Thursday, November 22, 2012

भगवान लाल ने अपनी पहचान और साख के भरोसे सेंट्रल काउंसिल के दूसरे उम्मीदवारों के सामने संकट पैदा किया

नई दिल्ली । भगवान लाल ने सेंट्रल काउंसिल के लिए प्रस्तुत अपनी उम्मीदवारी के समर्थन में जो अभियान संयोजित किया उसके नतीजे ने उन उम्मीदवारों को चिंता में डाल दिया है, जो दिल्ली के लक्ष्मी नगर क्षेत्र के चार्टर्ड अकाउंटेंट्स के समर्थन पर खास तौर से निर्भर हैं । उल्लेखनीय है कि नवीन गुप्ता, दुर्गा दास अग्रवाल, अतुल कुमार गुप्ता, विजय कुमार गुप्ता और पंकज त्यागी आदि अपनी-अपनी उम्मीदवारी की सफलता के लिए लक्ष्मी नगर क्षेत्र के वोटों पर खास तौर पर निर्भर हैं । आरके गौड़ का भी इस क्षेत्र में समर्थन-आधार है, लेकिन उनका समर्थन-आधार ऐसा है जिसे डिस्टर्ब करना थोड़ा मुश्किल है । बाकी उम्मीदवारों को परसेप्शन - धारणा के आधार पर समर्थन मिलना है इसलिए उनका समर्थन-आधार इधर से उधर होता रहता है । नार्दर्न इंडिया रीजनल काउंसिल के पूर्व चेयरमैन सुधीर अग्रवाल की तरफ से नवीन गुप्ता के समर्थन में होने वाली मीटिंग के निमंत्रण भले ही गए हों, लेकिन सुधीर अग्रवाल के लिए अपने समर्थकों के वोट नवीन गुप्ता को दिलवा पाना मुश्किल ही होगा । इसका कारण यही है कि सुधीर अग्रवाल के जो नजदीकी हैं, वह भगवान लाल के भी नजदीकी हैं; और वह नवीन गुप्ता की बजाये अपने आप को भगवान लाल के ज्यादा नजदीक पाते हैं । इसका सुबूत नवीन गुप्ता की उम्मीदवारी के लिए समर्थन जुटाने की खातिर उनके पापा द्धारा आयोजित की गई मीटिंग के फ्लॉप होने में देखा/पहचाना जा सकता है ।
उल्लेखनीय है कि नवीन गुप्ता की उम्मीदवारी के लिए लक्ष्मी नगर क्षेत्र में समर्थन जुटाने के उद्देश्य से एनडी गुप्ता ने जो मीटिंग की, उसके सात हजार से अधिक निमंत्रण पत्र भेजे गए थे, लेकिन प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार मीटिंग में कुल करीब सौ-सवा सौ लोग ही पहुँचे - और इतनी संख्या भी तब जुटी जब कि निमंत्रण पत्र इसी क्षेत्र के अत्यंत सक्रिय चार्टर्ड अकाउंटेंट और नार्दर्न इंडिया रीजनल काउंसिल के पूर्व चेयरमैन सुधीर अग्रवाल की तरफ से भेजे गए थे । इससे ज्यादा लोग तो सुधीर अग्रवाल के स्टडी ग्रुप की मीटिंग में आ जाते हैं । यह कहना तो सही नहीं होगा कि नवीन गुप्ता की उम्मीदवारी के समर्थन में होने वाली मीटिंग के फ्लॉप होने के पीछे कारण भगवान लाल हैं, लेकिन यह जरूर कहा जा सकता है कि भगवान लाल एक प्रमुख कारण जरूर हैं । भगवान लाल लक्ष्मी नगर क्षेत्र में पिछले कई वर्षों से चार्टर्ड अकाउंटेंट्स की कोचिंग चला रहे हैं और उनके यहाँ कोचिंग प्राप्त करीब दस हजार बच्चे चार्टर्ड अकाउंटेंट्स बन चुके हैं । इस सबके चलते भगवान लाल की इस क्षेत्र में न केवल अच्छी पहचान है, बल्कि साख भी है । इस क्षेत्र के वोटों पर निर्भर दूसरे उम्मीदवारों के लिए मुसीबत दरअसल इसी कारण से है; क्योंकि इस क्षेत्र में भगवान लाल की पहचान और साख के कारण उनके लिए अपने-अपने समर्थन आधार को बचाए/बनाए रखना मुश्किल हो रहा है ।
भगवान लाल की उम्मीदवारी के कारण दूसरे उम्मीदवारों के लिए अपने-अपने समर्थकों को सक्रिय कर पाना मुश्किल बना हुआ है । उल्लेखनीय है कि लक्ष्मी नगर क्षेत्र में कई कोचिंग संस्थान हैं और वह अलग-अलग उम्मीदवारों के लिए वोट जुटाने के अड्डे या जरिये भी हैं - लेकिन भगवान लाल के उम्मीदवार होने के कारण दूसरे कोचिंग संस्थानों के लिए अपने-अपने उम्मीदवारों के समर्थन में खुल कर कुछ कर पाना मुश्किल बना हुआ है । जो लोग भगवान लाल के समर्थन में नहीं भी हैं, और दूसरों उम्मीदवारों के साथ हैं - उनके लिए भी नैतिक लोक-लाज के कारण दूसरे उम्मीदवारों के साथ खड़े 'दिखने' में मुश्किल हो रही है । भगवान लाल की उम्मीदवारी के कारण दूसरे उम्मीदवारों के सामने पैदा हुआ संकट दरअसल यही है ।
भगवान लाल की उम्मीदवारी ने दूसरे उम्मीदवारों के सामने संकट भले ही पैदा कर दिया हो, लेकिन दूसरे उम्मीदवारों के इस संकट में अपनी उम्मीदवारी के लिए समर्थन बनाने का काम करना भगवान लाल के लिए अभी बाकी है । भगवान लाल के नजदीकियों का ही मानना और कहना है कि भगवान लाल ने चुपचाप तरीके से काम करते हुए अपने लिए समर्थन-आधार तो तैयार कर लिया है, लेकिन अपने इस समर्थन-आधार को वोट में ट्रांसफर करने का काम उनके लिए अभी बाकी है । भगवान लाल ने अपनी पहचान और साख के भरोसे जिस तरह से दूसरे उम्मीदवारों के सामने संकट पैदा किया है, उससे लेकिन एक बात साफ हो गई है और वह यह कि उनकी उम्मीदवारी को हल्के में नहीं लिया जा सकता है ।