Monday, December 21, 2015

लायंस क्लब्स इंटरनेशनल डिस्ट्रिक्ट 321 बी वन में अपनी पहचान और प्रासंगिकता बनाएँ रखने खातिर पीएस जग्गी को उम्मीदवार बनाने की केएस लूथरा की कोशिश सचमुच सफल होगी क्या ?

लखनऊ । पीएस जग्गी की असमंजसता ने केएस लूथरा को न सिर्फ बुरी तरह फँसा दिया है, बल्कि उनकी राजनीति को भी दाँव पर लगा दिया है । केएस लूथरा उन्हें इस वर्ष सेकेंड वाइस डिस्ट्रिक्ट गवर्नर पद के लिए उम्मीदवार बनाना चाहते हैं, लेकिन वह न तो हाँ कह रहे हैं और न इंकार कर रहे हैं । हाँ और न के बीच झूलती पीएस जग्गी की मनोदशा ने केएस लूथरा को फँसा दिया है - क्योंकि ऐसे में केएस लूथरा के लिए अपने समर्थकों व नजदीकियों को यह बता पाना मुश्किल हो रहा है कि सेकेंड वाइस डिस्ट्रिक्ट गवर्नर पद की इस वर्ष की राजनीति के संदर्भ में वह क्या स्टैंड लें ? उनकी इस मजबूरी का फायदा शिव कुमार गुप्ता और एके सिंह उठा रहे हैं - यह लोगों को कनविंस करने सफल हो रहे हैं कि इस बार सेकेंड वाइस डिस्ट्रिक्ट गवर्नर पद के लिए चुनाव की कोई संभावना नहीं है, और एके सिंह को सभी लोगों का समर्थन मिलेगा तथा वह निर्विरोध सेकेंड वाइस डिस्ट्रिक्ट गवर्नर बनेंगे । डिस्ट्रिक्ट में लोग इस बात पर यकीन करने भी लगे हैं और इसी यकीन के चलते लोगों ने एके सिंह को भावी डिस्ट्रिक्ट गवर्नर के रूप में देखना/पहचानना शुरू भी कर दिया है । केएस लूथरा के लिए मुसीबत की बात यह हुई है कि उनके कई एक समर्थकों ने भी एके सिंह को भावी गवर्नर के रूप में देखते हुए उनके साथ नजदीकी बनाना शुरू कर दिया है । इससे केएस लूथरा को अपना समर्थन-आधार कमजोर पड़ता नजर आ रहा है । अपने समर्थन-आधार को बनाए/बचाए रखने के लिए केएस लूथरा को एक उम्मीदवार की जरूरत है - पर पीएस जग्गी इस जरूरत को उलझाए हुए हैं । पीएस जग्गी यदि उम्मीदवार बनने से इंकार कर दें, तो केएस लूथरा किसी दूसरे को उम्मीदवार बना लें; किंतु पीएस जग्गी न तो इंकार कर रहे हैं और न अपनी उम्मीदवारी के साथ आगे आ रहे हैं । 
केएस लूथरा के नजदीकियों का कहना है कि पीएस जग्गी ने उम्मीदवारी के लिए हरी झंडी तो दे दी है, लेकिन वह अभी उम्मीदवार के रूप में लोगों के बीच नहीं आना चाहते हैं और यह बात उन्होंने केएस लूथरा को भी बता दी है - इसीलिए केएस लूथरा न तो पीएस जग्गी की उम्मीदवारी की बात कर रहे हैं, और न उन्हें छोड़ कर किसी और उम्मीदवार की तलाश कर रहे हैं । पीएस जग्गी अभी अपनी उम्मीदवारी घोषित नहीं करना चाहते हैं, तो केएस लूथरा के नजदीकियों के अनुसार इसका कारण यह है कि अभी से उन्हें खर्चा शुरू कर देना पड़ेगा । पीएस जग्गी ने केएस लूथरा को समझा दिया है कि चुनाव में अभी बहुत समय है, इसलिए अभी से उम्मीदवार 'बनने' की क्या जरूरत है; जब कॉल निकलेगी, तब उम्मीदवार 'बन' जायेंगे । केएस लूथरा के लिए पीएस जग्गी को यह समझाना तो मुश्किल हो रहा है कि जब तक उम्मीदवार 'बनोगे' तब तक तो एके सिंह लोगों के बीच अपनी पैठ बना लेंगे और तब अपनी उम्मीदवारी के लिए समर्थन जुटाना मुश्किल होगा; लेकिन वह पीएस जग्गी पर अभी से उम्मीदवार बनने के लिए दबाव भी नहीं डाल सकते हैं । पीएस जग्गी तथा उनके नजदीकियों का तर्क है कि शिव कुमार गुप्ता भी तो चुनाव से दो महीना पहले उम्मीदवार बने थे और समर्थन जुटा कर कामयाब हुए थे । पीएस जग्गी इस बात को नहीं समझ रहे हैं, लेकिन केएस लूथरा समझ रहे हैं कि उस समय हालात बिलकुल अलग थे और आज स्थिति अलग है - उस समय जो हुआ, उसे इस बार दोहरापाना मुश्किल ही होगा । 
