Wednesday, October 7, 2020

रोटरी इंटरनेशनल जोन 7 में डायरेक्टर पद पर महेश कोटबागी की चुनावी जीत से रोटरी में शेखर मेहता के 'रुतबे' में आए उछाल में, डिस्ट्रिक्ट 3012 के सतीश सिंघल को पूर्व डिस्ट्रिक्ट गवर्नर के रूप में मान्यता मिलने की उम्मीद बढ़ी    

नोएडा । महेश कोटबागी के इंटरनेशनल डायरेक्टर चुने जाने से इंटरनेशनल प्रेसीडेंट शेखर मेहता के 'रुतबे' में जो वृद्धि हुई है, उससे डिस्ट्रिक्ट 3012 में डिस्ट्रिक्ट गवर्नर रहे सतीश सिंघल को पूर्व डिस्ट्रिक्ट गवर्नर की मान्यता मिलने की उम्मीद जाग उठी है । सतीश सिंघल वर्ष 2017-18 में डिस्ट्रिक्ट गवर्नर थे, और नोएडा रोटरी ब्लड बैंक का प्रेसीडेंट पद भी सँभाले हुए थे । नोएडा रोटरी ब्लड बैंक में घपलेबाजी के आरोपों के  चलते उन्हें डिस्ट्रिक्ट गवर्नर का पद खोना पड़ा था, और फिर उन्हें पूर्व डिस्ट्रिक्ट गवर्नर के रूप में भी मान्यता नहीं मिली । सतीश सिंघल पूर्व गवर्नर की मान्यता पाने के लिए लगातार प्रयास कर रहे थे । इस मामले में, इंटरनेशनल प्रेसीडेंट पद की तरफ बढ़ते शेखर मेहता से सतीश सिंघल को उम्मीद बनी थी । चर्चा सुनी गई थी कि शेखर मेहता ने रोटरी फाउंडेशन की ग्रांट की रकम में घपलेबाजी के आरोप में रोटरी इंटरनेशनल से सजा पाए डिस्ट्रिक्ट 3054 के पूर्व गवर्नर अनिल अग्रवाल की सजा को कम करवाने के साथ साथ सतीश सिंघल के मामले को भी प्रायरिटी में रखा हुआ था । करीब चार महीने पहले अनिल अग्रवाल का काम तो बन गया था, और उनकी सजा कम कर दी गई थी - लेकिन सतीश सिंघल के मामले में उस समय फैसला नहीं हो सका था । 
उसके बाद, शेखर मेहता खुद मुसीबत में फँस गए । रोटरी इंटरनेशनल बोर्ड में कुछेक ऐसे फैसले हुए, जिन्होंने शेखर मेहता की 'हैसियत' को चोट पहुँचाने का काम किया और ऐसा लगा कि इंटरनेशनल प्रेसीडेंट नॉमिनी/इलेक्ट होने के बावजूद रोटरी की राजनीति व व्यवस्था में शेखर मेहता की वैसी 'हैसियत' नहीं बन पाई है, जैसी कि बननी/होनी चाहिए । दरअसल, कई घटनाएँ ऐसी होती हैं जो किसी पदाधिकारी की स्थिति पर तो कोई असर नहीं डालती हैं, लेकिन उसके 'रुतबे' को प्रभावित जरूर करती हैं - और उससे उसकी 'हैसियत' निर्धारित होती है । शेखर मेहता इसी चीज के शिकार बने । ऐसे में, जोन 7 में दोबारा होने वाले इंटरनेशनल डायरेक्टर पद के चुनाव के नतीजे का शेखर मेहता के 'रुतबे' के संदर्भ में खास महत्त्व था । जोन 7 में इंटरनेशनल डायरेक्टर पद पर महेश कोटबागी की जीत से शेखर मेहता की स्थिति पर 'तकनीकी रूप से' कोई असर नहीं पड़ा है, लेकिन महेश कोटबागी की जीत ने पिछले कुछ समय से दबाव झेल रहे शेखर मेहता को बड़ी राहत दी है - और उनके 'इकबाल' को बढ़ाया है । 

महेश कोटबागी की चुनावी जीत से रोटरी की राजनीति और व्यवस्था में शेखर मेहता के 'रुतबे' में जो उछाल आया है, उसमें सतीश सिंघल के सिफारिशियों को सतीश सिंघल का काम बनता नजर आ रहा है । शेखर मेहता के यहाँ सतीश सिंघल की वकालत करने वाले लोगों का कहना है कि अभी तक जब शेखर मेहता खुद मुसीबत में फँसे थे, तो उनसे सतीश सिंघल के मामले में कुछ करने के लिए कहना मुश्किल हो रहा था; लेकिन अब जोन 7 में दोबारा हुए इंटरनेशनल डायरेक्टर पद के चुनावी नतीजे के चलते हालात बदल गए हैं - और उम्मीद की जानी चाहिए कि शेखर मेहता जल्दी ही डिस्ट्रिक्ट 3054 के अनिल अग्रवाल की तरह डिस्ट्रिक्ट 3012 के सतीश सिंघल का काम भी बनवा देंगे - और सतीश सिंघल को पूर्व डिस्ट्रिक्ट गवर्नर के रूप में मान्यता मिल जाएगी ।