नई दिल्ली/गाजियाबाद | आलोक गुप्ता ने तैयारी तो पूरी की हुई है कि पेम थर्ड में रमेश अग्रवाल डिस्ट्रिक्ट गवर्नर पद के लिए उनकी उम्मीदवारी के प्रति अपना समर्थन घोषित कर दें, लेकिन आलोक गुप्ता के ही अन्य 'शुभचिंतकों' का कहना है कि आलोक गुप्ता का 'काम' होगा नहीं | आलोक गुप्ता ने जिन मुकेश अरनेजा की पिछले वर्षों में काफी 'सेवा' की है, जिन मुकेश अरनेजा को वह 'गुरूजी' कहते तथा मानते हैं, और अपनी सेवा के बदले में उन्हें जिन मुकेश अरनेजा से 'मदद' की उम्मीद भी है - मदद की उम्मीद स्वाभाविक ही है - उन मुकेश अरनेजा का ही स्पष्ट कहना है कि आलोक गुप्ता ने लगता है कि रमेश अग्रवाल को ठीक से पहचाना नहीं है | मुकेश अरनेजा की बातों पर ही यदि विश्वास किया जाये तो रमेश अग्रवाल से आलोक गुप्ता को मदद की उम्मीद नहीं ही करना चाहिए | मुकेश अरनेजा ने यह बातें जिस अंदाज़ में कहीं हैं, उनसे यह भी ध्वनित होता है कि आलोक गुप्ता को मुकेश अरनेजा से भी कोई उम्मीद नहीं रखनी चाहिए | आलोक गुप्ता ने लेकिन इन दोनों से मदद मिलने की उम्मीद को अभी नहीं छोड़ा है | इसीलिए आलोक गुप्ता अगले रोटरी वर्ष में - यानि रमेश अग्रवाल के गवर्नर-काल में डिस्ट्रिक्ट गवर्नर पद के लिए अपनी उम्मीदवारी के लिए संभावनाएँ टटोल रहे हैं और इस उपक्रम में रमेश अग्रवाल का समर्थन जुटाने की हर संभव कोशिश कर रहे हैं | पेम थर्ड के आयोजन की जिम्मेदारी लेने तथा इस आयोजन का चेयरमैन बनने के पीछे आलोक गुप्ता की इसी कोशिश को देखा गया है | पिछले कुछ समय में आलोक गुप्ता ने अपने आप को रमेश अग्रवाल के नज़दीक दिखाने की कई एक सावधानीपूर्ण प्रयास किये हैं | उनके कुछेक प्रयासों को चूँकि रमेश अग्रवाल से समर्थन और सहयोग के रूप में प्रोत्साहन भी मिला, इसलिए आलोक गुप्ता की उम्मीदें भी बढीं |
उल्लेखनीय है कि आलोक गुप्ता की रमेश अग्रवाल से नजदीकियत कोई आज की बात नहीं है | यह नजदीकियत उस समय से देखी जा रही है, जब रमेश अग्रवाल पहली बार डिस्ट्रिक्ट गवर्नर पद के उम्मीदवार बने थे और असित मित्तल से हारे थे | उस समय गाज़ियाबाद के तमाम रोटरी नेता असित मित्तल के समर्थन में थे, लेकिन एक अकेले आलोक गुप्ता ने रमेश अग्रवाल का झंडा उठाया हुआ था | आलोक गुप्ता को उस समय कई एक लोगों ने समझाया भी था कि जब तुम देख रहे हो कि असित मित्तल के सामने रमेश अग्रवाल की बुरी दुर्गति होने जा रही है, और रमेश अग्रवाल का झंडा उठाये रखने के कारण तुम लोगों के बीच अलग-थलग पड़ रहे हो - तो फिर रमेश अग्रवाल के साथ क्यों हो ? आलोक गुप्ता ने लेकिन सभी को यह कह कर चुप कर दिया था कि रमेश अग्रवाल के साथ उनकी जो दोस्ती है उसके कारण वह रमेश का साथ नहीं छोड़ सकते हैं | रमेश अग्रवाल को जब जरूरत थी, तब आलोक अग्रवाल तन-मन और धन के साथ उनकी मदद को सक्रिय थे | इसी नाते उन्हें लगता है कि अब जब उन्हें जरूरत है तो रमेश अग्रवाल उनकी मदद करेंगे | आलोक गुप्ता को लेकिन शायद इस बात का अंदाज़ा नहीं है कि जैसे संस्कार उन्हें मिले हैं कि जिसके साथ खड़े हो मुसीबत में भी उसके साथ खड़े रहो, वैसे संस्कार रमेश अग्रवाल को नहीं मिले हैं | असित मित्तल तो उनके बारे में एक बात अक्सर कहते हैं कि रमेश अग्रवाल की शक्ल तो काली है ही, उसका मन भी काला है | यही कारण है कि आलोक गुप्ता को भले ही यह भरोसा हो कि रमेश अग्रवाल उनकी मदद करेंगे, लेकिन अन्य कई लोगों ने आलोक गुप्ता को बता दिया है कि रमेश अग्रवाल एक धोखेबाज़ व्यक्ति है और वह उन्हें भी धोखा देने से बाज़ नहीं आएगा | अपनी इस भविष्यवाणी को सही साबित करने के लिए वह जे के गौड़ के मामले का उदाहरण भी देते हैं |
