Thursday, November 28, 2019

रोटरी इंटरनेशनल डिस्ट्रिक्ट 3110 में डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी मुकेश सिंघल ने शेखर मेहता के सम्मान समारोह के जरिये डिस्ट्रिक्ट में अपनी चौधराहट जमाने/बनाने की जो योजना तैयार की है, उसके कारण वह प्रोटोकॉल का मजाक बनाने के साथ -साथ पैसे बनाने के आरोपों में भी फँसते जा रहे हैं  

अलीगढ़ । डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी मुकेश सिंघल ने इंटरनेशनल प्रेसीडेंट नॉमिनी शेखर मेहता के नाम पर डिस्ट्रिक्ट में अपनी चौधराहट जमाने की जो तैयारी की थी, वह उन्हें उल्टी पड़ गई है और उनके लिए फजीहत का कारण बन रही है । शेखर मेहता के सम्मान समारोह के लिए मुकेश सिंघल ने डिस्ट्रिक्ट के दूसरे पदाधिकारियों तथा वरिष्ठ सदस्यों/नेताओं से विचार-विमर्श किए बिना 19 दिसंबर की तारीख तो तय कर ली है, लेकिन अब वह रोना रो रहे हैं कि डिस्ट्रिक्ट के दूसरे पदाधिकारी और नेता उक्त कार्यक्रम के लिए सहयोग नहीं कर रहे हैं । दरअसल मुकेश सिंघल ने शेखर मेहता के सम्मान समारोह के नाम पर जो भारी-भरकम रकम इकट्ठा करने की जो तैयारी दिखाई है, उसके कारण लोगों को शक हुआ है कि मुकेश सिंघल इस समारोह के सहारे सिर्फ राजनीति ही नहीं करना चाह रहे हैं, बल्कि पैसा बनाने की कोशिश में भी हैं - और इस कारण से दूसरे पदाधिकारियों तथा नेताओं ने कार्यक्रम से दूरी बना ली है । मुकेश सिंघल मुसीबत व फजीहत से बचने के लिए डिस्ट्रिक्ट गवर्नर किशोर कातरू के सामने समर्पण करने के लिए मजबूर तो हुए हैं, लेकिन खुद कन्वेनर बन कर किशोर कातरू को चेयरमैन बना कर प्रोटोकॉल का मजाक बनाने को लेकर विवाद में और गहरे धँस गए हैं । खुद उनके पक्ष के लोगों का कहना है कि मुकेश सिंघल को इतनी अक्ल तो होना ही चाहिए कि प्रोटोकॉल का ध्यान रखते हुए डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी होने के नाते उन्हें डिस्ट्रिक्ट गवर्नर के 'ऊपर' नहीं 'बैठना' चाहिए और अपने ही पक्ष के किसी पूर्व गवर्नर को कन्वेनर बनाना चाहिए था ।
मुकेश सिंघल के नजदीकियों का कहना है कि मुकेश सिंघल पहले पूर्व गवर्नर अरुण जैन को कन्वेनर बना रहे थे, लेकिन फिर अचानक से पता नहीं क्या हुआ कि उन्होंने अपना इरादा बदल लिया और खुद ही कन्वेनर बन गए । कुछ अन्य लोगों को लगता है और उनका कहना है कि मुकेश सिंघल को दरअसल डर हुआ कि वह यदि कन्वेनर और चेयरमैन में से कुछ भी नहीं बनेंगे, तो फिर कार्यक्रम में अपनी चौधराहट कैसे दिखा पायेंगे ? शेखर मेहता के सम्मान समारोह के बहाने मुकेश सिंघल असल में डिस्ट्रिक्ट के तथा बाहर के रोटेरियंस को दिखाना चाहते हैं कि डिस्ट्रिक्ट के नए चौधरी अब वह हैं - और इसीलिए डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी होने के बावजूद डिस्ट्रिक्ट गवर्नर से ऊपर बैठ कर प्रोटोकॉल का मजाक बनाते हुए वह खुद ही कन्वेनर बन गए हैं । मुकेश सिंघल को लगता है कि इस तरह से उन्होंने कोलकाता में हुई अपनी उपेक्षा का 'बदला' ले लिया है । उल्लेखनीय है कि कोलकाता में हुए शेखर मेहता के सम्मान समारोह में देशभर के खास रोटेरियंस के बीच डिस्ट्रिक्ट गवर्नर किशोर कातरू को खासी तवज्जो मिली थी और मुकेश सिंघल की पूरी तरह से उपेक्षा हुई थी । अपने नजदीकियों के बीच मुकेश सिंघल ने इस स्थिति के लिए इंटरनेशनल डायरेक्टर कमल सांघवी को जिम्मेदार ठहराया था । कोलकाता में जो हुआ था, उसका बदला लेने के लिए ही मुकेश सिंघल ने शेखर मेहता का सम्मान समारोह अपने डिस्ट्रिक्ट में अपनी चौधराहट में करने की योजना बनाई; और डिस्ट्रिक्ट 3011 में हुए सम्मान समारोह में शेखर मेहता जब दिल्ली पहुँचे हुए थे, तब उन्होंने 19 दिसंबर की तारीख अपने डिस्ट्रिक्ट में इंटरनेशनल प्रेसीडेंट नॉमिनी के रूप में उनके सम्मान समारोह के लिए तय करवा ली ।
मुकेश सिंघल ने शेखर मेहता से तारीख तो ले ली और कार्यक्रम की तैयारी भी शुरू कर दी; लेकिन तैयारियाँ शुरू करने के साथ ही वह मुसीबत में फँसते जा रहे हैं । उनके नजदीकियों के अनुसार ही, पहले उन्होंने पूर्व गवर्नर आईएस तोमर के साथ मिलकर कार्यक्रम करने की योजना बनाई थी, और उन्हें कार्यक्रम का मुख्य संरक्षक बना लिया; किंतु जल्दी ही उन्हें समझ में आ गया कि आईएस तोमर को ज्यादा तवज्जो देने से डिस्ट्रिक्ट के दूसरे, खासकर सत्ताधारी पूर्व गवर्नर्स का सहयोग उन्हें नहीं मिलेगा । इसलिए, जैसा कि निमंत्रण पत्र में दिख रहा है, मुख्य संरक्षक होने के बावजूद आईएस तोमर का नाम उन्होंने फिलिसिटेशन कमेटी के सदस्यों की सूची में डाल दिया । मुकेश सिंघल को यह भी समझ में आया कि डिस्ट्रिक्ट गवर्नर को इग्नोर करके उनके लिए कार्यक्रम कर पाना संभव नहीं होगा, और तब वह डिस्ट्रिक्ट गवर्नर के सामने समर्पण करने तथा कार्यक्रम में उन्हें शामिल करने के लिए मजबूर हुए । दोनों ही मामलों में प्रोटोकॉल की ऐसीतैसी करने के लिए उन्हें अपनों और परायों की जोरदार आलोचना सुननी/सहनी पड़ रही है । मुकेश सिंघल की इससे भी बड़ी फजीहत तब हुई जब शेखर मेहता के सम्मान समारोह के लिए उन्होंने प्रत्येक क्लब से 50/50 हजार रुपए सहयोग राशि के रूप में माँगे । अलीगढ़ में आयोजित हुए रोटरी डिस्ट्रिक्ट फाउंडेशन सेमीनार में मुकेश सिंघल द्वारा की गई इस माँग पर लोगों के बीच तीखी प्रतिक्रिया हुई; और लोगों के बीच आवाजें सुनी गईं कि शेखर मेहता के सम्मान समारोह के बहाने मुकेश सिंघल ने क्या अपनी जेब भरने की भी तैयारी कर ली है ? कई क्लब्स के पदाधिकारी कहते सुने गए हैं कि शेखर मेहता के सम्मान समारोह के नाम पर मुकेश सिंघल जो कर रहे हैं, वह संदेहास्पद है और इसलिए वह तो 50 हजार रुपए नहीं देंगे । शेखर मेहता के सम्मान समारोह को लेकर मुकेश सिंघल जिस तरह से चौतरफा मुसीबतों में घिर गए हैं तथा फजीहत का शिकार हो रहे हैं, उसे देखते हुए उनके नजदीकियों को ही लग रहा है कि मुकेश सिंघल ने शेखर मेहता के सम्मान समारोह के जरिये डिस्ट्रिक्ट में अपनी चौधराहट जमाने/बनाने की जो योजना तैयार की थी, वह तो धूल में मिलती नजर आ रही है ।

Wednesday, November 27, 2019

रोटरी इंटरनेशनल डिस्ट्रिक्ट 3012 में डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी पद के उम्मीदवार के रूप में प्रियतोष गुप्ता को आलोक गुप्ता पर निर्भर होता देख भड़के डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी अशोक अग्रवाल के दाँव ने डिस्ट्रिक्ट की चुनावी राजनीति में गर्मी पैदा की 

