कुरुक्षेत्र । डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी पद के उम्मीदवार के रूप में अरुण मोंगिया की सुस्ती और गैरजिम्मेदाराना व्यवहार की शिकायतों ने जितेंद्र ढींगरा तथा सत्ता खेमे के दूसरे नेताओं को चिंता और परेशानी में डाल दिया है, जिसके चलते उन्होंने अरुण मोंगिया की जमकर क्लास ली है । जितेंद्र ढींगरा के यहाँ एक पारिवारिक समारोह में पहुँचे कई लोगों ने साफ साफ कहा कि अरुण मोंगिया के रंग-ढंग ऐसे नहीं हैं कि उन्हें वोट दिया/दिलवाया जाये तथा उन्हें डिस्ट्रिक्ट गवर्नर बनाया/बनवाया जाये - उनके सामने यदि जितेंद्र ढींगरा तथा दूसरे नेताओं के लिहाज के कारण अरुण मोंगिया को वोट देने की मजबूरी न हो, तो वह हर्गिज अरुण मोंगिया को वोट न दें । जितेंद्र ढींगरा तथा सत्ता खेमे के अन्य नेताओं से लोगों ने कहा कि उन्हें देख/समझ कर ही ऐसे व्यक्ति को उम्मीदवार बनाना चाहिए, जो वास्तव में रोटरी के लिए कुछ करने के लिए उत्साहित हो तथा अपने व्यवहार से वह दूसरे लोगों को उत्साहित व प्रेरित कर सकता हो । लोगों की शिकायत रही कि अरुण मोंगिया चूँकि यह मान/समझ रहे हैं कि जितेंद्र ढींगरा तथा सत्ता खेमे के दूसरे नेता अपने अपने प्रभाव से उन्हें चुनाव जितवा ही देंगे, इसलिए वह अपनी तरफ से कुछ करने में दिलचस्पी ही नहीं ले रहे हैं ।
Friday, October 30, 2020
रोटरी इंटरनेशनल डिस्ट्रिक्ट 3080 में डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी पद के चुनाव में पंकज डडवाल के विजन प्रस्तावों से पड़ने वाले प्रभाव को देखते/समझते हुए जितेंद्र ढींगरा तथा सत्ता खेमे के दूसरे नेताओं को भी लगा है कि अरुण मोंगिया को भी पंकज डडवाल से सीखना चाहिए, अन्यथा कहीं ऐसा न हो कि अरुण मोंगिया उनके लिए बदनामी तथा फजीहत का कारण बन जाएँ
Wednesday, October 28, 2020
लायंस क्लब्स इंटरनेशनल मल्टीपल डिस्ट्रिक्ट 321 के चेयरमैन क्षितिज शर्मा को पूर्व चेयरमैन पारस अग्रवाल के अकाउंट की जाँच रोकने के मामले में लायंस इंटरनेशनल से झटका लगा, और इस प्रकरण में काउंसिल सेक्रेटरी राजीव अग्रवाल की भूमिका की चर्चा ने मामले को और दिलचस्प बनाया
आगरा । लायंस इंटरनेशनल कार्यालय ने पूर्व मल्टीपल काउंसिल चेयरमैन पारस अग्रवाल के अकाउंट में गड़बड़ी के आरोपों की जाँच को रोकने के मल्टीपल काउंसिल चेयरमैन क्षितिज शर्मा के फैसले को रद्द करके जाँच प्रक्रिया को आगे बढ़ाने का आदेश देकर पारस अग्रवाल की मुश्किलों को एक बार फिर से बढ़ा दिया है । लायंस इंटरनेशनल कार्यालय के फैसले से 'रचनात्मक संकल्प' की 9 अक्टूबर की रिपोर्ट में व्यक्त की गई आशंका सच साबित हुई है, जिसमें कहा गया था कि जाँच रुकवाने की कोशिश करके पारस अग्रवाल ने अकाउंट में झोलझाल होने के आरोपों को विश्वसनीयता दे दी है, और इस तरह जो काम मधु सिंह लगातार सक्रियता दिखा/बना कर नहीं कर पा रही थीं - उसे खुद पारस अग्रवाल ने एक गलत कदम के जरिये कर दिया है । पारस अग्रवाल ने सोचा तो यह था कि मल्टीपल काउंसिल चेयरमैन पद पर क्षितिज शर्मा नाम की जो एक कठपुतली है, उससे वह जाँच को रुकवा लेंगे; लेकिन उन्हें यह ध्यान नहीं रहा होगा कि ऊपर का कार्यालय जाँच रोकने के फैसले को रद्द भी कर सकता है और तब उनकी ज्यादा फजीहत होगी । मल्टीपल काउंसिल चेयरमैन के रूप में क्षितिज शर्मा ने मनमानी तथा नियमों की अनदेखी करते हुए पारस अग्रवाल के अकाउंट की जाँच को रोक देने का तो फैसला कर लिया था, लेकिन लायंस इंटरनेशनल कार्यालय ने उनके फैसले को रद्द करके जाँच की प्रक्रिया को आगे बढ़ाने का जो आदेश दिया है, उसने क्षितिज शर्मा और पारस अग्रवाल के लिए मुसीबतों को और बढ़ा दिया है ।
Friday, October 23, 2020
रोटरी इंटरनेशनल डिस्ट्रिक्ट 3080 में सत्ता खेमे के प्रति पैदा हुई नाराजगी के कारण प्रतिद्वंद्वी उम्मीदवार पंकज डडवाल को लोगों के बीच मिलते दिख रहे समर्थन से होने वाले नुकसान से बचने के लिए जितेंद्र ढींगरा जल्दी चुनाव कराने के चक्कर में, लेकिन चुनाव जल्दी होने से अजय मदान की मुश्किलें बढ़ने का खतरा
