Saturday, December 31, 2011

आलोक गुप्ता को पेम थर्ड में डिस्ट्रिक्ट गवर्नर पद की अपनी उम्मीदवारी के लिए रमेश अग्रवाल से समर्थन मिलेगा या धोखा

नई दिल्ली/गाजियाबाद | आलोक गुप्ता ने तैयारी तो पूरी की हुई है कि पेम थर्ड में रमेश अग्रवाल डिस्ट्रिक्ट गवर्नर पद के लिए उनकी उम्मीदवारी के प्रति अपना समर्थन घोषित कर दें, लेकिन आलोक गुप्ता के ही अन्य 'शुभचिंतकों' का कहना है कि आलोक गुप्ता का 'काम' होगा नहीं | आलोक गुप्ता ने जिन मुकेश अरनेजा की पिछले वर्षों में काफी 'सेवा' की है, जिन मुकेश अरनेजा को वह 'गुरूजी' कहते तथा मानते हैं, और अपनी सेवा के बदले में उन्हें जिन मुकेश अरनेजा से 'मदद' की उम्मीद भी है - मदद की उम्मीद स्वाभाविक ही है - उन मुकेश अरनेजा का ही स्पष्ट कहना है कि आलोक गुप्ता ने लगता है कि रमेश अग्रवाल को ठीक से पहचाना नहीं है | मुकेश अरनेजा की बातों पर ही यदि विश्वास किया जाये तो रमेश अग्रवाल से आलोक गुप्ता को मदद की उम्मीद नहीं ही करना चाहिए | मुकेश अरनेजा ने यह बातें जिस अंदाज़ में कहीं हैं, उनसे यह भी ध्वनित होता है कि आलोक गुप्ता को मुकेश अरनेजा से भी कोई उम्मीद नहीं रखनी चाहिए | आलोक गुप्ता ने लेकिन इन दोनों से मदद मिलने की उम्मीद को अभी नहीं छोड़ा है | इसीलिए आलोक गुप्ता अगले रोटरी वर्ष में - यानि रमेश अग्रवाल के गवर्नर-काल में डिस्ट्रिक्ट गवर्नर पद के लिए अपनी उम्मीदवारी के लिए संभावनाएँ टटोल रहे हैं और इस उपक्रम में रमेश अग्रवाल का समर्थन जुटाने की हर संभव कोशिश कर रहे हैं | पेम थर्ड के आयोजन की जिम्मेदारी लेने तथा इस आयोजन का चेयरमैन बनने के पीछे आलोक गुप्ता की इसी कोशिश को देखा गया है | पिछले कुछ समय में आलोक गुप्ता ने अपने आप को रमेश अग्रवाल के नज़दीक दिखाने की कई एक सावधानीपूर्ण प्रयास किये हैं | उनके कुछेक प्रयासों को चूँकि रमेश अग्रवाल से समर्थन और सहयोग के रूप में प्रोत्साहन भी मिला, इसलिए आलोक गुप्ता की उम्मीदें भी बढीं |
उल्लेखनीय है कि आलोक गुप्ता की रमेश अग्रवाल से नजदीकियत कोई आज की बात नहीं है | यह नजदीकियत उस समय से देखी जा रही है, जब रमेश अग्रवाल पहली बार डिस्ट्रिक्ट गवर्नर पद के उम्मीदवार बने थे और असित मित्तल से हारे थे | उस समय गाज़ियाबाद के तमाम रोटरी नेता असित मित्तल के समर्थन में थे, लेकिन एक अकेले आलोक गुप्ता ने रमेश अग्रवाल का झंडा उठाया हुआ था | आलोक गुप्ता को उस समय कई एक लोगों ने समझाया भी था कि जब तुम देख रहे हो कि असित मित्तल के सामने रमेश अग्रवाल की बुरी दुर्गति होने जा रही है, और रमेश अग्रवाल का झंडा उठाये रखने के कारण तुम लोगों के बीच अलग-थलग पड़ रहे हो - तो फिर रमेश अग्रवाल के साथ क्यों हो ? आलोक गुप्ता ने लेकिन सभी को यह कह कर चुप कर दिया था कि रमेश अग्रवाल के साथ उनकी जो दोस्ती है उसके कारण वह रमेश का साथ नहीं छोड़ सकते हैं | रमेश अग्रवाल को जब जरूरत थी, तब आलोक अग्रवाल तन-मन और धन के साथ उनकी मदद को सक्रिय थे | इसी नाते उन्हें लगता है कि अब जब उन्हें जरूरत है तो रमेश अग्रवाल उनकी मदद करेंगे | आलोक गुप्ता को लेकिन शायद इस बात का अंदाज़ा नहीं है कि जैसे संस्कार उन्हें मिले हैं कि जिसके साथ खड़े हो मुसीबत में भी उसके साथ खड़े रहो, वैसे संस्कार रमेश अग्रवाल को नहीं मिले हैं | असित मित्तल तो उनके बारे में एक बात अक्सर कहते हैं कि रमेश अग्रवाल की शक्ल तो काली है ही, उसका मन भी काला है | यही कारण है कि आलोक गुप्ता को भले ही यह भरोसा हो कि रमेश अग्रवाल उनकी मदद करेंगे, लेकिन अन्य कई लोगों ने आलोक गुप्ता को बता दिया है कि रमेश अग्रवाल एक धोखेबाज़ व्यक्ति है और वह उन्हें भी धोखा देने से बाज़ नहीं आएगा | अपनी इस भविष्यवाणी को सही साबित करने के लिए वह जे के गौड़ के मामले का उदाहरण भी देते हैं |
