देहरादून । डिस्ट्रिक्ट गवर्नर सुनील जैन की
गंगोह में आयोजित हुई तीसरी डिस्ट्रिक्ट कैबिनेट मीटिंग में जैसी जो फजीहत
हुई, उसे देख/जान कर लोगों ने समझ लिया है कि जब तक अनीता गुप्ता का
संग-साथ है, तब तक सुनील जैन को दुश्मनों की जरूरत नहीं पड़ेगी । दुश्मन लोग प्रायः जो करना चाहते हैं,
जो करने की कोशिश करते हैं, जो करने के लिए माहौल बनाते हैं - वह सब अनीता
गुप्ता अकेले ही कर लेंगी । सुनील जैन बेचारे की किस्मत ऐसी है कि एक
अकेली अनीता गुप्ता ही उनकी तथाकथित ख़ैरख्वाह हैं । सुनील जैन दावा तो
करते रहे हैं कि उन्हें डिस्ट्रिक्ट के 20 पूर्व डिस्ट्रिक्ट गवर्नर्स का
समर्थन प्राप्त है - लेकिन 'मौके' पर देखा/पाया गया कि एक अकेली अनीता
गुप्ता ही उनके 'साथ' थीं; और उनके संग-साथ के चलते सुनील जैन को भारी
फजीहत का सामना करना पड़ा । 'अनीता गुप्ता हाय हाय' के साथ साथ 'सुनील
जैन हाय हाय' के नारों के बीच कैबिनेट मीटिंग में जो माहौल बना, उसने डिस्ट्रिक्ट गवर्नर सुनील
जैन को जैसे दिन में तारे दिखा दिए ।
इस माहौल के बनने का जो दिलचस्प नतीजा निकला, वह सेकेंड वाइस डिस्ट्रिक्ट गवर्नर पद के लिए तैयार किए गए सुनील जैन के उम्मीदवार एपीएस कपूर की तुरत-प्रतिक्रिया के रूप में सामने आया । कैबिनेट मीटिंग में जो नजारा बना, उसे देख एपीएस कपूर तुरंत से 'अपना कैम्प' छोड़ कर सेकेंड वाइस डिस्ट्रिक्ट गवर्नर पद के दूसरे उम्मीदवार अजय सिंघल के कैम्प में आ गए और वहाँ उन्होंने साफ शब्दों में अपनी उम्मीदवारी को वापस लेने की घोषणा कर दी । एपीएस कपूर ने अजय सिंघल के कैम्प में मौजूद लोगों से साफ कहा कि वह गवर्नर तो बनना चाहते हैं लेकिन ऐसी जल्दी में नहीं हैं कि उन्हें इसी वर्ष गवर्नर बनना है । वहाँ उन्होंने जिस तरह से सुनील जैन को कोसा और कैबिनेट मीटिंग के नाम पर उनसे पचास हजार रुपये फालतू में खर्च करवाने का रोना रोया, उससे यह साफ हो गया कि उन्हें भी सुनील जैन और अनीता गुप्ता की असलियत समझ में आ गई है, और अब वह उनके झाँसे में नहीं बने रह सकेंगे । एपीएस कपूर ने लोगों के बीच प्रमुखता के साथ यह शिकायत की कि डिस्ट्रिक्ट कैबिनेट मीटिंग के आयोजन का खर्चा तो सुनील जैन ने उनसे करवा लिया लेकिन उन्हें उसके बदले में उन्हें कोई फायदा नहीं दिया/दिलवाया ।
मजे की बात दरअसल यही रही कि गंगोह में डिस्ट्रिक्ट कैबिनेट मीटिंग करने के लिए सुनील जैन ने डिस्ट्रिक्ट के दूसरे लोगों को भी यही संदेश दिया और एपीएस कपूर को भी यही समझाया कि इसके जरिए एपीएस कपूर को अपनी उम्मीदवारी के पक्ष में माहौल बनाने का अवसर मिलेगा । यही कारण रहा कि सुनील जैन ने सेकेंड वाइस डिस्ट्रिक्ट गवर्नर पद के दूसरे उम्मीदवार अजय सिंघल को मीटिंग स्थल पर अपना कैम्प लगाने की अनुमति नहीं दी । सुनील जैन से अनुमति न मिलने के कारण अजय सिंघल को मीटिंग स्थल के पड़ोस की जगह पर अपना कैम्प लगाने के लिए मजबूर होना पड़ा । सुनील जैन ने डिस्ट्रिक्ट के कैम्प को एपीएस कपूर का कैम्प बना दिया था । सुनील जैन द्धारा की गई इतनी सब तैयारी के बावजूद एपीएस कपूर ने अपने आप को ठगा हुआ पाया और मीटिंग खत्म खत्म होते होते उन्होंने अजय सिंघल के कैम्प के लोगों के सामने समर्पण कर दिया ।