गाजियाबाद । डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी पद के लिए सुरेंद्र शर्मा की उम्मीदवारी को आगे बढ़ा कर डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी अशोक अग्रवाल ने प्रियतोष गुप्ता को तगड़ा झटका दिया है और प्रियतोष गुप्ता अपने आप को ठगा हुआ पा रहे हैं । प्रियतोष गुप्ता की उम्मीदवारी के विरोध में अशोक अग्रवाल इस हद तक चले गए हैं कि 'नौ सौ चूहे खा कर हज पर जाने वाली बिल्ली' वाले मुहावरे को चरितार्थ करते हुए वह रोटरी को सस्ता बनाने और फिजूलखर्ची रोकने की बात करने लगे हैं । उल्लेखनीय है कि प्रियतोष गुप्ता को डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी पद के लिए अशोक अग्रवाल के समर्थन का भरोसा रहा था, लेकिन अशोक अग्रवाल को सुरेंद्र शर्मा की उम्मीदवारी का झंडा उठाये देख कर उन्हें अशोक अग्रवाल से धोखा मिलने का आभास हो चला है । अशोक अग्रवाल इस स्थिति के लिए डिस्ट्रिक्ट गवर्नर इलेक्ट आलोक गुप्ता को जिम्मेदार ठहरा रहे हैं । अशोक अग्रवाल के नजदीकियों के अनुसार, अशोक अग्रवाल का कहना है कि आलोक गुप्ता ने प्रियतोष गुप्ता को उनसे 'छीन' कर उन्हें इस स्थिति में धकेल दिया है, और उन्हें सुरेंद्र शर्मा की उम्मीदवारी लाने के लिए मजबूर होना पड़ा है ।
प्रियतोष गुप्ता के लिए बदकिस्मती की बात यह हुई है कि पहले तो कई गवर्नर-नेता उनकी उम्मीदवारी के समर्थक थे; लेकिन अब वह आलोक गुप्ता के उम्मीदवार के रूप में देखे/पहचाने जा रहे हैं और इसलिए कई गवर्नर-नेताओं ने दूसरे दूसरे उम्मीदवार खोजने शुरू कर दिए हैं । अशोक अग्रवाल भी प्रियतोष गुप्ता की उम्मीदवारी के समर्थन में थे, और चाहते थे कि प्रियतोष गुप्ता उनके गवर्नर-वर्ष में उम्मीदवारी प्रस्तुत करें, ताकि प्रियतोष गुप्ता के उम्मीदवार होने का 'लाभ' उन्हें मिल सके । प्रियतोष गुप्ता लेकिन आलोक गुप्ता के गवर्नर-वर्ष में उम्मीदवार बनने की तैयारी करने लगे । सिर्फ इतना ही नहीं, प्रियतोष गुप्ता के रवैये से बाकी गवर्नर-नेताओं को यह भी लगा, जैसे उन्हें डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी बनने के लिए और किसी की मदद की जरूरत नहीं है और सिर्फ डिस्ट्रिक्ट गवर्नर के रूप में आलोक गुप्ता के समर्थन के बलबूते ही कामयाबी प्राप्त कर लेंगे । दरअसल प्रियतोष गुप्ता ने ही अपने व्यवहार से अपने आप को आलोक गुप्ता के ज्यादा नजदीक दिखाया और अपने संपर्क-अभियान में आलोक गुप्ता के गवर्नर-वर्ष के दौरान के क्लब-प्रेसीडेंट्स के बीच अपने आप को आलोक गुप्ता के उम्मीदवार के रूप में 'दिखाया/जताया' । प्रियतोष गुप्ता के इस व्यवहार ने दूसरे गवर्नर-नेताओं के बीच उनकी उम्मीदवारी के प्रति समर्थन-भाव को कमजोर करने का काम किया ।
प्रियतोष गुप्ता के इस व्यवहार ने अशोक अग्रवाल को लगता है कि कुछ ज्यादा ही गहरी चोट पहुँचाई है । अशोक अग्रवाल ने अपने नजदीकियों के बीच कहा भी कि आलोक गुप्ता ने प्रियतोष गुप्ता को पता नहीं क्या पट्टी पढ़ाई है कि प्रियतोष गुप्ता को लगने लगा है कि उन्हें आलोक गुप्ता ही डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी बनवा देंगे, तथा उन्हें अन्य किसी की मदद की जरूरत नहीं पड़ेगी । अशोक अग्रवाल के नजदीकियों का कहना है कि प्रियतोष गुप्ता के व्यवहार से आहत होकर, प्रियतोष गुप्ता को सबक सिखाने के लिए ही अशोक अग्रवाल ने सुरेंद्र शर्मा को उम्मीदवार बना/बनवा दिया है । प्रियतोष गुप्ता की उम्मीदवारी को हतोत्साहित करने के इरादे से अशोक अग्रवाल ने रोटरी तथा रोटरी के चुनाव को सस्ता बनाने तथा फिजूलखर्ची रोकने का आह्वान किया है । लोगों का कहना है कि अशोक अग्रवाल ने पिछले रोटरी वर्ष में ही तो डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी का चुनाव लड़ा था, तब उन्हें यह ख्याल क्यों नहीं आया कि उन्हें फिजूलखर्ची नहीं करना चाहिए । अपने चुनाव में तो उन्होंने अनापशनाप पैसे खर्च किए - इसलिए अब फिजूलखर्ची न करने की बात करना उस बिल्ली की याद दिलाता है, जो नौ सौ चूहे खाकर हज पर जाने के उपदेश देती है । लोगों का कहना है कि अशोक अग्रवाल यदि सचमुच रोटरी को सस्ता करना चाहते हैं, तो उन्हें घोषणा करना चाहिए - और सिर्फ घोषणा ही नहीं करना चाहिए, उस पर अमल भी करना चाहिए - कि रोटरी के जिस आयोजन में फिजूलखर्ची हो रही होगी, वह उस कार्यक्रम शामिल नहीं होंगे । इससे दूसरों को भी प्रेरणा मिलेगी और सचमुच में रोटरी को सस्ता करने की दिशा में बढ़ा जा सकेगा । अशोक अग्रवाल की सक्रियता प्रियतोष गुप्ता की उम्मीदवारी को कितना नुकसान पहुँचा सकेगी, यह तो बाद में पता चलेगा; अभी लेकिन उनकी सक्रियता ने डिस्ट्रिक्ट की चुनावी राजनीति में गर्मी जरूर पैदा कर दी है । 

Monday, November 25, 2019

रोटरी इंडिया सेन्टेंनियल समिट की ऑर्गेनाइजिंग कमेटी में अनिरुद्ध राय चौधरी को ज्वाइंट चेयरमैन तथा मुकेश अरनेजा को वाइस चेयरमैन बना कर शेखर मेहता व कमल सांघवी ने विनोद बंसल को 'कट डाउन टू साइज' करने का काम किया है क्या ?

