Tuesday, December 1, 2015

इंस्टीट्यूट ऑफ चार्टर्ड एकाउंटेंट्स की विभिन्न कमेटियों में फीस कम करने के मुद्दे पर विजय गुप्ता को हो सकने वाले फायदे को रोकने के लिए अतुल गुप्ता ने युवा चार्टर्ड एकाउंटेंट्स के सिर पर जो बोझ डाला है, उसके कारण अतुल गुप्ता की उम्मीदवारी के खिलाफ खासा तगड़ा माहौल बना है

नई दिल्ली । विजय गुप्ता को फीस में कमी करने के मुद्दे पर मिल सकने वाले फायदे को रोकने के लिए अतुल गुप्ता ने जो चाल चली, उसी चाल ने लेकिन उल्टा असर किया और अतुल गुप्ता के चुनाव-अभियान का कबाड़ा कर दिया है । उल्लेखनीय है कि इस मामले की पोल खुलने के बाद से ही अतुल गुप्ता की मुसीबतें शुरू हुई हैं और उनके विरोधियों के स्वर तेज हुए हैं । इस मामले की पोल खुलने के बाद अतुल गुप्ता के पहले कभी नजदीकी रहे उन लोगों के हौंसले खासे बुलंद हुए हैं, जो अब उनके विरोधी बने हुए हैं तथा लोगों को यह बताना चाहते हैं कि अतुल गुप्ता कैसे अपने निजी स्वार्थ में दूसरों को तो नुकसान पहुँचाते ही हैं - अपनों को भी चोट पहुँचाने में नहीं हिचकते हैं । अतुल गुप्ता ने अपने निजी व्यवहार का जो सार्वजनिक-करण किया है, उसने इंस्टीट्यूट के चुनावी परिदृश्य में कुछेक नए चैप्टर जोड़े हैं - अतुल गुप्ता के लिए बदकिस्मती की बात यह रही कि इससे होने वाले नुकसान को खुद उन्हें ही भुगतना पड़ रहा है । इंस्टीट्यूट के चुनाव की खूबसूरती यह है कि यहाँ हर उम्मीदवार दूसरे की नहीं, बल्कि सिर्फ अपनी बात करता है; यहाँ हर उम्मीदवार अपनी जमीन तैयार करता है, दूसरे की जमीन कब्जाने की कोशिश नहीं करता है - यह अलग बात है कि अपनी जमीन तैयार करने की कोशिश में दूसरे की कुछ जमीन उसे मिल जाए, और इस कारण से थोड़ी-बहुत तल्खी बन जाए । अतुल गुप्ता ने लेकिन इस परंपरा/व्यवस्था को सिर के बल खड़ा कर दिया है । अतुल गुप्ता ने बाकायदा 'दुश्मन' चिन्हित किए और उन्हें निशाना बनाने का काम किया । 
अतुल गुप्ता ने अपने रीजन में विजय गुप्ता और संजय अग्रवाल को दुश्मन के रूप में चिन्हित किया और इनसे निपटने के लिए अलग अलग रणनीति बनाई । विजय गुप्ता और संजय अग्रवाल के गुण-दोषों को पहचानते/समझते हुए अतुल गुप्ता ने बड़ी होशियारी से विजय गुप्ता को मोहरा बना कर संजय अग्रवाल को निशाना बनाया । विजय गुप्ता के नजदीकियों को अब जाकर अतुल गुप्ता की चाल समझ में आई है, और उनके सामने यह तथ्य उजागर हुआ है कि संजय अग्रवाल से लड़वा कर अतुल गुप्ता वास्तव में विजय गुप्ता की जड़ें खोदने का मौका बना रहे थे । अतुल गुप्ता के नजदीकियों का कहना है कि अतुल गुप्ता ने विजय गुप्ता की इस कमजोरी को समझ लिया था कि विजय गुप्ता जल्दी आवेश में आ जाते हैं और फिर सोच-विचार की बजाए भावनाओं में बह जाते हैं; विजय गुप्ता की इस कमजोरी को फायदा उठाते हुए अतुल गुप्ता ने उन्हें तो संजय अग्रवाल के खिलाफ भिड़ा दिया और खुद फरीदाबाद में विजय गुप्ता की जड़ें खोदने के काम में लग गए । फरीदाबाद में अतुल गुप्ता ने धीरे-धीरे करके गुपचुप तरीके से विजय गुप्ता के कुछेक नजदीकियों को अपनी तरफ करने का काम तो किया ही, साथ ही विजय गुप्ता के खिलाफ नकारात्मक खबरें प्लांट करवाने का काम भी किया । विजय गुप्ता के नजदीकियों ने ही इस तथ्य को रेखांकित किया है कि विजय गुप्ता जिन संजय अग्रवाल को दुश्मन नंबर एक समझते रहे हैं, उन संजय अग्रवाल ने ऐसा कोई काम नहीं किया जिससे विजय गुप्ता को किसी भी तरह की कोई चोट पड़ती हो; किंतु विजय गुप्ता जिन अतुल गुप्ता के साथ कम्फर्ट फील करते रहे हैं, उन अतुल गुप्ता ने हर स्तर पर हर वह काम किया जिससे विजय गुप्ता का काम खराब हो । 
