Thursday, September 3, 2020

रोटरी इंटरनेशनल डिस्ट्रिक्ट 3012 का ग्रांट्स के मामलों में एक के बाद एक लगातार मुसीबतों व फजीहतों का शिकार बनने के लिए पूर्व गवर्नर शरत जैन की पनोती को जिम्मेदार माने/ठहराए जाने के साथ ही पूछा जा रहा है कि दीपक गुप्ता के बाद उनका अगला शिकार कौन होगा ?

नई दिल्ली । निवर्त्तमान डिस्ट्रिक्ट गवर्नर दीपक गुप्ता डीडीएफ ग्रांट की रकम के मामले में कहीं पूर्व गवर्नर शरत जैन की पनोती के शिकार तो नहीं हो गए हैं ? डीडीएफ ग्रांट की रकम के मामले में दीपक गुप्ता के साथ जो तमाशा हुआ है, और जिसके चलते वह करीब 70 लाख रुपये गँवाते नजर आ रहे हैं, वह दीपक गुप्ता का बड़ा बेवकूफीपूर्ण काम है - और इसे लेकर दीपक गुप्ता का डिस्ट्रिक्ट में और रोटरी में खासा मजाक बन रहा है । हर किसी को हैरानी है कि दीपक गुप्ता डिस्ट्रिक्ट ग्रांट अकाउंट में अपने हस्ताक्षर जुड़वाने जैसा मामूली काम आखिर क्यों नहीं करवा सके ? इसी हैरानी में लोगों का ध्यान इस बात पर गया है कि कहीं शरत जैन की पनोती की 'हवा' ने तो दीपक गुप्ता पर असर नहीं कर दिया, जिसके चलते दीपक गुप्ता एक सामान्य सी प्रक्रिया को भी पूरा नहीं कर सके - और अपनी जेब भी ढीली करवा बैठे तथा मजाक का विषय भी बन गए । इस बात पर लोगों का ध्यान दरअसल इसलिए गया, क्योंकि रोटरी फाउंडेशन की ग्रांट के जिस भी मामले में शरत जैन प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष रूप से जुड़े, उसका अंततः कबाड़ा ही हुआ है ।
उल्लेखनीय है कि शरत जैन खुद अपने गवर्नर-वर्ष में डीडीएफ ग्रांट का पैसा प्रोजेक्ट्स में इस्तेमाल नहीं कर पाए थे । प्रोजेक्ट्स तैयार करने/करवाने में उनकी तरफ से हुई लापरवाही के चलते प्रोजेक्ट्स के लिए आवेदन देने का समय निकल गया, और डीडीएफ ग्रांट की रकम से प्रोजेक्ट्स नहीं हो पाए । शरत जैन ने डीडीएफ ग्रांट का पैसा पोलियो में देकर ठिकाने लगाया । शरत जैन ने अपने गवर्नर-वर्ष में रोटरी क्लब ई मैग्नम को दो ग्लोबल ग्रांट मंजूर करवाई थीं, जिनमें लेकिन एक धेले का काम नहीं हुआ और रकम हड़पने के आरोप लगे । रोटरी फाउंडेशन ने ग्रांट्स के रूप में दी गई रकम वापस पाने के लिए सख्ती दिखाई, तब वह रकम वापस की/करवाई गई । मजे की बात यह है कि वापस की गई रकम का एक बड़ा हिस्सा डिस्ट्रिक्ट गवर्नर के रूप में दीपक गुप्ता द्वारा दिए जाने की चर्चा है, लेकिन काउंसिल ऑफ गवर्नर्स के सदस्यों को इस बारे में कोई जानकारी नहीं है कि दीपक गुप्ता ने आखिर कौन से अकाउंट से रकम दी है । इन मामलों के चलते कुछेक लोगों ने मजाक में कहा भी था कि रोटरी की ग्रांट्स के मामले में शरत जैन की पनोती डिस्ट्रिक्ट व क्लब्स के लिए मुसीबत बन गई ।

किसे पता था कि रोटरी की ग्रांट्स के मामले में शरत जैन की पनोती दीपक गुप्ता के लिए भी फजीहत का कारण बन जायेगी । मजे की बात यह रही कि डिस्ट्रिक्ट गवर्नर के रूप में दीपक गुप्ता किसी भी मामले में शरत जैन पर निर्भर नहीं थे, लेकिन डिस्ट्रिक्ट कॉन्फ्रेंस से पहले पता नहीं किस घड़ी में उन्होंने शरत जैन को डिस्ट्रिक्ट एडवाईजर बना लिया । उसके बाद शरत जैन असिस्टेंट रीजनल रोटरी कोऑर्डीनेटर बन गए, जिसके चलते दीपक गुप्ता ने शरत जैन से निकटता और बढ़ा ली । लोगों को लग रहा है कि इस तरह शरत जैन की पनोती को दीपक गुप्ता ने खुद ही गले लगाया, और डीडीएफ ग्रांट की रकम को लेकर झमेले में फँस गए । शरत जैन के क्लब, रोटरी क्लब दिल्ली अशोका के कुछेक सदस्यों को लगता है कि उनके क्लब में जो फूट हुई, उसके लिए भी शरत जैन की पनोती ही जिम्मेदार है - क्योंकि क्लब में झगड़े की शुरुआत ग्लोबल ग्रांट के इस्तेमाल के तरीके को लेकर ही हुई थी, जो क्लब को दोफाड़ करने का कारण बनी । लोगों को हैरानी लेकिन इस बात की है कि शरत जैन की पनोती से पूर्व गवर्नर सुभाष जैन आखिर कैसे बचे रह गए, जबकि शरत जैन तो उनके डिस्ट्रिक्ट ट्रेनर थे । लोगों को लगता है कि या तो सुभाष जैन की किस्मत शरत जैन की पनोती पर भारी पड़ी, और या सुभाष जैन डिस्ट्रिक्ट के कामकाज के लिए शरत जैन पर ज्यादा निर्भर नहीं रहे होंगे - और उन्होंने अपना काम अपने आप ही किया होगा । इन चर्चाओं के बीच देखना दिलचस्प होगा कि दीपक गुप्ता के बाद शरत जैन की पनोती का अगला शिकार कौन होता है ?