Sunday, December 20, 2015

इंस्टीट्यूट ऑफ चार्टर्ड एकाउंटेंट्स के पूर्व प्रेसिडेंट एनडी गुप्ता चुनावी जुगाड़ से क्या अपने बेटे नवीन गुप्ता को वाइस प्रेसीडेंट बनवा लेंगे

नई दिल्ली । एनडी गुप्ता ने अपने बेटे नवीन गुप्ता को इस बार वाइस प्रेसीडेंट चुनवाने का बीड़ा अभी से उठा लिया है, और इसके लिए उन्होंने नवीन गुप्ता में भी चाबी भरी है । अपने जानने वालों को खासा हैरान करते हुए नवीन गुप्ता वाइस प्रेसीडेंट पद के लिए खुद भी समर्थन जुटाने के प्रयासों में लगे देखे/सुने गए हैं । नवीन गुप्ता को प्रयास करते देख/सुन कर उन्हें जानने वालों को हैरानी दरअसल इसलिए हुई है क्योंकि नवीन गुप्ता इस तरह से कभी भी सक्रिय नहीं देखे गए हैं । इंस्टीट्यूट की सेंट्रल काउंसिल के सदस्य के रूप में नवीन गुप्ता का व्यवहार और रवैया दरअसल ऐसा रहा है, जैसे उन्हें यहाँ जबर्दस्ती धकेल दिया गया है । नवीन गुप्ता न तो काउंसिल की मीटिंग्स में खास दिलचस्पी लेते देखे गए हैं, और न इंस्टीट्यूट की कमेटियों के कामकाज में उन्हें कोई विशेष भूमिका और जिम्मेदारी निभाते हुए देखा गया है । नवीन गुप्ता सेंट्रल काउंसिल में अपना छठा वर्ष पूरा कर रहे हैं, और इन छह वर्षों में सक्रियता के लिहाज से सबसे सुस्त और सोते सदस्य का चुनाव यदि हो जाए तो नवीन गुप्ता एकमत से यह चुनाव जीत जायेंगे । यह तो कुछ भी नहीं, नवीन गुप्ता पर सबसे गंभीर आरोप यह है कि वह लोगों के फोन तक नहीं उठाते हैं, जिस किसी के फोन उठा भी लेते हैं उसकी सुनते नहीं हैं, और जो कोई अपनी सुनाने में कामयाब हो जाता है उसका काम कराने में तो कतई कोई दिलचस्पी नहीं लेते हैं । सेंट्रल काउंसिल के दूसरे सदस्य अपने मतदाताओं और संभावित मतदाताओं का जहाँ पूरा पूरा ख्याल रखने का हरसंभव प्रयास करते हैं, वहाँ नवीन गुप्ता अपने मतदाताओं को ठेंगे पर रखते रहे हैं । इसलिए चुनाव के दौरान उनके पिताजी एनडी गुप्ता का बहुत सा समय और एनर्जी लोगों से माफी माँगने में ही खर्च होती है । इंस्टीट्यूट के चुनाव में नवीन गुप्ता से ज्यादा सक्रियता और विजिबिलिटी और चर्चा उनके पिता एनडी गुप्ता की नजर आती है । व्यवहार के मामले में पिता और पुत्र में इतना विरोधाभास है कि कई लोग कहते सुने गए हैं कि उन्हें तो शक होता है कि नवीन गुप्ता सचमुच में एनडी गुप्ता के ही बेटे हैं ? इस शक के चलते चुनाव में नुकसान न हो, इसलिए इंस्टीट्यूट के चुनाव के लिए नवीन गुप्ता का नाम नवीन एनडी गुप्ता रख लिया गया ।  
इसी पृष्ठभूमि में वाइस प्रेसीडेंट पद के लिए जुगाड़ बैठाने की कवायद में जब लोगों ने एनडी गुप्ता के साथ नवीन गुप्ता को भी सक्रिय देखा/सुना, तो उन्हें थोड़ा हैरानी हुई । एनडी गुप्ता को जानने वाले लोगों का अनुमान है कि एनडी गुप्ता ने नवीन गुप्ता की खुशामद की होगी - बेटा, कुछ तो कर ले ! और बेटा पिता पर मेहरबानी करने के लिए तैयार हो गया । नवीन गुप्ता सेंट्रल काउंसिल की मीटिंग्स व अन्य गतिविधियों में भले ही दिलचस्पी न लेते हों और लोगों को रेस्पॉन्ड भले न करते हों, लेकिन पिता की बात मान लेते हैं । उन्हें जानने वालों का कहना है कि इंस्टीट्यूट की सेंट्रल काउंसिल में वह सिर्फ अपने पिता की आकांक्षा को पूरा करने की खातिर ही हैं; और वह इंस्टीट्यूट के प्रेसीडेंट बनें यह उनसे ज्यादा उनके पिता की इच्छा है । पिता की इच्छा का पालन करते हुए