पानीपत । डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी पद के चुनाव के समय को लेकर डिस्ट्रिक्ट गवर्नर रमेश बजाज परस्पर विरोधी दबावों में फँस गए हैं, और उनके लिए यह तय कर पाना मुश्किल हो रहा है कि वह चुनाव कब करवाएँ ? रमेश बजाज की मुश्किलों को निवर्त्तमान डिस्ट्रिक्ट गवर्नर जितेंद्र ढींगरा के उस दावे ने और बढ़ा दिया है, जिसमें दावा किया गया है कि वह जब चाहेंगे, तब चुनाव होगा । लोगों का कहना/पूछना है कि रमेश बजाज डिस्ट्रिक्ट गवर्नर हैं, या जितेंद्र ढींगरा की कठपुतली - जो उनके कहने से चुनाव की तारीख तय तथा घोषित करेंगे ? यह सवाल दरअसल इसलिए भी महत्त्वपूर्ण हो गया है, क्योंकि डिस्ट्रिक्ट गवर्नर के रूप में रमेश बजाज को जो काम अभी तक कर लेने चाहिए थे; वह तो उन्होंने किए नहीं हैं - जैसे चार महीने पूरे होने जा रहे हैं, लेकिन अभी तक डिस्ट्रिक्ट डायरेक्टरी का कोई अतापता नहीं है - किंतु चुनाव का जो काम जनवरी/फरवरी तक होता रहा है, रमेश बजाज उसे अभी कर लेना चाहते हैं, और वह भी जितेंद्र ढींगरा के दबाव में ! डिस्ट्रिक्ट में कई लोगों ने और प्रेसीडेंट्स ने भी रमेश बजाज को कहा/सुझाया है कि अगले बीस-बाइस दिन त्यौहारी सीजन के हैं और लोग अपने अपने कामकाज तथा परिवार के साथ त्यौहार मनाने की तैयारियों में व्यस्त होंगे, इसलिए अभी करीब एक महीने तक तो चुनाव की प्रक्रिया को न शुरू करें ।
Thursday, October 22, 2020
रोटरी इंटरनेशनल डिस्ट्रिक्ट 3080 में डिस्ट्रिक्ट ड्यूज के मामले में सत्ता खेमे से जुड़े आम और खास नेताओं की नाराजगी के सामने आने से डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी पद की चुनावी राजनीति के समीकरणों पर असर पड़ने के बनते हालात में, पंकज डडवाल की उम्मीदवारी के समर्थकों को अपने लिए मौका और 'रास्ता' बनता नजर आ रहा है
शिमला । डिस्ट्रिक्ट डियूज के मामले में डिस्ट्रिक्ट गवर्नर रमेश बजाज को घेरने की कोशिशों ने डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी पद के चुनावी समीकरणों को जिस तरफ से डिस्टर्ब करना तथा बिगाड़ना शुरू किया है, उससे अरुण मोंगिया तथा उनके समर्थकों को चिंता होना शुरू हुई है - तथा पहली बार पंकज डडवाल के नजदीकियों व समर्थकों के बीच उम्मीद व उत्साह की लहर पैदा होती हुई देखी गई है । अरुण मोंगिया और पंकज डडवाल के बीच होने वाले डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी पद के चुनाव को अभी तक एकतरफ ही झुका हुआ माना/देखा जा रहा था, लेकिन पहली बार उक्त चुनाव को लेकर बने समीकरण डगमगाते हुए दिख रहे हैं । दरअसल, डिस्ट्रिक्ट ड्यूज के नाम पर की जा रही मनमानी और मचाई जा रही 'लूट' को लेकर लोगों के बीच जिस तरह की नाराजगी पैदा हुई है, उसे कई एक ऐसे लोगों ने भी समर्थन दिया है - जो सत्ता खेमे के नजदीक हैं । इससे माना/समझा जा रहा है कि लोगों के बीच पैदा हुई नाराजगी को रोकने/संभालने के लिए सत्ता खेमे के नेताओं ने यदि जल्दी ही प्रयास नहीं किए, तो डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी पद के चुनाव में कहीं लेने के देने न पड़ जाएँ । डिस्ट्रिक्ट गवर्नर इलेक्ट अजय मदान के गवर्नर वर्ष के लिए डिस्ट्रिक्ट सेक्रेटरी बनाये गए संदीप गोयल के एक बयान ने आग में घी डालने का जो काम किया है, उससे भी सत्ता खेमे के नेताओं की मुश्किलें बढ़ी हैं और इसका सीधा असर अरुण मोंगिया की चुनावी जीत पर पड़ने का डर पैदा हुआ है ।
Wednesday, October 21, 2020
रोटरी इंटरनेशनल डिस्ट्रिक्ट 3080 में कुरुक्षेत्र में छप रही डिस्ट्रिक्ट डायरेक्टरी की क्वालिटी को लेकर जितेंद्र ढींगरा का अपेक्षित सहयोग न मिलने से डिस्ट्रिक्ट गवर्नर रमेश बजाज के खफा होने के चक्कर में सारी तैयारी पूरी हो जाने के बावजूद डायरेक्टरी का आना लटक गया है
