नई दिल्ली । राधेश्याम बंसल ने सेंट्रल काउंसिल सदस्यों को आईना दिखाया तो वह इस कदर भड़क गए कि उन्होंने नॉर्दर्न इंडिया रीजनल काउंसिल के नए पदाधिकारियों के चुनाव की कार्रवाई को ही बाधित कर दिया । नॉर्दर्न इंडिया रीजनल काउंसिल के नए पदाधिकारियों का जो चुनाव आज होना था, नॉर्दर्न रीजन के सेंट्रल काउंसिल सदस्यों के रवैये के चलते उसके लिए अब चार मार्च की तारीख तय की गई है । सेंट्रल काउंसिल सदस्यों द्धारा नॉर्दर्न इंडिया रीजनल काउंसिल की मीटिंग में
आज जो 'बहादुरी' दिखाई गई उसके बारे में जिसने भी जाना उसका यही कहना रहा
कि काश, यह लोग सेंट्रल काउंसिल की मीटिंग्स में भी ऐसी ही बहादुरी दिखा
सकते होते - तो इंस्टीट्यूट और प्रोफेशन की शक्ल कुछ अलग ही बनी होती । इस बात को खास तौर से रेखांकित किया गया कि इंस्टीट्यूट की सेंट्रल काउंसिल की मीटिंग्स में ये लोग या तो उपस्थित होने के लिए समय ही नहीं निकाल पाते हैं और
जो उपस्थित होते भी हैं, वह वहाँ होने वाली पक्षपातपूर्ण व भ्रष्ट
कार्रवाइयों पर या तो चुप रहते हैं और या उनका समर्थन करते हैं । राधेश्याम
बंसल ने उनकी इसी कमजोर नस को दबाया तो फिर वह ऐसे बिलबिला गए कि मीटिंग
के एजेंडे को ही निशाना बना बैठे ।
नॉर्दर्न इंडिया
रीजनल काउंसिल की मीटिंग में शामिल हुए सेंट्रल काउंसिल के सदस्यों ने
रीजनल काउंसिल के चेयरमैन राधेश्याम बंसल को निशाने पर लेते हुए अवार्ड
देने में हुए पक्षपात और एक बिल्डिंग को मनमाने तरीके से किराये पर लेने का मुद्दा उठाया । इन दोनों मुद्दों पर राधेश्याम बंसल अकेले घिरते हुए दिखे - रीजनल काउंसिल के सदस्यों में भी किसी ने उनके बचाव में आने की कोशिश नहीं की । ये मुद्धे उठाने वाले
सेंट्रल काउंसिल सदस्यों ने इन दोनों मामलों में जाँच की जरूरत को रेखांकित
किया और जाँच कमेटी बैठाने/बनाने की बात कही । किसी ने भी - यहाँ तक कि राधेश्याम बंसल ने भी इस बात का विरोध नहीं किया । सभी की सहमति बनी कि इन दोनों मामलों की जाँच के लिए जाँच कमेटियाँ बनेंगी । कायदे से यह बात यहीं खत्म हो जानी चाहिए थी और मीटिंग को अगले एजेंडे की तरफ बढ़ना चाहिए था - लेकिन
सेंट्रल काउंसिल के सदस्य; खासकर चरनजोत सिंह नंदा, संजीव चौधरी और विजय
गुप्ता इसके बाद भी इन मामलों को लेकर कमेंटबाजी करते रहे तथा अपनी
कमेंटबाजी के जरिये राधेश्याम बंसल को जलील करते रहे । यह नजारा देख कर
राधेश्याम बंसल ने भी आक्रामक रुख अपना लिया और सेंट्रल काउंसिल सदस्यों की
तरफ सवाल उछाला कि सेंट्रल काउंसिल में अवार्ड देने में पक्षपात नहीं होता
है क्या और वहाँ मनमाने तरीकों से जमीनों के सौदे नहीं होते हैं क्या -
वहाँ आप लोग जाँच करवाने के माँग क्यों नहीं उठाते हो ?