उल्लेखनीय है कि जे के गौड़ को भी काफी समय तक यह मुगालता रहा था कि रमेश अग्रवाल डिस्ट्रिक्ट गवर्नर पद के लिए उनकी उम्मीदवारी को समर्थन देंगे, और इसी मुगालते के चलते वह काफी समय से यह घोषणा करते आ रहे थे कि वह रमेश अग्रवाल के गवर्नर-काल में डिस्ट्रिक्ट गवर्नर पद के लिए अपनी उम्मीदवारी प्रस्तुत करेंगे | पर अब जब रमेश अग्रवाल का गवर्नर-काल नज़दीक आ रहा है, तब जे के गौड़ को 'दिखने' लगा है और साथ ही विश्वास हो चला है कि रमेश अग्रवाल से उन्हें सिर्फ धोखा ही मिलेगा | दरअसल आलोक गुप्ता की अचानक से जिस तेजी के साथ सक्रियता बढ़ी - उसके पीछे रमेश अग्रवाल की 'प्रेरणा' को ही देखा/पहचाना गया | समझा जाता है कि रमेश अग्रवाल ने आलोक गुप्ता को हवा ही इसलिए दी, ताकि वह जे के गौड़ की उम्मीदवारी के दावे को कमज़ोर कर सकें और जे के गौड़ से उनकी जान छूटे |
आलोक गुप्ता का 'इस्तेमाल' करके रमेश अग्रवाल ने जे के गौड़ को तो धोखा दे दिया; लेकिन रमेश अग्रवाल अब आलोक गुप्ता के साथ क्या करेंगे - यह देखने की बात होगी | क्योंकि रमेश अग्रवाल से जो शह मिली, उससे आलोक गुप्ता इतने जोश में आ गये कि आनन-फानन में अपनी उम्मीदवारी की 'तैयारी' करने लगे | डिस्ट्रिक्ट गवर्नर पद की तैयारी में ही उन्होंने न सिर्फ पेम थर्ड के आयोजन का जिम्मा ले लिया बल्कि रमेश अग्रवाल की हर बेईमानीपूर्ण और ओछी बातों का खुलकर समर्थन करना भी शुरू कर दिया | पेम थर्ड के आयोजन की आड़ में आलोक गुप्ता ने अपने आप को प्रमोट करने की जो रणनीति बनाई, उसे देखते हुए कुछेक लोगों को लगा कि यह रणनीति आलोक गुप्ता ने रमेश अग्रवाल की सहमति से ही बनाई होगी और पेम थर्ड में रमेश अग्रवाल उन्हें अपने उम्मीदवार के रूप में समर्थन घोषित कर देंगे | आलोक गुप्ता के नजदीकियों को विश्वास है कि पेम थर्ड में रमेश अग्रवाल आगामी रोटरी वर्ष के प्रेसीडेंट्स के सामने आलोक गुप्ता की उम्मीदवारी को हरी झंडी दे देंगे | आलोक गुप्ता और उनके नजदीकियों को भले ही रमेश अग्रवाल से मदद की उम्मीद हो, लेकिन रमेश अग्रवाल को जानने/पहचानने वाले लोगों का कहना है कि आलोक गुप्ता को भी रमेश अग्रवाल से धोखा ही मिलेगा | उनका कहना है कि रमेश अग्रवाल 'यूज एंड थ्रो' पॉलिसी पर चलते हैं और लोगों को इस्तेमाल करते हैं और फिर उन्हें भूल जाते हैं | अपने क्लब - रोटरी क्लब दिल्ली अशोका तक में उन्होंने अपनी इसी पॉलिसी को अपनाया हुआ है | वहाँ पहले तो उन्होंने कपिल गुप्ता को आगे बढ़ाया और उनसे पैसे खर्च करवाए, लेकिन जब उन्हें ऐसा लगा कि कपिल गुप्ता कहीं सचमुच आगे न बढ़ जाएँ तो उन्हें अपमानित करके किनारे बैठा दिया और अब शरत जैन को हवा दी हुई है | क्लब में ही चर्चा है कि शरत जैन को भी वह बस इस्तेमाल ही कर रहे हैं | अपनी इसी पॉलिसी के चलते रमेश अग्रवाल ने पहले तो जे के गौड़ को इस्तेमाल किया और फिर उन्हें ठेंगा दिखा दिया | इसी आधार पर लोगों को लगता है कि आलोक गुप्ता जब तक उनके काम आ रहे हैं, तब तक वह उनके साथ बने हुए हैं; लेकिन जैसे ही आलोक गुप्ता उनसे मदद की उम्मीद करेंगे - वह आलोक गुप्ता को पहचानने से भी इंकार कर देंगे |
पेम थर्ड में वह 'समय' आ रहा है | आलोक गुप्ता ने तैयारी की हुई है कि रमेश अग्रवाल आगामी रोटरी वर्ष के प्रेसीडेंट्स के सामने उन्हें डिस्ट्रिक्ट गवर्नर पद के लिए 'अपने' उम्मीदवार के रूप में समर्थन दिखाएँ/जताएँ | आलोक गुप्ता को विश्वास है कि रमेश अग्रवाल उन्हें उनकी सेवाओं का फल अवश्य ही देंगे - लेकिन दूसरों को लगता है कि रमेश अग्रवाल बहुत ही मतलबी और धोखेबाज किस्म का व्यक्ति है, इसलिए आलोक गुप्ता को भी उनसे सिर्फ धोखा ही मिलेगा | देखना सचमुच दिलचस्प होगा कि कौन सही साबित होता है - आलोक गुप्ता का भरोसा या रमेश अग्रवाल को मतलबी और धोखेबाज मानने वाले लोग |