Wednesday, November 7, 2012

अनूप मित्तल की चेयरमैनी में होने वाला डिस्ट्रिक्ट 3010 का दीवाली मेला झगड़ों और विवादों के कारण ज्यादा चर्चा में है

नई दिल्ली | रोटरी क्लब दिल्ली विकास के दीवाली मेले ने डिस्ट्रिक्ट दीवाली मेले की तैयारी में जुटे लोगों की फूट को सामने ला दिया है | उल्लेखनीय है कि रोटरी क्लब दिल्ली विकास डिस्ट्रिक्ट दीवाली मेले की आयोजन समिति का एक प्रमुख सदस्य है; और प्रमुख सदस्य होने के नाते इस क्लब के अध्यक्ष शिव शंकर अग्रवाल डिस्ट्रिक्ट दीवाली मेले की आयोजन समिति में को-चेयरमैन के पद पर हैं | इस कारण से उम्मीद की जाती थी कि वह अपना समय, अपनी एनर्जी और अपने साधन डिस्ट्रिक्ट दीवाली मेले में लगायेंगे - लेकिन शिव शंकर अग्रवाल डिस्ट्रिक्ट दीवाली मेले की तैयारी में जुटने की बजाये अपने क्लब के दीवाली मेले को आयोजित करने में जुटे नज़र आये | इस बाबत, उनकी तरफ से लोगों को सफाई सुनने को मिली कि उनका क्लब बड़ा क्लब है, उनके क्लब के सदस्य डिस्ट्रिक्ट के कार्यक्रमों में शामिल नहीं हो पाते हैं, उनके क्लब के लोग अपने ही कार्यक्रम करने पर जोर देते हैं, आदि-इत्यादि | लोगों को शिव शंकर अग्रवाल के यह तर्क हजम नहीं हुए हैं | हालाँकि एक तरह से देखें तो यह तर्क सही दीखते हैं; लेकिन लोगों का कहना है कि शिव शंकर अग्रवाल ने जब डिस्ट्रिक्ट दीवाली मेले की आयोजन समिति का हिस्सा होना स्वीकार कर लिया था, तो उन्हें उसी की तैयारी में जुटना चाहिए था | अध्यक्ष होने के नाते वह क्लब के लीडर हुए और एक लीडर होने के नाते उन्हें अपने क्लब के लोगों को डिस्ट्रिक्ट दीवाली मेले में शामिल होने के लिए ही प्रेरित करना चाहिए था | लोगों का कहना है कि इसके आलावा, उन्हें यदि अपने क्लब में दीवाली के नाम पर कुछ करना ही था, तो ऐसा कुछ करते या ऐसे समय करते जिससे कि डिस्ट्रिक्ट दीवाली मेले की तैयारी डिस्टर्ब न होती और उसकी तैयारी में उनकी पूरी सामर्थ्य लगती |
शिव शंकर अग्रवाल ने ऐसा कुछ नहीं किया, इससे लोगों को लगा कि बात दरअसल कुछ और है | डिस्ट्रिक्ट दीवाली मेले की तैयारी में चूँकि शुरू से ही खटपट देखी/सुनी जा रही थीं - इसलिए लोगों को और भी विश्वास हुआ कि शिव शंकर अग्रवाल का अपने क्लब का अलग से दीवाली मेला आयोजित करने के फैसले का उसी खटपट से संबंध है | बात निकलना शुरू हुई तो फिर निकलती ही चली गई और पता चला कि डिस्ट्रिक्ट दीवाली मेले की तैयारी को लेकर शुरू से ही झगड़े थे | पहली बार यह झगड़ा तब सामने आया जब रोटरी क्लब दिल्ली मयूर विहार के अध्यक्ष अनूप मित्तल को चेयरमैन चुन लिया गया | कुछेक अध्यक्षों ने आरोप लगाया कि अनूप मित्तल ने उन्हें धोखे में रखकर षड़यंत्रपूर्वक अपने आप को चेयरमैन चुनवा लिया और इस तरह दीवाली मेले को हाईजैक कर लिया | जबावी कार्रवाई  में, इस आरोप के पीछे शिव शंकर अग्रवाल को बताया गया और कहा गया कि वह चूंकि खुद चेयरमैन नहीं बन सके इसलिए इस तरह की बातें फैला रहे हैं | शिव शंकर अग्रवाल ने इसका जबाव यह कर दिया कि अनूप मित्तल चेयरमैन बने हैं, इस पर उन्हें आपत्ति नहीं है; उनकी आपत्ति लेकिन चेयरमैन चुने जाने के तरीके को लेकर है | शिव शंकर अग्रवाल की नाराजगी को दूर करने के लिए उन्हें को-चेयरमैन बना दिया गया | झगड़े लेकिन तब भी दूर नहीं हुए | एक बड़ा झगड़ा मेले के आयोजन स्थल को लेकर हुआ | शिव शंकर अग्रवाल और अन्य कुछेक लोगों की शिकायत रही कि मेला जहाँ हो रहा है, वहाँ तक पहुँचना आसान नहीं होगा, इसलिए मेला किसी ऐसी जगह पर होना चाहिए जहाँ लोग आसानी से पहुँच सकें | अनूप मित्तल का आरोप रहा कि मेला स्थल का चयन जब सभी लोगों की रजामंदी लेकर ही किया गया था, तब फिर उसका विरोध करने की जरूरत क्यों आ पड़ी - इससे ही समझा जा सकता है कि कुछेक लोगों का काम सिर्फ विरोध करना ही है | अनूप मित्तल ने यह आरोप भी लगाया है कि उन्हें सिर्फ दो-चार अध्यक्षों से ही मदद मिल रही है और बाकी लोग झगड़े पैदा करने की ही कोशिशों में ही लगे हुए हैं |