राधेश्याम बंसल के इस बाउंसर ने सेंट्रल काउंसिल सदस्यों को बुरी तरह तिलमिला दिया । यह ठीक है कि यदि
सेंट्रल काउंसिल में अवार्ड देने में पक्षपात होते हैं और मनमाने तरीके से
जमीनों के सौदे होते हैं, तो राधेश्याम बंसल को - या किसी भी रीजनल काउंसिल
के चेयरमैन को - यह सब करने का अधिकार नहीं मिल जाता है । राधेश्याम
बंसल ने यदि कोई 'बेईमानियाँ' की हैं तो उन्हें इस तर्क से स्वीकार या सही
नहीं ठहराया जा सकता है कि इंस्टीट्यूट के दूसरे पदाधिकारी भी ऐसा करते हैं
। लेकिन इसके साथ साथ, यह सवाल भी मौजूँ तो है ही कि जो लोग राधेश्याम
बंसल द्धारा की गई 'बेईमानियों' को बर्दाश्त करने के लिए तैयार नहीं हैं और
उनकी जाँच करवाना चाहते हैं, वह अन्य दूसरे पदाधिकारियों की बेईमानियों के
बारे में सवाल क्यों नहीं उठाते हैं और उन मामलों में जाँच करवाने की बात
क्यों नहीं करते हैं ? राधेश्याम बंसल को कठघरे में खड़े करने की कोशिश
करने वाले सेंट्रल काउंसिल के सदस्यों ने जब देखा/पाया कि राधेश्याम बंसल
उलटे उन्हें ही कठघरे में खड़े करने का प्रयास करने में जुट गए हैं, तो वह और ज्यादा भड़क गए । मीटिंग में उपस्थित कुछेक
सदस्यों का कहना है कि राधेश्याम बंसल के सवाल पर चरनजोत सिंह नंदा, संजीव
चौधरी और विजय गुप्ता तो ऐसे भड़के जैसे राधेश्याम बंसल ने मीटिंग में उनके
कपड़े उतार लिए हों । इसके बाद मीटिंग में बस तू-तू मैं-मैं होने लगी ।
कुछेक लोगों ने कोशिश भी की कि पदाधिकारियों के चुनाव के मीटिंग के मुख्य एजेंडे पर काम शुरू हो - लेकिन
उनकी कोशिश सफल नहीं हो सकी; और चरनजोत सिंह नंदा, संजीव चौधरी व विजय
गुप्ता ने ऐसा माहौल बना दिया कि मीटिंग के लिए आए सदस्य तितर-बितर हो गए तथा मीटिंग हो सकने की संभावना ही खत्म हो गई ।
राधेश्याम
बंसल द्धारा चेयरमैन के रूप में की गईं 'बेईमानियों' के प्रति सेंट्रल
काउंसिल के सदस्यों ने जो रवैया दिखाया, उसकी आमतौर पर प्रशंसा ही की गई है
। लेकिन इस बात को वह जिस एक्स्ट्रीम तक ले गए और मीटिंग के मुख्य एजेंडे
पर उन्होंने काम नहीं होने दिया उससे उनकी फजीहत भी हो रही है । कई
लोगों को लग रहा है कि सेंट्रल काउंसिल के सदस्यों ने मीटिंग में बखेड़ा खड़ा
ही इसलिए किया जिससे कि रीजनल काउंसिल के नए पदाधिकारियों का चुनाव न हो
सके । लोगों के बीच यह सवाल खासा चर्चा में है कि राधेश्याम बंसल की
कार्यप्रणाली से सेंट्रल काउंसिल सदस्यों को यदि वास्तव में इतनी ही
नाराजगी थी तो इससे पहले उन्होंने कभी भी अपनी नाराजगी को जाहिर क्यों नहीं
किया ? दरअसल इसी वजह से लोगों को लग रहा है कि राधेश्याम बंसल को लेकर बखेड़ा खड़ा करने के पीछे असली उद्देश्य चुनाव को टलवाना ही था ।
असल
में, नॉर्दर्न इंडिया रीजनल काउंसिल के नए पदाधिकारियों के चुनाव को लेकर
मीटिंग जब शुरू हुई, उससे पहले 13 सदस्यों वाली रीजनल के 9 सदस्यों वाले
सत्ता खेमे ने पर्चियाँ डाल कर 'पदाधिकारियों का चुनाव' कर लिया था ।
मीटिंग में उनके द्धारा चुने गए पदाधिकारियों पर औपचारिक मोहर लगने भर का
काम होना था । 9 सदस्यों वाले सत्ता खेमे ने जो चुनाव कर लिया था, उसमें
राज चावला को चेयरमैन के रूप में चुना गया था । राज चावला के चुनाव ने
