लखनऊ
। डिस्ट्रिक्ट 321 बी वन के अधिष्ठापन समारोह से मल्टीपल डिस्ट्रिक्ट 321
के अधिकतर फर्स्ट वाइस डिस्ट्रिक्ट गवर्नर्स ने जिस तरह से दूरी बना कर
रखी, उसे देख/जान कर विशाल सिन्हा का मल्टीपल काउंसिल चेयरमैन बनने का सपना शुरू में ही चूर चूर होता नजर आ रहा है । हालाँकि फर्स्ट वाइस डिस्ट्रिक्ट गवर्नर्स किसी भी डिस्ट्रिक्ट के अधिष्ठापन समारोह में ज्यादा संख्या में नहीं पहुँचे हैं;
लेकिन लखनऊ में उनकी अनुपस्थिति पर लोगों का ध्यान इसलिए गया क्योंकि
विशाल सिन्हा ने उनकी उपस्थिति को संभव बनाने के लिए एड़ी-चोटी को जोर लगाया
हुआ था । फर्स्ट वाइस डिस्ट्रिक्ट गवर्नर्स को विशाल सिन्हा की तरफ से
विशेष निमंत्रण मिले थे; उनसे बार बार पूछा गया था कि वह कब लखनऊ पहुँचेंगे
और कब तक लखनऊ रहना चाहेंगे; उन्हें आश्वस्त किया गया था कि लखनऊ में उनके
ठहरने का बढ़िया इंतजाम किया जायेगा । इतनी बातें अन्य आमंत्रितों से नहीं
की गईं थीं । विशाल सिन्हा ने अपने डिस्ट्रिक्ट के अधिष्ठापन समारोह में
मल्टीपल के तमाम लोगों को बुलाया हुआ था, और बहुत से लोग समारोह में
पहुँचे भी थे; किंतु इस 'शो' के पीछे विशाल सिन्हा का जो वास्तविक उद्देश्य
था, उस उद्देश्य को पूरा करने में जिन पदाधिकारियों की निर्णायक भूमिका
होगी - उन फर्स्ट वाइस डिस्ट्रिक्ट गवर्नर्स ने विशाल सिन्हा के निमंत्रण
को ठेंगा दिखा दिया ।
विशाल सिन्हा का प्रयास दरअसल यह था कि नरेश अग्रवाल से लेकर मल्टीपल के दूसरे बड़े नेताओं तथा अन्य प्रमुख लोगों को अपने कार्यक्रम में इकट्ठा करके वह फर्स्ट वाइस डिस्ट्रिक्ट गवर्नर्स के बीच अपना प्रभाव स्थापित करेंगे । फर्स्ट वाइस डिस्ट्रिक्ट गवर्नर्स के अनुपस्थित होने के कारण विशाल सिन्हा का यह प्रयास लेकिन विफल हो गया । फर्स्ट वाइस डिस्ट्रिक्ट गवर्नर्स के हवाले से यह बात सामने आई है कि विशाल सिन्हा के तौर-तरीकों को फर्स्ट वाइस डिस्ट्रिक्ट गवर्नर्स के बीच पसंद नहीं किया जा रहा है; और कोई भी फर्स्ट वाइस डिस्ट्रिक्ट गवर्नर उनके साथ अपना नाम नहीं जोड़ना चाहता है । कई लोगों की शिकायतें हैं कि विशाल सिन्हा इधर की बात उधर करने; फोन के स्पीकर पर दूसरों को बातें सुनवाने तथा दूसरों के द्धारा भेजी गई सूचनाओं को मनमाने तरीके से व्याख्यायित करने का काम धड़ल्ले से करते हैं - इसलिए लोग उनके साथ विश्वास का संबंध बनाने से बचते हैं । बचने की कोशिश में वह विशाल सिन्हा से दूर रहने का ही प्रयास करते हैं । इसी प्रयास के चलते अधिकतर फर्स्ट वाइस डिस्ट्रिक्ट गवर्नर्स ने उनके कार्यक्रम से दूर रहने में ही अपनी भलाई देखी/समझी । मल्टीपल के फर्स्ट वाइस डिस्ट्रिक्ट गवर्नर्स को हर समय दरअसल यही डर बना रहता है कि उनके द्धारा कही गई किसी बात को विशाल सिन्हा दूसरों के सामने कब कहाँ पता नहीं किस रूप में पेश कर दें ।
