Thursday, December 13, 2018

रोटरी इंटरनेशनल डिस्ट्रिक्ट 3011 और इसके तीन पूर्व गवर्नर्स पर इंटरनेशनल बोर्ड द्वारा लगाए गए 'चुनावी अपराधी' होने के आरोप को रद्द करने/करवाने में इंटरनेशनल प्रेसीडेंट नॉमिनी के रूप में सुशील गुप्ता सचमुच कोई प्रयास करेंगे क्या ?

नई दिल्ली । इंटरनेशनल प्रेसीडेंट नॉमिनी सुशील गुप्ता रोटरी इंटरनेशनल से जुड़े अदालती मामलों को खत्म करवाने के अभियान में तो सफल हो रहे हैं, लेकिन अपने ही डिस्ट्रिक्ट और उसके तीन पूर्व गवर्नर्स को रोटरी इंटरनेशनल बोर्ड द्वारा 'चुनावी अपराधी' घोषित किए जाने के 'आरोप' से मुक्त करवा पाने का मामला उनके लिए भारी चुनौती बना हुआ है । उल्लेखनीय है कि मौजूदा इंटरनेशनल डायरेक्टर बासकर चॉकलिंगम डिस्ट्रिक्ट 3100 से जुड़े जिन अदालती मामलों को वापस करवाने के लिए जी-जान से लगे रहने के बावजूद कामयाब नहीं हो पा रहे थे, उन्हें सुशील गुप्ता ने तत्काल प्रभाव से वापस करवा दिया है । दरअसल सुशील गुप्ता का प्रयास है कि रोटरी इंटरनेशनल में जिस समय वह सर्वोच्च पद पर हों, उस समय उनके अपने देश में रोटरी इंटरनेशनल के लिए फजीहत खड़ी करने वाला कोई काम न हो । इसी प्रयास के तहत सबसे पहले तो उन्होंने रोटरी इंटरनेशनल को अदालती मामलों में घसीटे जाने की कार्रवाईयों को थामने पर ध्यान दिया, और इस मामले में डिस्ट्रिक्ट 3100 के झगड़े को निपटाने में बड़ी सफलता प्राप्त की । सुशील गुप्ता के इस प्रयास को और इस प्रयास में मिल रही उनकी कामयाबी को देखते हुए उनके अपने डिस्ट्रिक्ट - डिस्ट्रिक्ट 3011 में डिस्ट्रिक्ट और उसके तीन पूर्व गवर्नर्स पर रोटरी इंटरनेशनल बोर्ड द्वारा लगाए गए 'चुनावी अपराधी' के दाग को धोने के लिए भी सक्रिय होने तथा कुछ करने की माँग उठने लगी है । उल्लेखनीय है कि तीन वर्ष पहले डिस्ट्रिक्ट 3011 में हुए डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी पद के चुनाव में दीपक तलवार, सुशील खुराना व विनोद बंसल की मिलीभगत से हुई बेईमानी का संज्ञान लेते हुए रोटरी इंटरनेशनल बोर्ड ने बहुत ही सख्त टिप्पणी की थी, और इन तीनों पूर्व गवर्नर्स को 'दोषी' ठहराते हुए चेतावनी दी थी कि लिखित शिकायत न मिलने के कारण बोर्ड अभी तो कोई कार्रवाई नहीं कर रहा है, लेकिन भविष्य में यदि ऐसी कोई घटना हुई और शिकायत मिली तो डिस्ट्रिक्ट को तथा घटना में शामिल लोगों को बख्शा नहीं जायेगा । उक्त चुनाव में बेईमानी करके मौजूदा डिस्ट्रिक्ट गवर्नर विनय भाटिया को चुनाव जितवाया गया था । 
रोटरी इंटरनेशनल बोर्ड का उक्त फैसला डिस्ट्रिक्ट 3011 पर वास्तव में एक कलंक की तरह है । इंटरनेशनल बोर्ड के उस फैसले को तत्कालीन इंटरनेशनल प्रेसीडेंट केआर रवींद्रन की खुराफाती हरकत के रूप में देखा/पहचाना गया था । याद रखने तथा गौर करने वाली बात यह है कि रोटरी इंटरनेशनल बोर्ड के उक्त फैसले का विरोध करते हुए डिस्ट्रिक्ट 3011 में काउंसिल ऑफ गवर्नर्स ने तुरंत बुलाई अपनी मीटिंग में एक प्रस्ताव पास किया था, जिसे उस समय भेजा इसलिए नहीं गया था क्योंकि केआर रवींद्रन के प्रेसीडेंट रहते काउंसिल ऑफ गवर्नर्स को न्याय मिलने की उम्मीद नहीं थी । उक्त मीटिंग में इस बात को बाकायदा रेखांकित किया गया कि रोटरी इंटरनेशनल बोर्ड ने डिस्ट्रिक्ट 3011 के खिलाफ जो फैसला दिया है, वह चूँकि इंटरनेशनल प्रेसीडेंट केआर रवींद्रन की खुराफाती सोच का नतीजा है - इसलिए उनके प्रेसीडेंट रहते विरोध प्रस्ताव भेजने का कोई फायदा नहीं होगा, इसलिए विरोध प्रस्ताव भेजने के लिए केआर रवींद्रन का कार्यकाल पूरा हो जाने तक इंतजार किया जाए । 