Wednesday, December 14, 2016

पुणे में चार्टर्ड एकाउंटेंट की कोचिंग के धंधे में अभिषेक जावरे की बढ़ती पहचान और लोकप्रियता हजम न कर पाने के कारण ही एसबी जावरे ने उन्हें जावरे एकेडमी से निकाला है क्या ?

पुणे । जावरे प्रोफेशनल एकेडमी में एसबी जावरे की मनमानी और फैकल्टी सदस्यों के साथ हिसाब-किताब की गड़बड़ी का शिकार अंततः अभिषेक जावरे को भी होना पड़ा है । उल्लेखनीय है कि अभिषेक जावरे फैकल्टी सदस्य होने के साथ-साथ एकेडमी का प्रबंधन भी देख रहे थे और रिश्ते में एसबी जावरे के सगे भतीजे हैं - इसके बावजूद वह एसबी जावरे की बेईमानीपूर्ण टैक्टिस का शिकार होने से नहीं बच सके । नियति का क्रूर मजाक यह हुआ है कि अभिषेक जावरे अभी तक एसबी जावरे की बेईमानीपूर्ण टैक्टिस को क्रियान्वित करने का माध्यम हुआ करते थे, और पिछले कुछेक वर्षों में एसबी जावरे ने एकेडमी की जिन फैकल्टीज को अपनी टैक्टिस का शिकार बनाया है - उन्हें अंजाम तक पहुँचाने का काम अभिषेक जावरे ने ही किया है; उन्होंने कभी सोचा भी नहीं होगा कि एसबी जावरे की जिस टैक्टिस को सफलता के साथ वह अंजाम तक पहुँचाने का काम करते हैं, एक दिन एसबी जावरे की उसी टैक्टिस का शिकार वह खुद भी होंगे ।
एसबी जावरे की टैक्टिस बड़ी सीधी सी है : जावरे एकेडमी में फैकल्टी से वह जीतोड़ काम लेते हैं, इसके लिए फैकल्टी को राजी करने के लिए वह उसे आकर्षक ऑफर देते हैं - जिसमें दो-तीन तरह से पैसा दिए जाने की बात होती है । कुछ पैसा हर माह दिया जाता है, और कुछ पैसा उनके हिसाब में जुड़ते जाने की बात होती है । कुछ समय बाद जब फैकल्टी को समझ में आता है कि जावरे सर तो न सिर्फ उसका शोषण कर रहे हैं, बल्कि मौके-बेमौके उसे अपमानित भी करते रहते हैं - तो वह जावरे एकेडमी छोड़ने की तैयारी करता है । इस तैयारी में उसे हिसाब में जुड़ती गई जो रकम मिलने की उम्मीद होती है, एसबी जावरे उसे नहीं देते हैं और अपने ही मनमाने हिसाब से उसे उसके पैसे देते हैं । पिछले वर्षों में जो लोग भी जावरे एकेडमी छोड़ कर गए हैं, प्रायः उन सभी का एसबी जावरे से पैसों को लेकर भारी झगड़ा हुआ है । झगड़े के बावजूद सभी को मिले उतने ही पैसे, जितने एसबी जावरे ने देना तय किया था । एसबी जावरे से उन्हें यह और सुनने को मिलता रहा कि तुम थे क्या ? जो तुम आज हो, मैंने तुम्हें बनाया है; मेरी बदौलत हो; आदि-इत्यादि । इस तरह की बातें सुनकर जावरे एकेडमी छोड़ कर जाने वाला फैकल्टी सदस्य बेचारा डर जाता है कि जावरे सर जो पैसे दे रहे हैं, कहीं वह भी 'क्या से क्या बना देने' की फीस के रूप में वापस न ले लें; सो जो मिल रहा होता है, उसे लेकर वह निकल लेता है । एसबी जावरे का यह फार्मूला बिलकुल हिट फार्मूला है, जिसके कई शिकारों में नया नाम अब - अभिषेक जावरे का भी जुड़ गया है । अभिषेक जावरे ने अपने नजदीकियों को जो बताया है, उसके अनुसार एसबी जावरे ने उनका करीब डेढ़ से दो करोड़ रुपया मार लिया है । 'तुम क्या थे' जैसी बातें तो अभिषेक जावरे को दूसरों से ज्यादा सुनने को मिली हैं । अभिषेक जावरे ने ही कुछेक लोगों को बताया है कि एसबी जावरे ने उन्हें परिवार व खानदान के लोगों के बीच बेतरह अपमानित और जलील किया है ।
यह सच है कि अभिषेक जावरे जब जावरे प्रोफेशनल एकेडमी में आए थे, तब वह 'वह' नहीं थे, जो आज हैं । एसबी जावरे अगर यह कहना/बताना चाहते हैं कि उस समय अभिषेक जावरे 'कुछ' नहीं थे, तो इसे भी सच मान लेते हैं । किंतु सच यह भी है कि जावरे प्रोफेशनल एकेडमी भी तब वह नहीं थी, जो वह आज है । पुणे में चार्टर्ड एकाउंटेंट की कोचिंग के धंधे से जुड़े लोगों का मानना और कहना है कि जावरे प्रोफेशनल एकेडमी ने पिछले छह-सात वर्षों में तरक्की की जो ऊँची छलाँग लगाई है, वह अभिषेक जावरे की अथक मेहनत तथा दूरदृष्टि का नतीजा है । इसी वर्ष सुबोध शाह की एकेडमी के साथ गठबंधन करके जावरे एकेडमी ने अपना जो विस्तार किया है, वह पूरी तरह से अभिषेक जावरे के दिमाग की ही उपज है । एसबी जावरे तो इस गठबंधन के लिए तैयार ही नहीं थे, अभिषेक जावरे ने बहुत मुश्किल से उन्हें इसके लिए राजी किया था । इस गठबंधन को लेकिन जब जोरदार सफलता मिली, एसबी जावरे तब उसका श्रेय लेने के लिए जरूर आगे आ गए । पुणे में चार्टर्ड एकाउंटेंट की कोचिंग के धंधे से जुड़े लोगों का कहना है कि जावरे एकेडमी के कारण यदि अभिषेक जावरे ने पुणे में अपनी पहचान बनाई है, तो उनके कारण जावरे एकेडमी ने भी सफलता की सीढ़ियां तेजी से चढ़ी हैं ।
