Sunday, February 8, 2015

रोटरी इंटरनेशनल डिस्ट्रिक्ट 3011 में डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी पद के लिए समर्थन जुटाने के अपने सारे हथकंडों के पहले संजय खन्ना के साथ हुए चुनाव में और फिर अभी सरोज जोशी के मुकाबले नोमीनेटिंग कमेटी में फेल साबित होने के बाद रवि चौधरी द्धारा कॉन्करेंस जुटाने के लिए चला गया नया दाँव भी उलटा ही असर करता दिख रहा है

नई दिल्ली । रवि चौधरी ने कॉन्करेंस जुटाने के लिए जो सहानुभूति-कार्ड चला है, वह लोगों के बीच उल्टा ही असर कर रहा दिख रहा है । उल्लेखनीय है कि डिस्ट्रिक्ट 3011 में डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी पद के लिए सरोज जोशी के अधिकृत उम्मीदवार चुने जाने के फैसले को रवि चौधरी ने चेलैंज किया है, और अपने चेलैंज को मान्य बनाने के लिए वह कॉन्करेंस जुटाने में लगे हुए हैं । कुछेक पूर्व गवर्नर्स भी हालाँकि उनकी मदद में जुटे हुए हैं, लेकिन चूँकि उन पूर्व गवर्नर्स की खुली मदद के बावजूद नोमीनेटिंग कमेटी में उन्हें सरोज जोशी के मुकाबले हार का सामना करना पड़ा है - इसलिए रवि चौधरी अब अपने मददगार पूर्व गवर्नर्स पर भरोसा करने की बजाये खुद ही सक्रिय हुए हैं । रवि चौधरी खुद से सक्रिय तो हुए हैं लेकिन उनके लिए ऐसे तर्क जुटा पाना मुश्किल हो रहा है, जिनके जरिये वह लोगों को अधिकृत उम्मीदवार सरोज जोशी की खिलाफत करने के लिए राजी कर सकें । रवि चौधरी और उनके समर्थक बड़े नेताओं ने इसके लिए एक तरीका तो सरोज जोशी के खिलाफ नकारात्मक प्रचार करने तथा उनके खिलाफ छिछोरी बातें करने का अपनाया हुआ है और उम्मीद लगाई हुई है कि इस तरह की बातों से उन्हें आसानी से कॉन्करेंस मिल जायेगी । एक दूसरे तरीके के रूप में रवि चौधरी ने असित मित्तल के जरिये हुई अपनी लुटाई का किस्सा सुना सुना कर अपने लिए हमदर्दी जुटाने का प्रयास भी शुरू किया है ।
रवि चौधरी यह किस्सा हालाँकि कई कई बार लोगों को सुना/बता चुके हैं । रवि चौधरी के अनुसार, असित मित्तल के साथ अपनी दोस्ती निभाने चक्कर में उन्होंने असित मित्तल के लिए बैंक से एक बड़ी मोटी रकम लोन के रूप में ले ली थी, जिसकी मासिक किस्तें चुकाने का भरोसा असित मित्तल ने उन्हें दिया था । असित मित्तल ने किंतु अपना भरोसा पूरा नहीं किया और उक्त रकम हड़प ली तथा मासिक किस्तें चुकाने का बोझ रवि चौधरी के सिर पर थोप दिया । रवि चौधरी रोना रोते हैं कि असित मित्तल ने उन्हें ऐसा बुरा फँसाया है कि उनके ऊपर हर महीने ईएमआई के रूप में एक मोटी रकम का जुगाड़ करने का बोझ आ पड़ा है, जिसमें असफल होने पर उन्हें असित मित्तल के साथ ही जेल की हवा खानी पड़ सकती है । उल्लेखनीय है कि पूर्व डिस्ट्रिक्ट गवर्नर असित मित्तल पैसों की घपलेबाजी के कारण पिछले कई महीनों से जेल में हैं । डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी बनने के चक्कर में कॉन्करेंस जुटाने में लगे रवि चौधरी जिस तरह इस किस्से को सुना/बता रहे हैं, उससे लग रहा है कि इस किस्से के जरिये वह लोगों के बीच अपने लिए हमदर्दी पैदा करने का प्रयास कर रहे हैं और उम्मीद कर रहे हैं कि इस हमदर्दी से उन्हें कॉन्करेंस मिल जायेंगी ।