डिस्ट्रिक्ट कैबिनेट मीटिंग में जो हुआ, सुनील जैन के नजदीकियों ने उसके लिए अनीता गुप्ता को जिम्मेदार ठहराया है । सुनील जैन के नजदीकियों का कहना है कि अनीता गुप्ता यदि लोगों के साथ बदतमीजी न करतीं तो इतना बबाल न होता । उल्लेखनीय है कि कैबिनेट मीटिंग शुरू होने के समय सुनील जैन का पलड़ा भारी दिख रहा था । विरोधी खेमे की तरफ से एक अकेले अरुण मित्तल मीटिंग में मौजूद थे । मीटिंग में उपस्थित हुई कुञ्ज बिहारी अग्रवाल और अरविंद संगल की जोड़ी को सुनील जैन के साथ ही देखा/पहचाना जा रहा था । उनके अलावा सुनील जैन की परम ख़ैरख्वाह अनीता गुप्ता तो वहाँ थी हीं । यह स्थिति पूरी तरह सुनील जैन के अनुकूल थी । लेकिन यह अनुकूल स्थिति तब थोड़ा प्रतिकूल होना शुरू हुई जब डिस्ट्रिक्ट कॉन्फ्रेंस की जगह व तारीख को लेकर सवाल शुरू हुए । सुनील जैन ने प्रयास किया कि डिस्ट्रिक्ट कॉन्फ्रेंस की जगह व तारीख का चयन करने का अधिकार उन्हें दे दिया जाये, जिसे वह बाद में तय कर लेंगे । कैबिनेट के सदस्यों ने नियमों का हवाला देते हुए दावा किया कि यह बातें तो कैबिनेट मीटिंग में तय होंगी ।
मीटिंग में उपस्थित डिस्ट्रिक्ट के वरिष्ठ सदस्यों का मानना और कहना है कि सुनील जैन मामले को ठीक तरीके से हैंडल नहीं कर पाये । उनका कहना रहा कि पिछले वर्षों में कैबिनेट जगह और तारीख तय करने का अधिकार गवर्नर को देती रही है, लेकिन यह तब तब हुआ जब जब गवर्नर कैबिनेट सदस्यों का विश्वास जीतने में सफल रहा । डिस्ट्रिक्ट गवर्नर के रूप में सुनील जैन अपनी ही कैबिनेट के सदस्यों का विश्वास जीतने में चूँकि बुरी तरह विफल रहे हैं, और उन्होंने अपनी हरकतों से अपनी भूमिका को संदेहास्पद बना लिया है - इसलिए कैबिनेट के सदस्य डिस्ट्रिक्ट कॉन्फ्रेंस की जगह व तारीख तय करने का अधिकार उन्हें देने को राजी नहीं हुए । सुनील जैन एक तरफ तो अपनी ही कैबिनेट के सदस्यों के बीच विश्वास नहीं बना सके, और दूसरी तरफ पूर्व गवर्नर्स में से भी किसी को अपनी वकालत के लिए तैयार नहीं कर सके । सुनील जैन ने अपने रवैये और व्यवहार से उन कुञ्ज बिहारी अग्रवाल और अरविंद संगल को भी नाराज कर दिया, जिन्हें उनके संभावित समर्थकों के रूप में देखा/पहचाना जा रहा था । सुनील जैन को चारों तरफ से घिरा देख कर अनीता गुप्ता उनकी मदद के लिए आगे बढ़ीं, लेकिन उन्होंने निहायत बदतमीजीपूर्ण तरीके से मामले को सँभालने की जो कोशिश की उससे मामला सँभलने की बजाये बिगड़ और गया ।
