गाजियाबाद
। डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी पद के उम्मीदवार अशोक जैन की मीटिंग के
आयोजनकर्ता की भूमिका निभाने के कारण आलोक गर्ग अपने ही क्लब - रोटरी क्लब
गाजियाबाद नॉर्थ में मुसीबत में फँस गए हैं । क्लब
के पदाधिकारियों व वरिष्ठ सदस्यों ने इस बात पर नाराजगी और क्षोभ व्यक्त
किया है कि उन्हें पूरी तरह से अँधेरे में रख कर आलोक गर्ग ने जिस तरह की
सक्रियता के साथ अशोक जैन की उम्मीदवारी के प्रमोशन हेतु शहर के एक होटल
में मीटिंग आयोजित की, वह सीधे सीधे क्लब की पहचान व प्रतिष्ठा के साथ
खिलवाड़ करना है और क्लब को धोखा देना है । आलोक गर्ग को संकेत दे दिया
गया है कि इस तरह का काम उन्होंने यदि दोबारा किया, तो उनके खिलाफ
अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाएगी - जिसके तहत क्लब से उनका निष्कासन भी हो
सकता है । आलोक गर्ग ने हालाँकि यह तर्क देते हुए अपना बचाव करने की कोशिश
की कि उन्होंने जो कुछ भी किया, वह व्यक्तिगत हैसियत में किया और कहीं भी
क्लब का नाम इस्तेमाल नहीं किया । उनका कहना रहा कि रोटरी और
डिस्ट्रिक्ट को प्रभावित करने वाले किसी भी काम में व्यक्तिगत रूप में
शामिल होने का उन्हें पूरा अधिकार है, और इसके लिए क्लब के पदाधिकारियों से
अनुमति लेने की और उन्हें सूचित करने की कोई जरूरत नहीं है । आलोक गर्ग
ने शिकायती अंदाज़ में यह भी कहा कि क्लब के दूसरे वरिष्ठ सदस्य भी मनमाने
तरीके से और क्लब के पदाधिकारियों की अनुमति लिए बिना अपनी अपनी 'राजनीति'
करते ही हैं, ऐसे में आखिर सिर्फ़ उन्हें ही निशाना क्यों बनाया जा रहा है ?
आलोक गर्ग की इन बातों ने मामले को और भड़का दिया है । क्लब के पदाधिकारियों व वरिष्ठ सदस्यों ने साफ कह दिया है कि व्यक्तिगत अधिकार के नाम पर किसी को भी निर्णायक और/या 'निर्णायक-से दिखते' काम करने का अधिकार नहीं दिया जा सकता है । उनका कहना है कि रोटरी और डिस्ट्रिक्ट को प्रभावित करने वाले किसी काम को लेकर क्लब का कौन सदस्य क्या सोच रखता है, या डिस्ट्रिक्ट की चुनावी राजनीति के संदर्भ में सदस्य की क्या राय या पसंद है - इससे क्लब को कोई मतलब नहीं है; क्लब का कौन सदस्य किस राजनीति के साथ है, किससे मिलता/जुलता है, किसके साथ उठता/बैठता है, क्या बात करता है - इससे क्लब को कोई मतलब नहीं है; लेकिन किसी भी काम में निर्णायक और/या 'निर्णायक-से दिखते' रवैए को अपनाने का अधिकार किसी भी सदस्य को नहीं दिया जा सकता है । क्लब के वरिष्ठ सदस्यों पर मनमाने तरीके से और क्लब के पदाधिकारियों की अनुमति लिए बिना 'राजनीति' करने का आलोक गर्ग ने जो आरोप लगाया है, क्लब के पदाधिकारियों ने उसे बहुत गंभीरता से लिया है और आलोक गर्ग से पूछा है कि जिस तरह की भूमिका उन्होंने अशोक जैन की मीटिंग को लेकर निभाई है, वैसी भूमिका क्लब के किस सदस्य ने किस संदर्भ में कब कहाँ निभाई है ? क्लब के पदाधिकारियों की तरफ से आलोक गर्ग को बता दिया गया है कि दूसरों पर झूठा आरोप लगा कर, अपने पर लगे आरोप से बचने की उनकी कोशिश सफल नहीं हो पाएगी ।