लेकिन हमदर्दी जुटाने का उनका यह फार्मूला उलटा ही असर करता हुआ दिख रहा है । रवि चौधरी को मुश्किल में फँसा 'देख' कर लोगों को उनके प्रति हमदर्दी तो हो रही है; किंतु उनका कहना है कि इन मुश्किलों के बीच रवि चौधरी गवर्नरी के चक्कर में क्यों पड़े हैं और उन्हें अपना सारा ध्यान अपने को इस मुसीबत से बचाने/निकालने में लगाना चाहिए । कुछेक लोगों का कहना है कि रवि चौधरी इस किस्से में भी आधा सच बता रहे हैं और सही बात को छिपा रहे हैं । ऐसे लोगों के अनुसार, उन्होंने असित मित्तल के साथ दोस्ती निभाने के लिए नहीं बल्कि असित मित्तल से मिले एक लालच भरे ऑफर के चलते उक्त लोन लिया था । असित मित्तल ने उन्हें पट्टी पढ़ाई थी कि उन्हें बैंक को कुल जितना ब्याज देना होगा, वह उन्हें उससे कई गुना ज्यादा ब्याज देंगे; घर बैठे मुफ्त में पैसा मिलने वाले असित मित्तल के इस ऑफर से आकर्षित होकर रवि चौधरी ने उक्त लोन लिया था - योजना फेल हो जाने कारण रवि चौधरी लेकिन मुश्किल में फँस गए । यानि वह जिस मुसीबत में फँसे हैं उसमें अपने दोस्त असित मित्तल की बेईमानी और अपने खुद के लालच के कारण फँसे हैं - जिसके लिए वह लोगों की हमदर्दी पाने का प्रयास कर रहे हैं । 
रवि चौधरी के इस प्रयास पर लोगों का कहना लेकिन यह है कि रवि चौधरी जब ऐसी आफत में हैं तो वह डिस्ट्रिक्ट व रोटरी को क्या 'दे' पायेंगे और रोटरी में अपनी जिम्मेदारियों का निर्वाह कैसे कर पायेंगे ? इससे भी बड़ा डर लोगों को यह है कि रवि चौधरी द्धारा खुद ही व्यक्त की जा रही आशंका यदि सच साबित हो गई कि ईएमआई न चुका पाने के कारण यदि उन्हें जेल जाना पड़ गया तो डिस्ट्रिक्ट की और रोटरी की कितनी बदनामी होगी ? रवि चौधरी के दोस्त और उनके बड़े खैरख्वाह रहे पूर्व गवर्नर असित मित्तल के जेल में होने के कारण डिस्ट्रिक्ट की और रोटरी की पहले ही बहुत बदनामी हो चुकी है । लोगों के बीच इस तरह की चर्चाओं के चलते कॉन्करेंस जुटाने की रवि चौधरी की मुहिम को तगड़ा झटका लगता दिख रहा है । रवि चौधरी के समर्थक समझे जाने वाले कुछेक लोगों ने इस तथ्य को रेखांकित भी किया है कि लोगों के बीच इस तरह की चर्चाओं को सुन कर रवि चौधरी के कई संभावित समर्थकों ने उनके समर्थन से पीछे हटना शुरू कर दिया है । ऐसे लोगों का कहना है कि बेशक रवि चौधरी के साथ उनकी अच्छी दोस्ती है, लेकिन दोस्ती के चक्कर में वह ऐसा कोई काम नहीं करना चाहेंगे जिससे कि रोटरी और डिस्ट्रिक्ट का नाम खराब होता हो ।
रवि चौधरी का कॉन्करेंस जुटाने के लिए चला गया यह हमदर्दी-कार्ड दूसरों को भले ही पिटता हुआ लग रहा हो, लेकिन खुद रवि चौधरी को अब शायद इसी का भरोसा रह गया है । दरअसल समर्थन जुटाने के उनके सारे हथकंडे पहले संजय खन्ना के साथ हुए चुनाव में और फिर अभी सरोज जोशी के मुकाबले नोमीनेटिंग कमेटी में फेल साबित हो चुके हैं; इसलिए उन्हें लग रहा है कि उनके पास अब बस यही एक आखिरी हथियार है । इसलिए वह इसे भी इस्तेमाल कर लेना चाहते हैं । इसका इस्तेमाल रवि चौधरी के सचमुच काम आ सकेगा क्या - यह देखना दिलचस्प होगा ।