Tuesday, September 15, 2020

रोटरी इंटरनेशनल डिस्ट्रिक्ट 3011 में विनय भाटिया के साथ मिल कर विनोद बंसल एक बार फिर अपने निजी स्वार्थ में इंटरनेशनल डायरेक्टर पद के मामले में डिस्ट्रिक्ट के लोगों तथा डिस्ट्रिक्ट की पहचान को 'धोखा' देने की तैयारी कर रहे हैं क्या ? 

नई दिल्ली । डिस्ट्रिक्ट में आयोजित हुए रोटरी फाउंडेशन के लेबल टू ट्रेनिंग सेमीनार में की-नोट स्पीकर के रूप में शामिल हुए टीएन सुब्रमणियन उर्फ राजु सुब्रमनियन की पूर्व डिस्ट्रिक्ट गवर्नर विनोद बंसल के साथ जो जुगलबंदी देखने को मिली, उससे इंटरनेशनल डायरेक्टर पद के चुनाव में इन दोनों के बीच गठबंधन होने के कयासों को खासी हवा मिली है । इन कयासों में यह भी सुना/बताया जा रहा है कि विनोद बंसल ने एक बार फिर अपने निजी स्वार्थ में डिस्ट्रिक्ट के हितों के साथ 'सौदा' कर लिया है, और इसके लिए पूर्व गवर्नर विनय भाटिया को अपने साथ मिला लिया है । दरअसल ट्रेनिंग सेमीनार में कुछेक लोगों ने जब रोटरी फाउंडेशन के लिए पैसे जुटाने के विनोद बंसल के 'तरीकों' को लेकर सवाल उठाये, तो राजु सुब्रमणियन ने खासी तत्परता के साथ विनोद बंसल का बचाव किया । यह नजारा देख कर ट्रेनिंग सेमीनार में शामिल लोगों का माथा ठनका । उल्लेखनीय है कि विनोद बंसल को डिस्ट्रिक्ट में रोटरी फाउंडेशन को 'एक के चार' करने का जरिया बना देने के आरोपों का सामना पड़ रहा है, और उन पर यह गंभीर आरोप लगता रहा है कि उन्होंने रोटरी को 'बिजनेस' तथा रोटरी फाउंडेशन में दिए जाने वाले दान को 'इन्वेस्टमेंट' बना दिया है । ऐसे में, राजु सुब्रमणियन की उनके बचाव की कोशिशों में 'राजनीतिक डील' के संकेतों को देखा/पहचाना गया - और डिस्ट्रिक्ट में चर्चा शुरू हुई कि विनोद बंसल और विनय भाटिया की जोड़ी ने डिस्ट्रिक्ट की पहचान के साथ 'धोखा' करने की तैयारी कर ली है ।
उल्लेखनीय है कि विनोद बंसल ने रोटरी में ऊँची छलाँग लगाने के लिए हमेशा ही डिस्ट्रिक्ट के पदाधिकारियों व प्रमुख लोगों को अँधेरे में रख कर बड़े नेताओं के साथ 'सौदेबाजी' करने के प्रयास किए हैं । पूर्व इंटरनेशनल डायरेक्टर पीटी प्रभाकर के साथ जोन इंस्टीट्यूट के चेयरमैन पद को लेकर की गई उनकी सौदेबाजी का किस्सा थोड़ा पुराना जरूर है, लेकिन लोगों को उसकी खूब याद है । विनोद बंसल ने पीटी प्रभाकर को अच्छी घुट्टी पिला कर इंस्टीट्यूट दिल्ली में करने के लिए राजी कर लिया था, और खुद इंस्टीट्यूट के चेयरमैन का पद 'ले लिया' था । यह सब जुगाड़ करते हुए विनोद बंसल ने अपने डिस्ट्रिक्ट के पदाधिकारियों व प्रमुख लोगों को भनक भी नहीं लगने दी । लेकिन उनकी यह जुगाड़बाजी तब