Saturday, February 14, 2015

रोटरी इंटरनेशनल डिस्ट्रिक्ट 3012 में दीपक गुप्ता और प्रसून चौधरी की सक्रियता व संलग्नता की निरंतरता पर बने असमंजस के कारण अरनेजा गिरोह के नेताओं ने अगले रोटरी वर्ष में डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी पद के लिए अशोक कुमार गर्ग की उम्मीदवारी से फिलहाल हाथ खींचा

नई दिल्ली । अशोक कुमार गर्ग को डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी पद की उम्मीदवारी के लिए अरनेजा गिरोह द्धारा दिखाई जा रही हरी झंडी को फिलहाल पीछे कर लेने से अगले रोटरी वर्ष की चुनावी राजनीति का परिदृश्य थोड़ा धुँधला पड़ गया है । उल्लेखनीय है कि अभी कुछ दिन पहले तक अगले रोटरी वर्ष में अरनेजा गिरोह की तरफ से रोटरी क्लब दिल्ली शाहदरा के अशोक कुमार गर्ग को उम्मीदवार बनाये जाने की चर्चा खासी मुखर थी । अशोक कुमार गर्ग को उम्मीदवार बनाये जाने को लेकर क्लब में कोई बखेड़ा न खड़ा हो, इसके लिए पहले से ही व्यवस्था कर ली गई थी और इसी व्यवस्था के तहत संजीव रस्तोगी को क्लब से बाहर करवा दिया गया था । मान लिया गया था कि संजीव रस्तोगी के क्लब से बाहर हो जाने के बाद अशोक कुमार गर्ग के लिए डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी पद के लिए उम्मीदवारी का रास्ता पूरी तरह साफ हो गया है । अरनेजा गिरोह द्धारा तीन-तिकड़म से शरत जैन को विजय दिलवा देने के साथ तो अशोक कुमार गर्ग और उनके नजदीकियों ने यह मानना और जताना भी शुरू कर दिया था कि जिस तरह अरनेजा गिरोह ने शरत जैन को जितवा दिया है, वैसे ही उन्हें भी जितवा दिया जायेगा । लेकिन अरनेजा गिरोह के नेताओं ने अगले रोटरी वर्ष में अशोक कुमार गर्ग की उम्मीदवारी को लेकर अचानक से चुप्पी साध ली है ।
अरनेजा गिरोह के नेताओं के नजदीकियों का ही कहना है कि नेताओं को दरअसल अभी अशोक कुमार गर्ग की क्षमताओं पर भरोसा नहीं हो पा रहा है, और वह इस बात को लेकर खुद को ही आश्वस्त नहीं कर पा रहे हैं कि अशोक कुमार गर्ग एक उम्मीदवार की जिम्मेदारियों का निर्वाह कर पायेंगे या नहीं और वह उन्हें जितवा भी सकेंगे क्या ? अगले रोटरी वर्ष में डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी पद का चुनाव खासा गहमागहमी भरा होने की उम्मीद की जा रही है । दीपक गुप्ता और प्रसून चौधरी के साथ साथ रोटरी क्लब दिल्ली मयूर विहार के राजीव गुप्ता तथा रोटरी क्लब नोएडा एक्सीलेंस के प्रवीण निगम द्धारा भी अपनी अपनी उम्मीदवारी के लिए संभावनाएँ तलाशे जाने की बातें लोगों के बीच चर्चा में हैं । दीपक गुप्ता और प्रसून चौधरी इस बार अपनी अपनी उम्मीदवारी में असफल भले ही रहे हों, लेकिन अपने अपने अभियान को उन्होंने जिस सक्रियता व संलग्नता के साथ चलाया - उसके कारण वह लोगों के बीच पैठ बनाने में तो कामयाब रहे ही हैं । अगले रोटरी वर्ष में वह यदि सचमुच में अपनी अपनी उम्मीदवारी प्रस्तुत करते हैं तो दोनों एक दूसरे के आमने-सामने होंगे और वह एक दिलचस्प मुकाबला होगा । राजीव गुप्ता और प्रवीण निगम के बारे में भी उनके नजदीकियों का कहना है कि यदि उन्होंने वास्तव में अपनी अपनी उम्मीदवारी को प्रस्तुत किया तो वह पूरी पूरी तैयारी से मैदान में उतरेंगे और मुकाबले को गंभीर व संगीन बनायेंगे ।
अरनेजा गिरोह के लोगों का कहना है कि इन लोगों की संभावित उम्मीदवारी को देखते हुए ही उनके नेताओं ने अभी यह फैसला टाल दिया है कि वह किसकी उम्मीदवारी का झंडा उठाये । नेता लोग पहले यह देख/समझ लेना चाहते हैं कि कौन कौन सचमुच में अपनी उम्मीदवारी प्रस्तुत करते हैं, और अपनी अपनी उम्मीदवारी के अभियान को वह कैसे चलाते हैं ? वह जिसका पलड़ा भारी देखेंगे, उसी का झंडा उठा लेंगे । इस बार प्रसून चौधरी की उम्मीदवारी का समर्थन करने के बावजूद उन्हें जीत दिलवाने में असफल रहने से सबक लेते हुए अरनेजा गिरोह के नेता अगली बार के लिए सावधान हैं और किसी ऐसे उम्मीदवार के साथ ही जाना चाहेंगे जिसके जीतने की उम्मीद होगी । शरत जैन की जीत से अरनेजा गिरोह के नेताओं की इज्जत इस बार तो बच गई, अगली बार वह यदि अपने उम्मीदवार को नहीं जितवा सके, तो उनके लिए मुश्किल हो जायेगी । दरअसल इसीलिए अरनेजा गिरोह के नेताओं ने अशोक कुमार गर्ग की उम्मीदवारी से फिलहाल हाथ खींच लिए हैं ।
अशोक कुमार गर्ग के नजदीकी हालाँकि दावा तो कर रहे हैं कि शरत जैन उनकी उम्मीदवारी को समर्थन देने की वकालत कर रहे हैं, और इसलिए उन्हें विश्वास है कि नेताओं का समर्थन भी उन्हें मिल जायेगा । दूसरे लोगों को यद्यपि इस विश्वास पर विश्वास नहीं है । उनका तर्क है कि गिरोह में शरत जैन की हैसियत ऐसी नहीं है कि वह अपनी पसंद का फैसला करवा सकें । फैसला तो मुकेश अरनेजा और रमेश अग्रवाल ही करेंगे । संभावित उम्मीदवार अपने अपने तरीके से उनका समर्थन पाने की कोशिशें तो कर ही रहे हैं, लेकिन साथ ही यह भी जानने/समझने का प्रयास कर रहे हैं कि अपनी अपनी उम्मीदवारी के अभियान को वह कैसे आगे बढ़ाये । दीपक गुप्ता और प्रसून चौधरी के रवैये पर भी काफी कुछ निर्भर है । इस वर्ष उनकी जो सक्रियता व संलग्नता रही है, उसी की निरंतरता में वह यदि अपने अभियान को बनाये रखते हैं तो दूसरे उम्मीदवारों के लिए उनसे मुकाबला करना मुश्किल हो सकता है; लेकिन यदि उनकी निरंतरता का क्रम टूटा तो दूसरे उम्मीदवारों को अपने लिए जगह बनाने का मौका मिल भी सकता है । इस सब के चलते अगले रोटरी वर्ष में डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी पद का चुनावी परिदृश्य अभी थोड़ा गफलत भरा तो बना दिख रहा है, लेकिन यह सभी को लग रहा है कि वह होगा खासा पेचीदा ।