नई दिल्ली । डिस्ट्रिक्ट 3012 के पूर्व डिस्ट्रिक्ट गवर्नर मुकेश अरनेजा को फरवरी में होने जा रहे रोटरी इंडिया सेन्टेंनियल समिट की ऑर्गेनाइजिंग कमेटी में वाइस चेयरमैन का पद देकर कन्वेनर कमल सांघवी ने कमेटी के चेयरमैन विनोद बंसल के 'पर कतरने' की व्यवस्था की है क्या ? उल्लेखनीय है कि कमेटी में कई वाइस चेयरमैन पहले से ही नियुक्त हैं; लोगों के बीच चर्चा यह है कि कमल सांघवी यदि सचमुच मुकेश अरनेजा की क्षमताओं से परिचित और प्रभावित हैं, तो उन्हें सबसे पहले मुकेश अरनेजा को ही वाइस चेयरमैन बनाना चाहिए था - लेकिन कमेटी का काम काफी आगे बढ़ जाने के बाद उन्हें जिस तरह 'अचानक' से मुकेश अरनेजा को वाइस चेयरमैन बनाने का ख्याल आया है, उससे लगता है कि मुकेश अरनेजा को वाइस चेयरमैन बनाने के पीछे उनका उद्देश्य 'कुछ और' है । इस 'कुछ और' में विनोद बंसल के पर कतरने को देखा/पहचाना जा रहा है । यह इसलिए भी देखा/पहचाना जा रहा है, क्योंकि मुकेश अरनेजा को वाइस चेयरमैन पद पर नियुक्ति का पत्र रिलीज करने से पहले कोलकाता में हुई कमेटी की मीटिंग में विनोद बंसल ने जब कुछ ज्यादा 'चेयरमैनी' दिखाने की कोशिश की थी, तब कमल सांघवी ने उन्हें हड़काया था और उनके व्यवहार पर आपत्ति की थी । उसी मीटिंग में, रजिस्ट्रेशन बढ़वाने के विनोद बंसल के प्रयासों को भी कमल सांघवी ने सफल नहीं होने दिया था । यहाँ यह ध्यान रखना भी प्रासंगिक होगा कि विनोद बंसल और मुकेश अरनेजा के बीच राजनीतिक बैर की बात रोटेरियंस पदाधिकारियों व नेताओं के लिए कोई दबी-छिपी बात नहीं है ।
दरअसल विनोद बंसल की स्थिति उस दूल्हे की तरह की हो गई है, जिसे सजा-धजा कर और मुकुट पहना कर बग्घी पर तो बैठा दिया जाता है, लेकिन बारात में उसकी परवाह कोई नहीं करता और वह बेचारा सबसे पीछे अकेला बारात के आगे बढ़ने का इंतजार करता रहता है । अभी हाल ही में, उनके अपने डिस्ट्रिक्ट में इंटरनेशनल प्रेसीडेंट नॉमिनी शेखर मेहता के हुए स्वागत-सम्मान समारोह की ऑगेनाइजिंग कमेटी के वह चेयरमैन तो बना दिए गए थे, लेकिन समारोह की तैयारी से तथा उसके आयोजन से उन्हें अलग-थलग ही रखा गया था - जिस पर उन्होंने खुलकर अपनी नाराजगी भी व्यक्त की थी । फरवरी में कोलकाता में होने जा रहे रोटरी इंडिया सेन्टेंनियल समिट की तैयारी में भी उनके साथ वैसा ही मजाक हो रहा है । समिट की ऑगेनाइजिंग कमेटी के वह चेयरमैन तो बना दिए गए हैं, लेकिन नियुक्तियों से लेकर समिट की व्यवस्था के सभी फैसले कमल सांघवी ही कर रहे हैं, और इसलिए ऑर्गेनाइजिंग कमेटी के बाकी पदाधिकारी भी उन्हें कोई तवज्जो नहीं दे रहे हैं । विनोद बंसल को जोर का झटका यह भी लगा है कि डिस्ट्रिक्ट 3291 के पूर्व गवर्नर अनिरुद्ध राय चौधरी को कोलकाता में होने जा रहे रोटरी इंडिया सेन्टेंनियल समिट की तैयारी में पहले को-चेयरमैन बनाया गया था, लेकिन उन्हें प्रोमोट करके अब ज्वाइंट चेयरमैन बना दिया गया है और इस तरह उन्हें अब विनोद बंसल के 'नीचे' नहीं, बल्कि 'बराबर' में बैठा दिया गया है ।
रोटरी इंडिया सेन्टेंनियल समिट के चेयरमैन के रूप में विनोद बंसल के साथ यह जो 'खेल' हो रहा है, उसे उनकी फजीहत के रूप में देखा/पहचाना जा रहा है; और इसे देख/पहचान कर उनके शुभचिंतकों को लग रहा है कि इस तरह से फजीहत करवाने से अच्छा है कि विनोद बंसल चेयरमैन से इस्तीफा दे दें । उल्लेखनीय है कि विनोद बंसल और उनके शुभचिंतकों ने सोचा तो यह था कि सेन्टेंनियल समिट के चेयरमैन के रूप में उन्हें अपने आपको शेखर मेहता का सबसे करीबी दिखाने का मौका मिलेगा, लेकिन हो उल्टा रहा है और दिख यह रहा है कि जैसे शेखर मेहता ने कमल सांघवी को हरी झंडी दे दी है कि वह जैसे चाहें वैसे विनोद बंसल का तमाशा बनाएँ । उल्लेखनीय है कि सेन्टेंनियल समिट का कार्यक्रम शेखर मेहता को आगे बढ़ाने के उद्देश्य से पिछले वर्ष तब बना था, जब सुशील गुप्ता इंटरनेशनल प्रेसीडेंट नॉमिनी थे । स्थिति वही होती, तो इस आयोजन का ज्यादा जलवा नहीं होता और यह एक सामान्य कार्यक्रम ही होता । इसीलिए इस कार्यक्रम में तब किसी की दिलचस्पी नहीं थी । सुशील गुप्ता ने तब विनोद बंसल को जबर्दस्ती इसका चेयरमैन बना दिया था । विनोद बंसल ने भी बेमन से इसे स्वीकार कर लिया था । लेकिन स्थिति बदली तो कार्यक्रम का महत्त्व भी बढ़ गया और विनोद बंसल भी चेयरमैन के रूप में बम बम करने लगे । लोगों को लग रहा है कि यह देख कर शेखर मेहता व कमल सांघवी को विनोद बंसल को 'कट डाउन टू साइज' करना जरूरी लगा है, और तरह तरह से उन्हें नीचा दिखाने और उनकी फजीहत करने का खेल शुरू हो गया ।
यह खेल मुकेश अरनेजा को अचानक से वाइस चेयरमैन बनाने की कार्रवाई से और गंभीर हो गया है । मुकेश अरनेजा के नजदीकी ही लोगों को बता रहे हैं कि चेयरमैन के रूप में विनोद बंसल ने जिस गुपचुप तरीके से अपने डिस्ट्रिक्ट के अपने नजदीकी पूर्व गवर्नर विनय भाटिया को ट्रेजरर बना लिया है, उससे उनकी भूमिका संदेहास्पद हो गई है और उनकी भूमिका पर निगाह रखने के लिए ही मुकेश अरनेजा को वाइस चेयरमैन बनाया गया है । मुकेश अरनेजा के नजदीकी लोगों को ध्यान दिला रहे हैं कि विनय भाटिया पर डिस्ट्रिक्ट गवर्नर के रूप में हिसाब-किताब में गड़बड़ी करने के आरोप रहे हैं, जिन पर डिस्ट्रिक्ट ट्रेनर होने के बावजूद विनोद बंसल चुप बने रहे थे; इसके अलावा, विनोद बंसल पर रवि चौधरी के गवर्नर वर्ष के हिसाब-किताब की गड़बड़ियों पर भी पर्दा डालने के आरोप रहे हैं । मुकेश अरनेजा के नजदीकियों का कहना है कि उन्हीं आरोपों को देखते हुए विनोद बंसल व विनय भाटिया की जोड़ी को मनमानी न करने देने के उद्देश्य से मुकेश अरनेजा को वाइस चेयरमैन बनाया गया है । मुकेश अरनेजा के नजदीकियों का ऐसा कहना यदि सच है तो माना जा रहा है कि रोटरी इंडिया सेन्टेंनियल समिट के मामले में अभी और दिलचस्प नज़ारे देखने को मिलेंगे ।

Wednesday, November 20, 2019

रोटरी इंटरनेशनल डिस्ट्रिक्ट 3012 में इंटरनेशनल डायरेक्टर बनने की तैयारी कर रहे रमेश अग्रवाल को बद्तमीजीपूर्ण हरकतों के कारण क्लब से निकाले जाने का नोटिस मिला

नई दिल्ली । इंटरनेशनल डायरेक्टर बनने की दौड़ में शामिल होने की कोशिश कर रहे पूर्व डिस्ट्रिक्ट गवर्नर रमेश अग्रवाल फिलबक्त अपने क्लब - रोटरी क्लब दिल्ली अशोका में अपनी सदस्यता बचाने की लड़ाई में फँसे हुए हैं । रमेश अग्रवाल अपने क्लब के सदस्यों को समझाने में लगे हुए हैं कि क्लब के मौजूदा प्रेसीडेंट राकेश जैन तथा प्रेसीडेंट इलेक्ट मनोज अग्रवाल उन्हें क्लब से निकालने के षड्यंत्र में लगे हैं । क्लब के सदस्यों को मदद के लिए पुकार कर रमेश अग्रवाल ने क्लब के सदस्यों के बीच विभाजन पैदा कर दिया है, और क्लब को फूट के कगार पर पहुँचा दिया है । हालाँकि क्लब के वरिष्ठ सदस्यों का कहना है कि रमेश अग्रवाल की बदतमीजियों से क्लब के अधिकतर सदस्य परेशान हो चुके हैं और इस बार रमेश अग्रवाल को उनकी कोई भी तिकड़म बचा नहीं पाएगी और वह अपने आप को क्लब से बाहर ही पायेंगे; उनका दावा है कि अधिकतर सदस्य रमेश अग्रवाल की असलियत समझ गए हैं, और अब कोई भी रमेश अग्रवाल के झाँसे में नहीं आयेगा । क्लब के अन्य कुछेक सदस्यों का भी कहना/बताना है कि रमेश अग्रवाल के मामले को लेकर क्लब के अधिकतर सदस्य प्रेसीडेंट राकेश जैन के साथ हैं और पूर्व डिस्ट्रिक्ट गवर्नर होने के बावजूद रमेश अग्रवाल को बस दो-चार सदस्यों का ही समर्थन प्राप्त है ।
रोटरी क्लब दिल्ली अशोका के सदस्यों के अनुसार, रमेश अग्रवाल को क्लब के प्रेसीडेंट की तरफ से कारण बताओ नोटिस मिला हुआ है, जिसमें उनसे पूछा गया है कि क्लब के पदाधिकारियों से बदतमीजी करने के मामले में क्यों न क्लब की उनकी सदस्यता को रद्द कर दिया जाए ? इस नोटिस का जबाव देने की बजाये रमेश अग्रवाल क्लब के सदस्यों को प्रेसीडेंट के खिलाफ भड़काने में लग गए हैं । रमेश अग्रवाल नोटिस देने की कार्रवाई को नियम-विरुद्ध बताते हुए अपने आप को बचाने का प्रयास कर रहे हैं । रमेश अग्रवाल ने डिस्ट्रिक्ट गवर्नर दीपक गुप्ता से भी गुहार लगाई हुई है कि वह प्रेसीडेंट पर दबाव बना कर आगे कार्रवाई होने से रोकें और उन्हें बचाएँ । प्रेसीडेंट का क्लब के सदस्यों से कहना है कि वह लगातार रमेश अग्रवाल की बदतमीजियों को झेलते रहे हैं, और कोशिश करते रहे हैं कि वह रमेश अग्रवाल के खिलाफ कोई कड़ी कार्रवाई न करें - लेकिन रमेश अग्रवाल ने प्रेसीडेंट इलेक्ट के साथ भी बदतमीजी करके दिखा दिया है कि क्लब के पदाधिकारियों के साथ बदतमीजी करना वह अपना अधिकार समझने लगे हैं और वह क्लब के पदाधिकारियों के लिए स्थाई खतरा बन गए हैं - इसलिए यह क्लब के हित में है कि उन्हें क्लब से निकाल दिया जाए ।
उल्लेखनीय है कि रमेश अग्रवाल क्लब को मिलने वाले विभिन्न प्रोजेक्ट्स पर तथा महत्त्व के फैसलों पर अपना 'कब्जा' रखना चाहते हैं और इसके लिए तरह तरह से क्लब के पदाधिकारियों को दबा कर रखते हैं । पिछले रोटरी वर्ष के अंतिम दिनों में एक बड़े प्रोजेक्ट के शुरुआती कार्यक्रम में वह जिस मनमाने तरीके से अपनी पत्नी के साथ 'आगे' आ बैठे थे, उसे लेकर क्लब में भारी बबाल हुआ और उक्त प्रोजेक्ट ही अधर में लटक गया था । सिर्फ यही नहीं, उस बबाल और फजीहत के चलते अशोक जैन को डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी पद के लिए उम्मीदवार बनाने की घोषणा से भी रमेश अग्रवाल को पीछे हटने के लिए मजबूर होना पड़ा था । उस बबाल और फजीहत के लिए रमेश अग्रवाल ने राकेश जैन को जिम्मेदार माना था, और तभी से रमेश अग्रवाल उनके साथ तरह तरह से बदतमीजी करते रहे हैं । राकेश जैन तो किसी तरह रमेश अग्रवाल की हरकतों को अनदेखा करते रहे, लेकिन अभी हाल ही में रमेश अग्रवाल ने जब प्रेसीडेंट इलेक्ट मनोज अग्रवाल के साथ भी बदतमीजी की, तब मामला बिगड़ गया और राकेश जैन पर दबाव बना कि वह रमेश अग्रवाल के खिलाफ कार्रवाई करें । रमेश अग्रवाल को विश्वासपूर्ण घमंड रहा कि क्लब में जिस तरह से अभी तक उनकी बदतमीजियाँ चलती रही हैं, और कोई भी प्रेसीडेंट उनके खिलाफ कार्रवाई करने की हिम्मत नहीं कर सका है, वैसे ही राकेश जैन भी हिम्मत नहीं कर सकेंगे । लेकिन राकेश जैन ने उन्हें क्लब से निकालने का नोटिस थमा कर उनके घमंड को तोड़ दिया है । ऐसे में, रमेश अग्रवाल को क्लब से निकाले जाने से बचने के लिए क्लब के सदस्यों की खुशामद में जुटना पड़ा है । देखना दिलचस्प होगा कि क्लब  सदस्यों की खुशामद करके रमेश अग्रवाल अपने क्लब में बने रहने का जुगाड़ कर लेंगे, या फिर उन्हें दूसरे किसी क्लब में शरण लेना पड़ेगी ।

