नई दिल्ली । अमरजीत चोपड़ा के रवैये ने सेंट्रल काउंसिल की
सदस्यता के लिए अपनी अपनी उम्मीदवारी के लिए समर्थन जुटाने का प्रयास करने
में लगे एमके अग्रवाल, विजय कुमार गुप्ता और संजीव चौधरी को हैरान और
परेशान किया हुआ है । इनकी हैरानी और परेशानी का कारण यह है कि अमरजीत
चोपड़ा ने सेंट्रल काउंसिल के चुनाव में समर्थन का 'दिखावा' तो इनसे कर रखा
है; लेकिन लोगों के बीच अपने प्रेसीडेंट काल की उपलब्धियों की बात करते हैं
तो तारीफ संजय वॉयस ऑफ सीए अग्रवाल की करते हैं । सेंट्रल काउंसिल के
मौजूदा सदस्य संजय वॉयस ऑफ सीए अग्रवाल चूंकि अगली सेंट्रल काउंसिल की
सदस्यता के लिए भी उम्मीदवार हैं इसलिए अमरजीत चोपड़ा द्धारा की जाने वाली
उनकी तारीफ उनकी उम्मीदवारी को फायदा पहुँचाती है और अमरजीत चोपड़ा के
समर्थन का दावा करने वाले एमके अग्रवाल, विजय गुप्ता और संजीव चौधरी अपने
आप को ठगा हुआ पाते हैं । उल्लेखनीय है कि अमरजीत चोपड़ा जब इंस्टीट्यूट के
प्रेसीडेंट थे तब संजय वॉयस ऑफ सीए अग्रवाल उनके बड़े नजदीकी सहयोगी थे और
अमरजीत चोपड़ा की प्रायः प्रत्येक कार्रवाई में मुख्य भूमिका निभाया करते
थे । कुछ लोग सहजता में तो कुछ खुन्नस में कहा भी करते थे कि संजय वॉयस ऑफ
सीए अग्रवाल की मदद के बिना तो अमरजीत चोपड़ा कुछ कर ही नहीं सकते हैं ।
कुछेक लोगों ने अमरजीत चोपड़ा को संजय वॉयस ऑफ सीए अग्रवाल से दूर करने की
बहुत कोशिश भी की, लेकिन अमरजीत चोपड़ा ने किसी भी कोशिश को कामयाब नहीं
होने दिया ।
अमरजीत चोपड़ा ने प्रेसीडेंट के पद पर रहते हुए भी और उसके बाद भी प्रेसीडेंट के रूप में प्राप्त की गईं अपनी उपलब्धियों की जब भी बात की, संजय वॉयस ऑफ सीए अग्रवाल से मिले सहयोग की, हर काम में दिलचस्पी लेने में उनकी तत्परता की और उनकी सक्रिय भूमिका की लगातार तारीफ की । अमरजीत चोपड़ा द्धारा संजय वॉयस ऑफ सीए अग्रवाल की लगातार की जा रही इस तारीफ से लोगों के बीच अनुमान लगाया गया कि सेंट्रल काउंसिल के चुनाव में अमरजीत चोपड़ा इस बार संजय वॉयस ऑफ सीए अग्रवाल की उम्मीदवारी का समर्थन करेंगे । लेकिन जब चुनाव का समय आया तो अमरजीत चोपड़ा के समर्थन का दावा करते हुए एमके अग्रवाल को, विजय कुमार गुप्ता को और संजीव चौधरी को सुना गया । मजे की बात यह है कि खुद अमरजीत चोपड़ा ने किसी भी उम्मीदवार के समर्थन की बात नहीं कही है - लेकिन अलग-अलग तरह की परिस्थितियों का 'हवाला' देकर उनके समर्थन का दावा किया जा रहा है । जैसे अमरजीत चोपड़ा ने चूंकि एमके अग्रवाल के एक उपक्रम 'प्रोफेशनल टाइम्स' की टीम का