क्लब के पदाधिकारियों व वरिष्ठ सदस्यों के कड़े रवैए के चलते आलोक गर्ग क्लब में पूरी तरह अलग-थलग पड़ गए हैं, और अन्य कोई सदस्य उनका बचाव करता हुआ नहीं दिख रहा है । क्लब में जिन्हें आलोक गर्ग के नजदीकियों के रूप में देखा/पहचाना भी जाता है, उनका भी मानना और कहना है कि आलोक गर्ग को अशोक जैन की उम्मीदवारी के प्रमोशन के संबंध में होने वाली मीटिंग की इस तरह खुल्लमखुल्ला जिम्मेदारी नहीं लेनी/निभानी चाहिए थी; आलोक गर्ग को समझना चाहिए कि रोटरी क्लब गाजियाबाद नॉर्थ की डिस्ट्रिक्ट में एक खास पहचान और प्रतिष्ठा है - अपनी राजनीति के चलते आलोक गर्ग को क्लब की इस पहचान व प्रतिष्ठा के साथ खिलवाड़ करते हुए उसे दाँव पर लगाने का कोई काम नहीं करना चाहिए । क्लब के सदस्यों का कहना है कि आलोक गर्ग को राजनीति करना है और अशोक जैन की उम्मीदवारी को प्रमोट करना है, तो जरूर करें और खूब करें - लेकिन ऐसी होशियारी से करें कि अशोक जैन की उम्मीदवारी के लिए समर्थन भी बढ़े और क्लब की पहचान व प्रतिष्ठा पर भी आँच न आए । क्लब के लोगों ने ही बताया कि क्लब के कुछेक सदस्य दीपक गुप्ता की तो अन्य कुछेक लोग ललित खन्ना की उम्मीदवारी के समर्थन की बातें करते ही हैं, लेकिन कोई भी आलोक गर्ग की तरह अपने समर्थन वाले उम्मीदवार का झंडा नहीं उठाए हुए है - और आलोक गर्ग की तरह क्लब को बदनाम नहीं करवा रहा है ।
आलोक गर्ग पर आरोप है कि अभी हाल ही में गाजियाबाद के एक होटल में अशोक जैन की उम्मीदवारी के लिए 'लाइक मांइडेड' लोगों को 'चार्ज' करने के उद्देश्य से आयोजित हुई मीटिंग के निमंत्रण उन्होंने दिए । उल्लेखनीय है कि कुछेक लोगों को मीटिंग का निमंत्रण अशोक जैन की तरफ से तो मिला ही, आलोक गर्ग की तरफ से यह कहते हुए भी उन्हें निमंत्रण मिला कि 'लाइक माइंडेड' लोग तथा कोर टीम के लोग अशोक जैन की उम्मीदवारी को समर्थन दिलवाने के तरीकों पर विचार करेंगे । मीटिंग को संयोजित करने का काम भी आलोक गर्ग ही कर रहे थे । मीटिंग में किसी ने चुटकी लेते हुए आलोक गर्ग से पूछा भी कि क्या वह अपने क्लब का वोट अशोक जैन को दिलवा सकेंगे ? प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार, आलोक गर्ग ने अपने जबाव में विश्वास बनाने की कोशिश करते हुए कहा कि जब मैं अशोक जैन के साथ हूँ, तो समझिए कि मेरा क्लब भी उनके साथ है । आलोक गर्ग की इस सक्रियता और इस तरह की बातों की जानकारी जब उनके क्लब के पदाधिकारियों तथा वरिष्ठ सदस्यों को लगी, तो उनके बीच नाराजगी पैदा हुई । उनका कहना है कि क्लब में बात और फैसला हुए बिना आलोक गर्ग चुनावी राजनीति में अपनी सक्रियता तथा अपनी बातों से क्लब को जिस तरह एक पक्ष की तरफ 'दिखाने' की कोशिश कर रहे हैं, उसे किसी भी सूरत में बर्दाश्त नहीं किया जाएगा । आलोक गर्ग की भूमिका को लेकर रोटरी क्लब गाजियाबाद नॉर्थ में जो बबाल मचा है, उसने आलोक गर्ग के साथ-साथ अशोक जैन की उम्मीदवारी के अभियान के लिए भी बड़ी मुसीबत खड़ी कर दी है ।
आलोक गर्ग की इन बातों ने मामले को और भड़का दिया है । क्लब के पदाधिकारियों व वरिष्ठ सदस्यों ने साफ कह दिया है कि व्यक्तिगत अधिकार के नाम पर किसी को भी निर्णायक और/या 'निर्णायक-से दिखते' काम करने का अधिकार नहीं दिया जा सकता है । उनका कहना है कि रोटरी और डिस्ट्रिक्ट को प्रभावित करने वाले किसी काम को लेकर क्लब का कौन सदस्य क्या सोच रखता है, या डिस्ट्रिक्ट की चुनावी राजनीति के संदर्भ में सदस्य की क्या राय या पसंद है - इससे क्लब को कोई मतलब नहीं है; क्लब का कौन सदस्य किस राजनीति के साथ है, किससे मिलता/जुलता है, किसके साथ उठता/बैठता है, क्या बात करता है - इससे क्लब को कोई मतलब नहीं है; लेकिन किसी भी काम में निर्णायक और/या 'निर्णायक-से दिखते' रवैए को अपनाने का अधिकार किसी भी सदस्य को नहीं दिया जा सकता है । क्लब के वरिष्ठ सदस्यों पर मनमाने तरीके से और क्लब के पदाधिकारियों की अनुमति लिए बिना 'राजनीति' करने का आलोक गर्ग ने जो आरोप लगाया है, क्लब के पदाधिकारियों ने उसे बहुत गंभीरता से लिया है और आलोक गर्ग से पूछा है कि जिस तरह की भूमिका उन्होंने अशोक जैन की मीटिंग को लेकर निभाई है, वैसी भूमिका क्लब के किस सदस्य ने किस संदर्भ में कब कहाँ निभाई है ? क्लब के पदाधिकारियों की तरफ से आलोक गर्ग को बता दिया गया है कि दूसरों पर झूठा आरोप लगा कर, अपने पर लगे आरोप से बचने की उनकी कोशिश सफल नहीं हो पाएगी ।
