Friday, September 18, 2020

रोटरी इंटरनेशनल डिस्ट्रिक्ट 3080 में डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी पद की उम्मीदवारी के लिए रीता कालरा की पीएस तुलसी की मदद से टीके रूबी का समर्थन जुटाने की कोशिशों ने अरुण मोंगिया को परेशान किया, तो जितेंद्र ढींगरा को सत्ता खेमे के गवर्नर्स की इमरजेंसी मीटिंग बुलाने के लिए मजबूर होना पड़ा 

चंडीगढ़ । रोटरी क्लब चंडीगढ़ मिडटाउन की पूर्व प्रेसीडेंट रीता कालरा ने डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी पद के लिए अपनी उम्मीदवारी को लेकर सक्रियता दिखा/जता कर डिस्ट्रिक्ट के सत्ता खेमे के नेताओं के बीच खलबली सी मचा दी है, जिसे शांत करने के लिए निवर्त्तमान डिस्ट्रिक्ट गवर्नर जितेंद्र ढींगरा ने कुरुक्षेत्र में अपने घर पर सत्ता खेमे के गवर्नर्स की एक इमरजेंसी मीटिंग बुलाई । समझा जाता है कि इस मीटिंग को करने/बुलाने के लिए जितेंद्र ढींगरा को सत्ता खेमे के उम्मीदवार के रूप में देखे/पहचाने जा रहे अरुण मोंगिया ने 'मजबूर' किया । दरअसल, रीता कालरा को अभी पंद्रह/बीस दिन पहले अपनी उम्मीदवारी से पीछे हटने के बाद, अचानक से फिर आगे बढ़ता देख - अरुण मोंगिया को शक हो रहा है कि सत्ता खेमे के ही कुछेक नेता रीता कालरा की उम्मीदवारी को हवा दे रहे हैं । अरुण मोंगिया के नजदीकियों के अनुसार, उन्हें पूर्व गवर्नर टीके रूबी और मौजूदा गवर्नर रमेश बजाज के रवैये पर शक है । इसीलिए अरुण मोंगिया ने जितेंद्र ढींगरा पर दबाव बनाया कि उन्हें यह जानने/समझने की कोशिश करना चाहिए कि टीके रूबी और रमेश बजाज के मन में आखिर चल क्या रहा है, और यह दोनों डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी पद के लिए उनकी उम्मीदवारी के समर्थन में सचमुच हैं भी या नहीं ?
रमेश बजाज के समर्थन को लेकर अरुण मोंगिया हालाँकि शुरू से ही कंफर्टेबल नहीं रहे हैं, लेकिन रमेश बजाज की उन्हें ज्यादा चिंता भी नहीं रही; अरुण मोंगिया को विश्वास रहा कि जितेंद्र ढींगरा उन्हें 'सँभाल' लेंगे । लेकिन टीके रूबी को लेकर अरुण मोंगिया को झटका लगा है । हालाँकि अरुण मोंगिया की तरफ से टीके रूबी को लेकर कभी कोई शिकायत या संदेह के स्वर सुनाई नहीं दिए हैं, और अरुण मोंगिया पूरी तरह उन पर विश्वास करते रहे हैं । लेकिन हाल ही के दिनों में उन्हें सुनने को मिला कि रीता कालरा अपनी उम्मीदवारी के लिए टीके रूबी का सहयोग/समर्थन लेने की कोशिश कर रही हैं, और इसके लिए उन्होंने अपने क्लब के वरिष्ठ सदस्य पीएस तुलसी की मदद भी ली है । टीके रूबी की इन दोनों से ही अच्छी नजदीकियत है; उनके गवर्नर-वर्ष में रीता कालरा क्लब की प्रेसीडेंट थीं और टीके रूबी की सलाह पर उन्होंने खूब काम किया था । डिस्ट्रिक्ट गवर्नर के रूप में टीके रूबी ने उन्हें और उनके क्लब को कई अवॉर्ड तो दिए ही थे, उन्हें डिस्ट्रिक्ट गवर्नर बनने के लिए भी प्रेरित किया था । पिछले दिनों रीता कालरा ने जब जब भी अपनी उम्मीदवारी की बात की, टीके रूबी के समर्थन का दावा जरूर किया । पीएस तुलसी की मदद के चलते टीके रूबी के यहाँ रीता कालरा का दावा और मजबूत हो गया, क्योंकि पीएस तुलसी के प्रति टीके रूबी बहुत ही मान/सम्मान रखते हैं ।
रीता कालरा की उम्मीदवार के रूप में वापसी करने में अरुण मोंगिया इन्हीं कयासों/अनुमानों के चलते डर गए । उल्लेखनीय है कि रीता कालरा ने करीब पंद्रह/बीस दिन पहले अपनी उम्मीदवारी को लेकर सक्रियता दिखाई थी, और इसके लिए सत्ता खेमे के मुखिया के रूप में देखे/पहचाने जाते जितेंद्र ढींगरा से बात की थी । जितेंद्र ढींगरा ने लेकिन उन्हें साफ कह दिया था कि इस वर्ष के उनके उम्मीदवार अरुण मोंगिया हैं, और इसमें कोई फेरबदल नहीं हो सकता है । रीता कालरा ने अगले रोटरी वर्ष के उम्मीदवार के रूप में अपने नाम की घोषणा करने की माँग की, जितेंद्र ढींगरा ने लेकिन उनकी इस माँग को यह कहते हुए टाल दिया कि इस वर्ष का चुनाव हो जाने के बाद अगले वर्ष के बारे में सोचेंगे । रीता कालरा को अपनी दाल गलती नहीं दिखी, तो वह चुप बैठ गईं । अभी लेकिन अचानक से उनकी उम्मीदवार के रूप में सक्रियता सुनी/देखी गई । पता चला कि अपनी उम्मीदवारी के लिए उन्होंने अपने क्लब में हरी झंडी भी ले ली है । डिस्ट्रिक्ट में हर किसी को हैरानी हुई कि इतना सब करने के लिए शह आखिर उन्हें कहाँ से और किससे मिली है ? क्लब के लोगों का कहना है कि रीता कालरा ने अपनी उम्मीदवारी को लेकर जल्दबाजी इसलिए भी दिखाई है, क्योंकि उन्हें डर है कि कहीं उनके क्लब की अन्य सदस्य ऋतु सिंघल अपनी उम्मीदवारी प्रस्तुत न कर दें । टीके रूबी ने उन्हें भी डिस्ट्रिक्ट गवर्नर बनने की प्रेरणा दी हुई है । रीता कालरा की सक्रियता और पीएस तुलसी की मदद से टीके रूबी का समर्थन जुटाने की कोशिशों की खबरों ने अरुण मोंगिया को परेशान किया, तो उन्होंने जितेंद्र ढींगरा पर जोर दिया कि उन्हें टीके रूबी और रमेश बजाज से बात तो करना चाहिए । जितेंद्र ढींगरा के घर पर हुई सत्ता खेमे के नेताओं की मीटिंग में क्या बातें हुईं, यह तो किसी को नहीं पता है - लेकिन उस मीटिंग के बाद से अरुण मोंगिया जिस तरह राहत महसूस करते देखे/सुने गए हैं, उससे लग रहा है कि जितेंद्र ढींगरा ने मामले को फिलहाल तो मैनेज कर लिया है ।