चेयरमैन बनना स्वीकार किया - तो उसका हवाला देकर एमके अग्रवाल ने उनके समर्थन का दावा कर दिया; और विजय कुमार गुप्ता ने अमरजीत चोपड़ा के समर्थन का दावा इसलिए किया हुआ है क्योंकि अमरजीत चोपड़ा के नजदीक समझे जाने वाले मधुसुदन गोयल उनका समर्थन कर रहे हैं । अमरजीत चोपड़ा के कुछेक नजदीकी चूँकि संजीव चौधरी का समर्थन कर रहे हैं तो उसका हवाला देकर संजीव चौधरी उनके समर्थन का दावा करने लगे हैं । इन्हें लगा कि ऐसा करके यह लोगों के बीच गलतफहमी पैदा कर लेंगे और फायदा उठा लेंगे ।
इसका मौका इन्हें अमरजीत चोपड़ा ने ही दिया - क्योंकि उन्होंने यह कभी भी स्पष्ट नहीं किया कि उनका समर्थन किसके साथ है । दरअसल वह किसी को नाराज नहीं करना चाहते और हरेक से फायदा उठाना चाहते हैं । एमके अग्रवाल ने अपने उपक्रम 'प्रोफेशनल टाइम्स' का मुखिया बना कर उन्हें सार्वजानिक रूप से दिखने का मौका दिया है; संजीव चौधरी के जरिये अमरजीत चोपड़ा को बिग फोर में काम लेने का जुगाड़ बैठाना है । अमरजीत चोपड़ा को व्यक्तिगत रूप से जानने वाले कहते/बताते हैं कि अमरजीत चोपड़ा को इस बात का बड़ा मलाल है कि इंस्टीट्यूट का प्रेसीडेंट होने पर जितना पैसा एनडी गुप्ता ने और वेद जैन ने कमाया, उतना पैसा वह नहीं कमा पाए हैं । इसकी भरपाई अब वह बिग फोर की मदद से करना चाहते हैं । अमरजीत चोपड़ा के साथ मुश्किल यह रही कि इंस्टीट्यूट में प्रेसीडेंट के पद पर रहते हुए उन्होंने बातें और फैसले बिग फोर के खिलाफ किये, जिसके चलते बिग फोर ने उन्हें तवज्जो नहीं दी । अमरजीत चोपड़ा लेकिन अब बिग फोर से अपने संबंध सुधारना चाहते हैं और इसीलिये अपने कुछेक लोगों को उन्होंने संजीव चौधरी के साथ लगा दिया है । अमरजीत चोपड़ा ने खुद संजीव चौधरी के लिए कुछ नहीं किया या कहा है - क्योंकि उन्हें डर है कि संजीव चौधरी की जीत के बाद यदि बिग फोर ने उनका अहसान नहीं माना तो वह तो मुफ्त में ही बदनाम होंगे । इसलिए वह खुद कुछ नहीं कह रहे हैं और अपने लोगों के जरिये ही अपने मतलब साधने का जुगाड़ बैठा रहे हैं ।
विजय कुमार गुप्ता के साथ उनका मामला खासा दिलचस्प है । एक समय विजय कुमार गुप्ता उनके बड़े खास हुआ करते थे, लेकिन पिछले चुनाव में विजय कुमार गुप्ता की हार के बाद बात बिगड़ गई । विजय कुमार गुप्ता ने अपनी हार को लेकर कोर्ट-कचहरी करना चाही थी और उम्मीद की थी कि प्रेसीडेंट के रूप में अमरजीत चोपड़ा उनकी मदद करेंगे । हारे हुए विजय कुमार गुप्ता की मदद करने से अमरजीत चोपड़ा ने लेकिन साफ इंकार कर दिया । अमरजीत चोपड़ा के इस रवैये की विजय