Friday, October 2, 2020

रोटरी इंटरनेशनल डिस्ट्रिक्ट 3012 के डिस्ट्रिक्ट ग्रांट अकाउंट में आलोक गुप्ता का नाम जोड़ने के रिजोल्यूशन पर हस्ताक्षर करने से लगातार इंकार करते आ रहे तथा आलोक गुप्ता के साथ बदतमीजी करते रहे जेके गौड़, रोटरी इंटरनेशनल से फटकार खाने के बाद अंततः हस्ताक्षर करने के लिए मजबूर हुए

गाजियाबाद । डिस्ट्रिक्ट ग्रांट के बैंक अकाउंट में नए पदाधिकारियों के नाम/हस्ताक्षर जोड़ने की प्रक्रिया को पूरा करने में बाधा बने पूर्व गवर्नर जेके गौड़ को रोटरी इंटरनेशनल कार्यालय से फटकार पड़ी, तो अकड़ ढीली करके वह रिजोल्यूशन पर हस्ताक्षर करने के लिए मजबूर हुए । रोटरी इंटरनेशनल से फटकार पड़ने पर जेके गौड़ इस कदर बौखलाए और खीजे कि उन्होंने आलोक गुप्ता को मैसेज करके कहा कि वह रिजोल्यूशन की मूल प्रति उन्हें भेजें, अन्यथा वह स्कैंड कॉपी पर ही हस्ताक्षर कर देंगे । जिस किसी ने भी जेके गौड़ का मैसेज देखा/पढ़ा है, उसे हैरानी हुई है कि डिस्ट्रिक्ट गवर्नर रह चुकने तथा दो वर्ष से डीआरएफसी (डिस्ट्रिक्ट रोटरी फाउंडेशन चेयरमैन) का पद संभाले हुए जेके गौड़ को इतनी भी अक्ल नहीं है क्या कि बैंक के आधिकारिक काम में मूल प्रति पर हस्ताक्षर मान्य होते हैं, न कि स्कैंड कॉपी पर ? लोगों को हैरानी है कि जेके गौड़ आखिर किस आधार पर उक्त रिजोल्यूशन पर हस्ताक्षर करने से इंकार कर रहे थे, और अंततः अपनी फजीहत करवा बैठे ?
जेके गौड़ के नजदीकियों का ही कहना/बताना है कि जेके गौड़ को रोटरी इंटरनेशनल से फटकार खिलवाने तथा उनकी फजीहत करवाने के पीछे पूर्व गवर्नर शरत जैन हैं । इस मामले में शरत जैन ने जेके गौड़ को कठपुतली की तरह नचाया और जेके गौड़ खुशी खुशी नाचे । शरत जैन की दरअसल मुकेश अरनेजा से निजी खुन्नस है; मुकेश अरनेजा को आलोक गुप्ता ने डिस्ट्रिक्ट ट्रेनर बनाया है - इसलिए मुकेश अरनेजा से अपनी खुन्नस निकालने के लिए उन्होंने आलोक गुप्ता को परेशान करने की चाल चली और डिस्ट्रिक्ट ग्रांट अकाउंट में आलोक गुप्ता का नाम जुड़ने से रोकने के लिए जेके गौड़ को हस्ताक्षर न करने के लिए राजी कर लिया । इसके लिए बहाना बनाया गया पिछले रोटरी वर्ष में आई डिस्ट्रिक्ट ग्रांट की इस्तेमाल न हो सकी रकम को । दीपक गुप्ता ने डिस्ट्रिक्ट ग्रांट की रकम डिस्ट्रिक्ट ग्रांट अकाउंट में मँगवा तो ली थी, लेकिन अपने नाकारापन व निकम्मेपन के चलते वह उक्त अकाउंट को अपडेट नहीं करवा सके, और इसलिए वह उक्त रकम को इस्तेमाल नहीं कर सके । 
शरत जैन ने पहले तो जेके गौड़ को अपनी कठपुतली बनाया, और फिर इन दोनों ने मिलकर निवर्त्तमान डिस्ट्रिक्ट गवर्नर दीपक गुप्ता का उल्लू बनाया । इन्होंने दीपक गुप्ता को समझाया कि डिस्ट्रिक्ट ग्रांट की रकम वह अपनी जेब से दे दें, जिसे बाद में उन्हें 'दिलवा' दिया जायेगा - और डिस्ट्रिक्ट ग्रांट को अपने अपने स्वार्थ में इस्तेमाल कर लिया । इसके बाद झगड़ा शुरू हुआ कि बैंक में जमा रकम कैसे दीपक गुप्ता को मिले और या रोटरी फाउंडेशन को वापस जाए ? आलोक गुप्ता के डिस्ट्रिक्ट गवर्नर का पदभार संभालने के बाद उक्त अकाउंट में आलोक गुप्ता का नाम जुड़ना था और उनके हस्ताक्षर मान्य होने की प्रक्रिया पूरी होनी थी, जिसके रिजोल्यूशन में डीआरएफसी के रूप में जेके गौड़ के हस्ताक्षर होने थे । जेके गौड़ ने यह आरोप लगाते हुए रिजोल्यूशन पर हस्ताक्षर करने से मना कर दिया कि आलोक गुप्ता पिछले रोटरी वर्ष की डिस्ट्रिक्ट ग्रांट को रोटरी इंटरनेशनल को वापस नहीं करेंगे । असिस्टेंट रीजनल रोटरी कोऑर्डीनेटर के रूप में शरत जैन ने भी एक लंबी-चौड़ी ईमेल लिख मारी । शरत जैन और जेके गौड़ की जोड़ी ने बहुतेरी कोशिशें कीं कि डिस्ट्रिक्ट ग्रांट अकाउंट में आलोक गुप्ता का नाम जोड़े बिना अकाउंट से पैसा निकल आए, लेकिन उनकी कोई भी कोशिश सफल नहीं हो सकी ।

रोटरी इंटरनेशनल के पदाधिकारियों को जब यह पता चला कि डिस्ट्रिक्ट ग्रांट अकाउंट में पड़ी इस्तेमाल नहीं हुई रकम जेके गौड़ की मनमानी और बेवकूफीपूर्ण हरकत के कारण वापस नहीं आ रही है, तब उन्होंने जेके गौड़ को कसकर फटकार लगाई । रिजोल्यूशन पर हस्ताक्षर करने से लगातार इंकार करते आ रहे तथा आलोक गुप्ता के साथ बदतमीजी करते रहे जेके गौड़, फटकार खाने के बाद अंततः हस्ताक्षर करने के लिए मजबूर हुए । हालाँकि तब भी वह अपनी बेवकूफी दिखाने से बाज नहीं आए । जेके गौड़ को क्या यह सचमुच नहीं पता है कि स्कैंड कॉपी पर हस्ताक्षर करने से काम नहीं चलेगा, उन्हें रिजोल्यूशन की मूल प्रति पर ही हस्ताक्षर करने होंगे । जेके गौड़ का मैसेज उसी कहावत को चरितार्थ करता है कि 'रस्सी जल गई, पर ऐंठन नहीं गई ।'