इंस्टीट्यूट के विभिन्न कोर्सेस में फीस कम करने के मुद्दे पर अतुल गुप्ता का जो रवैया रहा, उसमें विजय गुप्ता के प्रति अतुल गुप्ता के विरोध के स्तर को समझा/पहचाना जा सकता है । इस मामले में विजय गुप्ता का विरोध करने के चक्कर में अतुल गुप्ता इस हद तक चले गए कि उन्हें इस बात का भी ध्यान नहीं रहा कि उनके इस रवैये से विजय गुप्ता का तो कुछ नहीं बिगड़ेगा, युवा चार्टर्ड एकाउंटेंट्स का लेकिन बहुत बड़ा नुकसान जरूर होगा । उल्लेखनीय है कि इंस्टीट्यूट की कई कमेटियाँ कुछेक ऐसे कोर्स चलाती हैं, जो युवा चार्टर्ड एकाउंटेंट्स के लिए उपयोगी साबित होते हैं; किंतु ऊँची फीस के चलते तमाम युवा चार्टर्ड एकाउंटेंट्स, खासकर छोटे शहरों के चार्टर्ड एकाउंटेंट्स के लिए उसका फायदा उठा पाना संभव नहीं होता है । इसी बात को ध्यान में रखते हुए विजय गुप्ता ने पहल की और इंस्टीट्यूट के विभिन्न कोर्सेस में फीस कम करने के लिए प्रयास शुरू किए । इंस्टीट्यूट में विजय गुप्ता के प्रस्ताव को खासे उत्साह से लिया गया, और सभी ने उनके प्रस्ताव को युवा चार्टर्ड एकाउंटेंट्स के लिए उपयोगी माना/पाया - और विभिन्न कोर्सेस में फीस कम करने के उनके प्रस्ताव को एंडोर्स किया । एक अकेले अतुल गुप्ता ने लेकिन मामले को लटका दिया । मजे की बात यह है कि फीस कम करने के मुद्दे से अतुल गुप्ता का कोई वैचारिक विरोध नहीं है; अतुल गुप्ता फीस कम करने के पक्ष में हैं - किंतु फिर भी फीस कम करने को लेकर उन्होंने कोई कदम नहीं उठाया । उनके नजदीकियों के अनुसार, इसका एकमात्र कारण अतुल गुप्ता का यह डर है कि उनके फीस कम करने से फायदा उन्हें नहीं, बल्कि विजय गुप्ता को होगा - और इसलिए उन्होंने फीस कम करने के फैसले को टाला हुआ है । 
उल्लेखनीय है कि विजय गुप्ता ने इस वर्ष जनवरी/फरवरी में इंस्टीट्यूट के विभिन्न कोर्सेस में फीस कम करने का मुद्दा प्रस्तुत किया था, और कई एक कमेटियों ने उनकी प्रस्तुति पर सकारात्मक प्रतिक्रिया देते हुए अपने अपने कोर्स में फीस कम की; लेकिन अतुल गुप्ता मामले को लटकाए हुए हैं - जिसके चलते उनकी कमेटी में आने वाले कोर्स में पढ़ने वाले चार्टर्ड एकाउंटेंट्स को ज्यादा फीस देने के लिए मजबूर होना पड़ रहा है । विजय गुप्ता को हो सकने वाले फायदे को रोकने के लिए अतुल गुप्ता ने युवा चार्टर्ड एकाउंटेंट्स के सिर पर जो बोझ डाला है, उसके कारण युवा चार्टर्ड एकाउंटेंट्स के बीच अतुल गुप्ता के खिलाफ खासा तगड़ा माहौल बना है । इस प्रकरण से दरअसल लोगों के बीच यह संदेश गया है कि अतुल गुप्ता बहुत ही खुन्नसी व्यक्ति हैं, और अपनी खुन्नस के चक्कर में वह किसी के भी हितों की बलि चढ़ा सकते हैं । इस संदेश ने लोगों के बीच अतुल गुप्ता के विरोध को और तल्ख़ तथा सक्रियताभरा बना दिया है । विजय गुप्ता से निपटने के चक्कर में अतुल गुप्ता ने युवा चार्टर्ड एकाउंटेंट्स के साथ जैसा जो धोखा किया है, और उनके साथ जिस तरह की नाइंसाफी की है - उसके कारण युवा चार्टर्ड एकाउंटेंट्स के बीच अतुल गुप्ता की उम्मीदवारी के प्रति गहरी नाराजगी है । इसी नाराजगी का प्रताप है कि अतुल गुप्ता की चुनावी मीटिंग्स व पार्टियाँ बुरी तरह फ्लॉप जा रही हैं, और उनमें उम्मीद से बहुत कम लोग ही जुट पा रहे हैं । चुनावी मीटिंग्स व पार्टियों के फेल होने का सीधा असर अतुल गुप्ता के व्यवहार पर पड़/दिख रहा है - जिसके नतीजे के रूप में उन्हें जब-तब लोगों से अलग अलग कारणों से उलझते/झगड़ते देखा जा रहा है । विजय गुप्ता को फायदा न हो जाए - इस चक्कर में अतुल गुप्ता ने अपने आपको जैसी/जिन मुसीबतों में फँसा लिया है, उससे अतुल गुप्ता के चुनाव अभियान पर खासा प्रतिकूल प्रभाव पड़ा है ।