Wednesday, November 14, 2018

चार्टर्ड एकाउंटेंट्स इंस्टीट्यूट की डिसिप्लिनरी कमेटी में दर्ज शिकायत से जुड़ी बातों पर चर्चाओं के चलते सेंट्रल काउंसिल के लिए प्रस्तुत श्रुति शाह की उम्मीदवारी को लेकर नकारात्मक माहौल बनता दिख रहा है, और उनकी उम्मीदवारी मुसीबत में फँसी दिखने लगी है

मुंबई/दिल्ली । डिसिप्लिनरी कमेटी में शिकायत के कारण सेंट्रल काउंसिल के लिए प्रस्तुत श्रुति शाह की उम्मीदवारी विवाद में घिर गई है, और इसके चलते अपनी उम्मीदवारी के लिए समर्थन जुटाने का उनका प्रचार अभियान भी मुसीबत में घिर गया है । कई लोगों का मानना/कहना है कि नैतिकता के उच्च आदर्शों का पालन करते हुए डिसिप्लिनरी कमेटी में दर्ज शिकायत को मद्देनजर रखते हुए श्रुति शाह को खुद ही सेंट्रल काउंसिल के लिए अपनी उम्मीदवारी को प्रस्तुत नहीं करना चाहिए था; किंतु उन्होंने ऐसा नहीं किया है - और इस तरह अपने रवैये से उन्होंने अपने आप को इंस्टीट्यूट की पूरी व्यवस्था को मजाक बना देने वाले लोगों में शामिल कर लिया है । श्रुति शाह यदि सेंट्रल काउंसिल में चुन ली जाती हैं, तो उनके खिलाफ दर्ज शिकायत की जाँच का क्या हश्र होगा, इसे सहज ही समझा जा सकता है । श्रुति शाह लेकिन अपनी उम्मीदवारी को उचित ठहराती हैं । इन पंक्तियों के लेखक से बात करते हुए उन्होंने तर्क दिया कि डिसिप्लिनरी कमेटी में शिकायत के कारण यदि उम्मीदवार अयोग्य माने जाने लगे, तब तो फिर कोई भी उम्मीदवार नहीं हो पायेगा - क्योंकि जो भी उम्मीदवार बनने की तैयारी करता नजर आयेगा, उसके विरोधी उसके खिलाफ शिकायत कर देंगे । उन्होंने दावा किया कि उनकी उम्मीदवारी पूरी तरह से न्यायोचित है, और उम्मीदवारी प्रस्तुत करके उन्होंने इंस्टीट्यूट के किसी भी नियम और या कानून का उल्लंघन नहीं किया है । श्रुति शाह का कहना रहा कि डिसिप्लिनरी कमेटी में दर्ज शिकायत में उनके खिलाफ फैसला अभी नहीं हुआ है, और इसलिए इंस्टीट्यूट की सेंट्रल काउंसिल के लिए उनका उम्मीदवारी प्रस्तुत करना पूरी तरह जायज है । 
श्रुति शाह का यह कहना वास्तव में उचित ही है कि नियम-कानून के अनुसार, उनकी उम्मीदवारी पूरी तरह जायज ही है; किंतु लोगों का कहना है कि सार्वजनिक जीवन में सक्रिय रहने वाले लोगों से उच्च नैतिक आदर्शों के पालन की उम्मीद की जाती है - जिसमें श्रुति शाह फेल होती हुई नजर आ रही हैं । अपने बचाव में श्रुति शाह जो तर्क दे रही हैं, उसे बहुत ही बचकाना और राजनीतिक तिकड़म से भरपूर रूप में देखा/पहचाना जा रहा है । गौर करने वाली बात यह है कि पाँचों रीजंस में सेंट्रल काउंसिल के लिए उम्मीदवारी प्रस्तुत करने वाले 83 उम्मीदवारों में एक अकेली श्रुति शाह हैं, जिनके खिलाफ डिसिप्लिनरी कमेटी में शिकायत दर्ज है । इससे भी ज्यादा गंभीर बात यह है कि उनके खिलाफ दर्ज शिकायत को प्राथमिक जाँच पड़ताल