उल्लेखनीय है कि जे के गौड़ को भी काफी समय तक यह मुगालता रहा था कि रमेश अग्रवाल डिस्ट्रिक्ट गवर्नर पद के लिए उनकी उम्मीदवारी को समर्थन देंगे, और इसी मुगालते के चलते वह काफी समय से यह घोषणा करते आ रहे थे कि वह रमेश अग्रवाल के गवर्नर-काल में डिस्ट्रिक्ट गवर्नर पद के लिए अपनी उम्मीदवारी प्रस्तुत करेंगे | पर अब जब रमेश अग्रवाल का गवर्नर-काल नज़दीक आ रहा है, तब जे के गौड़ को 'दिखने' लगा है और साथ ही विश्वास हो चला है कि रमेश अग्रवाल से उन्हें सिर्फ धोखा ही मिलेगा | दरअसल आलोक गुप्ता की अचानक से जिस तेजी के साथ सक्रियता बढ़ी - उसके पीछे रमेश अग्रवाल की 'प्रेरणा' को ही देखा/पहचाना गया | समझा जाता है कि रमेश अग्रवाल ने आलोक गुप्ता को हवा ही इसलिए दी, ताकि वह जे के गौड़ की उम्मीदवारी के दावे को कमज़ोर कर सकें और जे के गौड़ से उनकी जान छूटे |
आलोक गुप्ता का 'इस्तेमाल' करके रमेश अग्रवाल ने जे के गौड़ को तो धोखा दे दिया; लेकिन रमेश अग्रवाल अब आलोक गुप्ता के साथ क्या करेंगे - यह देखने की बात होगी | क्योंकि रमेश अग्रवाल से जो शह मिली, उससे आलोक गुप्ता इतने जोश में आ गये कि आनन-फानन में अपनी उम्मीदवारी की 'तैयारी' करने लगे | डिस्ट्रिक्ट गवर्नर पद की तैयारी में ही उन्होंने न सिर्फ पेम थर्ड के आयोजन का जिम्मा ले लिया बल्कि रमेश अग्रवाल की हर बेईमानीपूर्ण और ओछी बातों का खुलकर समर्थन करना भी शुरू कर दिया | पेम थर्ड के आयोजन की आड़ में आलोक गुप्ता ने अपने आप को प्रमोट करने की जो रणनीति बनाई, उसे देखते हुए कुछेक लोगों को लगा कि यह रणनीति आलोक गुप्ता ने रमेश अग्रवाल की सहमति से ही बनाई होगी और पेम थर्ड में रमेश अग्रवाल उन्हें अपने उम्मीदवार के रूप में समर्थन घोषित कर देंगे | आलोक गुप्ता के नजदीकियों को विश्वास है कि पेम थर्ड में रमेश अग्रवाल आगामी रोटरी वर्ष के प्रेसीडेंट्स के सामने आलोक गुप्ता की उम्मीदवारी को हरी झंडी दे देंगे | आलोक गुप्ता और उनके नजदीकियों को भले ही रमेश अग्रवाल से मदद की उम्मीद हो, लेकिन रमेश अग्रवाल को जानने/पहचानने वाले लोगों का कहना है कि आलोक गुप्ता को भी रमेश अग्रवाल से धोखा ही मिलेगा | उनका कहना है कि रमेश अग्रवाल 'यूज एंड थ्रो' पॉलिसी पर चलते हैं और लोगों को इस्तेमाल करते हैं और फिर उन्हें भूल जाते हैं | अपने क्लब - रोटरी क्लब दिल्ली अशोका तक में उन्होंने अपनी इसी पॉलिसी को अपनाया हुआ है | वहाँ पहले तो उन्होंने कपिल गुप्ता को आगे बढ़ाया और उनसे पैसे खर्च करवाए, लेकिन जब उन्हें ऐसा लगा कि कपिल गुप्ता कहीं सचमुच आगे न बढ़ जाएँ तो उन्हें अपमानित करके किनारे बैठा दिया और अब शरत जैन को हवा दी हुई है | क्लब में ही चर्चा है कि शरत जैन को भी वह बस इस्तेमाल ही कर रहे हैं | अपनी इसी पॉलिसी के चलते रमेश अग्रवाल ने पहले तो जे के गौड़ को इस्तेमाल किया और फिर उन्हें ठेंगा दिखा दिया | इसी आधार पर लोगों को लगता है कि आलोक गुप्ता जब तक उनके काम आ रहे हैं, तब तक वह उनके साथ बने हुए हैं; लेकिन जैसे ही आलोक गुप्ता उनसे मदद की उम्मीद करेंगे - वह आलोक गुप्ता को पहचानने से भी इंकार कर देंगे |
पेम थर्ड में वह 'समय' आ रहा है | आलोक गुप्ता ने तैयारी की हुई है कि रमेश अग्रवाल आगामी रोटरी वर्ष के प्रेसीडेंट्स के सामने उन्हें डिस्ट्रिक्ट गवर्नर पद के लिए 'अपने' उम्मीदवार के रूप में समर्थन दिखाएँ/जताएँ | आलोक गुप्ता को विश्वास है कि रमेश अग्रवाल उन्हें उनकी सेवाओं का फल अवश्य ही देंगे - लेकिन दूसरों को लगता है कि रमेश अग्रवाल बहुत ही मतलबी और धोखेबाज किस्म का व्यक्ति है, इसलिए आलोक गुप्ता को भी उनसे सिर्फ धोखा ही मिलेगा | देखना सचमुच दिलचस्प होगा कि कौन सही साबित होता है - आलोक गुप्ता का भरोसा या रमेश अग्रवाल को मतलबी और धोखेबाज मानने वाले लोग |