Friday, November 15, 2019

इंस्टीट्यूट ऑफ चार्टर्ड एकाउंटेंट्स की नॉर्दर्न इंडिया रीजनल काउंसिल के गतिरोध को दूर करने के उद्देश्य से हुई 14 नवंबर की मीटिंग रीजनल काउंसिल के सदस्य गौरव गर्ग की अकेले श्रेय लेने की अवसरवादी, स्वार्थी तथा बेवकूफीपूर्ण हरकतों से फेल हुई; तथा मामला और बिगड़ता हुआ दिख रहा है 

नई दिल्ली । नॉर्दर्न इंडिया रीजनल काउंसिल में पैदा हुए गतिरोध को दूर करने के लिए रीजनल काउंसिल सदस्यों की कल हुई मीटिंग 'ढाक के तीन पात' साबित हुई और मामला सिर्फ जहाँ का तहाँ ही फँसा नहीं रह गया है - बल्कि उलझ और गया दिख रहा है । मजे की बात यह है कि कुछेक काउंसिल सदस्यों का ही मानना/कहना है कि 14 नवंबर की मीटिंग के फेल होने की नींव काउंसिल सदस्य गौरव गर्ग ने एक दिन पहले, 13 नवंबर को ही रख दी थी - जब अपनी फेसबुक टाइमलाइन पर उन्होंने भड़काने वाली बातें लिखीं । गौरव गर्ग ने रीजन के सदस्यों को उकसाते/भड़काते हुए कहा कि उन्हें चुने हुए सदस्यों से कहना चाहिए कि वह काम करने के लिए चुने गए हैं, न कि अपनी पर्सनल ईगो को संतुष्ट करने के लिए । गौरव गर्ग की इस बात से समझ लिया गया कि जब काउंसिल का एक सदस्य सरेआम कह रहा है कि काउंसिल के दूसरे सदस्य काम करने की बजाये अपनी पर्सनल ईगो को संतुष्ट करने में ही लगे रहते हैं, तो फिर सदस्यों के बीच क्या तो बातचीत होगी और क्या उसका नतीजा निकलेगा ? काउंसिल सदस्यों का ही कहना है कि गौरव गर्ग को इस तरह की बात सार्वजनिक रूप से और सोशल मीडिया में कहने की जरूरत नहीं थी, और नाहक ही कही गई उनकी इस बात ने मीटिंग से एक दिन पहले ही गतिरोध को दूर करने के उद्देश्य से होने वाली मीटिंग के 'माहौल' को खराब करने का काम कर दिया ।
गौरव गर्ग ने अपनी इस फेसबुक पोस्ट में एक और हरकत की - 14 नवंबर की मीटिंग के लिए उन्होंने अजय सिंघल, रतन सिंह यादव, अविनाश गुप्ता, राजेंद्र अरोड़ा, नितिन कँवर तथा अपने खुद के प्रयासों का हवाला दिया । यह देख कर पाँचों लोग भड़क गए और उन्होंने गौरव गर्ग की इस हरकत को काउंसिल सदस्यों के बीच फूट डालने तथा झगड़े पैदा करने की कोशिश के रूप में देखा । एक एक करके सभी ने गौरव गर्ग को हड़काया और उन पर दबाव बनाया कि वह अपनी पोस्ट से उनका नाम हटाएँ । जब सभी ने गौरव गर्ग के कान उमेंठे, तब करीब साढ़े तीन घंटे के अंदर गौरव गर्ग अपनी पोस्ट  संपादित करके पाँचों नाम हटाने के लिए मजबूर हुए । (गौरव गर्ग की मूल पोस्ट का स्क्रीन शॉट इस रिपोर्ट के साथ प्रकाशित तस्वीर में देखा जा सकता है ।) लोगों के बीच सवाल यही है कि नॉर्दर्न इंडिया रीजनल काउंसिल में पैदा हुए गतिरोध को दूर करने की कोशिश जब सभी सदस्यों को मिलजुल कर करना है, तब फिर गौरव गर्ग अकेले ही सक्रिय 'दिखने' का प्रयास क्यों कर रहे हैं ? लोगों को लग रहा है कि गौरव गर्ग प्रयासों का श्रेय अकेले ही लेना चाहते हैं और रीजन  सदस्यों को 'दिखाना' चाहते हैं कि वह तो हालात सुधारने के लिए काम कर रहे हैं, जबकि अन्य दूसरे सदस्य कुछ नहीं कर रहे हैं । गौरव गर्ग के नजदीकियों का कहना है कि गौरव गर्ग नॉर्दर्न इंडिया रीजनल काउंसिल के हालात को सुधारना तो चाहते हैं, लेकिन अपनी बेवकूफीपूर्ण हरकतों से वह बनते काम को बिगाड़ देने का हुनर रखते हैं - और यही उन्होंने 14 नवंबर की मीटिंग को लेकर किया ।
14 नवंबर की मीटिंग को मजाक बनाने में चेयरमैन हरीश जैन तथा निकासा चेयरमैन राजेंद्र अरोड़ा का भी पूरा पूरा 'सहयोग' रहा । यह दोनों मीटिंग स्थल के आसपास ही बैठे रहे, लेकिन मीटिंग में नहीं पहुँचे । इनका कहना रहा कि श्वेता पाठक जब तक पुलिस में की गई अपनी शिकायत वापस नहीं लेंगी, तब तक वह उनके साथ किसी मीटिंग में नहीं शामिल होंगे । श्वेता पाठक यह स्पष्ट कर चुकी हैं कि पुलिस में दर्ज की गई उनकी शिकायत उनका पर्सनल मैटर है, जिस पर काउंसिल की मीटिंग में बात नहीं हो सकती है । हरीश जैन और राजेंद्र अरोड़ा मीटिंग में तभी शामिल हुए, जब श्वेता पाठक व विजय गुप्ता मीटिंग छोड़ कर चले गए थे । ऐसे में मीटिंग में गतिरोध को दूर करने के लिए क्या तो बात होती और क्या सहमति बनती ? लोगों का मानना और कहना है कि दोनों पक्षों के तर्क अपनी अपनी जगह हैं, और उनके सही या गलत होने की बहस में न पड़ें तो भी यह तो तय ही है कि गतिरोध को दूर करने के लिए शुरू होने वाली बातचीत में यदि शर्तों को थोपा जायेगा, तो फिर बात कैसे होगी और कैसे आगे बढ़ेगी ? इस मामले को मीटिंग से पहले ही हल कर लेना चाहिए था, लेकिन लगता है कि जिस पर ध्यान ही नहीं दिया गया । आधी-अधूरी तैयारियों के साथ, नॉर्दर्न इंडिया रीजनल काउंसिल के गतिरोध को दूर करने के प्रयासों को गौरव गर्ग की अकेले श्रेय लेने की अवसरवादी, स्वार्थी तथा बेवकूफीपूर्ण हरकतों से दोहरी चोट पहुँची है; तथा मामला और बिगड़ता दिख रहा है । 

Monday, November 11, 2019

रोटरी इंटरनेशनल डिस्ट्रिक्ट 3011 में शेखर मेहता के सम्मान समारोह को फेल करने की विनोद बंसल की कोशिशों के बावजूद, समारोह को मिली कामयाबी का डिस्ट्रिक्ट की चुनावी राजनीति पर भी असर पड़ने का अनुमान लगाया जा रहा है

