कुरुक्षेत्र । अजय मदान ने डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी पद की अपनी उम्मीदवारी के लिए समर्थन जुटाने के उद्देश्य से अपनी सक्रियता बढ़ा कर डिस्ट्रिक्ट की चुनावी राजनीति के परिदृश्य में हलचल मचाने के साथ-साथ राजा साबू खेमे के नेताओं की बेचैनी भी बढ़ा दी है । राजा साबू और उनके खेमे के नेताओं को दरअसल यह डर सता रहा है कि इस वर्ष भी यदि उनका 'आदमी' गवर्नर नॉमिनी नहीं चुना गया, तो निवर्त्तमान डिस्ट्रिक्ट गवर्नर टीके रूबी डीआरएफसी (डिस्ट्रिक्ट रोटरी फाउंडेशन चेयरमैन) बन जायेंगे । टीके रूबी को डीआरएफसी बनने से रोकने के लिए राजा साबू और उनके खेमे के नेताओं को इस वर्ष 'अपना' डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी चुनवाना जरूरी लग रहा है; लेकिन उनके बीच अभी तक इस वर्ष के अपने उम्मीदवार को लेकर भारी असमंजस बना हुआ है । डिस्ट्रिक्ट के लोगों के बीच हालाँकि कपिल गुप्ता को उनके उम्मीदवार के रूप में देखा/पहचाना जाता है; लेकिन राजा साबू खेमे के नेता कपिल गुप्ता की उम्मीदवारी को लेकर आश्वस्त नहीं हैं । इसके लिए खुद कपिल गुप्ता ही जिम्मेदार हैं । दरअसल कपिल गुप्ता अपनी उम्मीदवारी को लेकर कभी एक कदम आगे बढ़ते हुए दिखते हैं, तो उसके तुरंत बाद ही वह दो कदम पीछे हटते नजर आते हैं । उनके क्लब के लोगों तथा उनके नजदीकियों का कहना/बताना है कि कपिल गुप्ता अपनी उम्मीदवारी को लेकर काफी कन्फ्यूज लगते हैं; कभी उन्हें लगता है कि यह वर्ष उनकी उम्मीदवारी के लिए बहुत ही अनुकूल है, तो कभी उन्हें महसूस होता है कि इस वर्ष उनकी उम्मीदवारी की दाल गलना मुश्किल ही है । कपिल गुप्ता के नजदीकियों के अनुसार, कपिल गुप्ता हारने के लिए उम्मीदवार नहीं बनना चाहते हैं । हालाँकि हारने के लिए तो कोई भी उम्मीदवार नहीं बनता है; जो भी उम्मीदवार बनता है - 'कुछ' उसके पास होता है, और बाकी 'कुछ' के लिए उसे विश्वास होता है कि अपनी मेहनत से वह उसे पा लेगा । कपिल गुप्ता के नजदीकियों के अनुसार, उम्मीदवार बनने के लिए कपिल गुप्ता के पास कुछ तो है, और वह 'कुछ' अच्छा खासा है - लेकिन बाकी 'कुछ' पाने के लिए जो विश्वास चाहिए होता है, वह उनके पास नहीं है; इसीलिए वह डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी पद के लिए अपनी उम्मीदवारी को लेकर जितना दूर आगे बढ़ते हैं, उससे दुगना दूर पीछे हट जाते हैं ।
मजे की बात यह है कि यही समस्या बहुत हद तक अजय मदान के साथ भी थी । शुरू में अपनी उम्मीदवारी को लेकर उन्होंने भी बहुत नाटक किए थे । कभी बच्चों/परिवार की जिम्मेदारी, तो कभी कामकाज की व्यस्तता का वास्ता देकर वह उम्मीदवार बनने से बचने की कोशिश करते सुने/देखे जा रहे थे । कपिल गुप्ता की तुलना में अजय मदान लेकिन भाग्यशाली इसलिए रहे, क्योंकि उन्हें अपने नजदीकियों व समर्थकों से सकारात्मक प्रेरणा व सहयोग/समर्थन का आश्वासन मिलता रहा - इसके कारण अजय मदान इंकार करते करते अंततः उम्मीदवार बनने के लिए राजी हो गए । कपिल गुप्ता के साथ बदकिस्मती की बात यह रही कि नजदीकियों व समर्थकों के नाम पर उन्हें जो लोग मिले, वह उनकी मदद करने की बजाये उनसे फायदा उठाने की कोशिश करने की तिकड़म में ज्यादा दिखे । इस वजह से कपिल गुप्ता अपनी उम्मीदवारी को लेकर अपना मन ही स्थिर और निश्चित नहीं कर सके हैं, जिसका नतीजा यह देखने