गाजियाबाद । अमित गुप्ता की तरफ से अशोक अग्रवाल की उम्मीदवारी को बाँधने तथा दौड़ से बाहर करने की तैयारी तो पक्की की गई थी, लेकिन अशोक अग्रवाल की तरफ से बचाव में की गई घेराबंदी ने उनकी तैयारी को उलझा दिया है । अशोक अग्रवाल की तरफ से दिखाए गए तेवर ने डिस्ट्रिक्ट गवर्नर सुभाष जैन को भी असमंजस में फँसा दिया है, जिस कारण उन्होंने मामले को ठंडे बस्ते में डाल दिया है । उल्लेखनीय है कि 4 नवंबर को रोटरी क्लब शिप्रा सनसिटी के एक आयोजन में अशोक अग्रवाल के शामिल होने और मंच पर बैठने को चुनावी आचारसंहिता का उल्लंघन करना मानते हुए अमित गुप्ता के क्लब - रोटरी क्लब गाजियाबाद सेंट्रल ने डिस्ट्रिक्ट गवर्नर को शिकायत की और जरूरी कार्रवाई करने की माँग की । शिकायत की बात सार्वजनिक होते ही अशोक अग्रवाल और उनके समर्थक सक्रिय हुए, जिनका कहना रहा कि 4 नवंबर को न तो अशोक अग्रवाल की उम्मीदवारी आधिकारिक रूप से प्रस्तुत हुई थी, और न ही उनके क्लब ने उनकी उम्मीदवारी को अधिकृत रूप से मंजूरी ही दी थी - इसलिए अशोक अग्रवाल उस समय चुनावी आचारसंहिता के घेरे में थे नहीं; दूसरी बात यह कि रोटरी क्लब शिप्रा सनसिटी के उस आयोजन में अशोक अग्रवाल को किसी भी रूप में प्रमोट नहीं किया गया था; मंच पर उन्हें यदि बैठाया गया था तो सिर्फ इसलिए क्योंकि यह एक नया क्लब है, जो अपने आयोजन में उपस्थित डिस्ट्रिक्ट के वरिष्ठ रोटेरियंस को सम्मानित करना चाहता था । मंच से न तो खुद अशोक अग्रवाल ने और न अन्य किसी ने अशोक अग्रवाल की उम्मीदवारी को प्रमोट करने का काम किया । इन तर्कों के साथ, अशोक अग्रवाल के समर्थकों ने दावा किया कि अशोक अग्रवाल की तरफ से चुनावी आचारसंहिता का उल्लंघन करने का कोई मामला नहीं बनता है; और यदि जबर्दस्ती मामला बनाने का प्रयास किया गया तो आधिकारिक रूप से उसका जबाव दिया जायेगा और मुकाबला किया जायेगा । अशोक अग्रवाल के समर्थकों ने यह दावा करके अमित गुप्ता और उनके समर्थकों को दबाव में और ला दिया है कि वह जब अपने आपको अशोक अग्रवाल के साथ चुनावी मुकाबले में पिछड़ता हुआ पा रहे हैं, तो झूठे मुद्दे उठा कर अशोक अग्रवाल को चुनावी दौड़ से बाहर करने की योजना बनाने लगे हैं ।
मजे की बात यह रही कि जिस आयोजन में अशोक अग्रवाल द्वारा चुनावी आचारसंहिता का उल्लंघन करने की शिकायत की गई है, उसमें डिस्ट्रिक्ट गवर्नर सुभाष जैन खुद मौजूद थे । इस तथ्य को इस्तेमाल करते हुए अशोक अग्रवाल के समर्थक दावा कर रहे हैं कि उक्त आयोजन में चुनावी आचारसंहिता का उल्लंघन यदि हो रहा होता, तो सुभाष जैन खुद उसका संज्ञान लेते और आवश्यक कार्रवाई करते; लेकिन सुभाष जैन का कोई कार्रवाई न करना साबित करता है कि उक्त आयोजन में कुछ भी गलत नहीं हो रहा था । अमित गुप्ता की तरफ से हुई शिकायत में बताया गया है कि 31 अक्टूबर को डिस्ट्रिक्ट गवर्नर कार्यालय से डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी पद के लिए नामांकन माँगे जाने की ईमेल आने के बाद अशोक अग्रवाल ने 2 नवंबर को सभी प्रेसीडेंट्स को ईमेल लिख कर सूचित किया कि चूँकि उनका क्लब डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी पद के लिए उनका नाम प्रस्तावित करना चाहता है, इसलिए वह डिस्ट्रिक्ट के सभी पदों से इस्तीफा दे रहे हैं । इसके बाद भी, वह 4 नवंबर को एक क्लब के अधिकृत आयोजन में शामिल हुए और इसतरह उन्होंने चुनावी आचारसंहिता का उल्लंघन किया । अशोक अग्रवाल के समर्थकों का कहना है कि अमित गुप्ता के क्लब के पदाधिकारियों ने उतावलेपन के जोश में जल्दबाजी दिखाई और तथ्यों को जाँचे बिना शिकायत ठोक दी । 