पानीपत । डिस्ट्रिक्ट डायरेक्टरी की छपाई की क्वालिटी तथा कीमत को लेकर डिस्ट्रिक्ट गवर्नर रमेश बजाज और निवर्त्तमान डिस्ट्रिक्ट गवर्नर जितेंद्र ढींगरा के बीच एक बार फिर 'शीतयुद्ध' जैसे हालात बन गए हैं, जिसके चलते डिस्ट्रिक्ट डायरेक्टरी का प्रकाशन लटक गया है । रमेश बजाज को प्रिंटर की तरफ से तैयार डिस्ट्रिक्ट डायरेक्टरी के जो कुछेक सैम्पल मिले, रमेश बजाज उनसे संतुष्ट नहीं दिखे और इसलिए उन्होंने प्रिंटर को डिस्ट्रिक्ट डायरेक्टरी का काम आगे बढ़ाने से रोक दिया है । रमेश बजाज की शिकायत है कि प्रिंटर ने उन्हें जिस क्वालिटी का भरोसा दिया था, तैयार सैम्पल में वह क्वालिटी नहीं है - इसलिए प्रिंटर या तो वह उस क्वालिटी का काम दे जिसका उसने भरोसा दिया था, और या रेट कम करे । डिस्ट्रिक्ट डायरेक्टरी कुरुक्षेत्र में छप रही है, और प्रिंटर के साथ रमेश बजाज का तालमेल जितेंद्र ढींगरा ने करवाया था । इस नाते, रमेश बजाज चाहते हैं कि प्रिंटर से उनकी जो माँग है उसे जितेंद्र ढींगरा पूरा करवाएँ । जितेंद्र ढींगरा लेकिन इस पचड़े में पड़ना नहीं चाहते हैं । जितेंद्र ढींगरा के नजदीकियों का कहना है कि रमेश बजाज नाहक ही बात का बतंगड़ बना रहे हैं, और ऐसा करके वह वास्तव में प्रिंटर को तय हुई रकम से कम रकम देना चाहते हैं । उधर रमेश बजाज की तरफ से शिकायत सुनी जा रही है कि जितेंद्र ढींगरा उनकी बातों व समस्या पर कोई ध्यान ही नहीं दे रहे हैं और इस तरह वह प्रिंटर का पक्ष ले रहे हैं ।
Monday, October 19, 2020
लायंस क्लब्स इंटरनेशनल डिस्ट्रिक्ट 321 सी वन के 'शोमैन' मुकेश गोयल की गैरमौजूदगी में डिस्ट्रिक्ट की प्रशासनिक व्यवस्था तथा चुनावी राजनीति को तड़क-भड़क, रहस्य-रोमांच और गुलगपाड़े वाली गपशप के साथ जीवंत बनाये रख पाना खासा चुनौतीपूर्ण ही होगा
गाजियाबाद । आज दोपहर ढलते मुकेश गोयल की देह ही अग्नि को समर्पित नहीं हुई है, बल्कि डिस्ट्रिक्ट 321 सी वन की प्रशासनिक व्यवस्था तथा चुनावी राजनीति की तड़क-भड़क, रहस्य-रोमांच और गुलगपाड़े वाली गपशप भी उनकी देह के साथ राख हो गई । डिस्ट्रिक्ट की प्रशासनिक व्यवस्था और चुनावी राजनीति तो उनकी अनुपस्थिति में अपना समीकरण बना लेगी - बना क्या लेगी, उसने बना लिया है - लेकिन मुकेश गोयल की उपस्थिति मात्र से डिस्ट्रिक्ट की चुनावी राजनीति में जो जीवंतता साँसे भरती थी, वह मुकेश गोयल की साँसों के साथ ही परलोकवासी हो गई नजर आ रही है । पिछले तीन-चार महीने में मुकेश गोयल मृत्यु के और नजदीक पहुँच गए थे, डॉक्टरों ने जबाव दे दिया था और किसी भी तरह के ईलाज को व्यर्थ बता दिया था - लेकिन मृत्युशय्या पर पड़े पड़े भी मुकेश गोयल सेकेंड वाइस डिस्ट्रिक्ट गवर्नर पद से जुड़ी डिस्ट्रिक्ट की चुनावी राजनीति को लेकर जो चालें चल रहे थे, उनसे डिस्ट्रिक्ट की चुनावी राजनीति के बनने/बिगड़ने वाले समीकरणों में खासी हलचल मची हुई थी । अभी दस/बारह दिन पहले ही उन्होंने अपने नजदीकियों से कहा था कि वह मीटिंग्स आदि में चल कर नहीं जा सकते हैं, तो क्या हुआ - वह व्हीलचेयर पर तो जा सकते हैं ।
Sunday, October 18, 2020
इंस्टीट्यूट ऑफ चार्टर्ड एकाउंटेंट्स की सेंट्रल काउंसिल के लिए उम्मीदवारी प्रस्तुत करने की तैयारी शुरू कर चुके पंकज पेरिवाल अपनी बिल्डिंग के किरायेदार एक उद्यमी की आत्महत्या के लिए जिम्मेदार ठहराए जाने के आरोप में फँसे
लुधियाना । नॉर्दर्न इंडिया रीजनल काउंसिल के पूर्व चेयरमैन पंकज पेरिवाल के बारे में चर्चा तो यह सुनी/सुनाई जा रही थी कि वह इंस्टीट्यूट की सेंट्रल काउंसिल में जाने की तैयारी कर रहे हैं, लेकिन अखबारों में पढ़ने को मिल रहा है कि लुधियाना पुलिस उन्हें जेल ले जाने के लिए खोज रही है और वह बचते/छिपते फिर रहे हैं । अखबारी खबरों के अनुसार, पंकज पेरिवाल को एक उद्यमी सुरिंदर सिंह को आत्महत्या करने के लिए मजबूर करने का आरोपी बताया जा रहा है । मृतक की बेटी द्वारा लिखवाई रिपोर्ट में पंकज पेरिवाल पर आरोप है कि उन्होंने अपने साथियों के साथ मिलकर सुरिंदर सिंह का पैसा और जमीन हड़प लिया, जिससे परेशान और निराश होकर उन्होंने अपनी जान दे दी । यहाँ यह याद करना प्रासंगिक होगा कि दो वर्ष पहले भी लगभग इन्हीं दिनों पंकज पेरिवाल के ऑफिस पर पड़े इनकम टैक्स विभाग के छापे की खबरें प्रकाशित हुई थीं । उस समय पंकज पेरिवाल नॉर्दर्न इंडिया रीजनल काउंसिल के चेयरमैन थे । अपने ऑफिस पर पड़े छापे की खबर के अखबारों में छपने से पंकज पेरिवाल इस कदर फजीहत का शिकार बने थे, कि रीजनल काउंसिल के चेयरमैन पद की जिम्मेदारियों का वह ठीक से निर्वाह नहीं कर पाए थे ।
Saturday, October 17, 2020