30 जून को केआर रवींद्रन का प्रेसीडेंट-काल तो पूरा गया, लेकिन डिस्ट्रिक्ट 3011 तथा इसके 'आरोपी' पूर्व गवर्नर्स के लिए मुसीबत की बात यह रही कि केआर रवींद्रन दक्षिण एशिया में रोटरी के झगड़ों/मामलों को देखने के इंचार्ज बना दिए गए । इस कारण डिस्ट्रिक्ट 3011 तथा उसके आरोपी पूर्व डिस्ट्रिक्ट गवर्नर्स के लिए मामला जहाँ का तहाँ ही बना रह गया है, और इसके चलते काउंसिल ऑफ गवर्नर्स की मीटिंग में पास हुए विरोध प्रस्ताव को रोटरी इंटरनेशनल कार्यालय भेजने की बजाए धूल खाने के लिए छोड़ दिया गया । लेकिन अब जब सुशील गुप्ता इंटरनेशनल प्रेसीडेंट नॉमिनी हो गए हैं, तब डिस्ट्रिक्ट में लोगों को उम्मीद बँधी है कि अब सुशील गुप्ता ही इंटरनेशनल बोर्ड के उस फैसले को रद्द करवायेंगे तथा डिस्ट्रिक्ट व तीनों पूर्व गवर्नर्स को 'चुनावी अपराधी' के कलंक से मुक्ति दिलवायेंगे । इस मामले में सबसे ज्यादा उत्सुक व सक्रिय विनोद बंसल बताए/सुने जा रहे हैं । 
विनोद बंसल दरअसल इंटरनेशनल डायरेक्टर पद के लिए उम्मीदवार बनने की तैयारी कर रहे हैं; जिस कारण उन्हें लगता है कि इंटरनेशनल बोर्ड के फैसले में दर्ज 'आरोप' कहीं उनके लिए समस्या न खड़ी करे - इसलिए उक्त आरोप से मुक्त हो लेने में ही भलाई है । विनोद बंसल की चूँकि सुशील गुप्ता के साथ अच्छी ट्यूनिंग भी बताई/सुनी जाती है, इसलिए लोगों को लग रहा है कि विनोद बंसल की कोशिश कुछ ज्यादा है कि सुशील गुप्ता उक्त मामले में दिलचस्पी लें - और इंटरनेशनल बोर्ड के उक्त फैसले को रद्द करवाएँ । मजे की बात यह है कि रोटरी इंटरनेशनल बोर्ड के उक्त फैसले से सबक किसी ने भी नहीं लिया और डिस्ट्रिक्ट की चुनावी राजनीति में स्थितियाँ जस की तस जैसी ही बनी रही हैं । हद की बात यह तक रही कि पप्पूजीत सिंह सरना के मामले में इंटरनेशनल बोर्ड के उक्त फैसले का पालन नहीं किया गया । उल्लेखनीय है कि उक्त फैसले में तीन पूर्व गवर्नर्स के अलावा पप्पूजीत सिंह सरना की भूमिका की आलोचना की गई थी, और साफ फैसला सुनाया गया था कि भविष्य में पप्पूजीत सिंह सरना को डिस्ट्रिक्ट में कोई महत्त्वपूर्ण जिम्मेदारी न दी जाए । इसके बावजूद, मौजूदा रोटरी वर्ष में पप्पूजीत सिंह सरना को महत्त्वपूर्ण भूमिका मिली । इसमें डिस्ट्रिक्ट गवर्नर के रूप में विनय भाटिया की अहसान चुकाने वाली भूमिका को यदि अनदेखा भी कर दें, तो डिस्ट्रिक्ट ट्रेनर के रूप में विनोद बंसल की भूमिका सवालों के घेरे में है - उन्होंने आखिर किस मजबूरी में पप्पूजीत सिंह सरना के मामले में रोटरी इंटरनेशनल बोर्ड के फैसले का उल्लंघन होने दिया ? गौर करने वाला तथ्य यह भी है कि इस वर्ष हुए डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी पद के चुनाव में एक प्रेसीडेंट को अपह्यत करके उसका वोट डलवाने का जो किस्सा सामने आया था, उसके 'संयोजक' के रूप में पप्पूजीत सिंह सरना के नाम की ही चर्चा रही है । ऐसे में, यह देखना सचमुच दिलचस्प होगा कि तीन वर्ष पहले के इंटरनेशनल बोर्ड के जिस फैसले से डिस्ट्रिक्ट 3011 में कोई सबक नहीं लिया गया, उस फैसले को रद्द करवा कर डिस्ट्रिक्ट तथा उसके तीन पूर्व गवर्नर्स को 'आरोप'मुक्त करवाने के लिए सुशील गुप्ता क्या करते हैं ?