Saturday, December 19, 2015

रोटरी इंटरनेशनल डिस्ट्रिक्ट 3011 में अतुल देव की शिकायत पर रोटरी इंटरनेशनल कार्यालय की सक्रियता ने विनय भाटिया की उम्मीदवारी रद्द होने का खतरा पैदा किया

जयपुर/नई दिल्ली । अतुल देव ने विनय भाटिया की जो शिकायत की है, उस पर कार्रवाई टलवाने के लिए विनय भाटिया के समर्थक पूर्व गवर्नर्स ने जयपुर इंस्टीट्यूट में लॉबिंग तो खूब की - लेकिन अपनी लॉबिंग के सफल होने का खुद उन्हें ही कोई भरोसा नहीं मिला है । विनय भाटिया के समर्थक एक पूर्व गवर्नर ने इन पँक्तियों के लेखक से बात करते हुए बताया कि इंटरनेशनल प्रेसीडेंट केआर रवींद्रन इस मामले में लगता है कि अपना मन बना चुके हैं, और इसलिए रोटरी के दूसरे नेताओं ने इस मामले से दूर रहने का ही निश्चय किया है - और इस कारण कोई उन्हें मदद का आश्वासन तक देने को तैयार नहीं हुआ है । फरीदाबाद और दिल्ली में बैठे विनय भाटिया की उम्मीदवारी के समर्थकों को उम्मीद थी कि रोटरी इंस्टीट्यूट में शामिल होने गए उनके समर्थक पूर्व गवर्नर्स उन्हें कोई अच्छी खबर भेजेंगे, किंतु जयपुर में जुगाड़ लगा रहे उनके समर्थक पूर्व गवर्नर्स को अभी तक, जबकि रोटरी इंस्टीट्यूट अपने समापन की ओर बढ़ रहा है, कोई सफलता हाथ नहीं लगी है । फरीदाबाद और दिल्ली में बैठे विनय भाटिया के कई एक नजदीकियों व समर्थकों को तो जयपुर से सूचना मिली है कि अतुल देव की शिकायत पर विनय भाटिया की उम्मीदवारी का नामांकन रद्द होना निश्चित है । नोमीनेटिंग कमेटी के लिए तय हुए रोटेरियंस के बीच भी यह सूचना चूँकि चली गई है, इसलिए नोमीनेटिंग कमेटी के लिए प्रस्तावित रोटेरियंस में जो लोग विनय भाटिया के पक्ष में जाने का मन बना रहे थे - उन्होंने भी सोचना शुरू कर दिया है कि विनय भाटिया को वोट देकर अपना वोट खराब क्यों करना ? इस माहौल से विनय भाटिया की उम्मीदवारी के समर्थकों को तगड़ा झटका लगा है, और उनके लिए विनय भाटिया की उम्मीदवारी के पक्ष में अभियान चलाते रहना मुश्किल हुआ है । 
दिलचस्प सीन यह बना है कि इस मामले को लेकर विनय भाटिया के समर्थकों के बीच आपस में ही सिर-फुटौव्वल शुरू हो गई है, और उनके समर्थक इस स्थिति के लिए एक दूसरे को जिम्मेदार ठहराने लगे हैं । उल्लेखनीय है कि विनय भाटिया की उम्मीदवारी के नजदीकी समर्थकों पर शुरू से ही यह गंभीर आरोप रहा है कि उन्होंने बहुत ही फूहड़ तरीके से हुड़दंगबाजी करके विनय भाटिया की उम्मीदवारी के अभियान को चलाया है, और कई मौकों पर हुड़दंगबाजी में खुद विनय भाटिया भी शामिल हुए/दिखे - जिससे लोगों के बीच विनय भाटिया की उम्मीदवारी को लेकर नकारात्मक प्रभाव ही बना है । डिस्ट्रिक्ट में जब चारों तरफ से आलोचना हुई तो विनय भाटिया और उनके नजदीकी समर्थकों पर लगाम कसी गई; विनय भाटिया को समझाया गया कि रोटरी में डिस्ट्रिक्ट गवर्नर बनना चाहते हो तो उसके लायक यदि सचमुच बन न सको तो लेकिन कम से कम 'दिखने' की कोशिश तो करो । विनय भाटिया ने भेष बदलने की कोशिश