Wednesday, September 7, 2016

रोटरी इंटरनेशनल डिस्ट्रिक्ट 3012 की चुनावी राजनीति में मुकेश अरनेजा व रमेश अग्रवाल को अप्रासंगिक बना देने की रोटरी क्लब दिल्ली नॉर्थ की कोशिशें डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी पद के चुनाव को भी प्रभावित करेंगी क्या ?

नई दिल्ली । रोटरी क्लब दिल्ली नॉर्थ ने सीओएल तथा इंटरनेशनल डायरेक्टर का चुनाव करने वाली नोमीनेटिंग कमेटी की सदस्यता के लिए फार्मूला प्रस्तुत करके मुकेश अरनेजा और रमेश अग्रवाल की राजनीति को तो ठिकाने लगाने का इंतजाम कर ही दिया है, साथ ही साथ डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी पद के चुनावी समीकरणों को भी प्रभावित करने के लिए जाल बिछाया है । रोटरी क्लब दिल्ली नॉर्थ के लोगों ने उक्त दोनों पदों के लिए काउंसिल और गवर्नर्स में वरिष्ठता के आधार पर चयन करने का फार्मूला सुझाया है । यह फार्मूला सुझाते हुए तर्क दिया गया है कि उक्त दोनों पद महत्त्वपूर्ण पद हैं, इसलिए इन पदों के चयन के लिए अपनाई गई प्रक्रिया पर रोटरी इंटरनेशनल के बड़े और प्रमुख पदाधिकारियों व नेताओं की निगाह रहती है - इस कारण से इन पदों के चयन को लेकर कोई राजनीति यदि नहीं होगी, तो यह डिस्ट्रिक्ट की पहचान व प्रतिष्ठा के लिए अच्छा होगा । काउंसिल ऑफ गवर्नर्स में वरिष्ठता के आधार पर उक्त दोनों पदों के लिए चयन होने के फार्मूले को यदि स्वीकार कर लिया जाता है, तो उससे डिस्ट्रिक्ट की पहचान और प्रतिष्ठा भले ही बढ़े - लेकिन मुकेश अरनेजा और रमेश अग्रवाल की राजनीति तो पूरी तरह चौपट हो जाएगी । इन दोनों की निगाह इंटरनेशनल डायरेक्टर का चुनाव करने वाली नोमीनेटिंग कमेटी की सदस्यता पर है; किंतु वरिष्ठता के अनुसार फैसला होने पर इनका नंबर तो आएगा ही नहीं - और किसी को सीओएल के लिए चुनवा कर अपनी चौधराहट दिखाने का मौका भी इन्हें नहीं मिल पाएगा । वरिष्ठता के आधार पर फैसला हुआ तो एमएल अग्रवाल, एसपी सचदेवा, एसपी मैनी, केके गुप्ता और रूपक जैन के बीच ही उक्त दोनों पद बँट जायेंगे और मुकेश अरनेजा व रमेश अग्रवाल के हाथ में सिर्फ झुनझुना ही बचा रह जाएगा । यदि सचमुच ऐसा हो सका, तो यह 'घटना' डिस्ट्रिक्ट की राजनीति में मुकेश अरनेजा व रमेश अग्रवाल के अप्रासंगिक होने/पड़ने की शुरुआत का 'उद्घाटन' करेगी ।
उम्मीद है कि मुकेश अरनेजा और रमेश अग्रवाल इस फार्मूले का विरोध करेंगे और इसे कामयाब नहीं होने देंगे । समस्या उनके सामने लेकिन यह है कि फिर वह करेंगे क्या ? उनके पास कोई विकल्प भी नहीं है । ग्यारह सदस्यीय काउंसिल ऑफ गवर्नर्स में दोनों बुरी तरह से अल्पमत में हैं । मुकेश अरनेजा को रूपक जैन और सतीश सिंघल का समर्थन मिल सकता है; जबकि रमेश अग्रवाल के पास सिर्फ शरत जैन और सुभाष जैन का समर्थन है । एमएल अग्रवाल और केके गुप्ता इन दोनों के ही पूरी तरह खिलाफ हैं । यूँ यह