Thursday, December 22, 2011

इंस्टीट्यूट ऑफ चार्टर्ड एकाउंटेंट्स ऑफ इंडिया में कौन बनेगा अगला वाइस प्रेसीडेंट

नई दिल्ली | इंस्टीट्यूट ऑफ चार्टर्ड एकाउंटेंट्स ऑफ इंडिया को जयदीप शाह के बाद क्या के रघु, जे वेंकटेस्वर्लु, सुबोध कुमार अग्रवाल, मनोज फडनिस, विजय गर्ग, संजय कुमार अग्रवाल, विनोद जैन, चरनजोत सिंह नंदा में से ही प्रेसीडेंट मिलेगा ? दरअसल वाइस प्रेसीडेंट पद के लिए इन्हीं आठ सेंट्रल काउंसिल सदस्यों को सक्रिय देखा जा रहा है | वाइस प्रेसीडेंट पद का चुनाव यूँ तो बहुत ही रहस्य और रोमांच से भरा होता है, और नतीजा आने से पहले तक किसी के लिए भी यह समझ पाना मुश्किल ही नहीं बल्कि असंभव ही होता है कि अंतत कौन वाइस प्रेसीडेंट चुना जायेगा - लेकिन यह भी सच ही है कि वाइस प्रेसीडेंट चुना तो उन्हीं में से कोई एक जाता है जो उसके लिए प्रयासरत होते हैं | मौजूदा सेंट्रल काउंसिल के सदस्यों में हालाँकि वाइस प्रेसीडेंट बनने की इच्छा तो मधुकर नारायण हिरेगंगे, एस संथानाकृष्णन, अभिजित बन्द्योपाध्याय, सुमंत्र गुहा ने भी प्रगट की है, लेकिन यह लोग अपनी इच्छा को क्रियान्वित करने के लिए चूँकि बहुत उत्सुक दिखाई नहीं दे रहे हैं इसलिए इनकी इच्छा को लेकर दूसरे लोग भी बहुत उत्सुक नहीं हैं | इंस्टीट्यूट के वाइस प्रेसीडेंट पद को लेकर इस बार जो चुनाव होने जा रहा है, उसका एक मजेदार पक्ष यह नज़र आ रहा है कि इस बार का चुनाव फ़िलहाल नए और पुराने सदस्यों के बीच की गोलबंदी बन गया है | यही कारण है कि के रघु और संजय कुमार अग्रवाल जैसे पहली बार सेंट्रल काउंसिल में चुने गए सदस्य भी जोरशोर से वाइस प्रेसीडेंट के चुनाव में कूद पड़े हैं; और सेंट्रल काउंसिल में पहली बार सदस्य बने मधुकर नारायण हिरेगंगे और सुमंत्र गुहा भी वाइस प्रेसीडेंट पद के बारे में सोच-विचार करते सुने/पाए गए हैं |
वाइस प्रेसीडेंट पद के लिए अपनी उम्मीदवारी को गंभीरता से प्रस्तुत करने वाले अधिकतर सेंट्रल काउंसिल सदस्यों के लिए एक बात कॉमन है, और वह यह कि उन्हें अपने-अपने रीजन के दूसरे सेंट्रल काउंसिल सदस्यों के विरोध का सामना भी करना पड़ रहा है | दरअसल प्रत्येक रीजन में कुछेक उम्मीदवारों के लिए बड़ी और मुख्य चिंता यह नहीं है कि वह जीतेंगे या नहीं जीतेंगे और जीतें तो कैसे जीतें; उनकी बड़ी और मुख्य चिंता यह है कि कहीं उनके रीजन का दूसरा कोई उम्मीदवार वाइस प्रेसीडेंट न चुन लिया जाये ? सदर्न रीजन में जे वेंकटेस्वर्लु को गंभीर और दमदार उम्मीदवार के रूप में देखा/पहचाना जा रहा है | माना/समझा जा रहा है कि किस्मत यदि उनसे बहुत ही रूठी नहीं रही तो इस बार बाजी उनके हाथ आ सकती है, लेकिन इसके बावजूद वह जितनी कोशिश अपने लिए समर्थन जुटाने में कर रहे हैं, उससे ज्यादा चिंता वह के रघु को लेकर कर रहे हैं कि कहीं के रघु उनसे आगे न निकल जाएँ | ईस्टर्न रीजन में सुबोध कुमार अग्रवाल को अपने संभावित वोटरों को यह समझा पाना मुश्किल हो रहा है कि उनके अपने रीजन के सदस्य उनके 'इतना' खिलाफ क्यों हैं ? सेंट्रल रीजन के मनोज फडनिस की स्थिति को भी इस बार मजबूत समझा जा रहा है | इंस्टीट्यूट की राजनीति के पर्दे के पीछे के खिलाड़ी उनके समर्थन में सक्रिय बताये जा रहे हैं | मनोज फडनिस सेंट्रल काउंसिल में कई वर्षों से हैं, और लगातार सक्रिय रहने के बावजूद उनके कोई लफड़े/झगड़े भी सामने नहीं आये हैं; जिसके चलते काउंसिल सदस्यों के बीच उनकी स्वीकारोक्ति भी है | मनोज फडनिस के लिए एक बड़ी राहत की बात यह भी है कि