Saturday, December 19, 2015

रोटरी इंटरनेशनल डिस्ट्रिक्ट 3012 में डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी पद के चुनाव में कॉन्करेंस जुटाने से जुड़ी अपनी कारस्तानियों को लेकर मुकेश अरनेजा को रोटरी इंस्टीट्यूट में भारी छीछालेदर का सामना करना पड़ा है

जयपुर/नई दिल्ली । जयपुर स्थित बीएम बिड़ला ऑडीटोरियम में रोटरी इंस्टीट्यूट में शामिल होने आए रोटरी के बड़े नेताओं तथा विभिन्न डिस्ट्रिक्ट्स के पदाधिकारियों के बीच डिस्ट्रिक्ट 3012 के डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी पद के चुनाव में अपनी भूमिका को लेकर मुकेश अरनेजा को जिस लानत-मलानत का शिकार होना पड़ा, उसका वहाँ मौजूद दूसरे रोटेरियंस के साथ-साथ डिस्ट्रिक्ट 3012 व डिस्ट्रिक्ट 3011 के रोटेरियंस नेताओं ने खूब मजा लिया । मुकेश अरनेजा के लिए मुसीबत की बात यह रही कि वहाँ उनके बचाव में कोई आगे नहीं आया, और जिनसे उन्हें सहयोग व समर्थन मिलने की उम्मीद भी थी - वह लोग भी उनकी उड़ती खिल्ली में मजे लेते देखे गए । मुकेश अरनेजा के लिए आफत यह रही कि इंस्टीट्यूट के उद्घाटन अवसर पर जुटे रोटरी नेताओं के बीच खड़े रहना, उनके लिए अपनी फजीहत को निमंत्रण देने जैसा रहा । प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार, मुकेश अरनेजा जिस किसी के पास खड़े हो जाते - वही उनसे डिस्ट्रिक्ट 3012 के चुनाव में उनकी भूमिका का जिक्र छेड़ देता और कहने लगता कि एक वरिष्ठ पूर्व गवर्नर के रूप में उन्हें वह सब नहीं करना चाहिए जो उन्होंने किया है या कर रहे हैं । किसी किसी ने तो मुकेश अरनेजा को साफ साफ कहा कि उनकी हरकतों से दूसरे रोटेरियंस को भी शर्मिंदा होना पड़ता है, और रोटरी की बदनामी होती है । अधिकतर मौकों पर होता यह कि यह बात शुरू होती तो आसपास खड़े दूसरे लोग भी इस बातचीत में शामिल हो जाते और फिर सब मिल कर मुकेश अरनेजा की लानत-मलानत करते - और मुकेश अरनेजा के लिए उससे बच निकलना मुश्किल होता । 
मुकेश अरनेजा के लिए हालत यह बनी कि रोटरी इंस्टीट्यूट में उनसे पहले उनकी कारस्तानियों की खबरें पहुँची हुई थीं, और इसीलिए हो यह रहा था कि मुकेश अरनेजा जिससे भी मिलते वह उनसे हालचाल पूछने की बजाए उनकी कारस्तानियों की बात छेड़ देता । रोटरी इंस्टीट्यूट में मौजूद लोगों के बीच मुकेश अरनेजा की बदनामी के चर्चे सुन/देख कर बड़े रोटरी नेताओं ने मुकेश अरनेजा को तवज्जो नहीं दी, और उन्हें अपने पास ज्यादा देर बैठने/खड़े होने नहीं दिया । कुछेक बड़े नेताओं के साथ और उनके बीच तस्वीरें खिंचवाने के लिए मुकेश अरनेजा को खासी मशक्कत करना पड़ी - कुछेक मौकों पर वह इसमें सफल भी हुए । रोटरी इंस्टीट्यूट के उद्घाटन के मौके पर मुकेश अरनेजा ने रोटरी के बड़े