हैं दो ही - लेकिन किसी एक तरफ होकर दूसरे का खेल तो यह बिगाड़ ही सकते हैं । ऐसे में एसपी सचदेवा, एसपी मैनी और जेके गौड़ में से किसी को फुसला/ललचा कर यदि अपने साथ कर भी लेते हैं - तो उससे भी काम तो बनता नहीं है । यह काम बनाने की सोचें भी, तो उसका जबाव भी रोटरी क्लब दिल्ली नॉर्थ की तरफ से दिया गया है : वरिष्ठता वाला फार्मूला क्रियान्वित न हो पाने की स्थिति में उन्होंने सुझाव रखा है कि बाकी सभी पूर्व गवर्नर्स तो किसी न किसी रूप में डिस्ट्रिक्ट का प्रतिनिधित्व कर ही चुके हैं, इसलिए अब की बार उक्त दोनों पद रूपक जैन और जेके गौड़ के बीच ही तय कर दिए जाएँ । यह सुझाव मुकेश अरनेजा और रमेश अग्रवाल की राजनीति के लिए और भी ज्यादा खतरनाक है । उक्त दोनों पद यदि रूपक जैन और जेके गौड़ को मिल जाते हैं - और बिना मुकेश अरनेजा व रमेश अग्रवाल के 'समर्थन' के मिल जाते हैं, तो यह बात तो मुकेश अरनेजा व रमेश अग्रवाल की राजनीति के लिए बिलकुल ही डूब मरने वाली बात होगी ।
समझा जाता है कि यह सुझाव रूपक जैन और जेके गौड़ को भी पसंद आ रहा है । रूपक जैन की समस्या यह है कि रोटरी में उनका 'कद' मुकेश अरनेजा से बहुत बड़ा है, लेकिन डिस्ट्रिक्ट में उनकी पहचान मुकेश अरनेजा के 'आदमी' की है । रूपक जैन, मुकेश अरनेजा से ग्यारह वर्ष पहले डिस्ट्रिक्ट गवर्नर बने थे; पूर्व इंटरनेशनल डायरेक्टर सुशील गुप्ता के साथ उनके बहुत ही नजदीकी और विश्वास के संबंध हैं - लेकिन फिर भी डिस्ट्रिक्ट के लोगों के बीच उन्हें मुकेश अरनेजा के पिछलग्गू के रूप में देखा/पहचाना जाता है । इस बार उन्हें मौका मिलता दिख रहा है कि वह अपने ऊपर लगे मुकेश अरनेजा के 'आदमी' के टैग को उतार फेंक सके । जेके गौड़ का मामला तो और भी संगीन व दिलचस्प है : यूँ तो वह रमेश अग्रवाल के खेमे में माने/देखे जाते हैं; लेकिन रमेश अग्रवाल और शरत जैन उन्हें अपमानित करने का कोई मौका नहीं छोड़ते हैं । जेके गौड़ की बदकिस्मती यह है कि इस स्थिति का लाभ उठाने की कोशिश करते हुए मुकेश अरनेजा और उनके समर्थक भी उन्हें अपनी तरफ मिलाने और उन्हें तवज्जो देने का कोई प्रयास नहीं कर रहे हैं - बल्कि जहाँ मौका दिखता है, वहाँ बेइज्जत और कर देते हैं । रोटरी क्लब गाजियाबाद सफायर के अधिष्ठापन समारोह में जेके गौड़ को दोनों खेमों के लोगों ने एकसाथ मिलकर ऐसा 'धोया' था, कि जेके गौड़ को कार्यक्रम के बीच से ही निकल भागने के लिए मजबूर होना पड़ा था । मुकेश अरनेजा और रमेश अग्रवाल ही नहीं, बल्कि उनके समर्थक लोगों ने भी जेके गौड़ को गरीब की ऐसी बछिया समझा हुआ है, कि कोई भी कहीं भी कभी भी उन्हें हुँकार देता है । ऐसा इसलिए है, क्योंकि सभी को लगता है कि जेके गौड़ के बस की कुछ है नहीं, और  अपमानित होते हुए भी वह उनके साथ रहने को मजबूर होंगे । ऐसे में, रोटरी क्लब दिल्ली नॉर्थ का सुझाव जेके गौड़ के मन में भी गुदगुदी कर रहा हो - तो कोई हैरानी की बात नहीं होगी ।