नई दिल्ली । शुरू से ही मुसीबतों का शिकार बना रहा इंटरनेशनल प्रेसीडेंट नॉमिनी शेखर मेहता का सम्मान समारोह अंततः जिस जोरदार सफलता के साथ संपन्न हुआ, उसने डिस्ट्रिक्ट की राजनीति को एक नया आयाम दिया है और वह हर किसी के लिए एक 'सबक' भी बना है । मजे की बात यह रही कि समारोह की तैयारी कमेटी के चेयरमैन विनोद बंसल ही समारोह को विफल करने/करवाने के प्रयासों में जुटे थे । समारोह से करीब दस दिन पहले हुई तैयारी कमेटी की मीटिंग का उन्होंने यह कहते हुए बायकाट किया कि 'आय एम् नॉट इंटरेस्टिंग' । विनोद बंसल के अधिकतर नजदीकी लगातार समारोह के खिलाफ माहौल बनाते रहे और रजिस्ट्रेशन के लिए लोगों को हतोत्साहित करते रहे और खुद भी समारोह से दूर रहे । इसके बावजूद समारोह में 400 से ज्यादा लोग जुटे । इससे पहले इस तरह के आयोजनों में मुश्किल से 200/250 लोग जुटते रहे हैं; और इतने भी तब, जब दो डिस्ट्रिक्ट्स मिल कर आयोजन करते थे । मंच सज्जा की भी खासी प्रशंसा हुई और शेखर मेहता के लिए दक्षिण भारत में प्रचलित फूलों की मोटी माला की व्यवस्था की गई, जो दिल्ली में देखने को नहीं मिलती है । समारोह की भव्यता और व्यवस्था ने सभी को आकर्षित व प्रभावित किया । समारोह में रोटेरियंस की जैसी उपस्थिति रही, समारोह स्थल की जो साज-सज्जा रही और जिस व्यवस्थित तरीके से समारोह संपन्न हुआ - उसने समारोह से जुड़ी सारी आशंकाओं को फिजूल साबित किया और दिखाया/बताया कि संगठन से बड़ा कोई नहीं है; किसी को कितनी ही गलतफहमी हो कि वह किसी भी कार्यक्रम को बना/बिगाड़ सकता है - लेकिन संगठन के सामने अंततः वह बौना ही साबित होता है और जीत संगठन की ही होती है ।
यह विडंबना ही कही जाएगी कि शेखर मेहता के सम्मान में डिस्ट्रिक्ट 3011 में होने वाला समारोह नेताओं की आपसी खींचतान का माध्यम बन गया । यूँ तो (किसी भी) डिस्ट्रिक्ट का हर समारोह अपने समानांतर डिस्ट्रिक्ट की राजनीति की दशा/दिशा को भी बनाता/बिगाड़ता चलता है, और इसीलिए डिस्ट्रिक्ट 3011 में शेखर मेहता का सम्मान समारोह भी डिस्ट्रिक्ट के नेताओं के बीच उठापटक का जरिया बना । दरअसल समारोह की कमान पर कब्जा करने को लेकर विनोद बंसल और रंजन ढींगरा के बीच शुरू से ही तलवारें खिंच गईं थीं । शुरुआत विनोद बंसल ने की । समारोह करने को लेकर जैसे ही काउंसिल ऑफ गवर्नर्स के बीच बातचीत हुई, वैसे ही विनोद बंसल ने अपने ऑफिस में डिस्ट्रिक्ट गवर्नर सुरेश भसीन, डिस्ट्रिक्ट गवर्नर इलेक्ट संजीव राय मेहरा तथा डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी अनूप मित्तल के साथ समारोह की तैयारी को लेकर मीटिंग की, और खुद चेयरमैन बन बैठे । विनोद बंसल को विश्वास रहा कि रंजन ढींगरा चूँकि आक्रामक राजनीति नहीं करते हैं और जितना/जो मिल जाता है, उससे खुश रहते हैं; इसलिए वह उन्हें बड़े आराम से किनारे लगा देंगे । चेयरमैन बन कर विनोद बंसल ने सचमुच उन्हें किनारे लगा ही दिया । लेकिन विनोद बंसल की बदकिस्मती यह रही कि उनकी यह कार्रवाई कई पूर्व गवर्नर्स को पसंद नहीं आई । उन्होंने रंजन ढींगरा को आगे करके विनोद बंसल की चालबाजियों से लड़ने की तैयारी की । काउंसिल ने विनोद बंसल को चेयरमैन के रूप में तो बरकरार रखा, लेकिन रंजन ढींगरा को कन्वेनर तथा सुरेश जैन व मंजीत साहनी को एडवाइजर बना कर विनोद बंसल की भूमिका को सीमित कर दिया । विनोद बंसल को तगड़ा झटका तब लगा, जब रमेश चंद्र को को-चेयर तथा अनूप मित्तल को को-कन्वेनर बना दिया गया ।
विनोद बंसल बहुत भड़के/तमतमाए; वह विनय भाटिया को कमेटी में लेना/रखवाना चाहते थे; अनूप मित्तल को कमेटी से बाहर करवाने के लिए उन्होंने तर्क भी दिया कि डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी होने के नाते अनूप मित्तल तो किसी प्रोटोकॉल में ही नहीं आते हैं । काउंसिल ने लेकिन विनोद बंसल की एक न सुनी और काउंसिल में विनोद बंसल पूरी तरह अलग-थलग पड़ गए । 'आय एम् नॉट इंटरेस्टिंग' कहते हुए विनोद बंसल तैयारी कमेटी की मीटिंग बीच में छोड़ कर जो चले गए थे, वह वास्तव में काउंसिल में अलग-थलग पड़ जाने से पैदा हुई बौखलाहट का ही नतीजा था । काउंसिल के सदस्यों ने विनोद बंसल को भड़का तो दिया था, लेकिन समारोह को प्रभावी रूप से संपन्न करने की चुनौती उनके सामने थी - यह चुनौती इसलिए और बड़ी हो गई थी, क्योंकि विनोद बंसल अपने साथियों के साथ समारोह को फेल करने की मुहिम में जुट गए थे । डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी अनूप मित्तल ने काउंसिल के सदस्यों को आश्वस्त तो किया हुआ था कि वह समारोह की तैयारी को प्रभावी रूप से संभव कर/करवा लेंगे; लेकिन आशंकाएँ लगातार बनी हुई थीं । डिस्ट्रिक्ट के वरिष्ठ पूर्व गवर्नर्स ने समारोह की आड़ में होने वाली राजनीति को संभाला, तो डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी अनूप मित्तल ने समारोह की तैयारियों का मोर्चा देखा; इन्होंने डिस्ट्रिक्ट के सक्रिय लोगों को प्रेरित/प्रोत्साहित किया तो तुरंत से तीस/चालीस लोगों की एक टीम बन गई जिसने समारोह की तैयारी को लेकर फिर न रात देखी और न दिन देखा । समारोह को खासी भव्यता, व्यवस्था व रौनक के साथ होता देख शेखर मेहता भी गदगद नजर आए और शायद इसी का नतीजा रहा कि उन्होंने समारोह में ऐसा भाषण दिया कि सभी ने उनके भाषण की भूरि भूरि प्रशंसा की । समारोह की कामयाबी ने समारोह से जुड़े काउंसिल के सदस्यों को जहाँ एक नया जोश दिया है, वहीं विनोद बंसल को अपने रवैये पर पुनर्विचार करने की चेतावनी भी दी है । शेखर मेहता के सम्मान समारोह के समानांतर जो राजनीति हुई है, उसका डिस्ट्रिक्ट की चुनावी राजनीति पर भी असर पड़ने का अनुमान लगाया जा रहा है । 

Sunday, November 10, 2019

रोटरी इंटरनेशनल डिस्ट्रिक्ट 3012 के डिस्ट्रिक्ट गवर्नर दीपक गुप्ता की तरफ से 'चोरी और सीनाजोरी' वाला रवैया देख कर डिस्ट्रिक्ट दीवाली मेले में अपने साथ हुई बेईमानी के मामले में उनके और उनकी पत्नी रीना गुप्ता के खिलाफ डांस स्मिथ कंपनी ने कानूनी कार्रवाई शुरू की