वाइस प्रेसीडेंट पद के संदर्भ में 'धरतीपकड़' की पहचान बना चुके अनुज गोयल इस बार चुनावी चक्कर से दूर-दूर दिख रहे हैं | अनुज गोयल ने भी दरअसल समझ लिया है कि उनकी जितनी और जैसी बदनामी है, उसके चलते उनके लिए वाइस प्रेसीडेंट पद के चुनाव से दूर रहने में ही भलाई है | अनुज गोयल की तरफ से मनोज फडनिस को राहत है, लेकिन विजय गर्ग अपनी उम्मीदवारी जता कर मनोज फडनिस के लिए समस्या खड़ी करने की कोशिश में हैं | नार्दर्न रीजन में वाइस प्रेसीडेंट के चुनाव को लेकर लगता है कि सिर्फ तमाशा हो रहा है | विनोद जैन वाइस प्रेसीडेंट पद के लिए अपनी उम्मीदवारी को लेकर बहुत ही गंभीर हैं, लेकिन उनके लिए समस्या की बात यह है कि उनकी उम्मीदवारी को लेकर उनके अलावा दूसरा कोई जरा भी गंभीर नहीं है | चरनजोत सिंह नंदा अपने को उम्मीदवार तो बता रहे हैं, लेकिन अपनी उम्मीदवारी को लेकर उन्होंने अभी तक जिन भी लोगों से बात की है उनके लिए यह समझना मुश्किल हुआ है कि वह अपनी उम्मीदवारी के लिए समर्थन जुटाने में लगे हैं या यह पता करने में कि कौन वाइस प्रेसीडेंट बन सकता है, ताकि वह उसके साथ जा लगें | संजय कुमार अग्रवाल की उम्मीदवारी ने जरूर लोगों को हैरान किया है | पिछले वर्ष अमरजीत चोपड़ा के प्रेसीडेंट-काल में उनकी जैसी व्यापक सक्रियता रही थी, और इस वर्ष जी रामास्वामी के प्रेसीडेंट-काल में भी उनको जिस तरह के महत्वपूर्ण असाइनमेंट मिले हैं, उसके चलते यह तो लोगों को नज़र आ रहा था कि सत्ता-लॉबी में उन्होंने अपनी पैठ बना ली है; लेकिन यह किसी को अनुमान नहीं था कि वह वाइस प्रेसीडेंट के चुनाव में इतनी जल्दी कूद पड़ेंगे | सेंट्रल काउंसिल में उनका यह पहला ही टर्न है | पहले ही टर्न में यद्यपि कुछेक सदस्य वाइस प्रेसीडेंट पद के लिए उम्मीदवार बन जाते हैं, लेकिन संजय कुमार अग्रवाल को चूँकि सत्ता-लॉबी के साथ जोड़ कर देखा/पहचाना जा रहा है, इसलिए माना/समझा जा रहा था कि वह अभी वाइस प्रेसीडेंट के लिए नहीं आयेंगे | लेकिन अब जब संजय कुमार अग्रवाल वाइस प्रेसीडेंट पद के लिए उम्मीदवार के रूप में आते दिख रहे हैं तो उनके इस आते दिखने में इंस्टीट्यूट की सत्ता-लॉबी का कोई खेल पहचानने की कोशिश की जा रही है |
इंस्टीट्यूट के वाइस प्रेसीडेंट पद के लिए चुनावी गहमागहमी शुरू तो हो गई हैं, लेकिन संभावित उम्मीदवार अभी संभल कर ही अपने लिए समर्थन देखने/जुटाने का प्रयास कर रहे हैं | जो लोग अपनी उम्मीदवारी को सचमुच गंभीरता से ले रहे हैं, उनके लिए चुनौती की बात यह हो गई है कि कैसे वह अपने लिए समर्थन जुटाने का काम करें कि उनका काम करना दूसरे लोगों की नज़र में ज्यादा न चढ़े | वाइस प्रेसीडेंट पद के चुनाव के लिए चलाये जाने वाले अभियान का एक अनुभव असल में सभी 'सच' मान रहे हैं और उससे डरे हुए हैं कि जो पहले से अभियान में जुटता है, चुनाव का दिन आते-आते वह पिछड़ जाता है | यह सोच कर कोई यदि अभी अभियान में नहीं जुटता है, तो वह उन उम्मीदवारों से अभी से पिछड़ता हुआ नज़र आता है, जो अभियान में जुटे हुए हैं | इसी गफलत में वाइस प्रेसीडेंट पद के चुनाव की गहमागहमी पिछले वर्षों की तुलना में अभी कम दिख रही है, लेकिन संभावित उम्मीदवारों ने जिस तरह तैयारी शुरू कर दी है, उसे देखते हुए जल्दी ही गहमागहमी के तेज होने का अनुमान लगाया जा रहा है |

Tuesday, November 15, 2011

मुकेश अरनेजा कोलकाता में आयोजित हो रहे रोटरी इंस्टीट्यूट में असित मित्तल के पास रोटेरियंस के पैसे फँसे होने का मामला क्या सचमुच उठायेंगे

