Wednesday, September 30, 2020

रोटरी इंटरनेशनल डिस्ट्रिक्ट 3011 में सीओएल का चुनाव बड़े अंतर से जीतने के बावजूद सुधीर मंगला डिस्ट्रिक्ट में अलग-थलग और अकेले पड़े, तथा इसके लिए उनके मतलबी और घमंडी व्यवहार को ही जिम्मेदार ठहराया जा रहा है

नई दिल्ली । सीओएल का चुनाव बड़े अंतर से जीतने वाले पूर्व गवर्नर सुधीर मंगला इस बात को लेकर बुरी तरह परेशान और निराश हैं कि डिस्ट्रिक्ट में उन्हें कोई पूछता ही नहीं है, और वह पूरी तरह अलग-थलग पड़े हुए हैं । विडंबना और मजे की बात यह है कि सत्ता खेमे में तो उन्हें इसलिए तवज्जो नहीं मिल रही है, क्योंकि सीओएल के चुनाव में उन्होंने सत्ता खेमे के उम्मीदवार अमित जैन को खासे बड़े अंतर से हराया और इस तरह सत्ता खेमे के नेताओं की भारी किरकिरी की/करवाई; लेकिन विरोधी खेमे के जिन नेताओं ने सीओएल के चुनाव में उनके लिए दिन/रात एक किया, वह भी उनसे कन्नी काटते हुए दिखाई दे रहे हैं । मजे की बात यह भी है कि सुधीर मंगला यह रोना रोते हुए और शिकायत करते हुए तो सुने गए हैं कि उनके अपने लोगों ने उन्हें अलग-थलग किया हुआ है, लेकिन इस आरोप पर वह चुप्पी साध लेते हैं कि इस स्थिति के लिए खुद वह ही जिम्मेदार हैं । दरअसल, सीओएल का चुनाव जीतने के बाद सुधीर मंगला घमंड से भर गए थे, और कहते/सुनाते तथा दावा करने लगे थे कि सीओएल का चुनाव तो उन्होंने अपने दम पर जीता है, तथा किसी ने उनकी कोई मदद नहीं की ।
सुधीर मंगला की इस तरह की बातों ने उनके साथियों/सहयोगियों को बुरी तरह भड़का दिया, और उन्होंने उनसे दूरी बना ली । सीओएल के चुनाव में सुधीर मंगला की उम्मीदवारी के पक्ष में वोट जुटाने में सक्रिय भूमिका निभाने वाले एक वरिष्ठ पूर्व गवर्नर का कहना/बताना रहा कि चुनाव के दौरान तो सुधीर मंगला दिन में आठ/आठ बार फोन करते थे, लेकिन चुनाव जीतने के बाद उन्होंने थैंक्यू कहने तक के लिए फोन नहीं किया । सुधीर मंगला की उम्मीदवारी के लिए समर्थन जुटाने में लगे रहे अन्य प्रमुख नेताओं का भी आरोप रहा है कि चुनाव के समय तो सुधीर मंगला बड़ी चिकनी-चुपड़ी बातें करते थे, लेकिन जीतने के बाद तो उनके तेवर ही बदल गए । सुधीर मंगला के बदले बदले रवैये से हैरान तथा अपमानित महसूस करने वाले कुछेक साथियों/सहयोगियों को निवर्त्तमान डिस्ट्रिक्ट गवर्नर सुरेश भसीन के ताने भी सुनने पड़े कि उन्होंने तो पहले ही कहा था कि सुधीर मंगला बहुत ही मतलबी व्यक्ति हैं; जब तक उन्हें काम निकालना होता है तब तक वह मीठी मीठी बातें करते हैं, लेकिन काम निकलने के बाद फिर उनका रवैया बदल जाता है, इसीलिए उन्होंने सुधीर मंगला का विरोध किया था  ।
सीओएल का चुनाव जीतने के बाद सुधीर मंगला के बदले रवैये को देखते हुए, उनके साथी/सहयोगी रहे लोगों ने उनसे जब किनारा कर लिया - तब सुधीर मंगला डिस्ट्रिक्ट में अलग थलग पड़ गए । सुधीर मंगला के लिए फजीहत की बात यह हुई कि नेताओं ने जब उनसे किनारा कर लिया, तो क्लब्स के पदाधिकारियों ने भी उन्हें तवज्जो देने की जरूरत नहीं समझी । पिछले दिनों जिन भी क्लब्स के कार्यक्रम हुए हैं, उनमें अधिकतर में सुधीर मंगला को कतई पूछा तक नहीं गया । कुछेक मौकों पर सुधीर मंगला की तरफ से यह तक आरोप सुनने को मिले हैं कि नेताओं ने क्लब्स के पदाधिकारियों पर दबाव बनाये हैं कि उन्हें क्लब के कार्यक्रमों में सम्मानपूर्ण तरीके से आमंत्रित न किया जाए । उनके आरोपों पर किसी ने ध्यान नहीं दिया है । लोगों का कहना है कि सुधीर मंगला को जब यह लगता है कि सीओएल की उम्मीदवारी के लिए वोट उन्होंने खुद जुटाये हैं, तो अपने लिए कार्यक्रमों के निमंत्रण भी खुद ही जुटा लें । सीओएल का चुनाव बड़े अंतर से जीतने के बाद सुधीर मंगला ने सोचा तो यह था कि अब उनकी गिनती और पहचान डिस्ट्रिक्ट के एक बड़े नेता के रूप में होगी, लेकिन हुआ ठीक उलटा है । उनके लिए फजीहत की बात यह हुई है कि उनकी इस उलटी दशा के लिए उनके मतलबी और घमंडी व्यवहार को ही जिम्मेदार ठहराया जा रहा है ।