Friday, October 23, 2020

रोटरी इंटरनेशनल डिस्ट्रिक्ट 3080 में सत्ता खेमे के प्रति पैदा हुई नाराजगी के कारण प्रतिद्वंद्वी उम्मीदवार पंकज डडवाल को लोगों के बीच मिलते दिख रहे समर्थन से होने वाले नुकसान से बचने के लिए जितेंद्र ढींगरा जल्दी चुनाव कराने के चक्कर में, लेकिन चुनाव जल्दी होने से अजय मदान की मुश्किलें बढ़ने का खतरा

पानीपत । डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी पद के चुनाव के समय को लेकर डिस्ट्रिक्ट गवर्नर रमेश बजाज परस्पर विरोधी दबावों में फँस गए हैं, और उनके लिए यह तय कर पाना मुश्किल हो रहा है कि वह चुनाव कब करवाएँ ? रमेश बजाज की मुश्किलों को निवर्त्तमान डिस्ट्रिक्ट गवर्नर जितेंद्र ढींगरा के उस दावे ने और बढ़ा दिया है, जिसमें दावा किया गया है कि वह जब चाहेंगे, तब चुनाव होगा । लोगों का कहना/पूछना है कि रमेश बजाज डिस्ट्रिक्ट गवर्नर हैं, या जितेंद्र ढींगरा की कठपुतली - जो उनके कहने से चुनाव की तारीख तय तथा घोषित करेंगे ? यह सवाल दरअसल इसलिए भी महत्त्वपूर्ण हो गया है, क्योंकि डिस्ट्रिक्ट गवर्नर के रूप में रमेश बजाज को जो काम अभी तक कर लेने चाहिए थे; वह तो उन्होंने किए नहीं हैं - जैसे चार महीने पूरे होने जा रहे हैं, लेकिन अभी तक डिस्ट्रिक्ट डायरेक्टरी का कोई अतापता नहीं है - किंतु चुनाव का जो काम जनवरी/फरवरी तक होता रहा है, रमेश बजाज उसे अभी कर लेना चाहते हैं, और वह भी जितेंद्र ढींगरा के दबाव में ! डिस्ट्रिक्ट में कई लोगों ने और प्रेसीडेंट्स ने भी रमेश बजाज को कहा/सुझाया है कि अगले बीस-बाइस दिन त्यौहारी सीजन के हैं और लोग अपने अपने कामकाज तथा परिवार के साथ त्यौहार मनाने की तैयारियों में व्यस्त होंगे, इसलिए अभी करीब एक महीने तक तो चुनाव की प्रक्रिया को न शुरू करें ।
मजे की बात यह है कि अभी खुद जितेंद्र ढींगरा के लिए भी रोटरी की राजनीति के लिए समय निकाल पाना मुश्किल होगा - अभी उनके काम का सीजन है और फिर उन्हें एक बड़ी पारिवारिक जिम्मेदारी का निर्वाह करने में जुटना है; लेकिन उनके सामने चुनौती यह है कि उन्हें रोटरी की राजनीति की जिम्मेदारी भी निभानी है । असल में, जितेंद्र ढींगरा को डर हो चला है कि रमेश बजाज के कार्य-व्यवहार के कारण लोगों के बीच जो नाराजगी बढ़ रही है, उसका खामियाजा कहीं डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी पद के उनके उम्मीदवार अरुण मोंगिया को न भुगतना पड़ जाए । अरुण मोंगिया चूँकि सत्ता खेमे के उम्मीदवार हैं, इसलिए अलग अलग कारणों से सत्ता खेमे के खिलाफ पैदा होने वाली नाराजगी का ठीकरा उन्हीं के सिर फूटने की आशंका है । इस आशंका के चलते ही, जितेंद्र ढींगरा को लग रहा है कि सत्ता खेमे के खिलाफ लोगों की नाराजगी ज्यादा बढ़े, उससे पहले ही चुनाव करवा लिया जाए और चुनावी नुकसान से अपने को बचा लिया जाए । सत्ता खेमे के ही दूसरे लोगों का हालाँकि यह मानना और कहना है कि रमेश बजाज के कार्य-व्यवहार के कारण लोगों के बीच अभी जो नाराजगी के सेंटीमेंट्स हैं, उन्हें अगले दो/एक महीने में अजय मदान के गवर्नर-वर्ष के पद बाँट कर सेटल कर लिया जा सकता है - इसलिए चुनाव करवाने की जल्दी नहीं करना चाहिए । इनका यह भी मानना और कहना है कि अभी त्यौहार का सीजन भी है, इसलिए अभी चुनाव करवाने से लोगों के नाराजगी वाले सेंटीमेंट्स और भड़क सकते हैं । 
अभी चुनाव न करने/करवाने को लेकर एक दलील यह भी दी जा रही है कि अभी चुनाव करवा लेने से अजय मदान के लिए मुसीबतें खड़ी हो जायेंगी । कहा/बताया जा रहा है कि अभी चुनाव निपट जाने से डिस्ट्रिक्ट के लोगों का ध्यान अगले वर्ष के डिस्ट्रिक्ट गवर्नर अजय मदान पर जा टिकेगा और वह यह देखना/जानना शुरू करेंगे कि अजय मदान किस को क्या पद दे रहे हैं ? जिसे पद नहीं मिलेगा - या अपनी पसंद का नहीं मिलेगा, वह फिर अजय मदान के खिलाफ बातें बनाने लगेगा और तब अजय मदान के लिए अपने कार्यक्रम करना मुश्किल हो जायेगा तथा वह गवर्नर की कुर्सी पर बैठने से पहले ही आलोचनाओं व शिकायतों व आरोपों के भँवर में फँस जायेंगे । अजय मदान को आलोचनाओं व आरोपों से बचाये रखने तथा उनके कार्यक्रमों को बिना विवाद के संपन्न कर लेने के लिए जरूरी माना जा रहा है कि लोगों को अभी इसी वर्ष के चुनावी परिदृश्य में ही उलझा कर रखा जाए । सत्ता खेमे के लोगों को जल्दी चुनाव करवाने में कई तरह  नुकसान होते नजर आ रहे हैं, लेकिन अरुण मोंगिया और जितेंद्र ढींगरा को यह डर भी सता रहा है कि सत्ता खेमे के प्रति पैदा हुई नाराजगी के कारण प्रतिद्वंद्वी उम्मीदवार पंकज डडवाल को लोगों के बीच जो समर्थन मिलता दिख रहा है, वह यदि और बढ़ता गया तो डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी पद के चुनाव में बाजी पलट भी सकती है । परस्पर विरोधी तर्कों व दलीलों के बीच सत्ता खेमे के नेताओं के लिए यह तय कर पाना सचमुच मुश्किल हो रहा है कि पंकज डडवाल से मिलने वाली चुनावी चुनौती से वह जल्दी चुनाव करवा कर बच सकते हैं, या समय से चुनाव करवाने में उन्हें फायदा होगा ?