नई दिल्ली । अनूप मित्तल की चुनावी जीत के रूप में मिले डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी पद के चुनावी नतीजे ने इंटरनेशनल डायरेक्टर पद के लिए डिस्ट्रिक्ट में बन सकने वाले समीकरणों को छिन्न-भिन्न कर दिया है, जिसमें इंटरनेशनल डायरेक्टर पद के संभावित उम्मीदवारों में दीपक कपूर और विनोद बंसल के लिए चुनौती तथा रंजन ढींगरा व अशोक गुप्ता के लिए लाभ की स्थिति देखी/पहचानी जा रही है । उल्लेखनीय है कि डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी पद के लिए अशोक कंतूर को जितवाने में जो लोग लगे थे, उन्हें खेमेबाजी के लिहाज से दीपक कपूर के समर्थकों के रूप में देखा/पहचाना जा रहा था । दीपक कपूर का डिस्ट्रिक्ट में यूँ तो कोई समर्थन नहीं है, लेकिन माना/समझा जा रहा है कि वह यदि राजा साबू खेमे के उम्मीदवार 'बने' तो फिर डिस्ट्रिक्ट के कुछेक 'उन' लोगों का समर्थन उन्हें मिलेगा - जो अशोक कंतूर की उम्मीदवारी के पीछे थे । उन लोगों के बीच तो यहाँ तक चर्चा रही कि दीपक कपूर की तरफ से रवि चौधरी इंटरनेशनल डायरेक्टर पद के लिए अधिकृत उम्मीदवार का चयन करने वाली नोमीनेटिंग कमेटी के लिए उम्मीदवार होंगे । समझा जाता है कि अपनी 'उक्त' उम्मीदवारी के लिए अपने दावे को मजबूत करने के उद्देश्य से ही रवि चौधरी ने अशोक कंतूर की उम्मीदवारी का झंडा उठाया हुआ था । अशोक कंतूर की हार से लेकिन रवि चौधरी की उक्त उम्मीदवारी पर सवालिया निशान लग गया है, और यह स्थिति दीपक कपूर के लिए मुसीबत भरी है । डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी पद के लिए अनूप मित्तल की उम्मीदवारी का समर्थन करने वाले वह लोग थे, जिन्हें इंटरनेशनल प्रेसीडेंट नॉमिनी सुशील गुप्ता के खेमे में देखा/पहचाना जाता है । अनूप मित्तल की चुनावी जीत से डिस्ट्रिक्ट की चुनावी राजनीति में स्वाभाविक रूप से इस खेमे का 'वजन' बढ़ा है । इस बढ़े 'वजन' का फायदा जोन 4 में होने वाले इंटरनेशनल डायरेक्टर पद के चुनाव में लेकिन किसे मिलेगा - यह बड़ा सवाल है ?