गाजियाबाद । देश की एक प्रमुख डांस परफॉर्मेंस व प्रोडक्शन कंपनी डांस स्मिथ ने डिस्ट्रिक्ट 3012 के डिस्ट्रिक्ट दीवाली मेले में ठगी का शिकार होने का आरोप लगाते हुए डिस्ट्रिक्ट गवर्नर दीपक गुप्ता तथा उनकी पत्नी रीना गुप्ता के खिलाफ कानूनी कार्रवाई शुरू की है । डांस स्मिथ के पदाधिकारियों का आरोप है कि उन्हें सूचित किए बिना तथा उनसे कोई अनुमति लिए बिना डिस्ट्रिक्ट दीवाली मेले के निमंत्रण पत्र में, प्रचार में और प्रस्तुति के दौरान कंपनी की प्रस्तुतियों के चित्र तथा उसके रजिस्टर्ड ट्रेडमार्क लोगो का इस्तेमाल किया गया, जो इंटेक्चुयल प्रॉपर्टी राइट्स का आपराधिक उल्लंघन है । ऐसे समय में, जबकि डिस्ट्रिक्ट गवर्नर के रूप में दीपक गुप्ता इंटरनेशनल प्रेसीडेंट नॉमिनी शेखर मेहता के स्वागत/सम्मान के कार्यक्रम को लेकर व्यस्त हैं, तब देश की एक नामी संस्था डांस स्मिथ के साथ की गई बेईमानी का मामला सामने आने से दीपक गुप्ता और डिस्ट्रिक्ट के लिए खासी फजीहत वाली स्थिति बनती नजर आ रही है । उल्लेखनीय है कि डांस स्मिथ के पदाधिकारियों ने पहले दीपक गुप्ता के साथ बातचीत करके अपनी शिकायत के निपटारे के लिए प्रयास किया था, लेकिन दीपक गुप्ता की तरफ से उन्हें जब 'चोरी और सीनाजोरी' वाला रवैया देखने को मिला, तब वह कानूनी कार्रवाई करने के लिए मजबूर हुए । दरअसल दीपक गुप्ता ने मामले का ठीकरा डिस्ट्रिक्ट इवेंट्स चेयरमैन सचिन वत्स के सिर फोड़ा । उनका कहना रहा कि डांस स्मिथ का नाम क्यों और कैसे इस्तेमाल हुआ, यह सचिन वत्स ही बता सकते हैं । सचिन वत्स लेकिन अपनी हरकत पर पर्दा डालने के लिए डांस स्मिथ के पदाधिकारियों के साथ बदतमीजी पर उतर आये और धमकी देने लगे कि उन्होंने यदि मामले को ज्यादा आगे बढ़ाया, तो रोटरी में डांस स्मिथ को काम मिलना मुश्किल हो जायेगा । इसके बाद, डांस स्मिथ के पदाधिकारियों के सामने कन्वेनर के रूप में दीपक गुप्ता और रीना गुप्ता के खिलाफ कानूनी कार्रवाई शुरू करने के अलावा कोई चारा नहीं बचा ।
डांस स्मिथ के संस्थापक व मुख्य कर्ताधर्ता सुजित कयाल का कहना है कि रोटरी के प्रति उनके मन में बहुत सम्मान है और रोटरी के लिए हालाँकि उन्होंने कम ही कार्यक्रम किए हैं, लेकिन जिन भी रोटेरियंस के साथ उन्होंने कार्यक्रम किए हैं - उनके साथ उनके अनुभव बहुत ही अच्छे तथा प्रेरणापूर्ण रहे हैं । इसलिए दीपक गुप्ता और सचिन वत्स के व्यवहार से उन्हें गहरा सदमा लगा है । वह सोच भी नहीं सकते थे कि रोटरी में उनके साथ - और उनके साथ क्या, किसी के भी साथ - इस तरह की ठगी हो सकती है । वास्तव में, सुजित कयाल को क्या, किसी को भी यह उम्मीद नहीं रही कि दीपक गुप्ता व सचिन वत्स की जोड़ी को जब डांस स्मिथ से कोई परफॉर्मेंस करवाना ही नहीं था, और इसके लिए उन्होंने कोई प्रयास भी नहीं किया था - तब फिर डिस्ट्रिक्ट दीवाली मेले के निमंत्रण में, उसके प्रचार में और प्रस्तुति में डांस स्मिथ के रजिस्टर्ड ट्रेडमार्क लोगो को इस्तेमाल करने की उन्हें आखिर क्यों सूझी ? इस 'क्यों' के जबाव में कुछेक लोगों को एक बड़ी बेईमानी के संकेत छिपे दिखते हैं । उन्हें लगता है कि कार्यक्रम कम पैसे लेने वाले कलाकारों से करवा लिया गया है और डांस स्मिथ के नाम पर मोटी रकम जेब में डाल ली गई है; कुछेक लोगों को लगता है कि यह बेईमानी सचिन वत्स ने की है और उन्होंने दीपक गुप्ता को अँधेरे में रख कर अपनी जेब गर्म कर ली है, लेकिन अन्य कुछेक लोग इसमें सचिन वत्स और दीपक गुप्ता की मिलीभगत देखते हैं और दीपक गुप्ता को बराबर का हिस्सेदार मानते हैं ।
उल्लेखनीय है कि डिस्ट्रिक्ट दीवाली मेले में दीपक गुप्ता और मेले के इंतजाम से जुड़े लोगों पर पैसे बनाने के गंभीर आरोप चर्चा में रहे हैं । लोगों का कहना रहा है कि पैसे बचाने/बनाने की जुगाड़बाजियों के चलते ही मेले की व्यवस्था से समझौते किए गए, और बेईमानियाँ की गईं - जिसके नतीजे में मेले की व्यवस्था का कबाड़ा हुआ और लोगों ने अपने आप को ठगा हुआ पाया । रोटेरियंस ने इस पर खुलकर अपनी नाराजगी और विरोध भी जताया है । 'रचनात्मक संकल्प' ने इस संबंध में 20 अक्टूबर को एक विस्तृत रिपोर्ट प्रकाशित की थी । डिस्ट्रिक्ट दीवाली मेले में बेईमानियाँ करके पैसे बनाने के आरोपों को लोगों ने हालाँकि टुच्ची हरकतों के रूप में ही देखा/पहचाना था; लेकिन डांस स्मिथ के साथ की गई बेईमानी की बात सामने आने से पोल खुली है कि दीपक गुप्ता और उनकी टीम के लोगों ने डिस्ट्रिक्ट दीवाली मेले में बड़े ही सुनियोजित तरीके से पैसे बनाए हैं । डांस स्मिथ कोई छोटी-मोटी कंपनी नहीं है । देश के मनोरंजन उद्योग में उसे उसके प्रोफेशनल रवैये के कारण भी जाना/पहचाना जाता है और उसकी खासी पहचान व प्रतिष्ठा है; अभी तक के पिछले करीब सात वर्षों के अपने कार्यकाल में उसने तीन हजार से ज्यादा प्रस्तुतियाँ दी हैं, जिनके आधार पर उसे कई पुरुस्कार तथा प्रमुख सरकारी संस्थाओं से विशेष अनुबंध मिले हैं  । लोगों को लग रहा है कि दीपक गुप्ता और उनकी टीम के सदस्यों ने जब डांस स्मिथ जैसी कंपनी के नाम पर ठगी करने की हरकत कर ली है, तो समझा जा सकता है कि उन्होंने बेईमानी के कैसे कैसे तरीके इस्तेमाल किए होंगे ? डांस स्मिथ के साथ दीपक गुप्ता द्वारा की गई बेईमानी की चर्चा रोटरी के बड़े नेताओं के बीच भी है, जिससे लग रहा है कि उनकी यह बेईमानी उन्हें और डिस्ट्रिक्ट को भारी पड़ने वाली है ।

Wednesday, November 6, 2019

रोटरी इंटरनेशनल डिस्ट्रिक्ट 3080 में डिस्ट्रिक्ट गवर्नर इलेक्ट रमेश बजाज द्वारा रोटरी क्लब पोंटा साहिब के पदाधिकारियों को विश्वास में लिए बिना प्री-पेट्स के आयोजन की जिम्मेदारी क्लब को सौंपने की कार्रवाई से पैदा हुई नाराजगी ने रमेश बजाज के पहले ही आयोजन को मुसीबत में फँसाया

पोंटा साहिब । रोटरी क्लब पोंटा साहिब के पदाधिकारियों के विरोधी रवैये के कारण डिस्ट्रिक्ट गवर्नर इलेक्ट रमेश बजाज का प्री-पेट्स कार्यक्रम मुसीबत में फँस गया है, जिससे 'निकलने' के लिए डिस्ट्रिक्ट गवर्नर जितेंद्र ढींगरा को मदद के लिए पुकारा जा रहा है । क्लब के पदाधिकारियों का कहना है कि प्री-पेट्स कार्यक्रम उनका क्लब कर रहा है, और यह बात उन्हें ही नहीं पता है - और यह बात उन्हें दूसरे लोगों से पता चल रही है । उनका कहना है कि डिस्ट्रिक्ट गवर्नर इलेक्ट रमेश बजाज इस तरह की 'बेईमानी' भला कैसे कर सकते हैं कि उनसे पूछे बिना, उन्हें बताये बिना उनके क्लब पर अपना कार्यक्रम करने की जिम्मेदारी थोप दें । क्लब के पदाधिकारियों से यह सब सुन कर डिस्ट्रिक्ट के लोगों को कहने का मौका मिला है कि लगता है कि रमेश बजाज उसी रास्ते पर चल पड़े हैं, जिस रास्ते पर चलते हुए राजा साबू खेमे के नेता डिस्ट्रिक्ट के लोगों से दूर हुए और फिर राजनीतिक व प्रशासनिक व्यवस्था में अलग-थलग पड़े हैं । लोगों को लग रहा है कि रमेश बजाज डिस्ट्रिक्ट गवर्नर की कुर्सी पर पहुँचे तो हैं राजा साबू खेमे की विरोधी राजनीति पर सवार होकर; लेकिन उनके रंग-ढंग राजा साबू खेमे के नेताओं जैसे हैं, जिसमें क्लब के पदाधिकारियों को विश्वास में लिए बिना मनमानी करते/दिखाते हुए काम किए जाते हैं । लोगों का कहना है कि रमेश बजाज को यदि रोटरी क्लब पोंटा साहिब को प्री-पेट्स की जिम्मेदारी सौंपनी थी, तो क्लब के पदाधिकारियों से तो इस बारे में बात करना ही चाहिए थी ।
मजे की बात है कि रमेश बजाज के कुछेक नजदीकी इस झमेले के लिए रमेश बजाज के गवर्नर-वर्ष के डिस्ट्रिक्ट ट्रेनर अरुण शर्मा को जिम्मेदार ठहरा रहे हैं । अरुण शर्मा रोटरी क्लब पोंटा साहिब के सदस्य और पूर्व डिस्ट्रिक्ट गवर्नर हैं । रमेश बजाज के नजदीकियों का कहना/बताना है कि रमेश बजाज ने तो प्री-पेट्स के आयोजन की जिम्मेदारी अरुण शर्मा को सौंप दी थी, और अरुण शर्मा ने अपने क्लब को आयोजक बना लिया । अपने क्लब को आयोजक बनाते हुए अरुण शर्मा ने किससे पूछा और किससे नहीं पूछा, इस बारे में डिस्ट्रिक्ट गवर्नर इलेक्ट रमेश बजाज को कुछ नहीं पता है । उल्लेखनीय है कि अरुण शर्मा की रोटरी ट्रेनिंग 'राजा साबू स्कूल' में हुई है, जिसके सिलेबस में मनमानी करना तथा अधिकृत पदाधिकारियों की उपेक्षा करना तथा उन्हें अपमानित करना मुख्य विषय है । विषय में विशेषज्ञता रखने के कारण ही संभवतः अरुण शर्मा ने आयोजन की जिम्मेदारी सौंपते समय क्लब के पदाधिकारियों को विश्वास में लेना जरूरी नहीं समझा होगा, जिसे देख/जान कर क्लब के पदाधिकारी भड़क गए हैं और प्री-पेट्स कार्यक्रम मुसीबत में फँस गया है । दूसरे कई लोगों का कहना लेकिन यह है कि रोटरी क्लब पोंटा साहिब के पदाधिकारियों की नाराजगी से पैदा हुए हालात का ठीकरा रमेश बजाज भले ही अरुण शर्मा के सिर फोड़ने का प्रयास कर रहे हों, किंतु जो हुआ - उसके लिए रमेश बजाज भी कोई कम जिम्मेदार नहीं हैं । लोगों का कहना है कि डिस्ट्रिक्ट गवर्नर का 'ताज' जब रमेश बजाज पहनेंगे, तो डिस्ट्रिक्ट गवर्नर पद की जिम्मेदारियाँ भी उन्हें ही निभानी/लेनी होंगी । जिम्मेदारियाँ दूसरों के सिर मढ़ कर बचने की उनकी कोशिश स्वीकार नहीं होगी ।
समस्या दरअसल यह है कि अब जो लोग डिस्ट्रिक्ट ट्रेनर बन रहे हैं, वह 'राजा साबू स्कूल' में ट्रेनिंग पाए हुए लोग हैं, जिनके तौर-तरीके लोगों को भड़का देते हैं । मौजूदा डिस्ट्रिक्ट गवर्नर जितेंद्र ढींगरा के गवर्नर-वर्ष के डिस्ट्रिक्ट ट्रेनर मनमोहन सिंह के कुछेक फैसलों के चलते जितेंद्र ढींगरा को कई मौकों पर अपने ही समर्थकों के बीच परेशानी का सामना करना पड़ा है । एक कार्यक्रम में जितेंद्र ढींगरा को अँधेरे में रख कर मनमोहन सिंह ने यशपाल दास को आमंत्रित कर लिया; जितेंद्र ढींगरा के नजदीकियों ने उनसे पूछा, तो जितेंद्र ढींगरा से जबाव देते हुए नहीं बना । अन्य कुछेक मौकों पर मनमोहन सिंह को राजा साबू खेमे के लिए 'खेलते' हुए देखा/पाया गया, जिस पर जितेंद्र ढींगरा को अपने ही लोगों की नाराजगी का सामना करना पड़ा । अरुण शर्मा के कारण रमेश बजाज जिस तरह से अपने पहले ही कार्यक्रम में मुसीबत में फँस गए हैं, उसे देखते हुए लोगों को लग रहा है कि जितेंद्र ढींगरा की तुलना में रमेश बजाज को ज्यादा मुसीबतों का सामना करना पड़ सकता है । उल्लेखनीय है कि रमेश बजाज के कई नजदीकियों ने उन्हें अरुण शर्मा को डिस्ट्रिक्ट ट्रेनर न बनाने का सुझाव दिया था, और बहुत दिनों तक लगता रहा था कि रमेश बजाज अपने नजदीकियों की सुन/मान रहे हैं; लेकिन अंततः रमेश बजाज ने अपने नजदीकियों के सुझाव को दरकिनार करके अरुण शर्मा को डिस्ट्रिक्ट ट्रेनर घोषित कर दिया - जिससे उनके कई नजदीकी खफा हुए हैं । रमेश बजाज के कुछेक नजदीकियों को तो लगता है कि पहले मनमोहन सिंह के जरिये, और अब अरुण शर्मा के जरिये राजा साबू खेमे के नेता सत्ता खेमे में असंतोष पैदा करके फूट डालने का प्रयास कर रहे हैं । रमेश बजाज अपने पहले ही कार्यक्रम को लेकर जिस तरह की मुसीबत में फँस गए हैं, उम्मीद है कि उसे तो जितेंद्र ढींगरा की कोशिशों से हल कर लिया जायेगा - लेकिन इस मामले से यह साफ संकेत मिला है कि रमेश बजाज ने यदि अपनी जिम्मेदारी ठीक से नहीं निभाई/देखी और अरुण शर्मा पर ही निर्भर रहे, तो बार-बार मुसीबत में फँसेंगे तथा सत्ता खेमे के लोगों के बीच असंतोष व नाराजगी पैदा करेंगे । 