नेताओं के साथ तस्वीरें खिंचवाने पर खास ध्यान दिया, ताकि सोशल साइट्स पर उन्हें पेस्ट करके वह लोगों को 'दिखा' सकें कि तमाम बदनामी और फजीहत के बावजूद रोटरी के बड़े नेताओं के बीच उनकी अच्छी पैठ है । रोटरी के बड़े नेताओं के साथ तस्वीरें खिंचवाना मुकेश अरनेजा के लिए कभी भी इतना मुश्किल नहीं हुआ, जितना इस बार रोटरी इंस्टीट्यूट के उद्घाटन मौके पर हुआ । रोटरी इंस्टीट्यूट के जयपुर में हुए उद्घाटन अवसर पर रोटरी के बड़े नेताओं के साथ तस्वीरें खिंचवाने के लिए मुकेश अरनेजा बेशर्मी पर उतरे, तब जाकर वह कुछेक बड़े नेताओं के साथ तस्वीरें खिंचवा सकने में सफल हो सके । 
रोटरी नेताओं के बीच मुकेश अरनेजा की सबसे ज्यादा छीछालेदर डिस्ट्रिक्ट 3012 के रोटरी क्लब वैशाली के संदर्भ में हुई । रोटरी क्लब वैशाली में सदस्यों की सदस्यता को लेकर रोटरी इंटरनेशनल की वेबसाइट के साथ जिस तरह की छेड़छाड़ की गई, उसे रोटरी नेताओं ने बहुत ही 'संगीन अपराध' के रूप में देखा/पहचाना है - और इस 'अपराध' के प्रेरणा स्रोत के रूप में मुकेश अरनेजा को जिम्मेदार पाया/ठहराया । जिन्हें भी इस किस्से की जानकारी रही, उन्होंने माना/समझा कि वैशाली क्लब की कॉन्करेंस जुटाने के लिए मुकेश अरनेजा ने क्लब में झगड़ा पैदा करने का जो काम किया, उसे अंजाम तक पहुँचाने के लिए मुकेश अरनेजा ने ही क्लब के प्रेसीडेंट मनोज भदोला को रोटरी इंटरनेशनल के रिकॉर्ड के साथ छेड़छाड़ करने का रास्ता दिखाया/सुझाया - और इसके बाद जो हुआ उससे रोटरी इंटरनेशनल की सदस्यता का रिकॉर्ड रखने की व्यवस्था मजाक बन कर रह गई । मजे की बात यह रही कि मुकेश अरनेजा के दिखाए रास्ते पर चल कर जिन मनोज भदोला ने इस खेल की शुरुआत की, वही मनोज भदोला आज क्लब से बाहर कर दिए गए हैं । दरअसल वैशाली क्लब की कॉन्करेंस का जुगाड़ बैठा रहे मुकेश अरनेजा को क्लब के प्रेसीडेंट मनोज भदोला ने बताया कि क्लब के वरिष्ठ सदस्य प्रसून चौधरी कॉन्करेंस देने का विरोध कर सकते हैं और चूँकि क्लब में प्रसून चौधरी की अच्छी पकड़ है, इसलिए उनके विरोध के चलते क्लब के बाकी सदस्यों को कॉन्करेंस के लिए राजी करना असंभव होगा । उल्लेखनीय है कि प्रसून चौधरी पिछले रोटरी वर्ष में डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी पद के उम्मीदवार थे - नोमीनेटिंग कमेटी में फैसला लेकिन उनके अनुकूल नहीं रहा था; डिस्ट्रिक्ट में कई नेताओं व लोगों का उन पर दबाव रहा कि उन्हें अधिकृत उम्मीदवार को चेलैंज करना चाहिए, लेकिन प्रसून चौधरी ने साफ कह दिया कि अधिकृत उम्मीदवार को चेलैंज करने के काम में जो गंदगी होती है उसे वह रोटरी के हित में नहीं देखते हैं और इसलिए वह चेलैंज नहीं करेंगे । प्रसून चौधरी ने अधिकृत उम्मीदवार को चेलैंज न करने की लाइन ली, उससे रोटरी में और डिस्ट्रिक्ट में उनका कद और बढ़ा । इसी कारण से मुकेश अरनेजा और उनके जाल में फँसे क्लब प्रेसीडेंट मनोज भदोला को लगा कि प्रसून चौधरी कॉन्करेंस में रोड़ा बनेंगे । 