ही, लोगों को हैरान करते हुए नवीन गुप्ता वाइस प्रेसीडेंट पद के लिए समर्थन जुटाने की दौड़ में शामिल हो गए हैं । नवीन गुप्ता ने चूँकि सेंट्रल काउंसिल की मीटिंग्स व अन्य गतिविधियों में कभी कुछ खास दिलचस्पी नहीं ली, इसलिए सेंट्रल काउंसिल के दूसरे सदस्यों के साथ उनके सहज और भरोसे के संबंध नहीं बन सके हैं - जिस कारण से उन्हें वाइस प्रेसीडेंट चुनवाने का जिम्मा लेना तो एनडी गुप्ता को ही पड़ेगा, और उन्होंने जिम्मा ले भी लिया है; किंतु वाइस प्रेसीडेंट चूँकि नवीन गुप्ता को बनना है, इसलिए वोटरों को उन्हें शक्ल तो दिखानी ही पड़ेगी न ।
मजे की बात यह है कि इंस्टीट्यूट की 23वीं सेंट्रल काउंसिल के लिए वोटों की गिनती शुरू होने से पहले ही एनडी गुप्ता ने जिस तरह से 23वीं सेंट्रल काउंसिल के पहले वर्ष में अपने बेटे को वाइस प्रेसीडेंट चुनवाने का जुगाड़ बैठाना शुरू कर दिया है, उसमें उनके 'जल्दी' में होने का सुबूत देखा/पहचाना गया है । हालाँकि कुछेक लोग इसमें एनडी गुप्ता के चुनावी अनुभव का नतीजा भी देख/पहचान रहे हैं । उन्हें लगता है कि इंस्टीट्यूट की चुनावी राजनीति को अच्छे से जानने/समझने के कारण एनडी गुप्ता को सक्रिय होने के लिए यह समय उचित लगा होगा, जबकि अभी दूसरे संभावित उम्मीदवार 23वीं सेंट्रल काउंसिल के नतीजों का इंतजार कर रहे हैं । एनडी गुप्ता ने अभी दूसरे रीजन के उन सदस्यों की डोर बेल बजाई है, जो 22वीं काउंसिल में हैं और जिनका 23वीं काउंसिल में आना पक्का है । एनडी गुप्ता के नजदीकी होने का दावा करने वाले लोगों का कहना है कि सेंट्रल काउंसिल में अपनी सीट पर वापस आने वाले सदस्यों से बात करके एनडी गुप्ता ने वाइस प्रेसीडेंट पद के चुनाव के संभावित परिदृश्य को समझने/परखने का प्रयास किया है, तथा वाइस प्रेसीडेंट पद के दूसरे संभावित उम्मीदवारों की ताकत को आँकने की कोशिश की है । एनडी गुप्ता को अच्छी तरह पता है कि नवीन गुप्ता को नॉर्दर्न रीजन के मौजूदा सदस्यों के तो विरोध का सामना करना ही पड़ेगा, जो दो नए सदस्य आयेंगे उनके समर्थन का फैसला इस पर निर्भर करेगा कि नए विजेता होंगे कौन ?
एनडी गुप्ता ने नवीन गुप्ता को वाइस प्रेसीडेंट चुनवाने का जो खेल अभी से शुरू किया है, उसने वाइस प्रेसीडेंट पद के दूसरे संभावित उम्मीदवारों को चौकन्ना तो किया है - लेकिन इस संदर्भ में अपनी सक्रियता शुरू करने से पहले वह 23वीं सेंट्रल काउंसिल के चुनावी नतीजों का इंतजार कर लेना चाहते हैं । उन्हें लगता है कि 23वीं सेंट्रल काउंसिल का नतीजा आने के बाद ही वाइस प्रेसीडेंट पद का चुनावी सीन स्पष्ट होगा - वाइस प्रेसीडेंट पद के जिन संभावित उम्मीदवारों को ज्यादा वोट नहीं मिल पायेंगे, उनका दावा ढीला पड़ेगा; जिन्हें ज्यादा वोट मिलेंगे, उनका दावा मजबूत होगा । इसी हिसाब से नए समीकरण बनेंगे/जुड़ेंगे । इसीलिए वाइस प्रेसीडेंट पद के दूसरे संभावित उम्मीदवार नवीन गुप्ता को लेकर एनडी गुप्ता की सक्रियता से बहुत चिंतित या परेशान नहीं हैं । वह इसलिए भी चिंतित या परेशान नहीं हैं, क्योंकि अधिकतर लोगों का मानना और कहना है कि एनडी गुप्ता सेंट्रल काउंसिल का चुनाव नवीन गुप्ता को भले ही जितवा देते हों - लेकिन वाइस प्रेसीडेंट का चुनाव जितवा पाना उनके लिए मुश्किल ही होगा । वाइस प्रेसीडेंट के चुनाव में नवीन गुप्ता का अपना व्यवहार व व्यक्तित्व बाधा बनेगा ही ।