Friday, November 1, 2019

रोटरी इंटरनेशनल डिस्ट्रिक्ट 3012 में शेखर मेहता के सम्मान समारोह के निमंत्रण पत्र से डिस्ट्रिक्ट के तीनों सबसे वरिष्ठ पूर्व गवर्नर्स एसपी मैनी, एमएल अग्रवाल व केके गुप्ता तथा निवर्त्तमान डिस्ट्रिक्ट गवर्नर सुभाष जैन को बाहर रख कर डिस्ट्रिक्ट गवर्नर दीपक गुप्ता ने एक नए विवाद को जन्म दिया

नई दिल्ली । शेखर मेहता का इंटरनेशनल प्रेसीडेंट नॉमिनी के रूप में होने वाला सम्मान समारोह डिस्ट्रिक्ट गवर्नर दीपक गुप्ता के लिए किस तरह निजी खुन्नस निकालने और नियम विरुद्ध मनमानी करने/दिखाने का मौका बन गया है, उसे समारोह के निमंत्रण पत्र को देख कर समझा जा सकता है । निमंत्रण पत्र में ललित खन्ना का नाम तो है, जबकि वह अभी काउंसिल ऑफ गवर्नर्स का हिस्सा नहीं हैं और उनका डीजीएनडी का पद रोटरी इंटरनेशनल के रिकॉर्ड पर नहीं है; उनके चुनाव को लेकर शिकायत दर्ज किए जाने की अवधि अभी बाकी है और शिकायत दर्ज होने पर उनका चुना जाना खतरे में पड़ सकता है  - लेकिन ललित खन्ना के ही क्लब के दो सदस्य वरिष्ठ पूर्व गवर्नर्स एमएल अग्रवाल तथा केके गुप्ता का नाम निमंत्रण पत्र में नहीं है । डिस्ट्रिक्ट के सबसे वरिष्ठ पूर्व गवर्नर एसपी मैनी तथा निवर्त्तमान डिस्ट्रिक्ट गवर्नर सुभाष जैन का नाम भी निमंत्रण पत्र में नहीं है । हालाँकि यह डिस्ट्रिक्ट गवर्नर का विशेषाधिकार है कि वह किस कार्यक्रम की जिम्मेदारी किसे या किन्हें किन्हें दे; और जिम्मेदारी 'इसे' देने और 'उसे' न देने को आलोचना का आधार बनाना उचित नहीं कहा जा सकता है । लेकिन देखने की बात यह होती है कि जिम्मेदारी देने वाले पदाधिकारियों का चुनाव डिस्ट्रिक्ट गवर्नर आखिर किस आधार पर करता है और जिनका चुनाव करता है उन्हें व्यावहारिक रूप में कोई तवज्जो देता है या नहीं ?
शेखर मेहता के सम्मान-समारोह के निमंत्रण पत्र में जिन लोगों के नाम हैं, उनमें से कई के पास न तो कोई जिम्मेदारी है और न उन्हें पता है कि समारोह में कैसे क्या होना है ? कुछेक लोगों ने इन पंक्तियों के लेखक से बताया है कि दीपक गुप्ता ने इस समारोह की तैयारी को लेकर उनसे कभी कोई बात नहीं की और उन्हें समारोह की तारीख, समय व जगह के बारे में अभी ही तब पता चला है, जब सभी को पता चला है । समारोह के निमंत्रण पत्र में कई नाम तो सिर्फ 'डेकोरेशन' के लिए रखे गए हैं । यद्यपि इसमें भी कोई बुराई की बात नहीं है; लेकिन बुराई की बात इस कारण से है कि डेकोरेशन की यह भला कौन सी परिभाषा है, जिसमें डिस्ट्रिक्ट के सबसे वरिष्ठ लोगों को बाहर बैठा दिया गया है ?
शेखर मेहता के सम्मान समारोह के निमंत्रण पत्र में निवर्त्तमान डिस्ट्रिक्ट गवर्नर सुभाष जैन का नाम न होना तो लोगों को समझ में आता है । उल्लेखनीय है कि दीपक गुप्ता डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी पद का चुनाव सुभाष जैन से हारे थे, और उस हार का उन्हें तगड़ा सदमा लगा था, जिसे उनके व्यवहार में कई मौकों पर देखा गया था । कोढ़ में खाज वाली बात यह और हुई कि डिस्ट्रिक्ट गवर्नर के रूप में दीपक गुप्ता के तौर-तरीकों की तथा उनके आयोजनों की तुलना सुभाष जैन के तौर-तरीकों व आयोजनों से होने लगी और हर तुलना में लोगों ने दीपक गुप्ता को नीचे तथा सुभाष जैन को ऊपर ही रखा तथा पाया । इसके चलते दीपक गुप्ता और जलते/भुनते रहे । दीपक गुप्ता चुनाव में सुभाष जैन को नहीं हरा सके; तौर-तरीकों व आयोजनों के मामले में वह सुभाष जैन से आगे या बेहतर साबित नहीं हुए - इसलिए संभव है कि उन्होंने सोचा होगा कि शेखर मेहता के सम्मान समारोह के निमंत्रण पत्र में सुभाष जैन का नाम न देकर वह अभी तक की सभी पराजयों का बदला सुभाष जैन से ले लेंगे और अपनी निजी खुन्नस पूरी कर लेंगे । लेकिन बेचारे एसपी मैनी, एमएल अग्रवाल और केके गुप्ता जैसे डिस्ट्रिक्ट के तीनों सबसे वरिष्ठ गवर्नर्स से दीपक गुप्ता की भला ऐसी क्या खुन्नस रही कि उन्होंने इन तीनों को न तो कोई जिम्मेदारी देने लायक समझा और न इन्हें 'डेकोरेशन' के लिए ही उपयुक्त पाया ?