2 नवंबर को ईमेल के जरिये अशोक अग्रवाल ने सभी प्रेसीडेंट्स को डिस्ट्रिक्ट के सभी पदों से इस्तीफा देने की बात इसलिए बताई थी, ताकि कोई प्रेसीडेंट अपने क्लब के किसी आयोजन में उन्हें पदाधिकारी के रूप में आमंत्रित न करे । शिकायत करने वाले पदाधिकारी यह तो पता कर लेते कि 4 नवंबर को अशोक अग्रवाल क्या सचमुच अपने पदों से इस्तीफा दे चुके थे और डिस्ट्रिक्ट गवर्नर सुभाष जैन उनका इस्तीफा कर चुके थे क्या ? अशोक अग्रवाल के समर्थकों का कहना है कि इसके अलावा सौ बात की एक बात, शिकायत करने वालों ने डिस्ट्रिक्ट इलेक्शन गाइडलाइंस का जो हवाला दिया है, वह सभी गाइडलाइंस 'उम्मीदवार' पर लागू होती हैं - और 4 नवंबर को अशोक अग्रवाल डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी पद के लिए आधिकारिक रूप से 'उम्मीदवार' नहीं थे ।
अमित गुप्ता की उम्मीदवारी के समर्थक भी समझ/मान रहे हैं कि अमित गुप्ता के क्लब के पदाधिकारियों ने शिकायत करने में जल्दबाजी करके अशोक अग्रवाल और उनके समर्थकों को एक तरफ तो सावधान कर दिया, और दूसरी तरफ अशोक अग्रवाल के समर्थकों को हमलावर होने का मौका दे दिया । अशोक अग्रवाल के समर्थक जोर-शोर से इस बात को प्रचारित करने में लगे हैं कि अमित गुप्ता के समर्थकों ने लगता है कि अशोक अग्रवाल की जीत को भाँप लिया है, और इसलिए ही वह अशोक अग्रवाल से चुनावी मुकाबले में भिड़ने की बजाए झूठे आरोप लगा कर अशोक अग्रवाल को चुनावी दौड़ से बाहर करने की कोशिशों में जुट गए हैं । इस मामले में दिलचस्प नजारा यह रहा कि अशोक अग्रवाल के खिलाफ हुई शिकायत को शुरु में पूर्व डिस्ट्रिक्ट गवर्नर रमेश अग्रवाल का समर्थन मिलता दिखा था, लेकिन जैसे जैसे यह स्पष्ट होता गया कि उक्त शिकायत में दम नहीं है - रमेश अग्रवाल ने भी अपने पैर पीछे लौटा लिए हैं । दरअसल, अशोक अग्रवाल के खिलाफ 18 नवंबर को शिकायत दर्ज होते ही जिस तरह से रमेश अग्रवाल सक्रिय हुए, उससे डिस्ट्रिक्ट के लोगों के बीच यह संदेश गया कि इस शिकायत के पीछे रमेश अग्रवाल हैं । इससे मामला अमित गुप्ता के पक्ष में बनने की बजाये बिगड़ और गया । दरअसल रमेश अग्रवाल अपनी हरकतों के चलते इस समय पूरी तरह अलग-थलग बने/पड़े हुए हैं । रमेश अग्रवाल की न मौजूदा डिस्ट्रिक्ट गवर्नर सुभाष जैन से बन रही हैं, और न आने वाले वर्षों में डिस्ट्रिक्ट गवर्नर का पदभार संभालने वाले दीपक गुप्ता व आलोक गुप्ता से बन रही है । पिछले दिनों हालाँकि रमेश अग्रवाल ने दीपक गुप्ता व आलोक गुप्ता के साथ अपने संबंध सुधारने की कोशिश तो की, लेकिन वह चूँकि इन दोनों के बारे में इतनी बकवासबाजी कर चुके हैं कि यह दोनों अभी तो रमेश अग्रवाल को माफ करने के मूड में नहीं दिखते हैं । वास्तव में इसीलिए जैसे ही डिस्ट्रिक्ट में लोगों का आभास हुआ कि अशोक अग्रवाल के खिलाफ शिकायत करवा कर रमेश अग्रवाल डिस्ट्रिक्ट में अपनी वापसी की कोशिश कर रहे हैं, वैसे ही लोग रमेश अग्रवाल की कोशिश के खिलाफ सक्रिय हो गए । इस चक्कर में अशोक अग्रवाल को उन लोगों का भी समर्थन मिल गया है, जिन्हें उनके खिलाफ देखा/पहचाना जा रहा था । अशोक अग्रवाल के समर्थकों की सक्रियता के चलते अशोक अग्रवाल के खिलाफ हुई शिकायत का मामला अभी तो दबता हुआ दिख रहा है, लेकिन देखने की बात यह होगी कि उनके खिलाफ शिकायत करने वाले मामले को यहीं छोड़ देते हैं या आगे बढ़ाते हैं ।