Monday, September 21, 2020

रोटरी इंटरनेशनल डिस्ट्रिक्ट 3054 के पूर्व गवर्नर अनिल अग्रवाल को 'सर्विस अबव सेल्फ' का उदाहरण बताने वाले शेखर मेहता के ट्वीट को देख कर रोटेरियंस के बीच बूढ़ों, बीमारों, गरीबों व अनपढ़ों के नाम पर ली गई ग्रांट की रकम को हड़पने के मामले में अनिल अग्रवाल को दोषी ठहराए जाने तथा उनके सजायाफ्ता होने का मामला एक बार फिर चर्चा में आया  

जयपुर । पूर्व डिस्ट्रिक्ट गवर्नर अनिल अग्रवाल के लिए इंटरनेशनल प्रेसीडेंट इलेक्ट शेखर मेहता की तारीफ पाना फजीहत का कारण बन गया है । दरअसल ट्विटर पर शेखर मेहता ने ब्लड डोनेट करने को लेकर अनिल अग्रवाल की जो तारीफ की, उससे अनिल अग्रवाल का अपने गवर्नर वर्ष में ली गई ग्लोबल ग्रांट (नंबर 1420550) के करीब 20 लाख रुपये हड़पने का मामला एक बार फिर से चर्चा में आ गया, जिसके लिए अनिल अग्रवाल रोटरी में ग्रांट्स, अवॉर्ड्स, असाइनमेंट्स व अपॉइंटमेंट्स से वंचित किए जाने की सजा पा चुके हैं । हालाँकि काफी जद्दोजहद के बाद, उक्त हड़पी गई रकम वापस करने के चलते अनिल अग्रवाल को मिली सजा की अवधि कम कर दी गई, लेकिन रोटरी इंटरनेशनल के रिकॉर्ड में वह रोटरी फाउंडेशन की रकम हड़पने के मामले में दोषी हैं और सजायाफ्ता हैं । रोटेरियंस को हैरानी है कि बूढ़ों, बीमारों, गरीबों और अनपढ़ों की मदद के नाम पर रोटरी फाउंडेशन से ग्रांट लेकर उसे हड़प जाने वाले अनिल अग्रवाल को शेखर मेहता 'सर्विस अबव सेल्फ' का प्रतिनिधि/उदाहरण कैसे कह/बता सकते हैं ? और ऐसा करके शेखर मेहता रोटेरियंस को आखिर क्या संदेश और प्रेरणा दे रहे हैं ? रोटेरियंस के बीच यह सवाल भी चर्चा में है कि अनिल अग्रवाल आखिरकार शेखर मेहता के लिए किस रूप में उपयोगी हैं, जिसके लिए शेखर मेहता ने अपनी, रोटरी की, और इंटरनेशनल प्रेसीडेंट जैसे बड़े पद की गरिमा और मर्यादा को दाँव पर लगा दिया है ?
रोटेरियंस का मानना/कहना है कि यह ठीक है कि अनिल अग्रवाल लगातार रक्तदान करके एक अच्छा काम कर रहे हैं, लेकिन उनके इस अच्छे काम के सामने बूढ़ों, बीमारों, गरीबों व अनपढ़ों की मदद के नाम पर ली गई रकम को हड़पने की उनकी हरकत रोटरी तथा रोटेरियंस को लज्जित व शर्मिंदा करने वाली बात है - और ऐसे व्यक्ति को शेखर मेहता द्वारा 'सर्विस अबव सेल्फ' का उदाहरण बताना बहुत ही दुर्भाग्यपूर्ण तो है ही, एक गलत परंपरा डालना भी है । इस तरह की बातों और चर्चाओं ने अनिल अग्रवाल की बदनामी के दलदल से निकलने की कोशिशों पर एक बार फिर पानी फेर दिया है । उल्लेखनीय है कि रोटरी फाउंडेशन की ग्रांट की रकम को हड़पने और फिर रोटरी इंटरनेशनल से सजा पाने के चलते मिली बदनामी से उबरने के लिए अनिल अग्रवाल ने पिछले कुछेक महीनों में प्रयास किए हैं । उनके प्रयासों को डिस्ट्रिक्ट गवर्नर राजेश अग्रवाल से भरपूर सहयोग मिल रहा है । रोटरी इंटरनेशनल द्वारा असाइनमेंट्स व अपॉइंटमेंट्स से वंचित रखने की सजा के फैसले को अनदेखा करते हुए राजेश अग्रवाल ने अनिल अग्रवाल को डिस्ट्रिक्ट वाटर एंड सेनीटेशन कमेटी का चेयरमैन बना दिया तथा कुछेक आयोजनों में उन्हें प्रमुख भूमिका निभाने का मौका दिया । 
अनिल अग्रवाल ने राजेश अग्रवाल के सहयोग से डिस्ट्रिक्ट की गतिविधियों में वापसी की लेकिन जब जब कोशिश की, तब तब लोगों ने उन्हें 'आईना' दिखाया और जिसके चलते उन्हें फजीहत का सामना करना पड़ा । इस बीच 'बड़े नेताओं' के सहयोग से अनिल अग्रवाल ने अपनी सजा कम करवा लेने का जुगाड़ कर लिया । कोशिश तो उन्होंने दोषी ठहराये जाने के फैसले से मुक्त होने की की थी, लेकिन रोटरी इंटरनेशनल ने उन्हें दोषी होने तथा सजायाफ्ता होने से तो मुक्त नहीं किया - बस उनकी सजा की अवधि को कम कर दिया । इससे उनकी मुसीबतें बनी ही रहीं । डिस्ट्रिक्ट गवर्नर राजेश अग्रवाल भले ही उन्हें कुछेक आयोजनों में आगे आगे रखते रहे, लेकिन डिस्ट्रिक्ट के रोटेरियंस को यह 'स्वीकार' नहीं हुआ कि बूढ़ों, बीमारों, गरीबों व अनपढ़ों के नाम पर ली गई ग्रांट की रकम को हड़पने के मामले में दोषी ठहराए गए तथा सजा पाए अनिल अग्रवाल उन्हें रोटरी का कोई पाठ पढ़ाएँ । डिस्ट्रिक्ट में रक्तदान करने वाले और कई रोटेरियंस हैं, लेकिन रक्तदान करने को नाटकबाजी में बदलने का काम सिर्फ अनिल अग्रवाल ने किया है । ऐसे ही एक मौके पर शेखर मेहता की तारीफ प्राप्त करके अनिल अग्रवाल ने सोचा तो यह था कि शेखर मेहता की तारीफ मिलने के बाद रोटेरियंस के बीच उनकी साख बनेगी/बढ़ेगी । लेकिन हो उलटा गया । शेखर मेहता के ट्वीट को देख कर रोटेरियंस को अनिल अग्रवाल का रोटरी फाउंडेशन के पैसे को हड़पना और सजायाफ्ता होना एक बार फिर याद आ गया । अनिल अग्रवाल को 'सर्विस अबव सेल्फ' का उदाहरण बताने वाले अपने ट्वीट को लेकर शेखर मेहता को रोटेरियंस की आलोचना का जिस तरह शिकार होना पड़ा है, उससे लग रहा है कि दोषी व सजायाफ्ता होने के दाग से छुटकारा पाने के लिए अनिल अग्रवाल को गंभीरता से कोई उपाय सोचना होगा - तमाशेबाजी से तो मामला बिगड़ता ही रहेगा ।