रोटरी क्लब दिल्ली नॉर्थ के लोगों के सुझावानुसार यदि मुकेश अरनेजा व रमेश अग्रवाल की 'छाया' से बाहर निकल कर रूपक जैन और जेके गौड़ उक्त दोनों पद पा लेते हैं, तो इसका सीधा असर डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी पद के चुनाव पर पड़ेगा - और मुकेश अरनेजा के उम्मीदवार के रूप में दीपक गुप्ता को तथा रमेश अग्रवाल के उम्मीदवार के रूप में अशोक जैन को नई चुनौतियों का सामना करना पड़ेगा । यह सुझाव किसी और क्लब की तरफ से आता और सफल होता, तो कोई फर्क नहीं पड़ता; लेकिन रोटरी क्लब दिल्ली नॉर्थ - जिसके वरिष्ठ सदस्य ललित खन्ना भी डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी पद की चुनावी दौड़ में हैं - की तरफ से आने के कारण यह सुझाव और इसकी संभावित सफलता डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी पद की चुनावी लड़ाई के समीकरणों पर निश्चित रूप से गुणात्मक असर डालेगी ही । डिस्ट्रिक्ट की चुनावी राजनीति में अपनी प्रासंगिकता को बनाए रखने के लिए मुकेश अरनेजा और रमेश अग्रवाल के पास एक ही रास्ता बचता है, और वह रास्ता है - सीओएल तथा इंटरनेशनल डायरेक्टर का चुनाव करने वाली नोमीनेटिंग कमेटी की सदस्यता के लिए सीधे चुनाव का रास्ता; इन दोनों पदों के लिए काउंसिल ऑफ गवर्नर्स में वह कोई फैसला होने ही न दें और डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी पद के साथ-साथ वह इन दोनों पदों के लिए भी चुनाव की स्थितियाँ पैदा करें ।
रमेश अग्रवाल पहले एक बार इस तरह का दुस्साहस कर मजा चख चुके हैं, और सीओएल के चुनाव में आशीष घोष से पराजित होकर अपनी फजीहत करवा चुके हैं - इसलिए उम्मीद है कि उस फजीहत को याद करते/रखते हुए वह दोबारा से उस तरह की हरकत नहीं करेंगे । मुकेश अरनेजा को भी डिस्ट्रिक्ट के लोगों के बीच अपनी राजनीतिक 'हैसियत' का अंदाजा है; पिछले रोटरी वर्ष में डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी पद के चुनाव में उनके उम्मीदवार दीपक गुप्ता को मिली करारी हार में उस 'हैसियत' का सुबूत भी उनके सामने है - इसलिए उम्मीद है कि वह भी चुनाव का रास्ता शायद ही अपनाना चाहें । इससे जाहिर है कि डिस्ट्रिक्ट की चुनावी राजनीति में अपनी अहमियत और प्रासंगिकता बचाने/दिखाने के लिए मुकेश अरनेजा और रमेश अग्रवाल के पास वास्तव में कोई मौका/तरीका नहीं रह गया है; और इन्हें इस दशा में पहुँचाने का काम चूँकि डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी पद के उम्मीदवार ललित खन्ना के क्लब - रोटरी क्लब दिल्ली नॉर्थ की तरफ से हुआ है, इसलिए इनकी यह दशा डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी पद के चुनावी समीकरणों को भी प्रभावित करेगी ही । कैसे और कितना प्रभावित करेगी - यह आने वाले दिनों में पता चलेगा ।