अनीता गुप्ता के रवैये से मामला जब बिगड़ा, तब मीटिंग में मुकेश गोयल खेमे का अकेले प्रतिनिधित्व कर रहे अरुण मित्तल ने हस्तक्षेप किया और स्थिति का नियंत्रण अपने हाथ में लेते हुए बाजी न सिर्फ पूरी तरह पलट दी, बल्कि बाजी पर पूरी तरह कब्जा भी कर लिया । दरअसल अनीता गुप्ता ने कैबिनेट सदस्यों के साथ जब बदतमीजी करना शुरू किया और उनके इस रवैये से लोग भड़के तब अरुण मित्तल ने हस्तक्षेप करके कैबिनेट सदस्यों का पक्ष लिया । अनीता गुप्ता ने तब अपनी तुनकमिजाजी में सवाल और बात कर रहे कैबिनेट सदस्यों को बाहर जाने का फरमान सुना दिया, जिससे माहौल और गर्म हो उठा । इस गर्म माहौल पर अरुण मित्तल ने तत्काल सीधी चोट की और कैबिनेट मीटिंग का बहिष्कार करने का आह्वान किया । माहौल गर्म था ही, अरुण मित्तल के आह्वान ने उसमें और करंट पैदा कर दिया - जिसका नतीजा यह हुआ कि मीटिंग में मौजूद सभी लोग तुरंत उठ खड़े हुए और हाय हाय के नारे लगाते हुए बाहर निकलने लगे । 'अनीता गुप्ता हाय हाय', 'सुनील जैन हाय हाय' के नारे सुन कर कुञ्ज बिहारी अग्रवाल और अरविंद संगल के लिए भी वहाँ बैठे रह पाना मुश्किल हुआ और वह भी उठ कर बाहर चले आये । बाहर आये लोग अजय सिंघल के कैम्प में इकठ्ठा हुए ।
एपीएस कपूर ने जब यह नजारा देखा, तो वह भी 'अपना' कैम्प छोड़ कर अजय सिंघल के कैम्प में आ गए । इस तरह सुनील जैन ने अपनी बेवकूफी और अनीता गुप्ता ने अपनी बदतमीजी से जो माहौल बनाया, उसमें अरुण मित्तल ने डिस्ट्रिक्ट की चुनावी राजनीति का सारा गणित ही बदल दिया और सेकेंड वाइस डिस्ट्रिक्ट गवर्नर पद के लिए अजय सिंघल का रास्ता पूरी तरह साफ बना दिया । कुछेक लोगों को हालाँकि लगता है कि सुनील जैन मानेंगे नहीं और कोई न कोई उम्मीदवार जरूर लायेंगे; किंतु तीसरी कैबिनेट मीटिंग में सुनील जैन का जो हाल हुआ है और अच्छी भली पकड़ में आया उम्मीदवार जिस तरह उनके चंगुल से निकल भागा है, उसे देखते हुए अब कोई और चुनावी बलि का बकरा बनने को तैयार होगा - इसे लेकर संदेह है ।
इस माहौल के बनने का जो दिलचस्प नतीजा निकला, वह सेकेंड वाइस डिस्ट्रिक्ट गवर्नर पद के लिए तैयार किए गए सुनील जैन के उम्मीदवार एपीएस कपूर की तुरत-प्रतिक्रिया के रूप में सामने आया । कैबिनेट मीटिंग में जो नजारा बना, उसे देख एपीएस कपूर तुरंत से 'अपना कैम्प' छोड़ कर सेकेंड वाइस डिस्ट्रिक्ट गवर्नर पद के दूसरे उम्मीदवार अजय सिंघल के कैम्प में आ गए और वहाँ उन्होंने साफ शब्दों में अपनी उम्मीदवारी को वापस लेने की घोषणा कर दी । एपीएस कपूर ने अजय सिंघल के कैम्प में मौजूद लोगों से साफ कहा कि वह गवर्नर तो बनना चाहते हैं लेकिन ऐसी जल्दी में नहीं हैं कि उन्हें इसी वर्ष गवर्नर बनना है । वहाँ उन्होंने जिस तरह से सुनील जैन को कोसा और कैबिनेट मीटिंग के नाम पर उनसे पचास हजार रुपये फालतू में खर्च करवाने का रोना रोया, उससे यह साफ हो गया कि उन्हें भी सुनील जैन और अनीता गुप्ता की असलियत समझ में आ गई है, और अब वह उनके झाँसे में नहीं बने रह सकेंगे । एपीएस कपूर ने लोगों के बीच प्रमुखता के साथ यह शिकायत की कि डिस्ट्रिक्ट कैबिनेट मीटिंग के आयोजन का खर्चा तो सुनील जैन ने उनसे करवा लिया लेकिन उन्हें उसके बदले में उन्हें कोई फायदा नहीं दिया/दिलवाया ।
