Thursday, September 8, 2016

तो क्या सचमुच में रोटरी इंटरनेशनल के मौजूद डायरेक्टर मनोज देसाई ने अशोक गुप्ता और कमल सांघवी को अगले इंटरनेशनल डायरेक्टर चुनवाने की जिम्मेदारी ले ली है ?

नई दिल्ली । दुबई में 16 से 18 दिसंबर के बीच हो रहे साऊथ एशिया जोन इंस्टीट्यूट के आयोजन में भूमिका निभाने वाले पदाधिकारियों की सूची का यदि कोई 'राजनीतिक मतलब' सचमुच होता है, तो माना जाना चाहिए कि इंटरनेशनल डायरेक्टर मनोज देसाई ने अगले रोटरी वर्ष में होने वाले इंटरनेशनल डायरेक्टर पद के चुनावों में अशोक गुप्ता और कमल सांघवी की उम्मीदवारी का झंडा उठा लिया है । उल्लेखनीय है कि अशोक गुप्ता जोन 4 से तथा कमल सांघवी जोन 6 ए से इंटरनेशनल डायरेक्टर चुने जाने के लिए कमर कस चुके हैं । दुबई इंस्टीट्यूट के कन्वेनर के रूप में मनोज देसाई ने इन दोनों को कोर कमेटी में काउंसलर का पद तो दिया ही है, कुछेक और कमेटियों में भी इन्हें जगह दी है । मनोज देसाई ने अशोक गुप्ता पर कुछ ज्यादा ही मेहरबानी बरसाई है : उन्होंने अशोक गुप्ता को तो कई जगहें दी ही हैं, उनके 'आदमी' के रूप में पहचाने जाने वाले अजय काला, रत्नेश कश्यप, आशीष देसाई को भी विभिन्न कमेटियों में सटाया है । सिर्फ इतना ही नहीं, अशोक गुप्ता के दबाव में मनोज देसाई को अनिल अग्रवाल को कमेटियों से बाहर रखने के लिए मजबूर तक होना पड़ा । अशोक गुप्ता के डिस्ट्रिक्ट के ही पूर्व गवर्नर अनिल अग्रवाल ने पिछले महीनों में रोटरी इंडिया लिटरेसी मिशन में बहुत ही बढ़-चढ़ कर काम किया है, और इस कारण से वह जोन 4 के डिस्ट्रिक्ट्स के लोगों के बीच तो खासतौर से पहचाने जाते हैं । रोटेरियंस के बीच उनकी पहचान अजय काला, रत्नेश कश्यप, आशीष देसाई से तो बहुत बहुत ज्यादा है - इन तीनों से वह बस एक ही बात में पिछड़े हुए हैं, वह अशोक गुप्ता के 'मैन फ्राइडे' नहीं बन पाए; और इस कारण से वह अशोक गुप्ता को फूटी आँख भी नहीं सुहाते हैं । मनोज देसाई ने किसी किसी से कहा भी कि वह तो अनिल अग्रवाल को इंस्टीट्यूट की किसी कमेटी में रखना चाहते थे, किंतु अशोक गुप्ता के विरोध को देखते हुए फिर उन्होंने अपना विचार त्याग दिया ।
कमल सांघवी अपने 'आदमियों' को तो कमेटियों में जगह नहीं दिलवा सके - हालाँकि इस बात को वह यह कहते हुए अनदेखा करने की कोशिश कर रहे हैं कि कमेटियों में जो लोग हैं, वह सब उन्हीं के तो 'आदमी' हैं - किंतु कमल सांघवी पर मनोज देसाई ने एक अलग तरीके से मेहरबानी की है । जोन 6 ए में इंटरनेशनल डायरेक्टर पद के लिए कमल सांघवी के जो संभावित प्रतिद्धंद्धी हैं, मनोज देसाई ने उन्हें कमेटियों से दूर ही रखा है । इससे कमल सांघवी को अपने मतदाताओं को यह समझाना आसान होगा कि जो लोग इंस्टीट्यूट जैसे महत्त्वपूर्ण आयोजन की करीब 170 सदस्यीय टीम में जगह नहीं बना सके, वह इंटरनेशनल डायरेक्टर कैसे बनेंगे ? अशोक गुप्ता को यह 'सुविधा' नहीं मिल पाई है । उनके संभावित प्रतिद्धंद्धियों के रूप में देखे/पहचाने जा रहे भरत पांड्या और रंजन ढींगरा को कमेटियों में जगह मिली है - रंजन ढींगरा को तो कई जगहों के साथ-साथ 28 सदस्यीय कोर टीम में भी जगह मिली है ।
दुबई इंस्टीट्यूट के लिए टीम गठित करने में मनोज देसाई ने सबसे बड़ा झटका मुकेश अरनेजा को दिया है । पिछले चौदह महीने से, जबसे मनोज देसाई ने इंटरनेशनल डायरेक्टर का पदभार संभाला है - डिस्ट्रिक्ट 3012 के पूर्व गवर्नर मुकेश अरनेजा उनके साथ अपनी नजदीकी का बख़ान करते रहे हैं, किंतु अब वह मनोज देसाई को कोसते हुए सुने जा रहे हैं । यह स्वाभाविक भी है । मनोज देसाई ने जिस बेरहमी के साथ मुकेश अरनेजा को दूध में पड़ी मक्खी की तरह अपनी गुड बुक से निकाल बाहर फेंका है, वह मुकेश अरनेजा के लिए भारी फजीहत की बात है । उनकी फजीहत इस कारण से भी है, क्योंकि आजकल डिस्ट्रिक्ट में उनके चिर प्रतिद्धंद्धी के रूप में देखे/पहचाने जा रहे रमेश