हो कि उन्हें इस 'झगड़े' में नहीं खींचना चाहिए । मधु सिंह के नजदीकियों का भी कहना/बताना है कि उन्हें आशंका है कि मल्टीपल डिस्ट्रिक्ट में पारस अग्रवाल के अकाउंट्स को लेकर की गई शिकायत की जाँच को आसानी से नहीं होने दिया जायेगा; लेकिन जो भी होगा - उससे अंततः लोगों के बीच यही संदेश जायेगा कि पारस अग्रवाल और उनके समर्थक व शुभचिंतक निष्पक्ष जाँच नहीं होने देना चाहते हैं; और यह संदेश कुल मिलाकर पारस अग्रवाल के लिए मुश्किलें बढ़ाने वाला ही साबित होगा । इसीलिए माना/समझा जा रहा है कि मल्टीपल डिस्ट्रिक्ट में दर्ज हुई शिकायत पर जाँच की प्रक्रिया को पारस अग्रवाल और उनके समर्थकों ने यदि ठीक से हैंडल नहीं किया, और सारा मामला मल्टीपल काउंसिल चेयरमैन क्षितिज शर्मा पर ही छोड़ दिया, तो कहीं जितेंद्र चौहान वाले मामले की तरह लेने के देने न पड़ जाएँ ?