रोटरी इंटरनेशनल डिस्ट्रिक्ट 3011 में डिस्ट्रिक्ट गवर्नर संजीव राय मेहरा के सहयोग व समर्थन से इंटरनेशनल प्रेसीडेंट इलेक्ट शेखर मेहता के नाम पर रोटरी में धंधा, राजनीति और फर्जीवाड़ा करने के उद्देश्य से होने वाले कार्यक्रम की पोल खुलने के बाद शेखर मेहता ने कार्यक्रम में शामिल होने से इंकार किया
नई दिल्ली । डिस्ट्रिक्ट गवर्नर संजीव राय मेहरा के सहयोग व समर्थन से फर्जी तरीके से रोटरी का नाम जोड़ कर एक फर्जी किस्म की संस्था के आज शाम हुए कार्यक्रम 'वर्चुअल ट्रु रिइंकार्नेशन इंटरसिटी' में इंटरनेशनल प्रेसीडेंट इलेक्ट शेखर मेहता को मुख्य अतिथि के रूप में शामिल करने की कोशिशें अंततः असफल हो गईं । शेखर मेहता को रोटरी के नाम पर किए जा रहे फर्जीवाड़े के बारे में तथ्य मिले, तो उन्होंने इस कार्यक्रम से दूर रहने का फैसला किया । कार्यक्रम के नाम पर होने वाले फर्जीवाड़े तथा राजनीतिक जुगाड़ को लेकर 'रचनात्मक संकल्प' ने दो दिन पहले ही एक विस्तृत रिपोर्ट प्रकाशित की थी, जिसमें तथ्यों के साथ इस बात का खुलासा किया गया था कि कैसे और क्यों तो कार्यक्रम की आयोजक संस्था कागजी और फर्जी किस्म की है, कार्यक्रम के आयोजन से जुड़े लोग क्यों और कैसे रोटरी को बदनाम करने वाले तथा रोटरी की वैल्यूज के साथ खिलवाड़ करने वाले हैं, और क्यों व किस तरह यह कार्यक्रम एक राजनीतिक एजेंडे के तहत किया जा रहा है - और सबसे ज्यादा दुर्भाग्य की बात यह कि शेखर मेहता जैसे रोटरी के सबसे बड़े पदाधिकारी के नाम पर किए जाने वाले गुलगपाड़े को डिस्ट्रिक्ट गवर्नर संजीव राय मेहरा ने किस किस तरीके से शह और समर्थन दिया । 'रचनात्मक संकल्प' में रिपोर्ट प्रकाशित होने के बाद डिस्ट्रिक्ट में बबाल मचा और कई लोगों ने अपने अपने तरीके से कोशिशें कीं कि रोटरी के नाम पर किए जा रहे फर्जीवाड़े तथा राजनीतिक एजेंडे को थोपने की कोशिशों में शेखर मेहता को सहभागी नहीं बनना चाहिए - क्योंकि उनकी सहभागिता से सच्चे रोटेरियंस का मनोबल टूटेगा ।
Thursday, October 15, 2020
रोटरी इंटरनेशनल डिस्ट्रिक्ट 3011 में डिस्ट्रिक्ट गवर्नर संजीव राय मेहरा की शह पर शेखर मेहता व भरत पांड्या को आगे रख कर, एक फर्जी व विवादग्रस्त संस्था के आयोजन को चुनावी आचार संहिता के उल्लंघन के रूप में भी देखा/पहचाना जा रहा है
नई दिल्ली । डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी पद के उम्मीदवार अजीत जालान के 'मैनेजर' की भूमिका निभा रहे संजीव वर्मा 'रोटरी ट्रु रिइंकार्नेशन' नाम की फर्जी टाइप की संस्था को लेकर फिर से सक्रिय हो गए हैं, और इस बार उन्होंने इंटरनेशनल डायरेक्टर भरत पांड्या तथा इंटरनेशनल प्रेसीडेंट इलेक्ट शेखर मेहता के नाम का सहारा लेकर अपने आलोचकों का मुँह बंद करने की 'तैयारी' दिखाई है । उल्लेखनीय है कि संजीव वर्मा इस तथाकथित संस्था को लेकर काउंसिल ऑफ गवर्नर्स के निशाने पर आ चुके हैं, और काउंसिल ऑफ गवर्नर्स की मीटिंग में उन्हें रोटरी के नाम पर निजी संस्था चलाने के लिए लताड़ पड़ चुकी है । इस लताड़ के चलते ही संजीव वर्मा ने पिछले करीब दो वर्षों से इस तथाकथित संस्था की तथाकथित गतिविधियों को बंद किया हुआ था; लेकिन अजीत जालान की डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी पद की उम्मीदवारी को मदद पहुँचाने के उद्देश्य से संजीव वर्मा ने इसे फिर से सक्रिय कर लिया है । इस सक्रियता के तहत वह 17 अक्टूबर को वर्चुअल ट्रु रिइंकार्नेशन इंटरसिटी कर रहे हैं, जिसमें स्पीकर के रूप में उन्होंने भरत पांड्या और शेखर मेहता को शामिल होने के लिए तैयार कर लिया है । संजीव वर्मा को विश्वास है कि भरत पांड्या और शेखर मेहता जैसे रोटरी के बड़े पदाधिकारियों की मौजूदगी से वह अपनी संस्था के फर्जी टाइप होने तथा रोटरी के नाम व लोगो का गैरकानूनी तरीके से इस्तेमाल करने के आरोपों से बच जायेंगे ।
Wednesday, October 14, 2020
रोटरी इंटरनेशनल डिस्ट्रिक्ट 3011 के डिस्ट्रिक्ट गवर्नर संजीव राय मेहरा की मिलीभगत से रोट्रेक्ट डिस्ट्रिक्ट 3011 के अनमोल चावला का बेईमानीपूर्ण हरकतों से जीता सीरिक प्रेसीडेंट का चुनाव रद्द हुआ; और इसके चलते न सिर्फ डिस्ट्रिक्ट 3011 की, बल्कि रोट्रेक्ट्स मूवमेंट्स की भी भारी बदनामी हुई है
Tuesday, October 13, 2020