में गंभीर माना/पाया गया है । डिसिप्लिनरी कमेटी के कामकाज से परिचित लोगों का कहना है कि कमेटी में प्राथमिक जाँच पड़ताल में शिकायत की गंभीरता को जाँचा/परखा जाता है, और जिन शिकायतों को गंभीर नहीं माना/पाया जाता उन्हें प्राथमिक जाँच पड़ताल में ही निरस्त कर दिया जाता है । श्रुति शाह के मामले में शिकायत को चूँकि प्राथमिक जाँच पड़ताल में गंभीर माना/पाया गया है, इसलिए माना/समझा जा सकता है कि उनके खिलाफ शिकायत उतनी हल्की नहीं है - जितना कि वह दिखाने/जताने का प्रयास कर रही हैं । इंस्टीट्यूट में डिसिप्लिनरी कमेटी में प्रभावी लोगों के खिलाफ दर्ज शिकायतों को किस तरह लटकाये रखा जाता है, और किस तरह उन्हें 'अपने आप मरने' दिया जाता है - यह कोई दबी/छिपी बात नहीं है । दरअसल इसी तरह के गड़बड़झालों के आरोपों के चलते नफरा (एनएफआरए - नेशनल फाइनेंशियल रिपोर्टिंग अथॉरिटी) के लिए रास्ता बना है ।
इंस्टीट्यूट के दिल्ली स्थित मुख्यालय में कुछेक लोगों का आरोप है कि श्रुति शाह के मामले में भी जाँच-पड़ताल के काम को लेटलतीफी का शिकार बनाया गया है, जिसके चलते फैसला होने में देर हुई है । श्रुति शाह वेस्टर्न इंडिया रीजनल काउंसिल में नौ वर्षों से हैं, और पिछले से पिछले वर्ष वह वहाँ चेयरपरसन के पद पर थीं; इसके अलावा वह सेंट्रल काउंसिल में नौ वर्षों से लगातार सदस्य बने हुए दीनल शाह की नजदीकी रिश्तेदार हैं - ऐसे में डिसिप्लिनरी कमेटी में जाँच को लटकवाना उनके लिए कोई मुश्किल काम नहीं माना जा सकता है । दरअसल इसी तरह की बातों/चर्चाओं के चलते सेंट्रल काउंसिल के लिए प्रस्तुत श्रुति शाह की उम्मीदवारी को लेकर नकारात्मक माहौल बनता दिख रहा है, और उनकी उम्मीदवारी मुसीबत में फँसी दिखने लगी है । डिसिप्लिनरी कमेटी में दर्ज शिकायत को अपने राजनीतिक विरोधियों का कारनामा बताते हुए श्रुति शाह अपनी उम्मीदवारी के प्रति लोगों की सहानुभूति जुटाने का प्रयास भी हालाँकि कर रही हैं, पर उनका प्रयास ज्यादा सफल होता हुआ दिख नहीं रहा है । सेंट्रल काउंसिल के लिए प्रस्तुत उनकी उम्मीदवारी के लिए समर्थन जुटाने के लिए दीनल शाह भी प्रयास करते सुने गए हैं, लेकिन डिसिप्लिनरी कमेटी में दर्ज शिकायत के उजागर होने से दीनल शाह के सामने भी नैतिक संकट खड़ा हो गया है । दीनल शाह की प्रोफेशन के लोगों के बीच अच्छी साख है, और उन्हें जानने वाले लोगों को लगता है कि डिसिप्लिनरी कमेटी में दर्ज शिकायत के 'स्टेटस' के सामने आने के बाद श्रुति शाह की उम्मीदवारी को लेकर जिस तरह की नकारात्मक चर्चा चल रही है, उसके कारण दीनल शाह के लिए श्रुति शाह की उम्मीदवारी की वकालत और सक्रिय समर्थन कर पाना मुश्किल ही होगा । इस तरह से देखने में आ रहा है कि डिसिप्लिनरी कमेटी में दर्ज शिकायत श्रुति शाह की उम्मीदवारी के लिए बहुआयामी मुसीबत बन गई है ।