
डिस्ट्रिक्ट और मल्टीपल के लोगों को हैरानी लेकिन इस बात की है कि जब डिस्ट्रिक्ट में बहुसंख्यक सदस्य विभाजन के पक्ष में हैं तब विनोद खन्ना और जेपी सिंह इस विभाजन को रोकने के लिए हाय-तौबा क्यों मचाये हुए हैं ? उल्लेखनीय है कि डिस्ट्रिक्ट के विभाजन को रोकने के लिए विनोद खन्ना और जेपी सिंह ने कोई कोर कसर नहीं छोड़ी तथा इस खातिर पहले डिस्ट्रिक्ट में और फिर मल्टीपल में हर तरह का अपमान और जलालत सहने तक को तैयार हुए । पहले डिस्ट्रिक्ट में और फिर मल्टीपल में इन दोनों की जितनी बेइज्जती हुई है उतनी लॉयनिज्म के इतिहास में शायद कभी किसी की नहीं हुई होगी, लेकिन फिर भी यह दोनों अभी भी डिस्ट्रिक्ट के विभाजन को रोकने के लिए तिकड़में करने से बाज नहीं आ रहे हैं । ऐसे में, इनके विरोधियों को एक बार फिर यह कहने का मौका मिला है कि डिस्ट्रिक्ट का विभाजन हो जाने से चूँकि इनका धंधा चौपट हो जायेगा, इसलिए यह डिस्ट्रिक्ट को विभाजित नहीं होने देना चाहते हैं । उल्लेखनीय है कि विनोद खन्ना और जेपी सिंह पर लॉयनिज्म को धंधा बना लेने के आरोप पहले भी लगते रहे हैं - लेकिन अब इस आरोप पर वह लोग भी विश्वास करने लगे हैं जो अभी तक इन दोनों के साथ थे और इस तरह के आरोप को सच नहीं मानते थे । इनके साथ रहे लोगों का कहना है कि डिस्ट्रिक्ट के विभाजन को रोकने के लिए विनोद खन्ना और जेपी सिंह जिस तरह की हरकतें कर रहे हैं और मल्टीपल के बड़े नेताओं से लेकर आम लॉयन सदस्यों तक के लांछनों तक का शिकार हो रहे हैं, अपमानित हो रहे हैं - उसे देख कर लग रहा है कि डिस्ट्रिक्ट का विभाजन जैसे इनकी रोजी रोटी छीन लेगा । विनोद खन्ना और जेपी सिंह की हरकतों ने डिस्ट्रिक्ट के उन सदस्यों को भी विभाजन के पक्ष में कर दिया है जो पहले इनके साथ थे और विभाजन का विरोध कर रहे थे । यही कारण रहा कि डिस्ट्रिक्ट की चुनावी राजनीति पर अच्छी पकड़ रखने वाले विनोद खन्ना और जेपी सिंह विभाजन के मुद्दे पर हुई वोटिंग में तीस से अधिक वोटों से हार गए ।
डिस्ट्रिक्ट के विभाजन के पक्ष में डिस्ट्रिक्ट कॉन्फ्रेंस में हुए फैसले को मल्टीपल में निरस्त करवाने की विनोद खन्ना और जेपी सिंह की जोड़ी ने हर तरह की तिकड़म की - लेकिन वहाँ भी उनकी दाल नहीं गली । मल्टीपल कॉन्फ्रेंस में मौजूद दूसरे डिस्ट्रिक्ट के पदाधिकारियों के बीच भी इन दोनों की पोल खूब खुली और इनकी जबर्दस्त ले-दे हुई - लेकिन यह दोनों पूरी बेशर्मी के साथ अपना 'धंधा' बचाने के अभियान में लगे रहे । मल्टीपल कॉन्फ्रेंस में इंटरनेशनल डायरेक्टर जगदीश गुलाटी ने जब इनका पक्ष लेने की कोशिश की तो वहाँ मौजूद लोगों ने उनकी भी फजीहत करना शुरू कर दी - तब जगदीश गुलाटी भी चुप लगा गए । विनोद खन्ना और जेपी सिंह को इंटरनेशनल प्रेसीडेंट बनने की तैयारी में लगे नरेश अग्रवाल से मदद मिलने की उम्मीद थी - लेकिन माहौल को पूरी तरह इनके खिलाफ भाँप कर नरेश अग्रवाल ने भी चुप रहने में ही अपनी भलाई देखी/पहचानी । मल्टीपल में अपमान, जलालत और हार का सामना करने के बाद विनोद खन्ना और जेपी सिंह की उम्मीद अब मल्टीपल काउंसिल चेयरपरसन प्रमोद सेठ पर टिकी है । प्रमोद सेठ को चूँकि इन लोगों के 'सिपाही' के तौर पर ही देखा/पहचाना जाता है इसलिए कई लोगों को विश्वास है कि प्रमोद सेठ वही करेंगे, जो विनोद खन्ना और जेपी सिंह कहेंगे/चाहेंगे । प्रमोद सेठ ने हालाँकि इन पंक्तियों के लेखक से बात करते हुए दावा किया है कि चेयरपरसन के रूप में वह लॉयंस इंटरनेशनल को वही लिखेंगे जो हुआ है - लेकिन मल्टीपल के लॉयंस के बीच उनकी जैसी कु(ख्याति) है उसके चलते कई लोगों को लगता है कि प्रमोद सेठ डिस्ट्रिक्ट 321 ए टू के सदस्यों के साथ विनोद खन्ना और जेपी सिंह के दबाव में बेईमानी कर सकते हैं ।
विनोद खन्ना और जेपी सिंह के लिए डिस्ट्रिक्ट 321 ए टू का विभाजन दरअसल उनके अस्तित्व के लिए बड़ा खतरा है । डिस्ट्रिक्ट के लोगों का ही कहना है कि विभाजित डिस्ट्रिक्ट में डिस्ट्रिक्ट गवर्नर बनने की इच्छा रखने वाले लोगों तथा डिस्ट्रिक्ट कैबिनेट में जगह पाने के इच्छुक लोगों से पैसे ऐंठने का इनका धंधा तो पूरी तरह ही चौपट हो जायेगा । अभी चूँकि बड़ा डिस्ट्रिक्ट है, इसलिए यह अपने विरोध को मैनेज कर लेते हैं - लेकिन डिस्ट्रिक्ट जब छोटा हो जायेगा, तब अपनी बेईमानियों के खिलाफ उठने वाली आवाजों को नियंत्रित करना इनके लिए मुश्किल होगा और तब डिस्ट्रिक्ट में न इनकी राजनीतिक चौधराहट चल पायेगी और न लॉयनिज्म की आड़ में चलने वाला इनका धंधा बना रह पायेगा । अपनी राजनीति और अपने धंधे को बनाये/बचाये रखने के लिए डिस्ट्रिक्ट के विभाजन को रोकना ही इनके लिए एकमात्र उपाय है । यह देखना दिलचस्प होगा कि अपने धंधे को बचाने की इनकी कोशिश में मल्टीपल काउंसिल चेयरपरसन प्रमोद सेठ इनके मददगार होते हैं या अपनी इज्जत और अपनी साख बचाते हैं ।