चरनजोत सिंह नंदा और विजय गुप्ता को तगड़ा झटका दिया । विजय गुप्ता पिछले
कुछ दिनों से दीपक गर्ग को चेयरमैन बनवाने की तिकड़मों में लगे हुए थे और
विजय गुप्ता की तिकड़मों के भरोसे दीपक गर्ग ग्रुप तोड़ने पर आमादा हो गए दिख
रहे थे, लेकिन चुनाव की सुबह उन्होंने समझ लिया कि ग्रुप तोड़ने के बाद
उनके हाथ-पल्ले कुछ नहीं लगना - इसलिए उन्होंने ग्रुप में ही बने रहने में
अपनी भलाई देखी और समर्पण कर दिया । राज चावला पहले चेयरमैन पद के
उम्मीदवार नहीं थे; उनकी उम्मीदवारी अचानक से आई । उनके चेयरमैन बनने से
सेंट्रल काउंसिल के लिए उम्मीदवारी प्रस्तुत करने वाले लोगों ने कयास लगा
लिया कि चेयरमैन बनने के बाद राज चावला सेंट्रल काउंसिल के लिए भी आयेंगे ।
राज चावला सेंट्रल काउंसिल के लिए उम्मीदवारी प्रस्तुत करते हैं तो सबसे ज्यादा चोट विजय गुप्ता और चरनजोत सिंह नंदा द्धारा लाये जाने वाले उम्मीदवार को ही पहुँचायेंगे । रीजनल काउंसिल के सदस्य के रूप में राज चावला अत्यंत सक्रिय रहे हैं, और दिल्ली ही नहीं बल्कि कई ब्रांचेज में सदस्यों के साथ उनके निरंतरता वाले संपर्क/संबंध रहे हैं । सेंट्रल काउंसिल के लिए राज चावला की संभावित उम्मीदवारी कई दूसरे उम्मीदवारों का खेल बिगाड़ सकती है । अपना अपना खेल बचाने के लिए, राज चावला की सेंट्रल काउंसिल की संभावित उम्मीदवारी को रोकने के लिए उन्हें चेयरमैन बनने से रोकना जरूरी लगा । समझा जा रहा है कि इसके लिए ही सेंट्रल काउंसिल के सदस्यों ने आज की मीटिंग में बखेड़ा खड़ा किया और चेयरमैन पद पर होने वाली राज चावला की ताजपोशी के कार्यक्रम को स्थगित करवा दिया । इससे चेयरमैन के चुनाव को प्रभावित कर सकने तथा चेयरमैन के पद पर राज चावला की जगह किसी और की ताजपोशी करवाने की तिकड़म के लिए उन्हें समय मिल सकेगा ।
नॉर्दर्न इंडिया रीजनल काउंसिल की मीटिंग में आज जो बखेड़ा हुआ है, उसने इस वर्ष होने वाले सेंट्रल काउंसिल के चुनाव के संदर्भ में नए समीकरणों के बनने की रूपरेखा तो तैयार कर ही दी है; अब यदि 'चुने' जाने के बाद भी राज चावला को चेयरमैन नहीं बनने दिया गया, तो नए समीकरण आज की मीटिंग के 'खलनायकों' के लिए तो बहुत ही चुनौतीपूर्ण होंगे । राज चावला सेंट्रल काउंसिल के लिए उम्मीदवारी प्रस्तुत करते हैं तो सबसे ज्यादा चोट विजय गुप्ता और चरनजोत सिंह नंदा द्धारा लाये जाने वाले उम्मीदवार को ही पहुँचायेंगे । रीजनल काउंसिल के सदस्य के रूप में राज चावला अत्यंत सक्रिय रहे हैं, और दिल्ली ही नहीं बल्कि कई ब्रांचेज में सदस्यों के साथ उनके निरंतरता वाले संपर्क/संबंध रहे हैं । सेंट्रल काउंसिल के लिए राज चावला की संभावित उम्मीदवारी कई दूसरे उम्मीदवारों का खेल बिगाड़ सकती है । अपना अपना खेल बचाने के लिए, राज चावला की सेंट्रल काउंसिल की संभावित उम्मीदवारी को रोकने के लिए उन्हें चेयरमैन बनने से रोकना जरूरी लगा । समझा जा रहा है कि इसके लिए ही सेंट्रल काउंसिल के सदस्यों ने आज की मीटिंग में बखेड़ा खड़ा किया और चेयरमैन पद पर होने वाली राज चावला की ताजपोशी के कार्यक्रम को स्थगित करवा दिया । इससे चेयरमैन के चुनाव को प्रभावित कर सकने तथा चेयरमैन के पद पर राज चावला की जगह किसी और की ताजपोशी करवाने की तिकड़म के लिए उन्हें समय मिल सकेगा ।