अनूप मित्तल से नाराज लोगों का कहना लेकिन यह रहा है कि अनूप मित्तल की कार्यशैली ने ही झगड़े पैदा करने के मौके बनाये हैं | मेले के आयोजन की तैयारी के लिए जब कमेटी बनी हुई है तो उन्हें सभी फैसले कमेटी के सदस्यों के साथ विचार-विमर्श करके ही करने चाहिए - लेकिन वह मनमाने तरीके से फैसले कर लेते हैं और अपने फैसलों से वह बस डिस्ट्रिक्ट गवर्नर रमेश अग्रवाल को खुश करने का प्रयास करते हैं | एक सीधा आरोप यह लगा है कि अनूप मित्तल ने दीवाली मेले को अपने लिए 'बेस्ट प्रेसीडेंट' का अवार्ड लेने का जरिया मान/बना लिया है | इसी कारण से मेले की तैयारी में रमेश अग्रवाल का हस्तक्षेप बढ़ गया और झगड़े पैदा हुए | मेले की आयोजन समिति के लेटर पेड और मेले के निमंत्रण पत्र में किसके नाम छपेंगे या नहीं छपेंगे जैसी बातों पर झगड़ा रमेश अग्रवाल के हस्तक्षेप के कारण ही हुआ | समिति के सदस्यों का ही आरोप रहा कि चेयरमैन के रूप में अनूप मित्तल ने समिति के लोगों से बात न करके, रमेश अग्रवाल से बात की और रमेश अग्रवाल ने उन्हें लेटर पेड पर विनोद बंसल और संजय खन्ना के नाम न प्रकाशित करने की हिदायत दी | कुछेक अध्यक्षों ने इस पर बबाल मचा दिया | उनका कहना रहा कि पहली बात तो यह कि रमेश अग्रवाल होता कौन है यह तय करने वाला कि लेटर पेड पर किसका नाम छपेगा या नहीं छपेगा; और दूसरी बात यह कि अनूप मित्तल ने रमेश अग्रवाल से इस बारे में पूछा ही क्यों ? रमेश अग्रवाल और अनूप मित्तल ने पहले तो इस बबाल की अनदेखी करने और अपनी मनमानी करने की कोशिश की, लेकिन जब विरोध करने वाले अध्यक्षों ने खुली धमकी दी कि लेटर पेड पर विनोद बंसल और संजय खन्ना के नाम नहीं छपे तो वह दीवाली मेले के आयोजन से अलग हो जायेंगे, तब रमेश अग्रवाल का दिमाग ढीला हुआ और उन्होंने अनूप मित्तल को अनुमति दी कि वह वैसा कर लें जैसा दूसरे अध्यक्ष कह रहे हैं | इस झमेले में लेटर पेड छपने में काफी देर हो गई | मेले के निमंत्रण पत्र को लेकर तो रमेश अग्रवाल ने और तमाशा खड़ा कर दिया - मेले की तैयारी से जुड़े अध्यक्षों के यह देख/जान कर और बुरा लगा कि अनूप मित्तल भी उनकी हाँ में हाँ मिला रहे हैं | रमेश अग्रवाल ने फ़रमान जारी किया कि निमंत्रण पत्र पर सिर्फ उनका ही नाम होगा और आयोजन समिति के सदस्यों - यानि अध्यक्षों का नाम नहीं होगा | अध्यक्षों ने इस पर साफ कह दिया कि यदि ऐसा होगा तो फिर मेले का आयोजन रमेश अग्रवाल खुद ही कर लें | रमेश अग्रवाल को एक बार फिर वह करना पड़ा - मुहावरे की भाषा में जिसे 'थूक कर चाटना' कहते हैं |
इससे पहले रमेश अग्रवाल लेकिन दीवाली मेले की तैयारी में जुटे लोगों - यानि अध्यक्षों के बीच झगड़ा बढ़ा चुके थे | अधिकतर अध्यक्षों को विश्वास हो चला कि अनूप मित्तल दीवाली मेले को अपने प्रमोशन के रूप में इस्तेमाल कर रहे हैं; और इसी विश्वास के चलते वह मेले की तैयारी में दिलचस्पी लेने से बचने लगे | शिव शंकर अग्रवाल ने अपने क्लब का अलग से दीवाली मेला आयोजित करने का फैसला किया तो यह साफ हो गया कि डिस्ट्रिक्ट दीवाली मेले में अब उनकी ज्यादा दिलचस्पी नहीं रह गई | ऐसे में डिस्ट्रिक्ट दीवाली मेले के आयोजन की जिम्मेदारी पूरी तरह अनूप मित्तल पर आ पड़ी | अनूप मित्तल ने मेले के आयोजन की जिम्मेदारी तो जैसी कि लोगों के बीच चर्चा है कि अच्छे से संभाली और निभाई है, लेकिन आयोजन समिति के लोगों को साथ रखने में वह जिस तरह से विफल रहे - उससे डिस्ट्रिक्ट दीवाली मेले के आयोजन में 'रोटरी' वाला जो तत्व होता है, वह गायब हो गया है | कहा/माना जा रहा है कि वह इवेंट तो मैनेज कर सकते हैं, लेकिन साथियों को साथ बनाये रखने का हुनर उन्हें अभी सीखना है | इस हुनर के अभाव के चलते ही, अनूप मित्तल की चेयरमैनी में होने वाला डिस्ट्रिक्ट दीवाली मेला झगड़ों और विवादों के कारण ज्यादा चर्चा में है |