रोटरी इंटरनेशनल डिस्ट्रिक्ट 3054 में डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी पद पर मेहुल राठौर की ताजपोशी करवाने के लिए डिस्ट्रिक्ट गवर्नर राजेश अग्रवाल ने डिस्ट्रिक्ट व रोटरी की वैल्यूज के साथ खिलवाड़ करने की जो कोशिश की है, उससे डिस्ट्रिक्ट की चुनावी राजनीति का पारा चढ़ा
कोटा । डिस्ट्रिक्ट गवर्नर राजेश अग्रवाल ने डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी पद के लिए मेहुल राठौर के पक्ष में अन्य उम्मीदवारों पर दबाव डाल/बना कर उनकी उम्मीदवारी वापस करवाने का जो प्रयास किया है, उसका कुछेक उम्मीदवारों के साथ-साथ इलेक्शन कमेटी के सदस्यों ने भी विरोध किया है - और इस विरोध के चलते कल शाम कोटा में बुलाई गई मीटिंग में शामिल होने से उन्होंने इंकार किया । राजेश अग्रवाल ने कल शाम कोटा में सभी उम्मीदवारों तथा इलेक्शन कमेटी के सदस्यों की जो मीटिंग बुलाई थी, उसे गैरकानूनी तथा रोटरी इंटरनेशनल के नियमों के उल्लंघन के रूप में ही देखा/पहचाना गया है । मजे की बात यह है कि डिस्ट्रिक्ट गवर्नर के रूप में राजेश अग्रवाल ने आज अभी 13वें दिन तक उम्मीदवारों को लेकर नोटीफिकेशन जारी नहीं किया है; नामांकन की अंतिम तारीख 30 सितंबर थी, राजेश अग्रवाल ने लेकिन आज - 13 अक्टूबर तक भी आधिकारिक रूप से डिस्ट्रिक्ट में लोगों को यह जानकारी नहीं दी है कि कौन कौन उम्मीदवार हैं; यह अलग बात है कि अनधिकृत रूप से सभी को उम्मीदवारों के बारे में पता है । इस तरह, डिस्ट्रिक्ट गवर्नर के रूप में राजेश अग्रवाल को जो काम करने चाहिए, उन्हें करने में वह कोई दिलचस्पी नहीं दिखा रहे हैं - लेकिन चुनावी राजनीति में रोटरी इंटरनेशनल द्वारा तय किए गए नियम-कानूनों की ऐसीतैसी करते हुए मनमानी करने में वह आगे से आगे चल रहे हैं ।
Monday, October 12, 2020
लायंस क्लब्स इंटरनेशनल डिस्ट्रिक्ट 321 ए थ्री में फर्स्ट वाइस डिस्ट्रिक्ट गवर्नर आरके शाह के सामने अपनी उम्मीदवारी को अजय बुद्धराज के समर्थन के दावे को लेकर झूठे साबित होने पर दिनेश जैन व उनके समर्थक अजय बुद्धराज से नाराज हुए
नई दिल्ली । सेकेंड वाइस डिस्ट्रिक्ट गवर्नर पद के लिए दिनेश जैन को उम्मीदवार बनवा कर पूर्व गवर्नर अजय बुद्धराज ने लगता है कि मुसीबतों को आमंत्रित कर लिया है, और फजीहत का शिकार हो बैठे हैं । उनके लिए बिडंवना तथा दूसरों के लिए मजे की बात यह है कि उनके लिए मुसीबत व फजीहत का कारण दिनेश जैन ही बन रहे हैं । फर्स्ट वाइस डिस्ट्रिक्ट गवर्नर आरके शाह के रवैये से निराश और नाराज दिनेश जैन तथा उनके नजदीकियों ने अजय बुद्धराज पर नया आरोप लगाया है कि अजय बुद्धराज ने अपनी राजनीति के चक्कर में दिनेश जैन को उम्मीदवार तो बनवा दिया है, लेकिन उनकी मदद करने में वह कोई दिलचस्पी नहीं ले रहे हैं । दिनेश जैन और उनके नजदीकी दरअसल इस बात पर भड़के हुए हैं कि उन्होंने अपनी उम्मीदवारी के लिए समर्थन जुटाने के सिलसिले में जब आरके शाह से बात की, और अजय बुद्धराज के समर्थन का दावा किया - तो आरके शाह ने उनसे कहा कि वह इस संदर्भ में अजय बुद्धराज से उन्हें फोन करवा दें । दिनेश जैन की तमाम कोशिशों के बावजूद अजय बुद्धराज लेकिन आरके शाह को फोन करके यह कहने/बताने के लिए राजी नहीं हुए कि दिनेश जैन को उम्मीदवार बनने के लिए उन्होंने शह और हवा दी हुई है । दिनेश जैन तथा उनके नजदीकियों को लगता है कि अजय बुद्धराज के इस रवैये से वह आरके शाह के सामने झूठे साबित हुए हैं ।
Sunday, October 11, 2020
लायंस क्लब्स इंटरनेशनल डिस्ट्रिक्ट 321 डी में सेकेंड वाइस डिस्ट्रिक्ट गवर्नर पद के लिए दोबारा हुए चुनाव में दविंदर पाल अरोड़ा की जीत के साथ; डिस्ट्रिक्ट में चल रहे तमाशे पर फिलहाल तो विराम लगा है, लेकिन पूर्व इंटरनेशनल प्रेसीडेंट नरेश अग्रवाल की मुश्किलें अभी कम होती हुई नहीं दिख रही हैं