ढेर हो गई, जब डिस्ट्रिक्ट के पदाधिकारियों व प्रमुख लोगों के सामने मामला आया । उन्होंने पीटी प्रभाकर से साफ कह दिया कि उन्हें यदि दिल्ली में इंस्टीट्यूट करना है, तो उन्हें दिल्ली के डिस्ट्रिक्ट के पदाधिकारियों से बात करना होगी - और तब न इंस्टीट्यूट दिल्ली में हुआ, और न विनोद बंसल इंस्टीट्यूट के चेयरमैन बन सके । रोटरी ब्लड बैंक के अकाउंट से चार/पाँच करोड़ रूपये शेखर मेहता के एक प्रोग्राम के लिए देने का मामला तो अभी हाल ही का, जिसके लिए उन्होंने डिस्ट्रिक्ट तो छोड़िये - ब्लड बैंक के अन्य पदाधिकारियों से भी सलाह करना उचित नहीं समझा । इस मामले में भी न सिर्फ विनोद बंसल की फजीहत हुई, बल्कि उनके चक्कर में शेखर मेहता को भी बुरा बनना पड़ा ।
विनोद बंसल को समय समय पर उनके नजदीकी रहे प्रमुख लोग समझाते रहे हैं कि उन्हें रोटरी में जो कुछ करना/पाना है, उसके लिए उन्हें डिस्ट्रिक्ट के लोगों के साथ जुड़ कर प्रयास करने चाहिए - तथा अपने निजी स्वार्थ में डिस्ट्रिक्ट और डिस्ट्रिक्ट की पहचान को 'धोखा' देने का काम तो नहीं ही करना चाहिए । उनका खुद का अनुभव रहा है कि उन्होंने जब जब डिस्ट्रिक्ट को 'धोखा' देकर कुछ पाने की कोशिश की है, उसमें बुरी तरह असफल रहे हैं और फजीहत के शिकार बने हैं - लेकिन लगता है कि उन्होंने कोई सबक नहीं सीखा है । इंटरनेशनल डायरेक्टर पद के लिए डिस्ट्रिक्ट में कुछेक लोगों ने प्रयास किए हैं कि डिस्ट्रिक्ट में चूँकि एक से अधिक उम्मीदवार हैं, इसलिए उन्हें वरीयता क्रम अनुसार आपस में एक अंडरस्टैंडिंग बना लेना चाहिए । रंजन ढींगरा और दीपक कपूर के बीच यह अंडरस्टैंडिंग बनती नजर भी आ रही है, और दोनों नोमीनेटिंग कमेटी के लिए दीपक तलवार पर भरोसा करते देखे जा रहे हैं कि वह डिस्ट्रिक्ट की पहचान के हित में फैसला करेंगे - लेकिन विनोद बंसल ने नोमीनेटिंग कमेटी के लिए विनय भाटिया को आगे करके अपनी अलग चाल चली है, और डिस्ट्रिक्ट की बजाये अपने निजी हित को महत्ता दी है । रोटरी फाउंडेशन के लेबल टू ट्रेनिंग सेमीनार में डिस्ट्रिक्ट के लोगों को यह संकेत भी मिल गया है कि विनोद बंसल और विनय भाटिया ने डिस्ट्रिक्ट के हितों तथा डिस्ट्रिक्ट की पहचान के साथ धोखा करने के लिए कहाँ तार जोड़े हैं । विनोद बंसल ने जब जब अपने निजी स्वार्थ में डिस्ट्रिक्ट के लोगों के साथ 'धोखा' किया है, तब तब डिस्ट्रिक्ट के लोगों से उन्हें समर्थन नहीं मिला है, और उन्हें फजीहत का ही शिकार होना पड़ा है - इसलिए देखना दिलचस्प होगा कि इंटरनेशनल डायरेक्टर पद के चुनाव में डिस्ट्रिक्ट के साथ 'धोखा' करने की उनकी तैयारी का कैसा क्या हश्र होता है ?