मजे की बात दरअसल यही रही कि गंगोह में डिस्ट्रिक्ट कैबिनेट मीटिंग करने के लिए सुनील जैन ने डिस्ट्रिक्ट के दूसरे लोगों को भी यही संदेश दिया और एपीएस कपूर को भी यही समझाया कि इसके जरिए एपीएस कपूर को अपनी उम्मीदवारी के पक्ष में माहौल बनाने का अवसर मिलेगा । यही कारण रहा कि सुनील जैन ने सेकेंड वाइस डिस्ट्रिक्ट गवर्नर पद के दूसरे उम्मीदवार अजय सिंघल को मीटिंग स्थल पर अपना कैम्प लगाने की अनुमति नहीं दी । सुनील जैन से अनुमति न मिलने के कारण अजय सिंघल को मीटिंग स्थल के पड़ोस की जगह पर अपना कैम्प लगाने के लिए मजबूर होना पड़ा । सुनील जैन ने डिस्ट्रिक्ट के कैम्प को एपीएस कपूर का कैम्प बना दिया था । सुनील जैन द्धारा की गई इतनी सब तैयारी के बावजूद एपीएस कपूर ने अपने आप को ठगा हुआ पाया और मीटिंग खत्म खत्म होते होते उन्होंने अजय सिंघल के कैम्प के लोगों के सामने समर्पण कर दिया ।
डिस्ट्रिक्ट कैबिनेट मीटिंग में जो हुआ, सुनील जैन के नजदीकियों ने उसके लिए अनीता गुप्ता को जिम्मेदार ठहराया है । सुनील जैन के नजदीकियों का कहना है कि अनीता गुप्ता यदि लोगों के साथ बदतमीजी न करतीं तो इतना बबाल न होता । उल्लेखनीय है कि कैबिनेट मीटिंग शुरू होने के समय सुनील जैन का पलड़ा भारी दिख रहा था । विरोधी खेमे की तरफ से एक अकेले अरुण मित्तल मीटिंग में मौजूद थे । मीटिंग में उपस्थित हुई कुञ्ज बिहारी अग्रवाल और अरविंद संगल की जोड़ी को सुनील जैन के साथ ही देखा/पहचाना जा रहा था । उनके अलावा सुनील जैन की परम ख़ैरख्वाह अनीता गुप्ता तो वहाँ थी हीं । यह स्थिति पूरी तरह सुनील जैन के अनुकूल थी । लेकिन यह अनुकूल स्थिति तब थोड़ा प्रतिकूल होना शुरू हुई जब डिस्ट्रिक्ट कॉन्फ्रेंस की जगह व तारीख को लेकर सवाल शुरू हुए । सुनील जैन ने प्रयास किया कि डिस्ट्रिक्ट कॉन्फ्रेंस की जगह व तारीख का चयन करने का अधिकार उन्हें दे दिया जाये, जिसे वह बाद में तय कर लेंगे । कैबिनेट के सदस्यों ने नियमों का हवाला देते हुए दावा किया कि यह बातें तो कैबिनेट मीटिंग में तय होंगी ।
मीटिंग में उपस्थित डिस्ट्रिक्ट के वरिष्ठ सदस्यों का मानना और कहना है कि सुनील जैन मामले को ठीक तरीके से हैंडल नहीं कर पाये । उनका कहना रहा कि पिछले वर्षों में कैबिनेट जगह और तारीख तय करने का अधिकार गवर्नर को देती रही है, लेकिन यह तब तब हुआ जब जब गवर्नर कैबिनेट सदस्यों का विश्वास जीतने में सफल रहा । डिस्ट्रिक्ट गवर्नर के रूप में सुनील जैन अपनी ही कैबिनेट के सदस्यों का विश्वास जीतने में चूँकि बुरी तरह