Friday, September 11, 2020

रोटरी इंटरनेशनल डिस्ट्रिक्ट 3011 में रोटरी ब्लड बैंक में मोटी रकम के बकाया बिलों के मामले का ठीकरा दिवंगत सुदर्शन अग्रवाल के सिर फोड़ कर खुद को बचाने की कोशिश ने पूर्व गवर्नर विनोद बंसल की मुश्किलों को बढ़ा और दिया है 

नई दिल्ली । रोटरी ब्लड बैंक के प्रेसीडेंट पद से 'जबर्दस्ती' और बड़े फजीहतपूर्ण तरीके से हटा दिए जाने के बाद भी, पूर्व डिस्ट्रिक्ट गवर्नर विनोद बंसल को ब्लड बैंक के गड़बड़झालों से जुड़ी मुश्किलों से छुटकारा नहीं मिल पा रहा है । ब्लड बैंक के नए पदाधिकारियों के सामने जैसे जो तथ्य आ रहे हैं, उनसे तमाम वित्तीय अनियमितताओं की चर्चाओं को बल मिला है । एक सप्लायर के मोटी रकम के बकाया बिलों ने तो ब्लड बैंक के नए पदाधिकारियों का सिर ही चकरा दिया है, जिसके बाद ब्लड बैंक के पदाधिकारियों व प्रमुख सदस्यों की मीटिंग बुलाना पड़ी । ब्लड बैंक के नए बने ट्रेजरर आशीष घोष ने मीटिंग में मोटी रकम के बकाया बिलों का मामला उठाया, तो विनोद बंसल ने उन बिलों की जिम्मेदारी से पल्ला झाड़ते हुए बताया कि उक्त बिल उनके प्रेसीडेंट बनने से पहले के, यानि सुदर्शन अग्रवाल के प्रेसीडेंट रहने के दौरान के हैं - और उनके लिए उन्हें जिम्मेदार नहीं ठहराया जा सकता । विनोद बंसल के इस जबाव ने उनकी मुश्किलों को कम करने की बजाये बढ़ाने का काम किया । लोगों का कहना है कि विनोद बंसल अपनी नाकामियों तथा बेईमानियों को छिपाने के लिए दिवंगत सुदर्शन अग्रवाल का नाम बदनाम करने की कोशिश कर रहे हैं । इंटरनेशनल डायरेक्टर रहे सुदर्शन अग्रवाल का नाम डिस्ट्रिक्ट तथा रोटरी में बहुत सम्मान से लिया और याद किया जाता है । इसीलिए, रोटरी ब्लड बैंक में अपनी नाकामियों तथा बेईमानियों को सुदर्शन अग्रवाल के नाम से ढकने की विनोद बंसल की कोशिश ने कई लोगों को भड़का दिया है ।
लोगों का कहना/पूछना है कि उक्त बिल यदि उनके प्रेसीडेंट बनने से पहले के हैं भी, तो अपने करीब साढ़े चार वर्षों के कार्यकाल में उन्होंने उन बिलों का भुगतान क्यों नहीं किया - और यदि उन बिलों को लेकर उनकी कोई आपत्तियाँ रहीं, तो उन आपत्तियों को उन्होंने ब्लड बैंक के दूसरे पदाधिकारियों के साथ बातचीत करके हल करने के प्रयास क्यों नहीं किए ? उनके साथ ब्लड बैंक में पदाधिकारी रहे वरिष्ठ रोटेरियंस का कहना है कि उनके सामने कभी यह बात नहीं आई कि पिछले कार्यकाल के कोई बिल बकाया हैं । लोगों को हैरानी इस बात की भी है कि ऐसा कौन सप्लायर है, जिसकी मोटी रकम का भुगतान नहीं हुआ - लेकिन वह फिर भी सप्लाई दिए जा रहा है, और बकाया मोटी रकम माँग ही नहीं रहा है ? लोगों को शक है कि यह कहीं रोटरी ब्लड बैंक में फर्जी बिलिंग से पैसे बनाने के मामले का तो परिणाम नहीं है ? ब्लड बैंक के नए पदाधिकारियों से लोगों की माँग है कि इस मामले की गहराई व बारीकी से जाँच की जानी चाहिए और तथ्यों को डिस्ट्रिक्ट के सभी सदस्यों के सामने रखना चाहिए ।
विनोद बंसल ने मीटिंग में बकाया बिलों को राइट-ऑफ 'करवाने' का दावा करके मामले को और संशयपूर्ण बना दिया है । उन्होंने ब्लड बैंक के नए पदाधिकारियों को सांत्वना-सी देते हुए कहा कि वह इन बकाया बिलों को लेकर परेशान न हों, वह सप्लायर से बात करके इन्हें राइट-ऑफ करवा देंगे । इससे लोगों के बीच सवाल पैदा हुआ कि विनोद बंसल यदि बकाया बिलों को राइट-ऑफ करवा सकते हैं, तो वह करीब साढ़े चार वर्ष से इन बकाया बिलों को बनाये क्यों रखे हुए हैं - उन्होंने अपने कार्यकाल में इन्हें राइट-ऑफ क्यों नहीं करवाया ? इस तरह, सवाल तो बहुत हैं - लेकिन उनके जबाव किसी के पास नहीं हैं । ब्लड बैंक के नए पदाधिकारी इस बात से परेशान हैं कि वह जहाँ भी देखते हैं, उन्हें न समझ में आने वाला गड़बड़झाला मिल जाता है । मजे की बात यह है कि ब्लड बैंक की नए पदाधिकारियों की टीम में करीब आधे पदाधिकारी वहीं हैं, जो विनोद बंसल की पदाधिकारियों की टीम में भी थे, लेकिन उन्हें भी नहीं पता कि प्रेसीडेंट के रूप में विनोद बंसल क्या क्या गुल खिलाते रहे हैं ?  अभी जब मोटी रकम के बकाया बिलों का मामला सामने आया है, तो विनोद बंसल ने ठीकरा दिवंगत सुदर्शन अग्रवाल के सिर फोड़ कर बचने की कोशिश की । उनकी यह कोशिश लेकिन उनकी मुश्किलों को बढ़ाती हुई दिख रही है ।