नई दिल्ली । करीब छह महीने से जारी सी-ग्रेड ड्रामे के बाद आखिरकार डिस्ट्रिक्ट 321 डी को दविंदर पाल अरोड़ा के रूप में सेकेंड वाइस डिस्ट्रिक्ट गवर्नर तो मिल गया है, लेकिन इस ड्रामे के चलते फजीहत का शिकार बन रहे पूर्व इंटरनेशनल प्रेसीडेंट नरेश अग्रवाल की मुश्किलें अभी खत्म नहीं हुई हैं । हर तरह की तीन-तिकड़म आजमाने के बावजूद मुहँकी खाने वाले सत्ता खेमे के नेता लोग अपनी पराजय के लिए नरेश अग्रवाल को कोस रहे हैं । अभी तक विरोधी खेमे के नेताओं का आरोप रहता था कि सत्ता खेमे की मनमानियों को नरेश अग्रवाल की शह और समर्थन है । नरेश अग्रवाल इसी डिस्ट्रिक्ट के सदस्य और पूर्व गवर्नर हैं । सेकेंड वाइस डिस्ट्रिक्ट गवर्नर पद पर कब्जे को लेकर पिछले करीब छह महीने से डिस्ट्रिक्ट के पदाधिकारी - पहले पिछले वर्ष के गवर्नर और फिर इस वर्ष के गवर्नर मनमानी करते हुए लायंस इंटरनेशनल के नियम-कानूनों तथा उसकी व्यवस्था का चीरहरण कर रहे थे, लेकिन मजाल है कि नरेश अग्रवाल के कानों पर जूँ भी रेंगी हो । धृतराष्ट्र बने नरेश अग्रवाल लायनिज्म और लायंस इंटरनेशनल और डिस्ट्रिक्ट के चीरहरण का सारा तमाशा चुपचाप बैठे देखते रहे । विडंबना और दुर्भाग्य की बात यह रही कि चीरहरण के कर्ताधर्ता मल्टीपल काउंसिल में महत्त्वपूर्ण पद भी पा गए । वह तो डिस्ट्रिक्ट के कई-एक पूर्व गवर्नर्स ने हिम्मत नहीं हारी, और वह लगातार लायनिज्म व लायंस इंटरनेशनल व डिस्ट्रिक्ट की इज्जत बचाने तथा न्याय पाने की कोशिशों में लगे रहे, और अंततः जीत हासिल करने में कामयाब हुए ।
Friday, October 9, 2020
लायंस क्लब्स इंटरनेशनल मल्टीपल डिस्ट्रिक्ट 321 में पूर्व चेयरमैन पारस अग्रवाल की अपने अकाउंट में गड़बड़ी के आरोपों की जाँच को रोकने की कोशिश ने उनके अकाउंट को संदेहजनक बनाने का वह काम कर दिया है, जिसे मधु सिंह लगातार सक्रियता के बावजूद भी नहीं कर पा रही थीं
आगरा । पूर्व मल्टीपल काउंसिल चेयरमैन पारस अग्रवाल ने अपने अकाउंट को लेकर चल रहे विवाद में लगता है कि खुद ही अपने पैरों पर कुल्हाड़ी मार ली है, और अपने आपको ज्यादा बड़ी मुसीबत में फँसा लिया है ? पारस अग्रवाल के नजदीकियों और शुभचिंतकों का ही कहना है कि निवर्त्तमान डिस्ट्रिक्ट गवर्नर मधु सिंह की अधिकृत शिकायत पर, लायंस इंटरनेशनल के नियम-कानून के तहत मल्टीपल डिस्ट्रिक्ट में जाँच कमेटी बनने की प्रक्रिया शुरू होने के बाद पारस अग्रवाल ने अधिकृत शिकायत को निरस्त करने की माँग करके मामले को पूरी तरह से पलटते हुए लोगों के बीच गड़बड़ी के संदेहों को बढ़ा दिया है, जिसके चलते मधु सिंह के आरोपों को गंभीरता से देखा जाने लगा है और मधु सिंह के आरोपों को जैसे नया जीवन मिल गया है । पारस अग्रवाल की उक्त माँग आने से पहले तक सीन यह बन गया था कि मधु सिंह के आरोपों पर मल्टीपल डिस्ट्रिक्ट के लोगों ने दिलचस्पी खो दी थी, और लोग समझने/मानने लगे थे कि मधु सिंह किसी निजी खुन्नसबाजी में पारस अग्रवाल को परेशान और बदनाम कर रही हैं । मल्टीपल डिस्ट्रिक्ट में भी जाँच की जो कार्रवाई होनी थी, उसके 'समीकरण' भी पारस अग्रवाल के हक में थे, और पक्ष-विपक्ष के लोग मान रहे थे कि उक्त जाँच में पारस अग्रवाल को क्लीन चिट मिल जायेगी । लेकिन पारस अग्रवाल ने अधिकृत शिकायत को रद्द करने की माँग करके तथा शुरू हुई जाँच प्रक्रिया को रुकवा कर एक मरते हुए मामले को फिर से जिंदा कर दिया है ।
Thursday, October 8, 2020
चार्टर्ड एकाउंटेंट्स इंस्टीट्यूट की सेंट्रल काउंसिल के लिए बालकृष्ण अग्रवाल ने अपनी उम्मीदवारी तो जता दी है, लेकिन उनके नजदीकियों का ही कहना है कि उनके लिए वोट जुटाना खासा मुश्किल ही होगा
सूरत । चार्टर्ड एकाउंटेंट्स इंस्टीट्यूट की सेंट्रल काउंसिल की उम्मीदवारी के लिए तैयारी कर रहे बालकृष्ण अग्रवाल अभी हार्दिक शाह की भी उम्मीदवारी के आ जाने के झटके से संभल भी नहीं पाए थे, कि सेंट्रल काउंसिल के अन्य उम्मीदवारों के सूरत में दस्तक देने की आहटों ने उनकी मुश्किलों को और बढ़ा दिया है । बालकृष्ण अग्रवाल के लिए मुसीबत की बात यह है कि सूरत के चार्टर्ड एकाउंटेंट्स के वोट जुटाने में जो संभावित उम्मीदवार दिलचस्पी ले रहे हैं, उनमें से अधिकतर की निगाह मारवाड़ी समुदाय के चार्टर्ड एकाउंटेंट्स पर है - जिनके भरोसे बालकृष्ण अग्रवाल सेंट्रल काउंसिल में जाने की तैयारी कर रहे हैं । ऐसे में, बालकृष्ण अग्रवाल के सामने अपने समर्थन आधार को ही बचाने की चुनौती आ खड़ी हुई है । बालकृष्ण अग्रवाल को सबसे गंभीर चुनौती सुनील पटोदिया से मिलती दिख रही है । सूरत में सुनील पटोदिया के कई समर्थक व शुभचिंतक हैं, जो उनके सरल तथा काम आने वाले व्यवहार से प्रभावित हैं, और उनकी उम्मीदवारी की खबर से खासे उत्साहित हैं । मजे की बात यह है कि सुनील पटोदिया ने अभी सूरत में कोई चुनावी संपर्क नहीं किया है, लेकिन उन्हें जानने वाले उनकी उम्मीदवारी की खबर से ही उनकी उम्मीदवारी के लिए काम करने की बातें करने लगे हैं ।
