चंडीगढ़ । इंटरनेशनल प्रेसीडेंट नॉमिनी सुशील गुप्ता के ड्रीम प्रोजेक्ट 'मिशन ताईपाई 2021' में निवर्त्तमान डिस्ट्रिक्ट गवर्नर टीके रुबी को कोऑर्डिनेटर बनाए जाने से राजेंद्र उर्फ राजा साबू की टीके रुबी को अलग-थलग करने की रणनीति को खासा झटका लगा है । उल्लेखनीय है कि पिछले कुछेक दिनों में राजा साबू ने डिस्ट्रिक्ट गवर्नर इलेक्ट जितेंद्र ढींगरा के साथ नजदीकी बनाने और 'दिखाने' का प्रयास किया है और इस तरह डिस्ट्रिक्ट की मुख्य धारा में वापस लौटने व शामिल होने की कोशिश की है । डिस्ट्रिक्ट की मुख्य धारा की बागडोर चूँकि धीरे धीरे विरोधी खेमे के हाथ आती हुई दिख रही है, इसलिए राजा साबू ने भी जैसे समझ लिया है कि विरोधी खेमे के नेताओं से वह यदि तालमेल नहीं बनायेंगे तो डिस्ट्रिक्ट में फिर वह नहीं पूछे जायेंगे । डिस्ट्रिक्ट में उनकी पूछ बनी रहे और वह लोगों के बीच 'दिखते' रहें, इसके लिए उन्होंने विरोधी खेमे में अपनी जगह देखना और बनाना शुरू कर दिया है - और इसके लिए राजा साबू ने जितेंद्र ढींगरा का हाथ पकड़ा है । राजा साबू के नजदीकियों के अनुसार, राजा साबू को यह उन्हें यह देख कर राहत मिली है कि जितेंद्र ढींगरा की तरफ से भी उन्हें सकारात्मक प्रतिक्रिया मिली है । जितेंद्र ढींगरा के गवर्नर-वर्ष में पूर्व गवर्नर मनमोहन सिंह के डिस्ट्रिक्ट ट्रेनर बनने में भी राजा साबू के 'फायदे' को देखा जा रहा है । मजे की बात यह है कि जितेंद्र ढींगरा के कई नजदीकी मनमोहन सिंह को राजा साबू के 'आदमी' के रूप में ही देखते/पहचानते हैं । राजा साबू के लिए सारी स्थितियाँ तो अनुकूल बन रही हैं पर जैसे रस्सी जल जाने के बाद भी अपनी ऐंठन नहीं छोड़ती है, उसी तर्ज पर राजा साबू भी टीके रुबी के प्रति अपनी खुन्नस छोड़ते हुए नहीं दिख रहे हैं - और इसी खुन्नस में वह टीके रुबी के डीआरएफसी बनने में बाधा खड़ी करने के प्रयासों में लगे हैं ।
राजा साबू के नजदीकियों का कहना/बताना है कि टीके रुबी ने पिछले रोटरी वर्ष में डिस्ट्रिक्ट गवर्नर के रूप में हिसाब-किताब में जो पारदर्शिता रखी/अपनाई थी, तथा डिस्ट्रिक्ट के विभिन्न ट्रस्ट्स के हिसाब-किताब को नियमित करने का जो प्रयास किया था - उसे देख कर राजा साबू को डर है कि टीके रुबी के डीआरएफसी बनने पर राजा साबू के लिए मेडीकल मिशन के नाम पर राजनीति व 'धंधा' करने का अभियान चौपट हो जायेगा । इसलिए वह किसी भी तरह से टीके रुबी को डीआरएफसी बनने से रोकना चाहते हैं; और इसके लिए वह तरह तरह से जितेंद्र ढींगरा को इशारे दे चुके हैं । राजा साबू का 'काम' करने का 'ढंग' बहुत अनोखा रहा है, वह सिर्फ इशारों पर अपने काम करवाते रहे हैं । राजा साबू की बातें सुनों तो ऐसा लगेगा कि उनसे बड़ा संत दुनिया में दूसरा कोई नहीं होगा; लेकिन डिस्ट्रिक्ट की हर छोटी/बड़ी घटना/दुर्घटना के पीछे उन्हीं को देखा/पहचाना जाता है । दरअसल पिछले वर्षों में