मुकेश अरनेजा ने अशोक अग्रवाल का इस्तेमाल करते हुए असित मित्तल से फँसी अपनी रकम निकालने के लिए जो चाल चली, वह बुरी तरह फ्लॉप हो गई है | ज्यादा होशियार बनने के चक्कर में मुकेश अरनेजा ने अशोक अग्रवाल का भरोसा तो खोया ही, असित मित्तल से अपनी रकम मिल सकने की संभावना को और दूर कर लिया | मुकेश अरनेजा अब असित मित्तल से अपनी रकम बसूलने के लिए कोलकाता में आयोजित हो रहे रोटरी इंस्टीट्यूट का इस्तेमाल करेंगे | उन्होंने कुछेक लोगों से कहा है कि वह वहाँ रोटरी के बड़े नेताओं से सिफारिश करवा कर अपनी रकम निकलवाने का प्रयास करेंगे | उल्लेखनीय है कि रोटरी इंटरनेशनल डिस्ट्रिक्ट 3010 में रमेश अग्रवाल ने जब से रोटेरियंस के पैसे हड़पने को लेकर असित मित्तल को निशाना बनाया है, और राजेश बत्रा की शह पर असित मित्तल के खिलाफ मोर्चा खोला है, तब से जिन-जिन रोटेरियंस के पैसे असित मित्तल के यहाँ फंसे हैं, वह सब अलग-अलग तरीके से अपने-अपने पैसे बसूलने की कोशिशों में जुट गए हैं | रोटेरियंस को उम्मीद बंधी हैं कि रमेश अग्रवाल ने जिस तरह सारे मामले से इंटरनेश्नल प्रेसीडेंट कल्याण बनर्जी को परिचित कराया है, उससे अवश्य ही असित मित्तल पर दवाब बनेगा और वह रोटेरियंस का पैसा लौटाने को लेकर गंभीर होंगे |
मुकेश अरनेजा ने इस मौके का फायदा उठाने की कोशिश में ही अशोक अग्रवाल को मोहरा बनाया | अशोक अग्रवाल को मोहरा बनाने का आईडिया मुकेश अरनेजा को तब आया जब उन्हें पता चला कि असित मित्तल से अपनी रकम बसूलने को लेकर अशोक अग्रवाल बहुत मुखर हो रहे हैं और हर किसी से अपना दुखड़ा रो रहे हैं | अशोक अग्रवाल ने हर उस रोटेरियन से अपना दुखड़ा रोया जिसके बारे में उन्हें लगा कि वह उनकी रकम असित मित्तल से दिलवा सकता है | मुकेश अरनेजा को लगा कि असित मित्तल से अपनी रकम निकलवाने के लिए अशोक अग्रवाल ने जो घमासान मचा रखा है, वह जरूर कारगर होगा; और ऐसे में उन्हें भी अशोक अग्रवाल से मिल जाना चाहिए ताकि वह भी असित मित्तल से अपनी रकम बसूल लें | मुकेश अरनेजा ने अशोक अग्रवाल से उन तरकीबों पर बात की जिनके सहारे वह असित मित्तल से अपनी-अपनी रकम बसूल सकें | मुकेश अरनेजा की मीठी-मीठी बातों में आकर अशोक अग्रवाल को लगा कि असित मित्तल से अपनी रकम बसूलने को लेकर उन्हें एक मजबूत सहयोगी मिल गया है, लिहाजा उन्होंने मुकेश अरनेजा से अपनी कोशिशों का सारा विवरण बता दिया | रंग बदलने में मुकेश अरनेजा को चूंकि गिरगिट से भी कम समय लगता है, सो उन्होंने असित मित्तल को अशोक अग्रवाल द्धारा बताई गईं सारी बातें बता दीं | असित मित्तल के सामने मुकेश अरनेजा ने अशोक अग्रवाल से हुई बातचीत को इस तरह प्रस्तुत किया जैसे अशोक अग्रवाल ने उन्हें फोन करके यह सब कहा था और असित मित्तल से अपनी रकम निकलवाने के लिए उनकी मदद माँगी थी |
मुकेश अरनेजा की इस हरकत का पता अशोक अग्रवाल को तब चला जब असित मित्तल ने उनसे शिकायत की कि वह अपनी रकम का रोना मुकेश अरनेजा से क्यों रो रहे हैं ? असित मित्तल ने अशोक अग्रवाल को उलाहना भी दिया कि मुकेश अरनेजा क्या तुम्हें मुझसे पैसे दिलवाएगा ? अशोक अग्रवाल ने लोगों को जो बताया वह यह कि असित मित्तल के यह कहने के पीछे भाव यह था कि मुकेश अरनेजा अपनी रकम तो ले नहीं पा रहा है, तुम्हारी क्या दिलवाएगा ? असित मित्तल से यह सब सुनकर अशोक अग्रवाल को समझ में आया कि मुकेश अरनेजा ने उनके साथ क्या खेल खेला ? मुकेश अरनेजा ने खेल तो खेल लिया, लेकिन उन्हें इसका कोई फायदा नहीं हुआ | उन्होंने उम्मीद की थी कि अशोक अग्रवाल अपनी रकम निकलवाने के लिए जिस किसी के साथ मिल कर जो प्रयास कर रहे हैं, उसकी जानकारी वह असित मित्तल को देंगे तो इसके ईनाम के रूप में असित मित्तल उन्हें उनकी रकम वापस करने की कोई ठोस बात करेंगे | मुकेश अरनेजा ने ही कुछेक लोगों को कहा/बताया है कि असित मित्तल से अपनी रकम वापस मिलना उन्हें मुश्किल ही लग रहा है | उनके लिए भी मामला जहाँ का तहाँ ही पहुँच गया है | कोलकाता में आयोजित हो रहे रोटरी इंस्टीट्यूट के लिए रवाना होने से पहले मुकेश अरनेजा ने कुछेक लोगों से कहा/बताया तो है कि वह कोलकाता में रोटरी के बड़े नेताओं के सामने यह सवाल रखेंगे तो हैं कि असित मित्तल के पास रोटेरियंस के पैसे फँसे होने के मामले को हल करवाया जाये अन्यथा रोटरी की बड़ी बदनामी हो रही है |
मुकेश अरनेजा ने यह दावा करके मामले को और गंभीर बना दिया है कि रोटेरियंस के पैसों के मामले में असित मित्तल का जो रवैया है, उसके चलते रोटेरियंस इस वर्ष रोटरी फाउन्डेशन में पैसे देने से बच रहे हैं | रोटेरियंस को डर है कि रोटरी फाउन्डेशन के लिए दिए जाने वाले पैसे का असित मित्तल पता नहीं क्या करें ? इस वर्ष डिस्ट्रिक्ट डायरेक्टरी के अभी तक न प्रकाशित हो पाने से इस तरह की चर्चाओं को बल मिला ही है कि डिस्ट्रिक्ट डायरेक्टरी के नाम पर इकठ्ठा हुई रकम का असित मित्तल ने पता नहीं क्या किया है ? मुकेश अरनेजा ने कोलकाता में आयोजित हो रहे रोटरी इंस्टीट्यूट में असित मित्तल से जुड़े इस मामले को रोटरी के बड़े नेताओं के सामने उठाने की बात कही तो है, लेकिन जिन लोगों के सामने उन्होंने यह कहा है उन्हें ही मुकेश अरनेजा की बातों पर भरोसा नहीं है | लोगों को लगता है कि मुकेश अरनेजा इस तरह की बातें असित मित्तल को दबाव में लेने के लिए कर रहे हैं ताकि असित मित्तल से उन्हें उनकी रकम मिल जाये | असित मित्तल ने भी लेकिन कोई कच्ची गोलियाँ नहीं खेली हैं | वह मुकेश अरनेजा की चाल को समझ रहे हैं और आश्वस्त हैं कि कोलकाता में आयोजित हो रहे रोटरी इंस्टीट्यूट में मुकेश अरनेजा वैसा बखेड़ा नहीं करेंगे, जैसा कि रमेश अग्रवाल ने श्रीलंका में किया था | मुकेश अरनेजा कोलकाता में आयोजित हो रहे रोटरी इंस्टीट्यूट में असित मित्तल के मामले को लेकर क्या करते हैं, यह देखने की बात होगी |