रोटरी इंटरनेशनल डिस्ट्रिक्ट 3011 में शेखर मेहता के सम्मान में होने वाले समारोह की बागडोर रंजन ढींगरा को मिलने से भड़के विनोद बंसल ने समारोह की तैयारी के लिए होने वाली बैठक का बहिष्कार किया; जिसके बाद उनके समारोह को फेल करने की कोशिशों में जुटने की बात फैली

नई दिल्ली । विनोद बंसल की नाराजगी और विरोधी तेवरों के चलते 8 नवंबर को होने वाला इंटरनेशनल प्रेसीडेंट नॉमिनी शेखर मेहता का सम्मान समारोह मुसीबत में पड़ता/फँसता नजर आ रहा है । विनोद बंसल हालाँकि समारोह की तैयारी कमेटी के चेयरमैन हैं, लेकिन उनकी शिकायत है कि समारोह की तैयारी से उन्हें अलग-थलग कर दिया गया है और तैयारी का सारा काम कन्वेनर रंजन ढींगरा तथा एडवाईजर सुरेश जैन ने हथिया लिया है और सारा प्रोग्राम यही दोनों तय कर रहे हैं । प्रोग्राम तय करने को लेकर तैयारी कमेटी व रिसेप्शन कमेटी के सदस्यों की हाल ही में हुई बैठक में विनोद बंसल इतने तमतमाए कि जोर से 'आय एम् नॉट इंटरेस्टिंग' कहते हुए बैठक को बीच में ही छोड़ कर चले गए । मजे की बात यह रही कि बैठक में शामिल सदस्यों को यही समझ में नहीं आया कि विनोद बंसल आखिर भड़के किस बात पर हैं । किसी ने उनकी नाराजगी का कारण पूछने की कोशिश भी की, लेकिन उन्होंने किसी को बोलने का मौका ही नहीं दिया और जोर जोर से बोलते हुए बैठक छोड़ कर चले गए । बैठक में मौजूद सदस्यों को यह तो समझ में आया कि विनोद बंसल समारोह की तैयारी से अलग-थलग किए जाने की शिकायत कर रहे हैं, लेकिन यह स्पष्ट नहीं हुआ कि तैयारी से जुड़ा ऐसा कौन सा काम कर लिया गया, जिसमें विनोद बंसल अपनी भागीदारी चाहते थे - और जिसके न मिलने पर वह इतना भड़क गए कि तैयारी पर बात करने के लिए हो रही बैठक को बीच में ही छोड़ कर - एक तरह से उसका बायकाट करके - निकल गए । डिस्ट्रिक्ट में लोगों के बीच यह चर्चा भी सुनी गई है कि विनोद बंसल अब उक्त समारोह को विफल करने की तैयारी में जुट गए हैं; और इसके लिए एक तरफ तो उन्होंने डिस्ट्रिक्ट गवर्नर सुरेश भसीन को यह कहते हुए भड़काना शुरू किया है कि वह समारोह में दिलचस्पी क्यों ले रहे हैं, उन्हें इससे क्या मिलेगा - और दूसरी तरफ निवर्त्तमान डिस्ट्रिक्ट गवर्नर विनय भाटिया को उन्होंने यह सुनिश्चित करने की जिम्मेदारी दी है कि फरीदाबाद से समारोह के लिए ज्यादा रजिस्ट्रेशन न हों । विनोद बंसल को लगता है कि शेखर मेहता के सम्मान समारोह में लोगों की ज्यादा भागीदारी नहीं होगी, तो समारोह विफल माना जायेगा और इससे साबित होगा कि समारोह को सफल करने/बनाने का हुनर तो सिर्फ उनके पास है ।
लोगों के बीच की चर्चाओं के अनुसार, विनोद बंसल एक तरफ तो शेखर मेहता के सम्मान समारोह को विफल करने के प्रयासों में लगे हैं, और दूसरी तरफ समारोह की तैयारी कमेटी के चेयरमैन पद को बचाने का प्रयास भी कर रहे हैं । दरअसल विनोद बंसल जिस तरह से नाराजगी दिखाते हुए तैयारी कमेटी व रिसेप्शन कमेटी की बैठक का बायकाट करके गए, उसे देखते हुए बैठक में विचार आया कि विनोद बंसल जब खुद कह गए हैं कि वह समारोह में 'इंट्रेस्टेड' नहीं हैं, तब फिर उन्हें चेयरमैन बनाये रखने का क्या फायदा - उनकी जगह किसी और को चेयरमैन बनाया जाए । अधिकतर कमेटी सदस्यों ने लेकिन जल्दबाजी में इस तरह का फैसला न करने का सुझाव दिया । विनोद बंसल को जब यह बात पता चली तो उन्होंने कमेटी के वरिष्ठ सदस्यों से संपर्क साधा । उनकी क्या बातें हुईं, यह तो किसी को नहीं पता चला, लेकिन समझा जाता है कि उन्होंने चेयरमैन पद को बचाने का ही प्रयास किया है । विनोद बंसल के नजदीकियों का कहना है कि विनोद बंसल ने गुस्से में बैठक का बहिष्कार तो कर दिया और तैश में यह बोल आये कि 'आय एम् नॉट इंटरेस्टिंग' - लेकिन चेयरमैन का पद वह नहीं खोना चाहते हैं । समझा जाता है कि विनोद बंसल समारोह की बागडोर पूरी तरह अपने हाथ में रखना चाहते थे, लेकिन जो संभव नहीं हो सका, और इसीलिए वह नाराज हो गए हैं । उल्लेखनीय है कि पिछले वर्ष सुशील गुप्ता के इंटरनेशनल प्रेसीडेंट नॉमिनी के रूप में हुए सम्मान समारोह की बागडोर विनोद बंसल के हाथ में थी, और - आरोपों के अनुसार - उन्होंने खूब मनमानी की थी तथा अन्य किसी को कोई तवज्जो नहीं दी थी । पिछले वर्ष के उसी अनुभव को याद रखते हुए डिस्ट्रिक्ट के पूर्व गवर्नर्स इस बार तैयार थे और उन्होंने विनोद बंसल के लिए ऐसा कोई मौका नहीं छोड़ा कि वह अपनी मनमानी कर सकें । विनोद बंसल दरअसल इसी बात से बुरी तरह बौखलाए हुए हैं । 
विनोद बंसल को सबसे तगड़ा झटका यह लगा कि वह विनय भाटिया को कमेटी में कोई जगह नहीं दिलवा सके । वह विनय भाटिया को को-चेयरमैन या को-कन्वेनर बनवाना चाहते थे । को-कन्वेनर पद पर डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी अनूप मित्तल की नियुक्ति का उन्होंने खूब विरोध किया । इसके लिए उन्होंने यहाँ तक तर्क दिया कि गवर्नर नॉमिनी के रूप में अनूप मित्तल तो प्रोटोकॉल में ही नहीं आते हैं, इसलिए उन्हें किसी भी कमेटी में कैसे रखा जा सकता है । उनके इस तर्क को लेकिन सुना नहीं गया । शेखर मेहता के इंटरनेशनल प्रेसीडेंट नॉमिनी के रूप में होने वाले सम्मान समारोह की बागडोर अपने हाथ में रख कर विनोद बंसल दरअसल यह दिखाना/जताना चाहते थे कि अपने डिस्ट्रिक्ट में उनकी अच्छी धाक है । समारोह की बागडोर लेकिन रंजन ढींगरा को मिल जाने से विनोद बंसल को दोहरा झटका लगा - रोटरी में लोगों के बीच एक संदेश तो यह गया कि अपने ही डिस्ट्रिक्ट में विनोद बंसल को तवज्जो नहीं मिल रही है, और दूसरा संदेश यह गया कि डिस्ट्रिक्ट में उनकी बजाये रंजन ढींगरा को तवज्जो है । रंजन ढींगरा भी चूँकि इंटरनेशनल डायरेक्टर पद की दौड़ में हैं, इसलिए रंजन ढींगरा को तवज्जो मिलना - विनोद बंसल के लिए खासी फजीहत वाली स्थिति है । कोढ़ में खाज वाली बात यह हुई कि समारोह में एमओसी (मास्टर ऑफ सेरेमनी) की जिम्मेदारी भी रंजन ढींगरा को मिल गई है । विनोद बंसल इससे और उखड़ गए । एमओसी पद पर उनकी निगाह थी । समारोह की तैयारी से जुड़े डिस्ट्रिक्ट के लीडर्स लेकिन इस बार पूरी तैयारी से थे और विनोद बंसल को कोई बढ़त नहीं देना चाहते थे । उनकी तरफ से सुना गया है कि विनोद बंसल अति-महत्त्वाकांक्षी हैं और सब कुछ पाना चाहते हैं; वह चेयरमैन पद से संतुष्ट नहीं है - वह वास्तव में मैक्सीमम को मिनिमम ही समझते हैं । विनोद बंसल की 'दशा' पर एक वरिष्ठ पूर्व गवर्नर ने एक किस्सा सुनाया : 
'एक महिला अपने छोटे बच्चे को गोद में लेकर समुद्र के किनारे थी, कि एक तेज लहर आई 
और उसके बच्चे को गोद से छीन कर बहा ले गई । महिला ने रोना-चिल्लाना शुरू किया और 
ईश्वर से गुहार लगाना शुरू किया कि तभी एक और तेज लहर आई 
और उसका बच्चा वापस उसकी गोद में आ गया । महिला खुश हुई और ईश्वर को 
शुक्रिया कहने ही वाली थी कि उसने देखा कि बच्चे के सर पर जो टोपी थी, 
वह नहीं है । तब शुक्रिया कहने की बजाये उसने यह कहते हुए
ईश्वर के प्रति नाराजगी दिखाई कि अच्छा, टोपी तूने मार ली ।' 
किस्सा सुना कर वरिष्ठ पूर्व गवर्नर का कहना है कि किस्से वाली महिला की तरह विनोद बंसल को इस बात की संतुष्टि नहीं है कि वह चेयरमैन बने हैं, वह दूसरी 'चीजें' न मिलने से दुखी और नाराज हैं तथा कमेटी के लोगों को कोस रहे हैं । शेखर मेहता के सम्मान समारोह को फेल करने की विनोद बंसल की तैयारी की बातों ने सम्मान समारोह को लेकिन मुसीबत में फँसा दिया है ।