विफल रहे हैं, और उन्होंने अपनी हरकतों से अपनी भूमिका को संदेहास्पद बना लिया है - इसलिए कैबिनेट के सदस्य डिस्ट्रिक्ट कॉन्फ्रेंस की जगह व तारीख तय करने का अधिकार उन्हें देने को राजी नहीं हुए । सुनील जैन एक तरफ तो अपनी ही कैबिनेट के सदस्यों के बीच विश्वास नहीं बना सके, और दूसरी तरफ पूर्व गवर्नर्स में से भी किसी को अपनी वकालत के लिए तैयार नहीं कर सके । सुनील जैन ने अपने रवैये और व्यवहार से उन कुञ्ज बिहारी अग्रवाल और अरविंद संगल को भी नाराज कर दिया, जिन्हें उनके संभावित समर्थकों के रूप में देखा/पहचाना जा रहा था । सुनील जैन को चारों तरफ से घिरा देख कर अनीता गुप्ता उनकी मदद के लिए आगे बढ़ीं, लेकिन उन्होंने निहायत बदतमीजीपूर्ण तरीके से मामले को सँभालने की जो कोशिश की उससे मामला सँभलने की बजाये बिगड़ और गया ।
अनीता गुप्ता के रवैये से मामला जब बिगड़ा, तब मीटिंग में मुकेश गोयल खेमे का अकेले प्रतिनिधित्व कर रहे अरुण मित्तल ने हस्तक्षेप किया और स्थिति का नियंत्रण अपने हाथ में लेते हुए बाजी न सिर्फ पूरी तरह पलट दी, बल्कि बाजी पर पूरी तरह कब्जा भी कर लिया । दरअसल अनीता गुप्ता ने कैबिनेट सदस्यों के साथ जब बदतमीजी करना शुरू किया और उनके इस रवैये से लोग भड़के तब अरुण मित्तल ने हस्तक्षेप करके कैबिनेट सदस्यों का पक्ष लिया । अनीता गुप्ता ने तब अपनी तुनकमिजाजी में सवाल और बात कर रहे कैबिनेट सदस्यों को बाहर जाने का फरमान सुना दिया, जिससे माहौल और गर्म हो उठा । इस गर्म माहौल पर अरुण मित्तल ने तत्काल सीधी चोट की और कैबिनेट मीटिंग का बहिष्कार करने का आह्वान किया । माहौल गर्म था ही, अरुण मित्तल के आह्वान ने उसमें और करंट पैदा कर दिया - जिसका नतीजा यह हुआ कि मीटिंग में मौजूद सभी लोग तुरंत उठ खड़े हुए और हाय हाय के नारे लगाते हुए बाहर निकलने लगे । 'अनीता गुप्ता हाय हाय', 'सुनील जैन हाय हाय' के नारे सुन कर कुञ्ज बिहारी अग्रवाल और अरविंद संगल के लिए भी वहाँ बैठे रह पाना मुश्किल हुआ और वह भी उठ कर बाहर चले आये । बाहर आये लोग अजय सिंघल के कैम्प में इकठ्ठा हुए ।
एपीएस कपूर ने जब यह नजारा देखा, तो वह भी 'अपना' कैम्प छोड़ कर अजय सिंघल के कैम्प में आ गए । इस तरह सुनील जैन ने अपनी बेवकूफी और अनीता गुप्ता ने अपनी बदतमीजी से जो माहौल बनाया, उसमें अरुण मित्तल ने डिस्ट्रिक्ट की चुनावी राजनीति का सारा गणित ही बदल दिया और सेकेंड वाइस डिस्ट्रिक्ट गवर्नर पद के लिए अजय सिंघल का रास्ता पूरी तरह साफ बना दिया । कुछेक लोगों को हालाँकि लगता है कि सुनील जैन मानेंगे नहीं और कोई न कोई उम्मीदवार जरूर लायेंगे; किंतु तीसरी कैबिनेट मीटिंग में सुनील जैन का जो हाल हुआ है और अच्छी भली पकड़ में आया उम्मीदवार जिस तरह उनके चंगुल से निकल भागा है, उसे देखते हुए अब कोई और चुनावी बलि का बकरा बनने को तैयार होगा - इसे लेकर संदेह है ।