Thursday, November 10, 2011

रमेश अग्रवाल द्धारा अपमानित किये जाने के बाद भी सुशील गुप्ता आखिर किस मजबूरी के चलते चुप हैं

भूतपूर्व रोटरी इंटरनेशनल डायरेक्टर सुशील गुप्ता को अपने ही डिस्ट्रिक्ट - रोटरी इंटरनेशनल डिस्ट्रिक्ट 3010 में बुरी तरह अपमानित होना पड़ा है | उन्हें अपमानित करने का काम किया डिस्ट्रिक्ट गवर्नर इलेक्ट रमेश अग्रवाल ने | रमेश अग्रवाल ने सुशील गुप्ता को तो उनकी 'राजनीतिक औकात' बताने का काम किया ही, साथ ही रोटरी भावना को भी लज्जित किया | मामला डिस्ट्रिक्ट गवर्नर इलेक्ट के रूप में रमेश अग्रवाल के पहले कार्यक्रम 'पेम' - प्रेसीडेंट इलेक्ट मीट से जुड़ा है | जैसा कि नाम से ही जाहिर है, 'पेम' (प्रेसीडेंट इलेक्ट मीट) प्रेसीडेंट इलेक्ट के आपस में एक-दूसरे से और अपने कार्यकाल के डिस्ट्रिक्ट गवर्नर व उसकी टीम के संभावित पदाधिकारियों से मिलने-जुलने का और परिचित होने का कार्यक्रम है - जिसमें प्रेसीडेंट इलेक्ट की उपस्थिति जरूरी होती है | रमेश अग्रवाल ने लेकिन कई प्रेसीडेंट इलेक्ट को अपने 'पेम' कार्यक्रम में आने से मना किया | इसका उन्होंने किसी को कोई स्पष्ट कारण भी नहीं बताया | रोटरी क्लब दिल्ली सेलेक्ट की अध्यक्ष दीप्ति गुप्ता ने इसकी शिकायत सुशील गुप्ता से की | दीप्ति गुप्ता ने सुशील गुप्ता से कहा कि प्रेसीडेंट इलेक्ट होने के नाते 'पेम' कार्यक्रम में उपस्थित होना उनका अधिकार भी है, और उनके लिए जरूरी भी है | दीप्ति गुप्ता ने सुशील गुप्ता से यह शिकायत इसलिए की क्योंकि सुशील गुप्ता डिस्ट्रिक्ट के लोगों के बीच लगातार यह आह्वान करते रहे हैं कि किसी भी तरह की शिकायतों को डिस्ट्रिक्ट से बाहर ले जाने से पहले उन्हें डिस्ट्रिक्ट के प्रमुख लोगों के बीच ही रखना चाहिए, ताकि डिस्ट्रिक्ट की बदनामी न हो | दीप्ति गुप्ता ने सोचा कि पूर्व इंटरनेशनल डायरेक्टर होने के नाते सुशील गुप्ता का कद बड़ा है, इसलिए अपनी शिकायत उन्होंने सुशील गुप्ता के सामने ही रखी | सुशील गुप्ता ने उनकी शिकायत पर दिलचस्पी के साथ सिर्फ गौर ही नहीं किया, उनकी शिकायत को जायज़ भी माना |
सुशील गुप्ता ने इस बात पर आश्चर्य भी किया कि रमेश अग्रवाल वैसे तो रोटरी के बारे में बहुत ज्ञान की बातें करते हैं लेकिन फिर भी वह प्रेसीडेंट इलेक्ट मीट में प्रेसीडेंट इलेक्ट को ही आने से मना क्यों कर रहे हैं | सुशील गुप्ता ने दीप्ति गुप्ता को आश्वस्त किया कि वह रमेश अग्रवाल से बात करेंगे | उन्होंने रमेश अग्रवाल से बात की भी | इसका असर यह हुआ कि दीप्ति गुप्ता को रमेश अग्रवाल के कार्यालय से 'पेम' में शामिल होने का निमंत्रण मिल गया | दीप्ति गुप्ता के पास यह निमंत्रण लेकिन ज्यादा समय नहीं रह सका | जल्दी ही रमेश अग्रवाल के कार्यालय से उन्हें फोन मिला कि भले ही वह प्रेसीडेंट इलेक्ट हों, लेकिन उन्हें प्रेसीडेंट इलेक्ट मीट में आने की जरूरत नहीं है | कुछेक लोगों ने रमेश अग्रवाल को समझाया भी कि सुशील गुप्ता के कहने के बावजूद आप यदि दीप्ति गुप्ता को 'पेम' में शामिल नहीं होने दोगे तो यह सुशील गुप्ता का अपमान होगा | रमेश अग्रवाल ने लेकिन अपने स्वभाव के अनुरूप बदतमीजी से यह कहते हुए उन्हें चुप करा दिया कि 'पेम' में कौन शामिल होगा - यह डिस्ट्रिक्ट गवर्नर होने के नाते वह तय करेंगे या सुशील गुप्ता तय करेगा | इस तरह सुशील गुप्ता के हस्तक्षेप के बावजूद दीप्ति गुप्ता को 'पेम' में उपस्थित होने का मौका नहीं मिला | कुछ लोगों को लगता है कि रमेश अग्रवाल चूंकि दीप्ति गुप्ता के पति जीतेंद्र गुप्ता से खुन्नस रखते हैं, और अपनी खुन्नस का बदला उन्होंने दीप्ति गुप्ता से लिया | हो सकता है कि यह सच भी हो, लेकिन रमेश अग्रवाल ने जो हरकत दीप्ति गुप्ता के साथ की, वैसी ही हरकत कुछेक और क्लब्स के प्रेसीडेंट इलेक्ट के साथ भी की है |