तो खूब की, लेकिन भेष बदल कर असलियत ज्यादा समय तक चूँकि नहीं छिपाई जा सकती, और वह सामने आ ही जाती है - विनय भाटिया खुद अपनी ही सोच और अपने ही व्यवहार का शिकार हो गए । विनय भाटिया और उनके नजदीकी समर्थक अपनी मुसीबत के लिए अब अपने ही समर्थक पूर्व गवर्नर्स को कोस रहे हैं : उनका कहना है कि उनके समर्थक गवर्नर्स उनकी कमियाँ/गलतियाँ ही बताते रहते हैं और जब सचमुच कुछ करने की जरूरत होती है तो बहानेबाजी करने लगते हैं । विनय भाटिया और उनके समर्थकों की आलोचना का शिकार हो रहे उनके समर्थक पूर्व गवर्नर्स का कहना है कि विनय भाटिया और उनके नजदीकी समर्थक सलाह सुनेंगे/मानेंगे नहीं, और जब अपनी ही हरकतों से फँसेंगे तो उम्मीद करेंगे कि अब इन्हें जैसे भी करके बचाओ । विनय भाटिया के समर्थक गवर्नर्स का ही कहना है कि अपनी उम्मीदवारी के नामांकन के निरस्त होने की स्थिति खुद विनय भाटिया ने ही अपने रवैये से पैदा की है ।
मामला गिफ्ट देने का है । उल्लेखनीय है कि रोटरी की चुनावी राजनीति में उम्मीदवार द्वारा पार्टियाँ देने तथा गिफ्ट देने का चलन स्वीकार्यता पा चुका है, और सभी यह मानते और जानते हैं कि समर्थन पाने के लिए उम्मीदवार को यह करना ही होगा । इसके बाद 'देखने' की बात यह रह जाती है कि कौन उम्मीदवार इस काम को अंजाम किस तरह से और कैसे देता है ? उम्मीद की जाती है कि पार्टियाँ और गिफ्ट इस 'अदा' के साथ दिया जाए कि पाने वाले को अच्छा लगे और वह देने वाले के व्यवहार से प्रभावित हो । इस 'अदा' का एक फायदा यह भी होता है कि रोटरी की चुनावी राजनीति में जो रोटेरियंस पार्टियों व गिफ्ट्स के चलन के पक्ष में नहीं भी होते हैं, वह भी व्यवहार से प्रभावित होकर चुप लगा जाते हैं । विनय भाटिया इस बात को समझने/अपनाने में चूक गए - जिसका नतीजा यह रहा कि उम्मीदवार के रूप में उन्होंने जो पार्टियाँ दीं और जो गिफ्ट दिए, वह खासी फूहड़ता के साथ दिए; जिन्हें 'लेते' हुए लोगों ने खुद को खासा अपमानित ही महसूस किया । कुछेक लोगों ने आपसी बातचीत में कहा भी कि विनय भाटिया ने इस अंदाज में गिफ्ट पहुँचाएँ जैसे वह वोट पाने के लिए रिश्वत पहुँचा रहे हों । लोगों के इस अपमान महसूसने को आवाज दी रोटरी क्लब दिल्ली इंद्रप्रस्थ ओखला के वरिष्ठ सदस्य अतुल देव ने । अतुल देव ने डिस्ट्रिक्ट गवर्नर सुधीर मंगला को शिकायत लिखी कि नोमीनेटिंग कमेटी के सदस्य के रूप में उनका वोट पाने के लिए विनय भाटिया ने उन्हें गिफ्ट भेजा है, जो रोटरी के उच्च आदर्शों के तो खिलाफ है ही, साथ ही चुनाव को प्रभावित करने का प्रयास भी है । अतुल देव ने यह कहते हुए नोमीनेटिंग कमेटी की अपनी सदस्यता भी छोड़ दी कि जहाँ चुनाव को इस तरह मजाक बना दिया जाए वहाँ चुनावी प्रक्रिया में उनके शामिल होने का कोई मतलब नहीं है ।
