गाजियाबाद । पूर्व गवर्नर जेके गौड़ के कार्यकाल में रोटरी फाउंडेशन के लिए जमा हुई रकम में हेराफेरी के पूर्व गवर्नर मुकेश अरनेजा के आरोपों की जाँच के लिए डिस्ट्रिक्ट गवर्नर आलोक गुप्ता द्वारा गठित की गई स्टुअर्डशिप कमेटी को भंग करने की माँग करते हुए जेके गौड़ ने मुकेश अरनेजा के खिलाफ जो जहर उगला है, उसने पूर्व गवर्नर्स के बीच खासी हलचल मचा दी है । जबाव में मुकेश अरनेजा ने भी जेके गौड़ के चरित्र को लांछित करने के जो तेवर अपनाए हैं, उससे लगता है कि इन दोनों के बीच शुरू हुई यह तू तू मैं मैं अभी और घटिया दृश्य दिखायेगी । मुकेश अरनेजा के आरोपों से बौखला कर जेके गौड़ ने मुकेश अरनेजा पर आरोप लगाया है कि वह झूठे और ओछे आरोप लगा कर गवर्नर्स को परेशान करने के 'आदी' रहे हैं । जेके गौड़ के इस आरोप पर मुकेश अरनेजा ने उन्हें 'हद में रहने' की नसीहत देते हुए चेताया है कि उन्हें यह नहीं भूलना चाहिए कि उनके निजी जीवन के 'रसीले' किस्सों पर किताब लिखी जा सकती है । मुकेश अरनेजा की इस धमकी ने मामले को संगीन तो बना ही दिया है, साथ ही जेके गौड़ को वह महान सुझाव भी याद दिला दिया होगा जिसमें कहा गया है कि 'दोस्तों के साथ झगड़ा नहीं करना चाहिए । यदि हो भी जाये, तो उसे खत्म करने की कोशिश करना चाहिए, न कि उसे बढ़ाना चाहिए । यह कभी नहीं भूलना चाहिए कि कमीनों को तुम्हारे सारे राज पता होते हैं ।'
जेके गौड़ की बौखलाहट ने जेके गौड़ की स्थिति को संदेहास्पद बना दिया है, और उन्हें कठघरे में खड़ा कर दिया है । जिन लोगों को उनसे हमदर्दी है भी, उनका भी कहना है कि वह मुकेश अरनेजा के बारे में जो कहना चाहते हैं, वह सच है - लेकिन कहने के तरीके की उनकी फूहड़ता ने मुकेश अरनेजा को उन पर हमलावर होने का मौका दे दिया है । इस मामले में मजे की बात यह है कि गुलाम वाहनवती को ईमेल-पत्र लिखने से पहले मुकेश अरनेजा व अन्य कुछेक लोगों ने जेके गौड़ से रोटरी फाउंडेशन में दी गई रकम के बदले में प्वाइंट्स न मिलने की शिकायत की थी, और उनसे सच्चाई बताने का अनुरोध किया था । जेके गौड़ ने उनके अनुरोध पर लेकिन कोई ध्यान नहीं दिया, और 'अपनी तड़ी' में उन्हें जबाव दिया कि अभी वह एमएलसी के चुनाव में व्यस्त हैं और इसलिए अभी उनके पास सच्चाई देखने/बताने का समय नहीं है । जेके गौड़ के इस जबाव पर कुछेक लोगों ने चुटकी भी ली कि एमएलसी के चुनाव के चक्कर में उनके पास यदि रोटरी तथा रोटेरियंस के काम के लिए समय नहीं है, तो उन्होंने डीआरएफसी (डिस्ट्रिक्ट रोटरी फाउंडेशन चेयरमैन) तथा अशोक अग्रवाल के डिस्ट्रिक्ट ट्रेनर जैसे जिम्मेदार पद अपने पास क्यों रखे हुए हैं, और वह इन पदों को छोड़ क्यों नहीं देते हैं ? दरअसल इसी तरह के प्रसंगों ने जेके गौड़ को पद-लोलुप तथा बेईमान होने के आरोपों के घेरे में ला दिया है । मुकेश अरनेजा ने उनके जीवन के 'रसीले' किस्सों की किताब लिखने/छापने की बात करके उनकी मुश्किलों को और बढ़ा दिया है ।