नई दिल्ली । निवर्त्तमान डिस्ट्रिक्ट गवर्नर रवि चौधरी अपने गवर्नर-वर्ष के हिसाब-किताब में भारी हेराफेरी करने के मामले में गहरे फँसते जा रहे हैं, और इसी कारण से पिछले रोटरी वर्ष के उनके एकाउंट्स अभी तक फाइनल नहीं हो सके हैं । डिस्ट्रिक्ट फाइनेंस कमेटी के चेयरमैन के रूप में विनोद बंसल द्वारा की गई तहकीकात ने रवि चौधरी के आर्थिक घपलों से जुड़ी कारस्तानियों की और पोल खोल दी है । रवि चौधरी के लिए मुसीबत की बात यह हुई है कि कई मौकों पर उनके संकट मोचक की भूमिका निभाने वाले वरिष्ठ पूर्व डिस्ट्रिक्ट गवर्नर राजेश बत्रा ने भी उनकी मदद करने से इंकार कर दिया है । तीन सदस्यीय डिस्ट्रिक्ट फाइनेंस कमेटी में राजेश बत्रा भी एक सदस्य हैं । कमेटी के तीसरे सदस्य आशीष घोष हैं, जो कमेटी के को-चेयरमैन भी हैं । रोटरी इंटरनेशनल के नियमानुसार, रवि चौधरी के पिछले वर्ष के गवर्नर-काल के एकाउंट्स अभी तक मिल जाने चाहिए थे; लेकिन वह अभी तक तैयार ही नहीं हो सके हैं । रवि चौधरी ने अपनी तरफ से एकाउंट्स फाइनल करके डिस्ट्रिक्ट फाइनेंस कमेटी के चेयरमैन विनोद बंसल को सौंप दिए थे, लेकिन विनोद बंसल ने पहली ही नजर में उन्हें आधा/अधूरा पाया । विनोद बंसल को कई एंट्रीज पर संदेह हुआ, जिन पर स्पष्टीकरण देने रवि चौधरी उनके ऑफिस भी आए - लेकिन विनोद बंसल उनके दिए स्पष्टीकरण से संतुष्ट नहीं हुए । विनोद बंसल ने एकाउंट्स में उनके द्वारा दिए गए संदेहास्पद विवरणों से संबंधित सवालों का एक पुलिंदा रवि चौधरी को भेज दिया है, जिसने रवि चौधरी की नींद उड़ा दी है ।
विनोद बंसल द्वारा पूछे गए सवालों में सबसे गंभीर सवाल वह हैं जिनमें कुछेक प्रेसीडेंट्स से नगद में लिए गए लाखों रुपयों का विवरण माँगा गया है, जिनका जिक्र रवि चौधरी द्वारा सौंपे गए विवरण में है ही नहीं । उल्लेखनीय है कि पिछले वर्ष ही डिस्ट्रिक्ट के लोगों के बीच चर्चा थी कि कुछेक तत्कालीन प्रेसीडेंट्स से अलग अलग आयोजनों की स्पॉन्सरशिप के नाम पर रवि चौधरी ने अवॉर्ड का लालच दिखा कर चार-चार पाँच-पाँच लाख रुपए लिए हैं । रवि चौधरी द्वारा सौंपे गए विवरण में विनोद बंसल को जब उन रुपयों का जिक्र नहीं दिखा, तो उन्होंने पहले तो उन तत्कालीन प्रेसीडेंट्स से रुपये देने की बात पूछी और पुष्टि होने पर फिर रवि चौधरी से पूछा कि उन रुपयों को लिए जाने का विवरण उनके द्वारा सौंपे गए हिसाब-किताब में क्यों नहीं है ? आरोप है कि उन लाखों रुपयों को रवि चौधरी ने हड़प लिया है । रवि चौधरी ने उस मोटी रकम को लेकर लीपापोती करने की कोशिश की, विनोद बंसल लेकिन उनके जबाव से संतुष्ट नहीं हुए । विनोद बंसल जिस तरह से रवि चौधरी द्वारा सौंपे गए हिसाब-किताब के ब्यौरे को खंगाल रहे थे और बारीकी से जाँच रहे थे, उससे रवि चौधरी को आभास हो गया था कि हिसाब-किताब में हेराफेरी को लेकर वह