Wednesday, October 7, 2020
रोटरी इंटरनेशनल जोन 7 में डायरेक्टर पद पर महेश कोटबागी की चुनावी जीत से रोटरी में शेखर मेहता के 'रुतबे' में आए उछाल में, डिस्ट्रिक्ट 3012 के सतीश सिंघल को पूर्व डिस्ट्रिक्ट गवर्नर के रूप में मान्यता मिलने की उम्मीद बढ़ी
नोएडा । महेश कोटबागी के इंटरनेशनल डायरेक्टर चुने जाने से इंटरनेशनल प्रेसीडेंट शेखर मेहता के 'रुतबे' में जो वृद्धि हुई है, उससे डिस्ट्रिक्ट 3012 में डिस्ट्रिक्ट गवर्नर रहे सतीश सिंघल को पूर्व डिस्ट्रिक्ट गवर्नर की मान्यता मिलने की उम्मीद जाग उठी है । सतीश सिंघल वर्ष 2017-18 में डिस्ट्रिक्ट गवर्नर थे, और नोएडा रोटरी ब्लड बैंक का प्रेसीडेंट पद भी सँभाले हुए थे । नोएडा रोटरी ब्लड बैंक में घपलेबाजी के आरोपों के चलते उन्हें डिस्ट्रिक्ट गवर्नर का पद खोना पड़ा था, और फिर उन्हें पूर्व डिस्ट्रिक्ट गवर्नर के रूप में भी मान्यता नहीं मिली । सतीश सिंघल पूर्व गवर्नर की मान्यता पाने के लिए लगातार प्रयास कर रहे थे । इस मामले में, इंटरनेशनल प्रेसीडेंट पद की तरफ बढ़ते शेखर मेहता से सतीश सिंघल को उम्मीद बनी थी । चर्चा सुनी गई थी कि शेखर मेहता ने रोटरी फाउंडेशन की ग्रांट की रकम में घपलेबाजी के आरोप में रोटरी इंटरनेशनल से सजा पाए डिस्ट्रिक्ट 3054 के पूर्व गवर्नर अनिल अग्रवाल की सजा को कम करवाने के साथ साथ सतीश सिंघल के मामले को भी प्रायरिटी में रखा हुआ था । करीब चार महीने पहले अनिल अग्रवाल का काम तो बन गया था, और उनकी सजा कम कर दी गई थी - लेकिन सतीश सिंघल के मामले में उस समय फैसला नहीं हो सका था ।
महेश कोटबागी की चुनावी जीत से रोटरी की राजनीति और व्यवस्था में शेखर मेहता के 'रुतबे' में जो उछाल आया है, उसमें सतीश सिंघल के सिफारिशियों को सतीश सिंघल का काम बनता नजर आ रहा है । शेखर मेहता के यहाँ सतीश सिंघल की वकालत करने वाले लोगों का कहना है कि अभी तक जब शेखर मेहता खुद मुसीबत में फँसे थे, तो उनसे सतीश सिंघल के मामले में कुछ करने के लिए कहना मुश्किल हो रहा था; लेकिन अब जोन 7 में दोबारा हुए इंटरनेशनल डायरेक्टर पद के चुनावी नतीजे के चलते हालात बदल गए हैं - और उम्मीद की जानी चाहिए कि शेखर मेहता जल्दी ही डिस्ट्रिक्ट 3054 के अनिल अग्रवाल की तरह डिस्ट्रिक्ट 3012 के सतीश सिंघल का काम भी बनवा देंगे - और सतीश सिंघल को पूर्व डिस्ट्रिक्ट गवर्नर के रूप में मान्यता मिल जाएगी ।
Tuesday, October 6, 2020
रोटरी इंटरनेशनल जोन 7 में डायरेक्टर पद के चुनाव में महेश कोटबागी की जीत के साथ, रोटरी की राजनीति व व्यवस्था में शेखर मेहता के दबदबे के बढ़ने से, जोन 4 की इंटरनेशनल डायरेक्टर पद की चुनावी राजनीति में शेखर मेहता के नजदीकियों का हौंसला बढ़ा
नई दिल्ली । महेश कोटबागी के इंटरनेशनल डायरेक्टर चुने जाने से देश की रोटरी की चुनावी राजनीति में इंटरनेशनल प्रेसीडेंट इलेक्ट शेखर मेहता का 'इकबाल' एक बार फिर स्थापित होता हुआ दिखा है । रोटरी की राजनीति में दिलचस्पी रखने वाले बड़े नेताओं का भी कहना है कि जोन 7 में इंटरनेशनल डायरेक्टर पद के लिए दोबारा हुए चुनाव में महेश कोटबागी की जीत की खुद महेश कोटबागी को जितनी जरूरत थी, उससे कहीं ज्यादा जरूरत शेखर मेहता को थी । माना/समझा जा रहा है कि महेश कोटबागी की जीत के जरिये शेखर मेहता ने उस चोट का बदला ले लिया है, जो इंटरनेशनल डायरेक्टर के लिए पहले हुए चुनाव में जीते रवि वदलमानी की जीत को निरस्त करके उन्हें पहुँचाई गई थी । दरअसल रवि वदलमानी की जीत को निरस्त करने के फैसले तथा अन्य कुछेक घटनाओं के चलते रोटरी की राजनीति के खिलाड़ियों के बीच शेखर मेहता की स्थिति कमजोर हो चली थी, जिसका नतीजा यह देखने को मिल रहा है कि वर्षों से उनके साथ जुड़े रहे कई महत्त्वाकांक्षी रोटेरियंस ने दूसरे ठिकानों पर जगहें खोजने/बनाने की कोशिशें तेज कर दी हैं । ऐसे रोटेरियंस में लोगों को सबसे ज्यादा हैरान करने वाला उदाहरण डिस्ट्रिक्ट 3011 के पूर्व गवर्नर विनोद बंसल का लगा/दिखा है, जो वर्षों से शेखर मेहता के साथ लगे रहे हैं - लेकिन जो अब राजु सुब्रमणियन की 'मदद' करते हुए पूर्व प्रेसीडेंट केआर रविंद्रन के नजदीक होने की कोशिश करने में लगे नजर आ रहे हैं ।