मुकेश अरनेजा ने मनोज भदोला को प्रसून चौधरी रूपी रोड़े को हटाने का उपाय बताया कि क्लब में फर्जी किस्म की ग्राउंड तैयार करो और उसका बहाना लेकर प्रसून चौधरी को क्लब से ही बाहर कर दो । मनोज भदोला ने मुकेश अरनेजा की आज्ञा का पालन किया । किंतु मामला उल्टा पड़ गया । प्रसून चौधरी की क्लब में जो साख है, उसके चलते फर्जी तरीके से क्लब से उन्हें निकालने की कार्रवाई पर क्लब में बबाल हो गया । इस बबाल को थामने तथा क्लब के लोगों के विरोध को नियंत्रित करने के लिए मनोज भदोला ने अपने गिने-चुने साथियों के साथ मिलकर चालबाजियाँ तो खूब चलीं, लेकिन उनकी चालबाजियाँ उनके काम आई नहीं और कुल नतीजा यह है कि प्रसून चौधरी को क्लब से निकाले जाने के फैसले को रद्द कर दिया गया है, और प्रेसीडेंट मनोज भदोला को क्लब से निकाल दिया गया है । रोटरी क्लब वैशाली का मामला वैसे तो एक क्लब का मामला भर है, जिस पर रोटरी के बड़े नेताओं का ध्यान शायद ही जाता - किंतु इस मामले में मुकेश अरनेजा की संलग्नता और रोटरी इंटरनेशनल की वेबसाइट के साथ हुई छेड़छाड़ ने इसे एक बड़ा मामला बना दिया है । 
रोटरी इंस्टीट्यूट के उद्घाटन अवसर पर मौजूद रोटेरियंस के बीच मुकेश अरनेजा की इस बात के लिए भी खासी छीछालेदर हुई कि कॉन्करेंस जुटाने के लिए उन्होंने अपने डीआरएफसी होने का बेजा इस्तेमाल किया और मैचिंग ग्रांट के नाम पर क्लब्स के पदाधिकारियों को ब्लैकमेल किया । उल्लेखनीय है कि कुछेक क्लब्स के पदाधिकारियों ने आरोप लगाया है कि मुकेश अरनेजा ने उन्हें धमकी दी कि उन्होंने यदि कॉन्करेंस नहीं दी तो वह मैचिंग ग्रांट के उनके आवेदनों पर साइन नहीं करेंगे । अधिकृत उम्मीदवार सुभाष जैन के खिलाफ कॉन्करेंस जुटाने में मुकेश अरनेजा ने अपने पद की गरिमा के साथ साथ रोटरी को भी जिस तरह से लज्जित किया है, उसकी हर किसी ने तीखी आलोचना ही की है । मुकेश अरनेजा के लिए मुसीबत की बात यह हुई है कि क्लब्स में झगड़े करवा कर तथा अपनी भारी फजीहत करवा कर उन्होंने जो कॉन्करेंस इकठ्ठा की/करवाई हैं, उनके फर्जी होने की पोल खुलने लगी है । कुछेक क्लब्स के पदाधिकारियों तथा सदस्यों ने अपने अपने क्लब की कॉन्करेंस को फर्जी करार देते हुए डिस्ट्रिक्ट गवर्नर जेके गौड़ को पत्र लिखे हैं । इससे कई क्लब्स की कॉन्करेंस निरस्त हो जाने की संभावना बन रही है । सचमुच यदि ऐसा हुआ तो मुकेश अरनेजा के लिए तो 'जूते भी खाने और प्याज भी खाने' वाला मामला हो जायेगा - यानि रोटरी भर में बदनामी भी मिली और काम भी नहीं हुआ ।