डिस्ट्रिक्ट में जो भारी उठापटक हुई, उसे उनकी ही हरकतों के 'घड़ा भरने' के नतीजे के रूप में देखा/समझा गया - और उसके चलते डिस्ट्रिक्ट में ही नहीं, बल्कि रोटरी जगत में भी उनकी ही फजीहत हुई । डिस्ट्रिक्ट गवर्नर इलेक्ट जितेंद्र ढींगरा के जरिये राजा साबू ने डिस्ट्रिक्ट में गड़बड़ाई अपनी स्थिति को सँभालने की जो कोशिश की है, उसे कामयाबी तो मिलती दिख रही है - लेकिन पहले जैसी स्थिति पा लेने की उनकी आकाँक्षा पूरी होती नहीं दिख रही है । जितेंद्र ढींगरा उनकी बातों को तवज्जो देते हुए भले ही नजर आ रहे हों, लेकिन टीके रुबी के मामले में वह राजा साबू की 'इच्छा' को पूरा करेंगे - इसकी कोई सूरत अभी तो नहीं दिख रही है । डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी पद के चुनाव में सौदेबाजी करने की कोशिश के जरिये राजा साबू हालाँकि जितेंद्र ढींगरा को फाँसने का प्रयास कर रहे हैं, लेकिन लगता नहीं है कि उक्त चुनाव में सौदेबाजी करने के लिए राजा साबू के पास कुछ है - जिसके दबाव में जितेंद्र ढींगरा दबेंगे/झुकेंगे ।
'मिशन ताईपाई 2021' में कोऑर्डीनेटर बनाये जाने से रोटरी में टीके रुबी का कद जिस तरह से बढ़ा है, उससे राजा साबू का 'उद्देश्य' और संकट में पड़ा है । उल्लेखनीय है कि 'मिशन ताईपाई 2021' को इंटरनेशनल प्रेसीडेंट नॉमिनी सुशील गुप्ता के ड्रीम प्रोजेक्ट के रूप में देखा/पहचाना जा रहा है, जिसका लक्ष्य मार्च 2021 से पहले देश के दस हजार गाँव के लोगों को अँधत्व से मुक्ति दिलवाना है । इतने महत्त्व के प्रोजेक्ट में सुशील गुप्ता द्वारा टीके रुबी को कोऑर्डीनेटर के रूप में चुनने को इस तथ्य के संकेत व सुबूत के रूप में देखा/पहचाना जा रहा है कि टीके रुबी की रोटरी में संलग्नता तथा काम करने की उनकी क्षमता ने सुशील गुप्ता को गहरे से प्रभावित किया है । सुशील गुप्ता के इस चयन ने टीके रुबी की पहचान को डिस्ट्रिक्ट में भी महत्त्वपूर्ण बना दिया है । कुछेक लोगों को टीके रुबी को कोऑर्डीनेटर चुनने/बनाने में सुशील गुप्ता की राजनीति भी नजर आ रही है, जिसमें राजा साबू पर फंदा कसने का उद्देश्य छिपा पहचाना जा रहा है । डिस्ट्रिक्ट में लोगों को लग/'दिख' रहा है कि ऐसे में, जितेंद्र ढींगरा और टीके रुबी के बीच फूट डाल कर और जितेंद्र ढींगरा को अपनी तरफ मिला कर टीके रुबी को अलग-थलग करने की राजा साबू की योजना फलीभूत होना मुश्किल ही है । राजा साबू के लिए मुसीबत की बात दरअसल यह हो गई है कि जितेंद्र ढींगरा व टीके रुबी की मिलीजुली रणनीति ने उनके 'शूटर' के रूप में देखे/पहचाने जाने वाले यशपाल दास, रंजीत भाटिया, मधुकर मल्होत्रा, शाजु पीटर आदि को पूरी तरह निष्प्रभावी बना दिया है - इसलिए राजा साबू के लिए अपनी किसी योजना को क्रियान्वित कर/करवा पाना मुश्किल ही है; और यही तथ्य टीके रुबी को डीआरएफसी बनने से रोकने की उनकी योजना को फेल करता नजर आ रहा है ।