Saturday, October 3, 2020
लायंस क्लब्स इंटरनेशनल डिस्ट्रिक्ट 321 ए थ्री में सेकेंड वाइस डिस्ट्रिक्ट गवर्नर पद के लिए अशोक मनचंदा की सक्रियता को देख, पूर्व गवर्नर अजय बुद्धराज ने दिनेश जैन को चुनावी मैदान में उतार तो दिया - लेकिन दिनेश जैन ने अपने आप को उनका उम्मीदवार बता कर उनकी मुसीबत बढ़ा दी है
नई दिल्ली । दिनेश जैन ने सेकेंड वाइस डिस्ट्रिक्ट गवर्नर पद की अपनी उम्मीदवारी के लिए समर्थन जुटाने की कोशिशें शुरू करके तथा अपनी उम्मीदवारी को पूर्व गवर्नर अजय बुद्धराज के समर्थन का दावा करके डिस्ट्रिक्ट की चुनावी राजनीति में गर्मी पैदा कर दी है । दिनेश जैन के दावे पर लोगों ने अजय बुद्धराज से पूछना शुरू कर दिया है कि दिल्ली के दूसरे पूर्व गवर्नर्स से विचार-विमर्श किए बिना उन्होंने सेकेंड वाइस डिस्ट्रिक्ट गवर्नर पद के लिए अपना उम्मीदवार क्यों खड़ा कर दिया है ? अजय बुद्धराज के लिए इस सवाल का जबाव देना मुश्किल बना हुआ है - दरअसल वह समझ रहे हैं कि यदि वह दिनेश जैन को अपना उम्मीदवार कहने/बताने से इंकार करते हैं, तो दिनेश जैन की संभावनाओं को चोट पहुँचायेंगे; और यदि 'हाँ' कहते हैं, तो अपनी अलग राजनीति करने के दोषी ठहराए जायेंगे । उल्लेखनीय है कि डिस्ट्रिक्ट के पूर्व गवर्नर्स के बीच यह अंडरस्टैंडिंग बनी है कि सेकेंड वाइस डिस्ट्रिक्ट गवर्नर पद के उम्मीदवार का फैसला दिल्ली के पूर्व गवर्नर्स आपस में सहमति बना कर घोषित करेंगे । ऐसे में, दिनेश जैन ने अजय बुद्धराज की हरी झंडी मिलने के बाद उम्मीदवार बनने की बात कह कर डिस्ट्रिक्ट में उबाल लाने के साथ-साथ अजय बुद्धराज के लिए मुसीबत भी खड़ी कर दी है ।
Friday, October 2, 2020
रोटरी इंटरनेशनल डिस्ट्रिक्ट 3012 के डिस्ट्रिक्ट ग्रांट अकाउंट में आलोक गुप्ता का नाम जोड़ने के रिजोल्यूशन पर हस्ताक्षर करने से लगातार इंकार करते आ रहे तथा आलोक गुप्ता के साथ बदतमीजी करते रहे जेके गौड़, रोटरी इंटरनेशनल से फटकार खाने के बाद अंततः हस्ताक्षर करने के लिए मजबूर हुए
गाजियाबाद । डिस्ट्रिक्ट ग्रांट के बैंक अकाउंट में नए पदाधिकारियों के नाम/हस्ताक्षर जोड़ने की प्रक्रिया को पूरा करने में बाधा बने पूर्व गवर्नर जेके गौड़ को रोटरी इंटरनेशनल कार्यालय से फटकार पड़ी, तो अकड़ ढीली करके वह रिजोल्यूशन पर हस्ताक्षर करने के लिए मजबूर हुए । रोटरी इंटरनेशनल से फटकार पड़ने पर जेके गौड़ इस कदर बौखलाए और खीजे कि उन्होंने आलोक गुप्ता को मैसेज करके कहा कि वह रिजोल्यूशन की मूल प्रति उन्हें भेजें, अन्यथा वह स्कैंड कॉपी पर ही हस्ताक्षर कर देंगे । जिस किसी ने भी जेके गौड़ का मैसेज देखा/पढ़ा है, उसे हैरानी हुई है कि डिस्ट्रिक्ट गवर्नर रह चुकने तथा दो वर्ष से डीआरएफसी (डिस्ट्रिक्ट रोटरी फाउंडेशन चेयरमैन) का पद संभाले हुए जेके गौड़ को इतनी भी अक्ल नहीं है क्या कि बैंक के आधिकारिक काम में मूल प्रति पर हस्ताक्षर मान्य होते हैं, न कि स्कैंड कॉपी पर ? लोगों को हैरानी है कि जेके गौड़ आखिर किस आधार पर उक्त रिजोल्यूशन पर हस्ताक्षर करने से इंकार कर रहे थे, और अंततः अपनी फजीहत करवा बैठे ?
रोटरी इंटरनेशनल के पदाधिकारियों को जब यह पता चला कि डिस्ट्रिक्ट ग्रांट अकाउंट में पड़ी इस्तेमाल नहीं हुई रकम जेके गौड़ की मनमानी और बेवकूफीपूर्ण हरकत के कारण वापस नहीं आ रही है, तब उन्होंने जेके गौड़ को कसकर फटकार लगाई । रिजोल्यूशन पर हस्ताक्षर करने से लगातार इंकार करते आ रहे तथा आलोक गुप्ता के साथ बदतमीजी करते रहे जेके गौड़, फटकार खाने के बाद अंततः हस्ताक्षर करने के लिए मजबूर हुए । हालाँकि तब भी वह अपनी बेवकूफी दिखाने से बाज नहीं आए । जेके गौड़ को क्या यह सचमुच नहीं पता है कि स्कैंड कॉपी पर हस्ताक्षर करने से काम नहीं चलेगा, उन्हें रिजोल्यूशन की मूल प्रति पर ही हस्ताक्षर करने होंगे । जेके गौड़ का मैसेज उसी कहावत को चरितार्थ करता है कि 'रस्सी जल गई, पर ऐंठन नहीं गई ।'