Thursday, September 24, 2020

रोटरी इंटरनेशनल डिस्ट्रिक्ट 3080 में डिस्ट्रिक्ट गवर्नर रमेश बजाज की विज्ञापन के जरिये पैसे जुटाने के लिए की जा रही जबरदस्तियों के आरोपों ने जितेंद्र ढींगरा और अरुण मोंगिया को फँसाया और मुसीबत में डाला

पानीपत । डिस्ट्रिक्ट डायरेक्टरी के लिए विज्ञापन जुटाने तथा विज्ञापन के मनमाने दाम बसूलने के लिए डिस्ट्रिक्ट गवर्नर रमेश बजाज द्वारा की जा रही जबरदस्तियों की शिकायतों ने निवर्तमान डिस्ट्रिक्ट गवर्नर जितेंद्र ढींगरा तथा डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी पद के उम्मीदवार अरुण मोंगिया को खासी मुसीबत में डाल दिया है । डिस्ट्रिक्ट में कई आम और खास रोटेरियंस का आरोप है कि डिस्ट्रिक्ट गवर्नर के रूप में रमेश बजाज ने ज्यादा से ज्यादा पैसा इकट्ठा करने को ही अपना एकमात्र उद्देश्य बना लिया है । हालाँकि जितेंद्र ढींगरा ने इस तरह की बातों/शिकायतों पर यह कहते हुए मामले से अपना पल्ला झाड़ने का रवैया अपनाया हुआ है कि वह डिस्ट्रिक्ट गवर्नर के काम में कोई हस्तक्षेप नहीं करना चाहते । लेकिन जैसे जैसे रमेश बजाज की तरफ से विज्ञापन लेने के लिए जबरदस्तियाँ बढ़ती गईं, जितेंद्र ढींगरा के पास शिकायतों का ढेर भी बढ़ता गया है । लोगों ने अरुण मोंगिया पर भी यह कहते हुए दबाव बनाया कि आप लोगों ने अच्छा गठजोड़ बना लिया है - आपको हमसे वोट चाहिए, और आपके गवर्नर को हमसे विज्ञापन/पैसे चाहिए । कई लोगों ने इन पंक्तियों के लेखक को बताया कि उन्होंने अरुण मोंगिया से साफ कह दिया है कि उन्हें यदि अपनी उम्मीदवारी के लिए वोट चाहिए, तो गवर्नर से कहो कि विज्ञापन के लिए जबरदस्ती न करे ।
जितेंद्र ढींगरा और अरुण मोंगिया के लिए मुसीबत की बात यह भी है कि रमेश बजाज की तरफ से पहले से ही उनके खिलाफ यह शिकायत सुनी जा रही है कि उन्होंने डिस्ट्रिक्ट डायरेक्टरी के लिए विज्ञापन इकट्ठा करवाने में कोई मदद नहीं की है । रमेश बजाज के नजदीकियों के अनुसार, रमेश बजाज को इस बात की बड़ी नाराजगी और शिकायत है कि जितेंद्र ढींगरा डिस्ट्रिक्ट टीम की प्रस्तावित सूची में नाम कटवाने तथा जुड़वाने के लिए तो सक्रिय रहते हैं, लेकिन डिस्ट्रिक्ट टीम में शामिल किए/करवाने वाले लोगों से विज्ञापन दिलवाने में कोई दिलचस्पी नहीं लेते हैं । रमेश बजाज ने अपने नजदीकियों के बीच कई बार यह रोना रोया है कि डिस्ट्रिक्ट टीम के लिए उन्होंने जो नाम तय किए थे, जितेंद्र ढींगरा ने उनमें से कई नामों को डिस्ट्रिक्ट टीम में शामिल न करने के लिए कहा; और जितेंद्र ढींगरा के दबाव के चलते उन्हें कई नाम हटाने पड़े तथा उनकी जगह दूसरे नाम तय करने पड़े - और इस चक्कर में डिस्ट्रिक्ट डायरेक्टरी का काम लेटलतीफी का शिकार हुआ । रमेश बजाज की शिकायत यह है कि उन्होंने तो जितेंद्र ढींगरा की बातों को मानने तथा अपनाने में कोई देर नहीं की, लेकिन जितेंद्र ढींगरा ने जो नाम डिस्ट्रिक्ट टीम में शामिल करवाए - उनसे डिस्ट्रिक्ट डायरेक्टरी के लिए विज्ञापन दिलवाने में कोई दिलचस्पी नहीं ली ।
डिस्ट्रिक्ट में आम और खास रोटेरियंस का मानना और कहना है कि लॉकडाउन के कारण रोटरी और डिस्ट्रिक्ट की गतिविधियाँ जब लगभग ठप्प पड़ी हैं, तो डिस्ट्रिक्ट का ज्यादा कोई खर्चा भी नहीं हो रहा है - लेकिन फिर भी रमेश बजाज पैसों को लेकर ज्यादा हायतौबा क्यों मचा रहे हैं ? जितेंद्र ढींगरा और उनसे पहले, टीके रूबी के गवर्नर-वर्ष का उदाहरण देते हुए रोटेरियंस का कहना है कि इन दोनों ने विज्ञापन जुटाने तथा अन्य तरीकों से पैसे इकट्ठे करने को लेकर कोई जबरदस्ती भी नहीं की थी, और अपने अपने कार्यक्रम भी बड़ी भव्यता के साथ किए थे । जितेंद्र ढींगरा तो एक बड़ी रकम के बचे होने की बात कहते/बताते भी सुने गए हैं । लॉकडाउन के चलते रमेश बजाज को कुछ करना भी नहीं पड़ रहा है, और वह पैसे जुटाने के काम में बुरी तरह से जुटे हुए भी हैं, और वह तरह तरह से जबरदस्ती कर रहे हैं । इससे ही लोगों को आरोपपूर्ण सवाल करने का मौका मिला है कि रमेश बजाज सिर्फ कमाई करने के लिए ही गवर्नर बने हैं क्या ? जितेंद्र ढींगरा से भी लोगों ने शिकायती स्वर में कहा है कि उन्हें अपने जो काम रमेश बजाज से करवाने होते हैं, वह तो करवा लेते हैं - लेकिन 'हम' रमेश बजाज की जबरदस्ती से बचाने की बात कहते हैं, तो बहाने करके बच निकलते हैं । रमेश बजाज की जबरदस्ती से बचने/बचाने के लिए जितेंद्र ढींगरा और अरुण मोंगिया से लगाई जा रही गुहारों का कोई असर होगा या नहीं, यह तो बाद में पता चलेगा - लेकिन इन गुहारों ने डिस्ट्रिक्ट में एक दिलचस्प नजारा तो बना ही दिया है ।