कुमार गुप्ता को जरा भी उम्मीद नहीं थी । उन्हें तगड़ा झटका लगा और फिर उन्होंने अमरजीत चोपड़ा के खिलाफ मोर्चा ही खोल दिया । विजय कुमार गुप्ता उन दिनों लोगों को अमरजीत चोपड़ा की धोखेबाजियों के किस्से सुनाया करते थे । दूसरे कई लोगों के साथ-साथ अमरजीत चोपड़ा ने पूर्व प्रेसीडेंट सुनील तलति के साथ किस तरह की धोखेबाजी की थी, इसे लोगों ने विजय कुमार गुप्ता के जरिये ही जाना था । अमरजीत चोपड़ा के नजदीकी कुछेक लोगों का तो यहाँ तक कहना था कि विजय कुमार गुप्ता को सबक सिखाने के लिए ही अमरजीत चोपड़ा ने संजय वॉयस ऑफ सीए अग्रवाल को अपने साथ जोड़ा और आगे बढ़ाया । लेकिन तब मधुसुदन गोयल इस चुनाव में विजय कुमार गुप्ता के साथ क्यों हैं ? मधुसुदन गोयल के नजदीकियों का कहना है कि मधुसुदन गोयल अपने कारण से विजय कुमार गुप्ता की उम्मीदवारी के साथ हैं - न कि अमरजीत चोपड़ा के नजदीकी होने के कारण; और वह लोगों से यह कह/बता भी रहे हैं । यही कारण है कि अमरजीत चोपड़ा के दूसरे नजदीकियों का समर्थन विजय कुमार गुप्ता को दिलवाने का वह कोई भी प्रयत्न नहीं कर रहे हैं । विजय कुमार गुप्ता के साथ होकर मधुसुदन गोयल दरअसल अगली बार सेंट्रल काउंसिल की अपनी उम्मीदवारी प्रस्तुत करने की 'तैयारी' कर रहे हैं । इस तैयारी में वह विजय कुमार गुप्ता के नजदीकियों के साथ अपनी नजदीकी बनाते हुए तो खूब नजर आ रहे हैं, लेकिन विजय कुमार गुप्ता के लिए कुछ खास करते हुए नहीं दिख रहे हैं । लोगों को यह सफाई देकर वह विजय कुमार गुप्ता का काम और बिगाड़ रहे हैं कि विजय कुमार गुप्ता को उनके समर्थन का मतलब यह नहीं है कि अमरजीत चोपड़ा का समर्थन विजय कुमार गुप्ता को है ।
अमरजीत चोपड़ा का समर्थन फिर किसको है ? यह बड़ा रहस्य है । क्योंकि अमरजीत चोपड़ा ने किसी भी उम्मीदवार का समर्थन करने की घोषणा नहीं की है । उनकी इस चुप्पी या तटस्थता का फायदा उठाने के उद्देश्य से एमके अग्रवाल ने, विजय कुमार गुप्ता ने और संजीव चौधरी ने कुछेक परिस्थितियों का इस्तेमाल करते हुए लोगों के बीच उनके समर्थन का दावा किया हुआ है । उनकी इस दावे को लेकिन अमरजीत चोपड़ा ने जगह-जगह संजय वॉयस ऑफ सीए अग्रवाल की तारीफ कर कर के बेमानी बना दिया है । अमरजीत चोपड़ा के समर्थन का दावा करने वाले इन लोगों से पूछा भी जाता है कि अमरजीत चोपड़ा के समर्थन का दावा तो आप कर रहे हो, लेकिन अमरजीत चोपड़ा तो कभी भी आपका जिक्र नहीं करते - वह तो हमेशा ही संजय वॉयस ऑफ सीए अग्रवाल की तारीफ करते हैं; इसलिए क्या माना जाये कि वह किसका समर्थन करते हैं ?