डिस्ट्रिक्ट गवर्नर सुधीर मंगला ने अतुल देव के इस आरोप पर विनय भाटिया से जबाव माँगा । विनय भाटिया अब तक अपने आप को विजयी समझने लगे थे, सो उसी 'नशे' में उन्होंने जबाव में अतुल देव को झूठा बता दिया । अतुल देव आर्मी में रहे हैं और इस नाते उनके कामकाज और काम करने के उनके तरीके में एक खास किस्म का अनुशासन रहा है; पूर्व इंटरनेशनल डायरेक्टर सुशील गुप्ता के साथ उनकी नजदीकियत रही है - उन्हें विनय भाटिया से अपने को झूठा सुनना और बुरा लगा । विनय भाटिया ने सोचा यह था कि वह अतुल देव को झूठा कह देंगे और डिस्ट्रिक्ट गवर्नर सुधीर मंगला मामले को खत्म/बंद कर देंगे - लेकिन अतुल देव की तरफ से सुधीर मंगला को मामले की जाँच के लिए कमेटी बनाने का सुझाव मिला । अतुल देव का कहना रहा कि जिस पर आरोप लगता है, वह तो आरोप को झूठा बताता ही है, ऐसे में आरोप की सच्चाई की पड़ताल तो तीसरा पक्ष ही कर सकेगा । सुधीर मंगला ने मामले को रोटरी इंटरनेशनल कार्यालय को भेज दिया और सलाह माँगी कि वह क्या करें ? इंटरनेशनल प्रेसीडेंट केआर रवींद्रन ने चूँकि रोटरी में चुनाव को लेकर होने वाली धांधलियों और चुनाव को प्रभावित करने की कोशिशों के खिलाफ बड़ा कठोर रवैया अपनाया हुआ है, लिहाजा रोटरी इंटरनेशनल कार्यालय ने अतुल देव की शिकायत के मामले को गंभीरता से लिया । अतुल देव की शिकायत को पुख्ता बनाने के उद्देश्य से रोटरी इंटरनेशनल कार्यालय ने अतुल देव से एफिडेविट देने को कहा, जो अतुल देव ने तुरंत से दे दिया । इस कार्रवाई की जानकारी मिलते ही विनय भाटिया समर्थकों के बीच खलबली मच गई । अभी तक तो विनय भाटिया और उनके समर्थक आश्वस्त थे कि अतुल देव की शिकायत का कुछ नहीं होगा : उन्हें पक्का भरोसा था कि डिस्ट्रिक्ट गवर्नर सुधीर मंगला कुछ करने की हिम्मत नहीं करेंगे, और जब वह हिम्मत नहीं करेंगे तो फिर होगा भी क्या ? 
अतुल देव की तरफ से भी विनय भाटिया और उनके समर्थक आश्वस्त थे कि अतुल देव की रोटरी में कोई खास सक्रियता भी नहीं है, और वह ज्यादा कुछ जानते भी नहीं हैं; सुशील गुप्ता के साथ उनकी जो नजदीकियत है वह भी व्यक्तिगत किस्म की है और सुशील गुप्ता को भी मैनेज कर लिया जायेगा । लेकिन रोटरी इंटरनेशनल कार्यालय ने जिस तरह से अतुल देव की शिकायत में दिलचस्पी ली है और जिस तरह से उनसे एफिडेविट लिया है, उससे विनय भाटिया और उनके समर्थकों के बीच खलबली मची है । विनय भाटिया के समर्थक पूर्व गवर्नर्स ने रोटरी इंस्टीट्यूट में जयपुर जाते समय विनय भाटिया को भरोसा तो दिया था कि जयपुर में सभी बड़े नेता मिलेंगे, सो वह कुछ जुगाड़ लगायेंगे । लेकिन जुगाड़ कुछ लगा नहीं है । रोटरी इंटरनेशनल कार्यालय के रवैये को देखते हुए रोटरी के बड़े नेताओं ने जयपुर में मौजूद डिस्ट्रिक्ट 3011 के विनय भाटिया के समर्थक पूर्व गवर्नर्स को साफ बता दिया है कि विनय भाटिया की उम्मीदवारी का निलंबन पक्का है, इसलिए इस मामले में अब दिलचस्पी न लो । जयपुर गए अपने समर्थक पूर्व गवर्नर्स से यह सुन/जान कर विनय भाटिया और उनके समर्थकों को गहरा धक्का लगा है और निराशा व हताशा में वह अपने समर्थक पूर्व गवर्नर्स को कोसने में लग गए हैं ।