फँस सकते हैं । अपने आपको बचाने के लिए उन्होंने राजेश बत्रा की मदद लेने संकेत दिए । विनोद बंसल लेकिन उनसे ज्यादा होशियार निकले; उन्होंने रवि चौधरी द्वारा दिए गए विवरणों में नजर आ रही कमियों को लेकर डिस्ट्रिक्ट फाइनेंस कमेटी के बाकी दोनों सदस्यों से बात की - और उन्हें यह देख कर खासी राहत मिली कि आशीष घोष के साथ-साथ राजेश बत्रा ने भी साफ कहा कि एकाउंट्स में पारदर्शिता और ईमानदारी होनी भी चाहिए और 'दिखनी' भी चाहिए । रवि चौधरी के समर्थक के रूप में देखे/पहचाने जाने वाले राजेश बत्रा से हरी झंडी मिलने के बाद विनोद बंसल ने अपने आपको दबावमुक्त पाया और रवि चौधरी द्वारा सौंपे गए विवरण में दिए गए आधे-अधूरे तथ्यों को लेकर सवालों की सूची रवि चौधरी को सौंप दी ।
रवि चौधरी द्वारा दिए गए विवरण में घपलेबाजी का संदेह दरअसल इसलिए है, क्योंकि रवि चौधरी ने अधिकतर खर्चों के विवरण कच्चे रूप में दिए हैं; रोटरी तथा देश के नियमों के अनुसार, जो पक्के बिल के रूप में होने चाहिए । देश के आयकर विभाग की नजर कच्चे रूप में होने वाले 'बड़े' खर्चों पर है, और उनकी चपेट में रोटरी भी आ चुकी है - रोटरी इंटरनेशनल के दिल्ली स्थित साऊथ एशिया ऑफिस को आयकर विभाग की तरफ से एक नोटिस मिल चुका है, जिसमें रोटरी का पक्ष रखने का काम खुद विनोद बंसल कर चुके हैं । डिस्ट्रिक्ट फाइनेंस कमेटी के चेयरमैन के रूप में विनोद बंसल के लिए रवि चौधरी के गवर्नर-वर्ष के एकाउंट्स इसलिए भी एक चुनौती हैं, क्योंकि डिस्ट्रिक्ट में बहुत से लोगों की निगाह उस पर है । दरअसल रवि चौधरी ने अपने व्यवहार और रवैये से डिस्ट्रिक्ट में तमाम लोगों को नाराज किया हुआ है; रवि चौधरी विभिन्न मौकों पर विनोद बंसल सहित अन्य पूर्व गवर्नर्स पर बेईमानी करने के आरोप लगाते रहे हैं - ऐसे में अब पूर्व गवर्नर्स तथा अन्य लोगों को यह दिखाने/बताने का मौका मिला है कि रोटरी के सबसे बड़े 'लुटेरे' तो रवि चौधरी ही हैं । रवि चौधरी पर डिस्ट्रिक्ट गवर्नर के रूप में पैसे कमाने/बनाने के जो आरोप लगते रहे हैं, उनके एकाउंट्स के विवरण उन आरोपों के सच साबित होने के संकेत दे रहे हैं । इसलिए पूर्व गवर्नर्स व अन्य लोगों का फाइनेंस कमेटी के सदस्यों पर दबाव है कि वह रवि चौधरी के एकाउंट्स में लीपापोती न करें । इसी दबाव के चलते राजेश बत्रा तक एकाउंट्स के मामले में रवि चौधरी का बचाव करने से पीछे हट गए हैं । कुछेक लोगों को हालाँकि यह भी लगता है और उनका कहना है कि विनोद बंसल भी हो सकता है कि एकाउंट्स में थोड़ी बहुत 'ड्रेसिंग' करके लीपापोती करते हुए अंततः रवि चौधरी को बचाने का प्रयास करें - लेकिन रवि चौधरी से स्पष्टीकरण लेने के लिए उनके द्वारा किए सवालों ने रवि चौधरी की कारस्तानियों की पोल खोलने तथा उनके द्वारा की गई लूट-खसोट को सामने लाने का काम तो कर ही दिया है ।