अमरजीत चोपड़ा ने प्रेसीडेंट के पद पर रहते हुए भी और उसके बाद भी प्रेसीडेंट के रूप में प्राप्त की गईं अपनी उपलब्धियों की जब भी बात की, संजय वॉयस ऑफ सीए अग्रवाल से मिले सहयोग की, हर काम में दिलचस्पी लेने में उनकी तत्परता की और उनकी सक्रिय भूमिका की लगातार तारीफ की । अमरजीत चोपड़ा द्धारा संजय वॉयस ऑफ सीए अग्रवाल की लगातार की जा रही इस तारीफ से लोगों के बीच अनुमान लगाया गया कि सेंट्रल काउंसिल के चुनाव में अमरजीत चोपड़ा इस बार संजय वॉयस ऑफ सीए अग्रवाल की उम्मीदवारी का समर्थन करेंगे । लेकिन जब चुनाव का समय आया तो अमरजीत चोपड़ा के समर्थन का दावा करते हुए एमके अग्रवाल को, विजय कुमार गुप्ता को और संजीव चौधरी को सुना गया । मजे की बात यह है कि खुद अमरजीत चोपड़ा ने किसी भी उम्मीदवार के समर्थन की बात नहीं कही है - लेकिन अलग-अलग तरह की परिस्थितियों का 'हवाला' देकर उनके समर्थन का दावा किया जा रहा है । जैसे अमरजीत चोपड़ा ने चूंकि एमके अग्रवाल के एक उपक्रम 'प्रोफेशनल टाइम्स' की टीम का चेयरमैन बनना स्वीकार किया - तो उसका हवाला देकर एमके अग्रवाल ने उनके समर्थन का दावा कर दिया; और विजय कुमार गुप्ता ने अमरजीत चोपड़ा के समर्थन का दावा इसलिए किया हुआ है क्योंकि अमरजीत चोपड़ा के नजदीक समझे जाने वाले मधुसुदन गोयल उनका समर्थन कर रहे हैं । अमरजीत चोपड़ा के कुछेक नजदीकी चूँकि संजीव चौधरी का समर्थन कर रहे हैं तो उसका हवाला देकर संजीव चौधरी उनके समर्थन का दावा करने लगे हैं । इन्हें लगा कि ऐसा करके यह लोगों के बीच गलतफहमी पैदा कर लेंगे और फायदा उठा लेंगे ।
इसका मौका इन्हें अमरजीत चोपड़ा ने ही दिया - क्योंकि उन्होंने यह कभी भी स्पष्ट नहीं किया कि उनका समर्थन किसके साथ है । दरअसल वह किसी को नाराज नहीं करना चाहते और हरेक से फायदा उठाना चाहते हैं । एमके अग्रवाल ने अपने उपक्रम 'प्रोफेशनल टाइम्स' का मुखिया बना कर उन्हें सार्वजानिक रूप से दिखने का मौका दिया है; संजीव चौधरी के जरिये अमरजीत चोपड़ा को बिग फोर में काम लेने का जुगाड़ बैठाना है । अमरजीत चोपड़ा को व्यक्तिगत रूप से जानने वाले कहते/बताते हैं कि अमरजीत चोपड़ा को इस बात का बड़ा मलाल है कि इंस्टीट्यूट का प्रेसीडेंट होने पर जितना पैसा एनडी गुप्ता ने और वेद जैन ने कमाया, उतना पैसा वह नहीं कमा पाए हैं । इसकी भरपाई अब वह बिग फोर की मदद से करना चाहते हैं । अमरजीत चोपड़ा के साथ मुश्किल यह रही कि इंस्टीट्यूट में प्रेसीडेंट के पद पर रहते हुए उन्होंने बातें और फैसले बिग फोर के खिलाफ किये, जिसके चलते बिग फोर ने उन्हें तवज्जो नहीं दी । अमरजीत चोपड़ा लेकिन अब बिग फोर से अपने संबंध सुधारना चाहते हैं और इसीलिये अपने कुछेक लोगों को उन्होंने संजीव चौधरी के साथ लगा दिया है । अमरजीत चोपड़ा ने खुद संजीव चौधरी के लिए कुछ नहीं किया या कहा है - क्योंकि उन्हें डर है कि संजीव चौधरी की जीत के बाद यदि बिग फोर ने उनका अहसान नहीं माना तो वह तो मुफ्त में ही बदनाम होंगे । इसलिए वह खुद कुछ नहीं कह रहे हैं और अपने लोगों के जरिये ही अपने मतलब साधने का जुगाड़ बैठा रहे हैं ।