केएस लूथरा डिस्ट्रिक्ट की चुनावी राजनीति के सारे गणित का लेखा-जोखा जेब में रख कर घूम रहे हैं और जब भी मौका मिलता है, उसे जेब से निकाल कर लोगों को दिखाते हैं और यह बताते तथा साबित करते हैं कि चुनावी जीत का आँकड़ा उनके पास है । केएस लूथरा जिस तरह अपने वोटों का कागज जेब में रखे घूम रहे हैं, और जब तब लोगों को दिखाते फिर रहे हैं - उससे लोगों ने एक यह बात तो समझ ली है कि केएस लूथरा इस बार चुनाव तो अवश्य ही करवायेंगे और हर संभव तरीके से एके सिंह का रास्ता रोकने का प्रयास करेंगे । दरअसल पिछले वर्ष संजय चोपड़ा और इस वर्ष शिव कुमार गुप्ता के साथ उनका जो अनुभव रहा, उसके बाद उनके लिए डिस्ट्रिक्ट की चुनावी राजनीति में प्रासंगिक बने रहने के लिए चुनाव लड़वाना और जितवाना जरूरी बन गया है । उल्लेखनीय है कि संजय चोपड़ा उनके ही 'आदमी' थे और शिव कुमार गुप्ता यदि आज गवर्नर हैं तो सिर्फ और सिर्फ केएस लूथरा की बदौलत हैं - इसके बावजूद संजय चोपड़ा और शिव कुमार गुप्ता ने गवर्नर के रूप में केएस लूथरा को पर्याप्त तवज्जो नहीं दी; और केएस लूथरा को इनसे बड़ी शिकायत रही । केएस लूथरा को लगता है और अपने नजदीकियों से उन्होंने यह कहा भी है कि जब संजय चोपड़ा और शिव कुमार गुप्ता ने उन्हें खास अहमियत नहीं दी, तो संदीप सहगल और एके सिंह से वह क्या उम्मीद करें ? ऐसे में, डिस्ट्रिक्ट में अपनी अहमियत बनाए रखने तथा उसे 'दिखाने' के लिए केएस लूथरा को  जरूरी लगता है कि वह अपने उम्मीदवार मैदान में उतारें और उन्हें जितवाएँ । एके सिंह को चूँकि डिस्ट्रिक्ट गवर्नर शिव कुमार गुप्ता के उम्मीदवार के रूप में देखा/पहचाना जा रहा है, इसलिए केएस लूथरा को उनके खिलाफ उम्मीदवार लाना जरूरी लग रहा है । 
केएस लूथरा के लिए मुसीबत की बात लेकिन यह है कि जीत का आँकड़ा जेब में रखे रहने के बावजूद उन्हें कोई दमदार उम्मीदवार नहीं मिल रहा, जो एके सिंह से चुनाव लड़ने को तैयार हो जाए । एक जिन पीएस जग्गी पर उनकी उम्मीद और दूसरों की निगाहें टिकी हुई हैं, उनकी उम्मीदवारी को लेकर वास्तव में कोई भी आश्वस्त नहीं है । पीएस जग्गी को जानने वालों का कहना है कि उनमें गवर्नर बनने की इच्छा तो है, पर चुनाव लड़ने के झंझट को झेलने की उतनी हिम्मत नहीं है - जितनी हिम्मत चाहिए होती है । इसीलिए डिस्ट्रिक्ट के बहुत लोगों को शक है कि पीएस जग्गी सचमुच में उम्मीदवार बनेंगे ? केएस लूथरा अपनी तरफ से हालाँकि उन्हें हिम्मत तो बँधा रहे हैं, और जेब से कागज निकाल निकाल कर जीत का गणित समझा रहे हैं - किंतु पीएस जग्गी को उनके गणित पर कितना भरोसा हो रहा है, यह आगे आने वाले दिनों में पता चलेगा । पीएस जग्गी यदि उम्मीदवार नहीं होते/बनते हैं, तब केएस लूथरा क्या करेंगे - यह एक ऐसा सवाल लोगों के बीच चर्चा में है, जिसका कोई साफ जबाव किसी के पास नहीं है । हर किसी को यह तो लगता है कि केएस लूथरा कुछ भी करके किसी न किसी को तो उम्मीदवार जरूर ही बनायेंगे, और एके सिंह का रास्ता रोकने का प्रयास अवश्य ही करेंगे । केएस लूथरा के नजदीकियों का कहना है कि डिस्ट्रिक्ट में अपनी पहचान और प्रासंगिकता बनाएँ रखने के लिए, केएस लूथरा के लिए ऐसा करना मजबूरी भी है । मजबूरी के बावजूद केएस लूथरा ऐसा करने में सचमुच कामयाब हो सकेंगे या नहीं, यह देखना दिलचस्प होगा ।