बड़ा सवाल इसलिए, क्योंकि सुशील गुप्ता के खेमे के समर्थन की उम्मीद तीन अन्य संभावित उम्मीदवार - रंजन ढींगरा, विनोद बंसल और डिस्ट्रिक्ट 3054 के अशोक गुप्ता कर रहे हैं । डिस्ट्रिक्ट 3011 में हुए डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी पद के चुनाव में विनोद बंसल की भूमिका चूँकि संदेहास्पद रही, इसलिए सुशील गुप्ता के खेमे का समर्थन उन्हें मिल पाना चुनौतीपूर्ण बन गया है । डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी पद के चुनाव में विनोद बंसल ने अपने आप को तटस्थ 'दिखाया' हुआ था । चुनावी राजनीति में वास्तव में तटस्थता जैसी कोई चीज होती नहीं है, उसे बहानेबाजी के रूप में ही लिया/देखा जाता है । सुशील गुप्ता के खेमे के लोगों का कहना है कि डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी पद के चुनाव में खेमे को जब उनकी मदद की जरूरत थी, विनोद बंसल तब तटस्थ हो गए; इसी तर्ज पर जब विनोद बंसल को इंटरनेशनल डायरेक्टर के लिए मदद की जरूरत होगी, तब यदि खेमे के लोग तटस्थ हो गए - तो क्या होगा ? विनोद बंसल की तटस्थता संदेहास्पद इसलिए भी बनी, क्योंकि विनोद बंसल के नजदीकी अशोक कंतूर की उम्मीदवारी के समर्थन में सक्रिय थे । इससे लोगों के बीच संदेश यह गया कि विनोद बंसल दोनों तरफ तार जोड़े हुए थे, और यह संदेश इंटरनेशनल डायरेक्टर पद की उनकी उम्मीदवारी की तैयारी को नुकसान पहुँचाने का काम करता है । कुछेक लोगों को हालाँकि लगता है कि विनोद बंसल को होता दिख रहा यह नुकसान तात्कालिक ही है; क्योंकि इंटरनेशनल डायरेक्टर पद के चुनावी घमासान में रंजन ढींगरा इस स्थिति का फायदा उठा नहीं सकेंगे - और तब विनोद बंसल इस नुकसान की भरपाई कर लेंगे ।
कई लोगों का लेकिन यह भी मानना/कहना है कि यदि सचमुच रंजन ढींगरा अपनी तैयारी में 'कमजोर' पड़े या नजर आये तो इसका फायदा उठाने का प्रयास डिस्ट्रिक्ट 3054 के अशोक गुप्ता भी करेंगे - और यह स्थिति विनोद बंसल के लिए मुसीबत पैदा करेगी । डिस्ट्रिक्ट 3011 में अशोक गुप्ता के समर्थक भी हैं, जो उन लोगों के लिए अशोक गुप्ता की उम्मीदवारी के समर्थन में आने का रास्ता बना सकते हैं - जो खेमे में होने के बावजूद विनोद बंसल के समर्थन में किसी भी कारण से नहीं जाना चाहेंगे । किसी एक डिस्ट्रिक्ट में होने वाला डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी पद का चुनाव हालाँकि डिस्ट्रिक्ट की चुनावी राजनीति के समीकरणों के ही बनने/बिगड़ने का मौका होता है, और इंटरनेशनल डायरेक्टर पद के चुनाव को सीमित रूप में ही - ज्यादा से ज्यादा उसके लिए बनने वाली नोमीनेटिंग कमेटी की सदस्यता के लिए होने वाले चुनाव को - प्रभावित करने की क्षमता रखता है । लेकिन डिस्ट्रिक्ट 3011 की बात जरा निराली है । अब तो यह इंटरनेशनल प्रेसीडेंट नॉमिनी सुशील गुप्ता का डिस्ट्रिक्ट भी बन गया है; इस डिस्ट्रिक्ट में इंटरनेशनल डायरेक्टर पद के लिए तीन उम्मीदवारों की चर्चा तो अभी से ही - जो इस डिस्ट्रिक्ट की राजनीतिक उर्वरता को दर्शाती है । दरअसल इसी कारण से इस वर्ष यहाँ हुआ डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी पद का चुनाव खासा महत्त्वपूर्ण हो गया - और इसे राजा साबू व सुशील गुप्ता खेमे के बीच हुए चुनाव के रूप में देखा/पहचाना गया । अशोक कंतूर की उम्मीदवारी के समर्थक राजा साबू खेमे के नेताओं ने इस चुनाव की आड़ में वास्तव में बहुत ही आक्रामक तरीके से राजनीति की, जैसे उनके लिए यह चुनाव जीने/मरने का मामला हो - और उन्हें किसी भी तरह से इसे जीतना ही था । अनूप मित्तल की चुनावी जीत ने लेकिन उनके सारे मंसूबों पर पानी फेर दिया और इस स्थिति ने इंटरनेशनल डायरेक्टर पद के लिए दीपक कपूर और विनोद बंसल के लिए अलग अलग कारणों से मुसीबत पैदा कर दी है ।