विजय कुमार गुप्ता के साथ उनका मामला खासा दिलचस्प है । एक समय विजय कुमार गुप्ता उनके बड़े खास हुआ करते थे, लेकिन पिछले चुनाव में विजय कुमार गुप्ता की हार के बाद बात बिगड़ गई । विजय कुमार गुप्ता ने अपनी हार को लेकर कोर्ट-कचहरी करना चाही थी और उम्मीद की थी कि प्रेसीडेंट के रूप में अमरजीत चोपड़ा उनकी मदद करेंगे । हारे हुए विजय कुमार गुप्ता की मदद करने से अमरजीत चोपड़ा ने लेकिन साफ इंकार कर दिया । अमरजीत चोपड़ा के इस रवैये की विजय कुमार गुप्ता को जरा भी उम्मीद नहीं थी । उन्हें तगड़ा झटका लगा और फिर उन्होंने अमरजीत चोपड़ा के खिलाफ मोर्चा ही खोल दिया । विजय कुमार गुप्ता उन दिनों लोगों को अमरजीत चोपड़ा की धोखेबाजियों के किस्से सुनाया करते थे । दूसरे कई लोगों के साथ-साथ अमरजीत चोपड़ा ने पूर्व प्रेसीडेंट सुनील तलति के साथ किस तरह की धोखेबाजी की थी, इसे लोगों ने विजय कुमार गुप्ता के जरिये ही जाना था । अमरजीत चोपड़ा के नजदीकी कुछेक लोगों का तो यहाँ तक कहना था कि विजय कुमार गुप्ता को सबक सिखाने के लिए ही अमरजीत चोपड़ा ने संजय वॉयस ऑफ सीए अग्रवाल को अपने साथ जोड़ा और आगे बढ़ाया । लेकिन तब मधुसुदन गोयल इस चुनाव में विजय कुमार गुप्ता के साथ क्यों हैं ? मधुसुदन गोयल के नजदीकियों का कहना है कि मधुसुदन गोयल अपने कारण से विजय कुमार गुप्ता की उम्मीदवारी के साथ हैं - न कि अमरजीत चोपड़ा के नजदीकी होने के कारण; और वह लोगों से यह कह/बता भी रहे हैं । यही कारण है कि अमरजीत चोपड़ा के दूसरे नजदीकियों का समर्थन विजय कुमार गुप्ता को दिलवाने का वह कोई भी प्रयत्न नहीं कर रहे हैं । विजय कुमार गुप्ता के साथ होकर मधुसुदन गोयल दरअसल अगली बार सेंट्रल काउंसिल की अपनी उम्मीदवारी प्रस्तुत करने की 'तैयारी' कर रहे हैं । इस तैयारी में वह विजय कुमार गुप्ता के नजदीकियों के साथ अपनी नजदीकी बनाते हुए तो खूब नजर आ रहे हैं, लेकिन विजय कुमार गुप्ता के लिए कुछ खास करते हुए नहीं दिख रहे हैं । लोगों को यह सफाई देकर वह विजय कुमार गुप्ता का काम और बिगाड़ रहे हैं कि विजय कुमार गुप्ता को उनके समर्थन का मतलब यह नहीं है कि अमरजीत चोपड़ा का समर्थन विजय कुमार गुप्ता को है ।
अमरजीत चोपड़ा का समर्थन फिर किसको है ? यह बड़ा रहस्य है । क्योंकि अमरजीत चोपड़ा ने किसी भी उम्मीदवार का समर्थन करने की घोषणा नहीं की है । उनकी इस चुप्पी या तटस्थता का फायदा उठाने के उद्देश्य से एमके अग्रवाल ने, विजय कुमार गुप्ता ने और संजीव चौधरी ने कुछेक परिस्थितियों का इस्तेमाल करते हुए लोगों के बीच उनके समर्थन का दावा किया हुआ है । उनकी इस दावे को लेकिन अमरजीत चोपड़ा ने जगह-जगह संजय वॉयस ऑफ सीए अग्रवाल की तारीफ कर कर के बेमानी बना दिया है । अमरजीत चोपड़ा के समर्थन का दावा करने वाले इन लोगों से पूछा भी जाता है कि अमरजीत चोपड़ा के समर्थन का दावा तो आप कर रहे हो, लेकिन अमरजीत चोपड़ा तो कभी भी आपका जिक्र नहीं करते - वह तो हमेशा ही संजय वॉयस ऑफ सीए अग्रवाल की तारीफ करते हैं; इसलिए क्या माना जाये कि वह किसका समर्थन करते हैं ?