मुरादाबाद । दीपक बाबू ने डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी पद के लिए मिली अप्रत्याशित जीत का जश्न मनाने की जो तैयारी की है, दिवाकर अग्रवाल ने उसमें खलल डाल दिया है । दिवाकर
अग्रवाल ने रोटरी इंटरनेशनल में दीपक बाबू को मिली जीत को चेलैंज किया है
और आरोप लगाया है कि दीपक बाबू ने अपनी इस जीत को क्लब्स के पदाधिकारियों
से वोटों को खरीद कर प्राप्त किया है । जीत का जश्न मनाने की तैयारी कर रहे दीपक बाबू और उनके समर्थकों को यह बात जानकर खासा तगड़ा झटका लगा है । यह पता चलने पर तो उन्हें अपनी जीत हार में बदलती हुई दिख रही है कि
दिवाकर अग्रवाल ने रोटरी इंटरनेशनल में जो शिकायत दर्ज की है, उसमें
शिकायत के साथ कुछेक क्लब्स के पदाधिकारियों के हलफनामे भी उन्होंने दिए हैं -
जिन्हें दीपक बाबू द्धारा की गई वोटों की खरीद-फरोख्त के सुबूत के रूप में
पेश किया गया है ।
दिवाकर अग्रवाल द्धारा रोटरी
इंटरनेशनल में दर्ज कराई गई शिकायत की खबर मिलने के बाद से 31 मई को जीत का
जश्न मनाने की तैयारी कर रहे दीपक बाबू और उनके समर्थकों का जोश ठंडा पड़
गया है । दीपक बाबू के कुछेक समर्थकों ने तो कहा भी है कि दीपक बाबू को 31 मई का आयोजन रद्द कर देना चाहिए और इस तरह के जश्न के लिए रोटरी इंटरनेशनल के फैसले का इंतजार करना चाहिए । ऐसा कहने वाले दीपक बाबू के समर्थकों का तर्क है कि पैसा देकर खरीदी गई जीत का जश्न मनाना अपनी ही खिल्ली उड़वाना होगा । इनका कहना है कि इस तरह की बातें जब तक लोगों के बीच खुसर-पुसर के रूप में थीं, तब तक तो वह ज्यादा गंभीर नहीं थीं - लेकिन अब जब इस
तरह की बातें रिकॉर्ड पर आ गई हैं और कुछेक क्लब्स के पदाधिकारियों द्धारा
दिए गए हलफनामों के जरिये सुबूत के रूप में सामने आ गईं हैं तो अब मामला
गंभीर हो गया है । दीपक बाबू के कुछेक समर्थकों का ही सुझाव है कि दीपक बाबू को मामले की गंभीरता को समझना चाहिए और 31 मई का जश्न का आयोजन रद्द देना चाहिए - अन्यथा उस दिन उन्हें जश्न मनाने की बजाये लोगों को सफाईयाँ ही देनी पड़ेगी ।
मजे की बात है कि यह जो स्थिति बनी है, उसे 'बनाने' का श्रेय खुद दीपक बाबू को ही है । उल्लेखनीय है कि
डिस्ट्रिक्ट की चुनावी राजनीति में वोटों की खरीद-फ़रोख्त के आरोप पहले भी
लगते रहे हैं - लेकिन दीपक बाबू पहले उम्मीदवार हैं जिन्होंने इस आरोप के
लिए लोगों को बाकायदा 'मौका दिया' । दीपक बाबू ने कई बार लोगों के बीच 'वोटों की खरीद' को चुनाव जीतने की अपनी तरकीब के रूप में व्याख्यायित किया था । उन्होंने कई मौकों पर लोगों को बताया था कि चुनाव के समय, यानि वोट देने के समय वह क्लब-अध्यक्षों को मोटी मोटी रकम ऑफर
करेंगे और बदले में उनसे वोट पा लेंगे और इस तरह डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी
बन जायेंगे । दीपक बाबू जब खुद ही इस तरह की बातें करते थे, तो उनके
जीत जाने के बाद लोगों को यह कहने का मौका मिला ही है कि उनकी जीत तो वोटों
की खरीद के जरिये मिली जीत है । कुछेक क्लब्स के पदाधिकारियों ने हलफनामे देकर दीपक बाबू द्धारा की गई वोटों की खरीद-फ़रोख्त के सुबूत भी दे दिए हैं । इन्हीं हलफनामों को आधार बना कर दिवाकर अग्रवाल ने रोटरी इंटरनेशनल में दीपक बाबू की जीत को चेलैंज कर दिया है ।
दीपक
बाबू द्धारा की गई वोटों की खरीद-फ़रोख्त के जो किस्से लोगों के बीच चर्चा
में हैं, उनसे पता चल रहा है कि दीपक बाबू ने वोटों को 'खरीदने' के लिए बड़ी
हार्ड बारगेनिंग की । कुछेक क्लब के पदाधिकारियों को वोट के बदले साठ हजार रुपये के ऑफर से सौदा करना शुरू किया गया, जो फिर दस-दस हजार रुपये बढ़ता हुआ एक लाख रुपये और उससे भी अधिक तक पहुँचा । कुछेक क्लब
के पदाधिकारियों ने मौके की नजाकत से फायदा उठाने की कोशिश करते हुए ज्यादा
'मुँह खोले', तो दीपक बाबू को फिर वह सौदे बीच में ही छोड़ने पड़े । जीत का नतीजा आने के बाद दीपक बाबू ने कुछेक लोगों के बीच बड़े घमंड के साथ कहा भी कि कुछेक क्लब्स से बात बनते बनते 'रह गई', अन्यथा उनकी जीत का अंतर और बड़ा होता ।
जीत का तमगा मिलते ही दीपक बाबू को आशंका हुई
थी कि दिवाकर अग्रवाल उनकी जीत के नतीजे को रोटरी इंटरनेशनल में चेलैंज
करेंगे; इसीलिए उन्होंने तुरंत से दिवाकर अग्रवाल को घेरना/घिरवाना शुरू कर
दिया था कि वह इस फैसले को स्वीकार कर लें । दीपक बाबू ने दिवाकर अग्रवाल को ऑफर
दिया कि अगले वर्ष डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी पद के लिए उनकी उम्मीदवारी का
झंडा लेकर वह खुद आगे-आगे चलेंगे । दिवाकर अग्रवाल के कुछेक समर्थकों ने भी उस समय
राय व्यक्त की थी कि दिवाकर अग्रवाल को चुनावी नतीजे के फैसले को स्वीकार
करके बड़प्पन का परिचय देना चाहिए । दिवाकर अग्रवाल अपने कुछेक समर्थकों की
इस सलाह को मानने के संकेत दे भी रहे थे, लेकिन तभी उन्हें दीपक बाबू द्धारा की
गई वोटों की खरीद-फ़रोख्त के सुबूत मिल गए और फिर उन्होंने दीपक बाबू की जीत
की पोल खोलते हुए रोटरी इंटरनेशनल में उनकी जीत को चेलैंज कर दिया । उनके चेलैंज पर फैसला आने में तो देर लगेगी, लेकिन अभी
उनके चेलैंज ने 31 मई के दीपक बाबू की जीत के जश्न की तैयारी के जोश में तो
खलल डाल ही दिया है । दिवाकर अग्रवाल के चेलैंज के मद्देनजर दीपक बाबू के
ही कुछेक सलाहकारों ने 31 मई के आयोजन को रद्द कर देने का सुझाव दिया है । दीपक बाबू के लिए यह फैसला करना लेकिन खासा मुश्किल हो रहा है कि अपने ही सलाहकारों की इस सलाह को वह माने या न माने !