में आ रहा है कि अपनी उम्मीदवारी को लेकर कभी तो वह बहुत उत्साहित नजर आते हैं, तो कभी ऐसा लगता है कि जैसे उन्हें डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी पद की उम्मीदवारी में कोई दिलचस्पी ही नहीं है । उल्लेखनीय है कि राजा साबू खेमे की तरफ से सुरेश सबलोक और पूनम सिंह की भी उम्मीदवारी की चर्चा जब तब सुनाई दे जाती है; लेकिन लगता है कि राजा साबू खेमे के नेताओं को इन दोनों पर भरोसा नहीं है - उन्हें लगता है कि अजय मदान की उम्मीदवारी को टक्कर देने की सामर्थ्य कपिल गुप्ता में ही है । विडंबना की बात यही है कि कपिल गुप्ता उम्मीदवार बनने को तैयार हैं, और राजा साबू खेमे के नेता उनकी उम्मीदवारी का समर्थन करने के लिए राजी हैं - लेकिन समन्वय तथा आपसी विश्वास की कमी के चलते बात आगे नहीं बढ़ पा रही है ।
अजय मदान ने इस स्थिति का फायदा उठाते हुए अपनी उम्मीदवारी को और मजबूती देने के लिए तैयारी की है । डिस्ट्रिक्ट गवर्नर प्रवीन गोयल ने हालाँकि अभी तक चुनावी प्रक्रिया शुरू नहीं की है, और अभी तक डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी पद के लिए नामांकन भी नहीं माँगे हैं - इसके बावजूद अजय मदान अपनी उम्मीदवारी के लिए समर्थन जुटाने के उद्देश्य से एक बार डिस्ट्रिक्ट के सभी क्लब्स का चक्कर काट चुके हैं, और अभी हाल ही में वह दूसरी बार लोगों से मिलने-जुलने के अभियान पर निकले हैं । अपने इस अभियान में पिछले वर्ष डिस्ट्रिक्ट कैबिनेट सेक्रेटरी होना अजय मदान के खूब काम आ रहा है, और उनके अभियान को आसान बना रहा है । पिछले रोटरी वर्ष में डिस्ट्रिक्ट में अच्छी-खासी सक्रियता रही थी, जिस कारण डिस्ट्रिक्ट कैबिनेट सेक्रेटरी होने के नाते अजय मदान को भी लोगों के बीच खूब आना/जाना पड़ा था और डिस्ट्रिक्ट के आम व खास लोगों के साथ उनके नजदीकी संबंध बने थे । पिछले रोटरी वर्ष में डिस्ट्रिक्ट के आम व खास लोगों के साथ बने नजदीकी संबंध इस वर्ष डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी पद की उम्मीदवारी के उनके अभियान को आसान तथा प्रभावी बनाने में काम आ रहे हैं । सबसे बड़ी बात यह देखने में आ रही है कि अजय मदान उम्मीदवार के रूप में मिल सकने वाली चुनौतियों को खासी गंभीरता से ले रहे हैं, और अपनी तरफ से कहीं कोई कमी नहीं रहने दे रहे हैं । अजय मदान और उनके नजदीकी व समर्थक समझ रहे हैं कि राजा साबू खेमे के नेता इस वर्ष होने वाले डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी पद के चुनाव की महत्ता को ध्यान में रखते हुए अपने उम्मीदवार को चुनाव जितवाने के लिए कुछ भी करेंगे, इसलिए उनकी तरफ से होने वाली छोटी सी चूक और/या लापरवाही का राजा साबू खेमे के नेता फायदा उठाने का प्रयास करेंगे । टीके रूबी के अगले तीन वर्षों के लिए डीआरएफसी बनने का डर राजा साबू खेमे के नेताओं के बीच इस कदर बैठा हुआ है, कि इस वर्ष अपने 'आदमी' को डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी चुनवाने के लिए वह किसी भी हद तक चले जाने को तैयार हो जायेंगे । हालाँकि उनके बीच फैले/पसरे असमंजस को देखते हुए लग यही रहा है कि अजय मदान को 'रोकने' के लिए राजा साबू खेमे के नेताओं के पास ज्यादा अवसर या विकल्प हैं नहीं । उम्मीदवार के रूप में अजय मदान की सक्रियता चुनावी परिदृश्य को एकतरफा बनाये दे रही है ।