क्लब के पदाधिकारियों व वरिष्ठ सदस्यों के कड़े रवैए के चलते आलोक गर्ग क्लब में पूरी तरह अलग-थलग पड़ गए हैं, और अन्य कोई सदस्य उनका बचाव करता हुआ नहीं दिख रहा है । क्लब में जिन्हें आलोक गर्ग के नजदीकियों के रूप में देखा/पहचाना भी जाता है, उनका भी मानना और कहना है कि आलोक गर्ग को अशोक जैन की उम्मीदवारी के प्रमोशन के संबंध में होने वाली मीटिंग की इस तरह खुल्लमखुल्ला जिम्मेदारी नहीं लेनी/निभानी चाहिए थी; आलोक गर्ग को समझना चाहिए कि रोटरी क्लब गाजियाबाद नॉर्थ की डिस्ट्रिक्ट में एक खास पहचान और प्रतिष्ठा है - अपनी राजनीति के चलते आलोक गर्ग को क्लब की इस पहचान व प्रतिष्ठा के साथ खिलवाड़ करते हुए उसे दाँव पर लगाने का कोई काम नहीं करना चाहिए । क्लब के सदस्यों का कहना है कि आलोक गर्ग को राजनीति करना है और अशोक जैन की उम्मीदवारी को प्रमोट करना है, तो जरूर करें और खूब करें - लेकिन ऐसी होशियारी से करें कि अशोक जैन की उम्मीदवारी के लिए समर्थन भी बढ़े और क्लब की पहचान व प्रतिष्ठा पर भी आँच न आए । क्लब के लोगों ने ही बताया कि क्लब के कुछेक सदस्य दीपक गुप्ता की तो अन्य कुछेक लोग ललित खन्ना की उम्मीदवारी के समर्थन की बातें करते ही हैं, लेकिन कोई भी आलोक गर्ग की तरह अपने समर्थन वाले उम्मीदवार का झंडा नहीं उठाए हुए है - और आलोक गर्ग की तरह क्लब को बदनाम नहीं करवा रहा है ।
आलोक गर्ग पर आरोप है कि अभी हाल ही में गाजियाबाद के एक होटल में अशोक जैन की उम्मीदवारी के लिए 'लाइक मांइडेड' लोगों को 'चार्ज' करने के उद्देश्य से आयोजित हुई मीटिंग के निमंत्रण उन्होंने दिए । उल्लेखनीय है कि कुछेक लोगों को मीटिंग का निमंत्रण अशोक जैन की तरफ से तो मिला ही, आलोक गर्ग की तरफ से यह कहते हुए भी उन्हें निमंत्रण मिला कि 'लाइक माइंडेड' लोग तथा कोर टीम के लोग अशोक जैन की उम्मीदवारी को समर्थन दिलवाने के तरीकों पर विचार करेंगे । मीटिंग को संयोजित करने का काम भी आलोक गर्ग ही कर रहे थे । मीटिंग में किसी ने चुटकी लेते हुए आलोक गर्ग से पूछा भी कि क्या वह अपने क्लब का वोट अशोक जैन को दिलवा सकेंगे ? प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार, आलोक गर्ग ने अपने जबाव में विश्वास बनाने की कोशिश करते हुए कहा कि जब मैं अशोक जैन के साथ हूँ, तो समझिए कि मेरा क्लब भी उनके साथ है । आलोक गर्ग की इस सक्रियता और इस तरह की बातों की जानकारी जब उनके क्लब के पदाधिकारियों तथा वरिष्ठ सदस्यों को लगी, तो उनके बीच नाराजगी पैदा हुई । उनका कहना है कि क्लब में बात और फैसला हुए बिना आलोक गर्ग चुनावी राजनीति में अपनी सक्रियता तथा अपनी बातों से क्लब को जिस तरह एक पक्ष की तरफ 'दिखाने' की कोशिश कर रहे हैं, उसे किसी भी सूरत में बर्दाश्त नहीं किया जाएगा । आलोक गर्ग की भूमिका को लेकर रोटरी क्लब गाजियाबाद नॉर्थ में जो बबाल मचा है, उसने आलोक गर्ग के साथ-साथ अशोक जैन की उम्मीदवारी के अभियान के लिए भी बड़ी मुसीबत खड़ी कर दी है ।