रोटरी क्लब ऑफ़ गाज़ियाबाद मिडटाउन के मामले में तो उन्हें क्लब के वरिष्ठ सदस्य उमेश चोपड़ा से जमकर खरी-खोटी भी सुननी पड़ी | रोटरी क्लब ऑफ़ गाज़ियाबाद मिडटाउन के प्रेसीडेंट इलेक्ट संदीप गोयल के साथ तो दरअसल और मजाक हुआ | रमेश अग्रवाल ने गाज़ियाबाद के अपने एक दूत आलोक गर्ग से संदीप गोयल को पहले तो यह सन्देश भिजवाया कि उन्हें इस-इस तैयारी के साथ और इस ड्रेस-कोड का पालन करते हुए 'पेम' में आना है, लेकिन ठीक एक दिन पहले आलोक गर्ग से ही यह कहलवा दिया कि उन्हें 'पेम' में आने की जरूरत नहीं है | संदीप गोयल ने अपने आप को इतना अपमानित महसूस किया कि वह यह बात किसी को बता भी नहीं पाए | दो-तीन दिन बाद जब क्लब के वरिष्ठ सदस्य उमेश चोपड़ा को यह पता चला तो उन्होंने रमेश अग्रवाल को फोन करके खूब लताड़ा | रमेश अग्रवाल ने उन्हें 'रोटरी' समझाने की कोशिश की, लेकिन उमेश चोपड़ा ने उन्हें नसीहत दी कि रोटरी पहले वह खुद समझें | उमेश चोपड़ा ने उनसे पूछा कि प्रेसीडेंट इलेक्ट मीट में प्रेसीडेंट इलेक्ट नहीं होगा तो कौन होगा ? रमेश अग्रवाल इसका कोई जबाव नहीं दे सके | उमेश चोपड़ा ने रमेश अग्रवाल को याद दिलाया कि रमेश, अभी ज्यादा दिन थोड़े ही हुए हैं जब तू उम्मीदवार था और वोट के लिए हम लोगों की खुशामद किया फिरता था | इतनी जल्दी भूल गया कि हम लोगों के समर्थन से ही गवर्नर बना है |
रमेश अग्रवाल डिस्ट्रिक्ट गवर्नर चुने जाने के बाद से दरअसल इतने घमंड में आ गए हैं कि किसी के साथ भी बदतमीजी कर देते हैं | अपनी बदतमीजीपूर्ण हरकतों के चलते वह लोगों को लगातार नाराज़ करते जा रहे हैं और इसके बदले में उनके गुस्से का शिकार होते जा रहे हैं | रोटरी कलब मोदीनगर के वरिष्ठ सदस्य केके भटनागर उनकी बदतमीजी के लिए उन्हें बुरी तरह लताड़ चुके हैं | राजेंद्र जेना से तो रमेश अग्रवाल भरी मीटिंग में पिट भी चुके हैं | रमेश अग्रवाल की बकवासपूर्ण बदतमीजी से डिस्ट्रिक्ट के मौजूदा गवर्नर असित मित्तल भी नहीं बच सके हैं; जिसके बाद असित मित्तल ने जुमला कसा कि रमेश अग्रवाल की शक्ल तो काली है ही, उसका मन भी काला है | रमेश अग्रवाल की हरकतों का आलम यह है कि उन्होंने जिन मुकेश अरनेजा को डिस्ट्रिक्ट ट्रेनर बनाया है, वह मुकेश अरनेजा भी उनसे डर कर रहते हैं | लोगों से बदतमीजी करने के मामले में मुकेश अरनेजा ने भी हालाँकि खूब नाम कमाया है और वह खुद ही अपने आप को डिस्ट्रिक्ट का 'गुंडा' बताते रहे हैं लेकिन रमेश अग्रवाल के सामने उन्हें भी लगता है कि वह कमजोर हैं | 'पेम' में प्रेसीडेंट इलेक्ट को आने से मना करने के मामले में कुछेक लोगों ने जब मुकेश अरनेजा से संपर्क किया तो उन्होंने साफ कहा कि वह डिस्ट्रिक्ट ट्रेनर जरूर हैं लेकिन वह रमेश अग्रवाल को कोई सुझाव नहीं दे सकेंगे | मुकेश अरनेजा ने लोगों से साफ कहा कि रमेश अग्रवाल सिरफिरा आदमी है, तुम्हारी कुर्सी रखवाने की कोशिश मैं करूंगा तो वह मेरी कुर्सी ही हटा देगा, इसलिए मैं तो चुप ही रहूँगा |
मुकेश अरनेजा का तो स्वार्थ समझ में आता है | डिस्ट्रिक्ट ट्रेनर का पद वह दोबारा गँवाना नहीं चाहेंगे | उल्लेखनीय है कि इससे पहले अमित जैन ने उन्हें डिस्ट्रिक्ट ट्रेनर बनाया था, लेकिन उनकी हरकतों से तंग आकर फिर उन्हें हटा दिया था | मुकेश अरनेजा ने बड़ी खुशामद करके दोबारा डिस्ट्रिक्ट ट्रेनर का पद पाया है | इसलिए वह रमेश अग्रवाल को किसी भी तरह नाराज़ नहीं करना चाहते | लेकिन सुशील गुप्ता का स्वार्थ किसी की भी समझ से परे हैं | वह मानते हैं कि रमेश अग्रवाल ने प्रेसीडेंट इलेक्ट मीट में प्रेसीडेंट इलेक्ट को आने से मना करके रोटरी भावना के खिलाफ काम किया है; वह मानते हैं कि इस तरह की बातों से रोटरी की और डिस्ट्रिक्ट की बदनामी होती है; उन्होंने कोशिश भी की कि रमेश अग्रवाल प्रेसीडेंट इलेक्ट मीट में प्रेसीडेंट इलेक्ट को आमंत्रित करें - उसके बावजूद रमेश अग्रवाल के कानों पर जूँ तक नहीं रेंगी; और सुशील गुप्ता चुपचाप बने रहे | किसी के लिए भी यह समझ पाना मुश्किल बना हुआ है कि सुशील गुप्ता आखिर किस मजबूरी के चलते रमेश अग्रवाल द्धारा उन्हें अपमानित करने तथा रोटरी भावना को लज्जित करने की कार्रवाई को चुपचाप देखते रहे हैं |
[यह रिपोर्ट विस्तृत रूप में 'रचनात्मक संकल्प' के प्रिंट ऐडीशन में पढ़ी जा सकती है |]