इसके अलावा, फर्स्ट वाइस डिस्ट्रिक्ट गवर्नर्स को चूँकि अच्छे से पता है कि विशाल सिन्हा को अपने ही डिस्ट्रिक्ट के फर्स्ट वाइस डिस्ट्रिक्ट गवर्नर संदीप सहगल का समर्थन नहीं मिलेगा; इसलिए मल्टीपल काउंसिल चेयरमैन पद के लिए उनकी उम्मीदवारी को कोई भी गंभीरता से नहीं ले रहा है । उल्लेखनीय है कि दो वर्ष पहले संदीप सहगल को चुनाव हरवाने के लिए विशाल सिन्हा ने खूब जोर लगाया था - संदीप सहगल उस बात को कोई भूले थोड़े ही होंगे ! विशाल सिन्हा हालाँकि उन्हें पटाने और उन्हें अपने समर्थन के लिए राजी करने के लिए कोशिश तो बहुत कर रहे हैं, लेकिन उनके नजदीकियों को वह जिस तरह से अपमानित करते रहते हैं - उससे बात बनती हुई दिख नहीं रही है । संदीप सहगल के खासमखास निवर्तमान डिस्ट्रिक्ट गवर्नर शिव कुमार गुप्ता को नीचा दिखाने के लिए विशाल सिन्हा ने पूर्व इंटरनेशनल डायरेक्टर जगदीश गुलाटी के साथ षड्यंत्र करके जिस तरह से लालजी वर्मा और एचएन सिंह को प्रेसीडेंट पिन दिलवाया - उससे संदीप सहगल के साथ विशाल सिन्हा की दूरी और बढ़ी ही है । अधिष्ठापन कार्यक्रम में विशाल सिन्हा यदि यह हरकत नहीं करते तो हो सकता है कि आगे चल कर संदीप सहगल का समर्थन दिलवाने में निवर्तमान डिस्ट्रिक्ट गवर्नर शिव कुमार गुप्ता ही उनकी मदद करते, जिसकी संभावना अब लेकिन पूरी तरह खत्म ही हो गई है ।
विशाल सिन्हा का हर काम किस तरह बेवकूफीभरा और खुद उन्हीं को नुकसान पहुँचाने वाला साबित हो रहा है - इसका एक दिलचस्प उदाहरण डिस्ट्रिक्ट 321 ए टू के डिस्ट्रिक्ट गवर्नर विनय गर्ग के रवैये से देखा/पहचाना जा सकता है । अधिष्ठापन समारोह में शामिल होने लखनऊ आए विनय गर्ग को विशाल सिन्हा ने एक दिन और लखनऊ में रोका तो इसलिए ताकि वह अगले दिन पड़ने वाले अपने जन्मदिन की पार्टी विनय गर्ग के साथ भी मना लें; विशाल सिन्हा के आग्रह पर विनय गर्ग ने लखनऊ में एक दिन और रुक कर विशाल सिन्हा के साथ पार्टी तो की, लेकिन इस दौरान उन्होंने लखनऊ में विशाल सिन्हा के विरोधियों के साथ मिल कर मल्टीपल काउंसिल चेयरमैन पद के चुनाव में विशाल सिन्हा का काम बिगाड़ने की संभावनाओं को तलाशने व पुख्ता करने का काम भी किया । जाहिर तौर पर इससे यही लग रहा है कि विशाल सिन्हा की हरकतें और कारस्तानियाँ ही नहीं, अच्छी भावना के साथ किए जा रहे 'काम' भी उन्हें ही चोट पहुँचा रहे हैं । अधिष्ठापन समारोह के साथ भी यही हुआ : विशाल सिन्हा ने बड़ी तैयारी के साथ अधिष्ठापन समारोह का आयोजन किया; देखने में आयोजन अच्छे से हुआ भी, बहुत लोग आए भी - लेकिन वह लोग नहीं आए, जिनके आने का विशाल सिन्हा को खासा इंतज़ार था; इसलिए अधिष्ठापन समारोह का कुल नतीजा विशाल सिन्हा की उम्मीदों को ध्वस्त करने वाला ही रहा ।
विशाल सिन्हा का प्रयास दरअसल यह था कि नरेश अग्रवाल से लेकर मल्टीपल के दूसरे बड़े नेताओं तथा अन्य प्रमुख लोगों को अपने कार्यक्रम में इकट्ठा करके वह फर्स्ट वाइस डिस्ट्रिक्ट गवर्नर्स के बीच अपना प्रभाव स्थापित करेंगे । फर्स्ट वाइस डिस्ट्रिक्ट गवर्नर्स के अनुपस्थित होने के कारण विशाल सिन्हा का यह प्रयास लेकिन विफल हो गया । फर्स्ट वाइस डिस्ट्रिक्ट गवर्नर्स के हवाले से यह बात सामने आई है कि विशाल सिन्हा के तौर-तरीकों को फर्स्ट वाइस डिस्ट्रिक्ट गवर्नर्स के बीच पसंद नहीं किया जा रहा है; और कोई भी फर्स्ट वाइस डिस्ट्रिक्ट गवर्नर उनके साथ अपना नाम नहीं जोड़ना चाहता है । कई लोगों की शिकायतें हैं कि विशाल सिन्हा इधर की बात उधर करने; फोन के स्पीकर पर दूसरों को बातें सुनवाने तथा दूसरों के द्धारा भेजी गई सूचनाओं को मनमाने तरीके से व्याख्यायित करने का काम धड़ल्ले से करते हैं - इसलिए लोग उनके साथ विश्वास का संबंध बनाने से बचते हैं । बचने की कोशिश में वह विशाल सिन्हा से दूर रहने का ही प्रयास करते हैं । इसी प्रयास के चलते अधिकतर फर्स्ट वाइस डिस्ट्रिक्ट गवर्नर्स ने उनके कार्यक्रम से दूर रहने में ही अपनी भलाई देखी/समझी । मल्टीपल के फर्स्ट वाइस डिस्ट्रिक्ट गवर्नर्स को हर समय दरअसल यही डर बना रहता है कि उनके द्धारा कही गई किसी बात को विशाल सिन्हा दूसरों के सामने कब कहाँ पता नहीं किस रूप में पेश कर दें ।
इसके अलावा, फर्स्ट वाइस डिस्ट्रिक्ट गवर्नर्स को चूँकि अच्छे से पता है कि विशाल सिन्हा को अपने ही डिस्ट्रिक्ट के फर्स्ट वाइस डिस्ट्रिक्ट गवर्नर संदीप सहगल का समर्थन नहीं मिलेगा; इसलिए मल्टीपल काउंसिल चेयरमैन पद के लिए उनकी उम्मीदवारी को कोई भी गंभीरता से नहीं ले रहा है । उल्लेखनीय है कि दो वर्ष पहले संदीप सहगल को चुनाव हरवाने के लिए विशाल सिन्हा ने खूब जोर लगाया था - संदीप सहगल उस बात को कोई भूले थोड़े ही होंगे ! विशाल सिन्हा हालाँकि उन्हें पटाने और उन्हें अपने समर्थन के लिए राजी करने के लिए कोशिश तो बहुत कर रहे हैं, लेकिन उनके नजदीकियों को वह जिस तरह से अपमानित करते रहते हैं - उससे बात बनती हुई दिख नहीं रही है । संदीप सहगल के खासमखास निवर्तमान डिस्ट्रिक्ट गवर्नर शिव कुमार गुप्ता को नीचा दिखाने के लिए विशाल सिन्हा ने पूर्व इंटरनेशनल डायरेक्टर जगदीश गुलाटी के साथ षड्यंत्र करके जिस तरह से लालजी वर्मा और एचएन सिंह को प्रेसीडेंट पिन दिलवाया - उससे संदीप सहगल के साथ विशाल सिन्हा की दूरी और बढ़ी ही है । अधिष्ठापन कार्यक्रम में विशाल सिन्हा यदि यह हरकत नहीं करते तो हो सकता है कि आगे चल कर संदीप सहगल का समर्थन दिलवाने में निवर्तमान डिस्ट्रिक्ट गवर्नर शिव कुमार गुप्ता ही उनकी मदद करते, जिसकी संभावना अब लेकिन पूरी तरह खत्म ही हो गई है ।
विशाल सिन्हा का हर काम किस तरह बेवकूफीभरा और खुद उन्हीं को नुकसान पहुँचाने वाला साबित हो रहा है - इसका एक दिलचस्प उदाहरण डिस्ट्रिक्ट 321 ए टू के डिस्ट्रिक्ट गवर्नर विनय गर्ग के रवैये से देखा/पहचाना जा सकता है । अधिष्ठापन समारोह में शामिल होने लखनऊ आए विनय गर्ग को विशाल सिन्हा ने एक दिन और लखनऊ में रोका तो इसलिए ताकि वह अगले दिन पड़ने वाले अपने जन्मदिन की पार्टी विनय गर्ग के साथ भी मना लें; विशाल सिन्हा के आग्रह पर विनय गर्ग ने लखनऊ में एक दिन और रुक कर विशाल सिन्हा के साथ पार्टी तो की, लेकिन इस दौरान उन्होंने लखनऊ में विशाल सिन्हा के विरोधियों के साथ मिल कर मल्टीपल काउंसिल चेयरमैन पद के चुनाव में विशाल सिन्हा का काम बिगाड़ने की संभावनाओं को तलाशने व पुख्ता करने का काम भी किया । जाहिर तौर पर इससे यही लग रहा है कि विशाल सिन्हा की हरकतें और कारस्तानियाँ ही नहीं, अच्छी भावना के साथ किए जा रहे 'काम' भी उन्हें ही चोट पहुँचा रहे हैं । अधिष्ठापन समारोह के साथ भी यही हुआ : विशाल सिन्हा ने बड़ी तैयारी के साथ अधिष्ठापन समारोह का आयोजन किया; देखने में आयोजन अच्छे से हुआ भी, बहुत लोग आए भी - लेकिन वह लोग नहीं आए, जिनके आने का विशाल सिन्हा को खासा इंतज़ार था; इसलिए अधिष्ठापन समारोह का कुल नतीजा विशाल सिन्हा की उम्मीदों को ध्वस्त करने वाला ही रहा ।