अग्रवाल को इंस्टीट्यूट की टीम में जगह मिली है । मुकेश अरनेजा के लिए इससे भी ज्यादा शर्मनाक बात यह हुई है कि जिन निवर्तमान डिस्ट्रिक्ट गवर्नर जेके गौड़ को वह कुछ समझते ही नहीं हैं और जिन पर कुछेक अहसान करने उन्हें अपनी 'तरफ' करने की कोशिशों में लगे हैं, उन जेके गौड़ तक को इंस्टीट्यूट टीम में जगह मिल गई है । मुकेश अरनेजा दावा करते रहे हैं कि नोमीनेटिंग कमेटी के अत्यंत सक्रिय सदस्य के रूप में उन्होंने मनोज देसाई को इंटरनेशनल डायरेक्टर चुनने/चुनवाने में जो भूमिका निभाई थी, मनोज देसाई उसके लिए उनका बहुत अहसान मानते हैं, और उनके काम आते हैं । मुकेश अरनेजा लेकिन अब मनोज देसाई को अहसान फरामोश की उपाधि देते फिर रहे हैं । समझा जाता है कि पिछले दिनों ही मुकेश अरनेजा ने अपने क्लब में वरिष्ठ पदाधिकारियों व सदस्यों के साथ जिस तरह की ब्लैकमेलिंग करने की कोशिश की, और जिससे पैदा हुए विवाद के कारण वह अंततः क्लब से निकल भागने के लिए मजबूर हुए - उससे मुकेश अरनेजा की रोटरी समुदाय में बहुत ही बदनामी हुई है, जो अभी तक की उनकी बदनामी पर काफी भारी पड़ी है । मुकेश अरनेजा की इस नई हरकतपूर्ण बदनामी को देखते हुए ही मनोज देसाई ने उन्हें इंस्टीट्यूट की टीम से बाहर रखने में ही अपनी भलाई देखी है ।
दुबई इंस्टीट्यूट के लिए गठित टीम की सूची विनोद बंसल के लिए भी खतरे की घंटी बजाती हुई सी लगती है । इंस्टीट्यूट टीम में डिस्ट्रिक्ट 3011 के पूर्व गवर्नर विनोद बंसल को एक कमेटी में हालाँकि को-चेयरमैनी तो मिली है - लेकिन इस पद को रोटरी में उनकी सक्रियता, पहचान व प्रतिष्ठा के अनुरूप नहीं देखा/पहचाना जा रहा है । को-चेयरमैनी तो एक अन्य कमेटी में जेके गौड़ को भी मिली है - जो रोटरी में सक्रियता, पहचान व प्रतिष्ठा के मामले में उनके सामने कहीं नहीं ठहरते हैं । विनोद बंसल के मनोज देसाई के साथ अच्छे संबंध भी देखे/समझे जाते हैं; इसलिए भी किसी के लिए भी यह समझना मुश्किल हो रहा है कि मनोज देसाई की टीम में विनोद बंसल को उनकी उचित जगह आखिर क्यों नहीं मिली ? ऐसे में, विनोद बंसल के साथ हुई इस नाइंसाफी को पिछले रोटरी वर्ष में रोटरी इंटरनेशनल बोर्ड द्धारा उन्हें 'चुनावी अपराधी' घोषित करने के फैसले के साथ जोड़ कर देखा जा रहा है । रोटरी इंटरनेशनल बोर्ड का उक्त फैसला लगता है कि अभी विनोद बंसल का पीछा नहीं छोड़ रहा है, और उन्हें अभी वह और परेशान करेगा । दुबई इंस्टीट्यूट की टीम में विनोद बंसल के साथ जो नाइंसाफी हुई है, उसका असर इंटरनेशनल डायरेक्टर का चुनाव करने वाली नोमीनेटिंग कमेटी की सदस्यता के लिए होने वाले चुनाव में उनकी उम्मीदवारी पर भी पड़ने की आशंका व्यक्त की जा रही है । उक्त पद के लिए विनोद बंसल का मुकाबला मंजीत साहनी से होने की संभावना दिख रही है । मंजीत साहनी को मनोज देसाई ने दुबई इंस्टीट्यूट के लिए डिस्ट्रिक्ट ट्रेनर्स ट्रेनिंग सेमीनार कमेटी का काउंसलर बनाया है । जाहिर तौर पर इसमें डिस्ट्रिक्ट के लोगों के लिए मंजीत साहनी के पक्ष में एक इशारा छिपा है, जो विनोद बंसल के लिए चुनावी मुकाबले को थोड़ा चुनौतीपूर्ण तो बनाता ही है ।
दुबई इंस्टीट्यूट के लिए गठित टीम में मनोज देसाई की मेहरबानियों की वास्तविक बारिश लेकिन डिस्ट्रिक्ट 3131 के अभय गाडगिल पर हुई है । अभय गाडगिल हैं तो अभी डिस्ट्रिक्ट गवर्नर इलेक्ट - लेकिन उन्हें दुबई इंस्टीट्यूट की कोर कमेटी में जगह मिलने के साथ-साथ ऑर्गेनाइजिंग सेक्रेटरी जैसा प्रमुख पद भी मिला है । सिर्फ इतना ही नहीं, उनकी पत्नी दीपा गाडगिल को भी शर्मिष्ठा देसाई के नेतृत्व वाली सात सदस्यीय स्पाउस प्रोग्राम कमेटी में जगह मिली है । इस तरह मनोज देसाई ने अभय गाडगिल को रोटरी इंटरनेशनल के साऊथ एशिया जोन के रोटेरियंस के बीच बड़ी ऊँचाई पर प्रतिष्ठित करने का काम तो कर दिया है - पर अभय गाडगिल इस ऊँचाई पर बने/टिके रहेंगे, यह देखने की बात होगी ।