Wednesday, November 9, 2011

रोटरी क्लब सहारनपुर क्लासिक को चार्टर प्रस्तुत किया गया

रोटरी इंटरनेशनल डिस्ट्रिक्ट 3080 में डिस्ट्रिक्ट गवर्नर मनप्रीत सिंह ने पिछले दिनों नए बने क्लब रोटरी क्लब सहारनपुर क्लासिक को चार्टर प्रस्तुत किया | यह नया क्लब 63 चार्टर सदस्यों के साथ शुरू हुआ है | खास बात यह कि इन 63 सदस्यों में 24 पॉल हैरिस फैलो या मल्टीपल पॉल हैरिस फैलो हैं | क्लब का चार्टर प्रेजेंटेशन प्रोग्राम खासे भव्य तरीके सा संपन्न हुआ | इस प्रोग्राम की कुछेक झलकियाँ यहाँ प्रस्तुत हैं :





Tuesday, November 8, 2011

इंदौर में रोटरी यूथ लीडरशिप अवार्ड 2011 का आयोजन

रोटरी इंटरनेशनल डिस्ट्रिक्ट 3040 में रोटरी क्लब ऑफ इंदौर अपटाउन ने रोटरी यूथ लीडरशिप अवार्ड 2011 का आयोजन किया जिसमें युवाओं की दिलचस्पीभरी सक्रिय भागीदारी रही | इस आयोजन के कुछ दृश्य यहाँ प्रस्तुत हैं :