उल्लेखनीय है कि एसबी जावरे तो पिछले सात-आठ वर्षों से चार्टर्ड एकाउंटेंट इंस्टीट्यूट की सेंट्रल काउंसिल के चुनावों में और उसकी कार्रवाइयों में व्यस्त रहे हैं, जिस कारण उनकी एकेडमी में कोई सक्रियता तो क्या, उपस्थिति तक नहीं रही । इंस्टीट्यूट की सेंट्रल काउंसिल में व्यस्तता के चलते उन्होंने पिछले सात-आठ वर्षों में एकेडमी में शायद ही कोई क्लास ली हो । इंस्टीट्यूट की सेंट्रल काउंसिल की उनकी सदस्यता के चलते एकेडमी को उलटे नुकसान और उठाना पड़ा है, जब अक्टूबर 2011 में कॉन्फ्लिक्ट ऑफ इंटरेस्ट के आरोप के चलते पुणे ब्रांच से मिला एक कॉन्ट्रेक्ट एकेडमी से छिन गया था और एकेडमी को एक बड़ी रकम से हाथ धोना पड़ा था । यानि इंस्टीट्यूट की सेंट्रल काउंसिल में अपनी सक्रियता के चलते एसबी जावरे एकेडमी में कोई भी भूमिका तो नहीं ही निभा पा रहे थे, उलटे एकेडमी को तरह तरह से नुकसान और पहुँचवा रहे थे । इसके बावजूद जावरे एकेडमी सफलता की सीढ़ियाँ चढ़ती जा रही थी और उसकी कमाई भी बढ़ रही थी - तो इसका एक बड़ा श्रेय अभिषेक जावरे के खाते में जुड़ रहा था ।
समझा जा रहा है कि अभिषेक जावरे की बढ़ती पहचान और कामयाबी को देख कर एसबी जावरे को उनसे जलन होने लगी, और उनकी यही जलन जावरे एकेडमी से अभिषेक जावरे के बाहर होने का कारण बनी । दरअसल किसी के लिए भी यह समझना मुश्किल बना हुआ है कि अभिषेक जावरे की देखरेख में जावरे एकेडमी जब अच्छे से काम कर रही थी और तमाम प्रतिकूल स्थितियों के बावजूद लगातार तरक्की कर रही थी; एसबी जावरे को बिना कुछ किए-धरे ही एकेडमी की कमाई में हिस्सा मिल रहा था, तब फिर ऐसा आखिर क्या हुआ कि चचा एसबी जावरे को अपने भतीजे अभिषेक जावरे को एकेडमी से बाहर निकालना पड़ा । इस बारे में न तो एसबी जावरे ने और न अभिषेक जावरे ने ही अपने अपने नजदीकियों से ज्यादा कुछ कहा/बताया है; किंतु दोनों के नजदीकियों के जरिए जो जो बातें सामने आई हैं, उनसे ही लोगों ने अनुमान लगाया है कि पुणे में चार्टर्ड एकाउंटेंट की कोचिंग के धंधे में अभिषेक जावरे की बढ़ती पहचान और लोकप्रियता एसबी जावरे को हजम नहीं हो पाई है । एसबी जावरे को यह बात तो बिलकुल ही पसंद नहीं आई कि पुणे में जावरे एकेडमी को अभिषेक जावरे की एकेडमी के रूप में देखा/पहचाना जाने लगे । सुना जाता है कि अभिषेक जावरे की सफलता से चिढ़ने वाले अन्य कुछेक लोगों ने एसबी जावरे को भड़काया भी कि कहीं ऐसा न हो कि जावरे एकेडमी पर अभिषेक कब्ज़ा कर लें । ऐसी ही परिस्थितियों और मनःस्थिति में एसबी जावरे ने तरह तरह से अभिषेक जावरे पर दबाव बनाने के लिए उनके काम में हस्तक्षेप करने तथा उनके फैसलों की आलोचना करने के रूप में उनको अपमानित करना शुरू किया । पिछले कुछेक महीनों में घटी घटनाओं से अभिषेक जावरे ने भी भाँप लिया कि चाचा जी उन्हें अब जावरे एकेडमी से निकालने की तैयारी कर रहे हैं ।
एसबी जावरे की बनाई और खासी सफलतापूर्वक आजमाई गई टैक्टिस के चलते अभिषेक जावरे के लिए जावरे एकेडमी से निकलना भी उतना ही मुश्किलों भरा होगा, जितना कि वह पिछले वर्षों में दूसरों के लिए रहा है - अभिषेक जावरे ने यह नहीं सोचा था । अभिषेक जावरे ने अपने पैसों का जो हिसाब बनाया, एसबी जावरे ने उस पर बड़ा बबाल खड़ा किया । नौबत मामले के परिवार व खानदान के सदस्यों के बीच पहुँचने की आ गई । परिवार व खानदान के सदस्यों के बीच एसबी जावरे ने अभिषेक जावरे की बुरी तरह से फजीहत की । अभिषेक जावरे ने भी समझ लिया कि एसबी जावरे ने एकेडमी से निकलने वाले दूसरे लोगों को जिस तरह से पूरा पैसा नहीं दिया है, उसी तर्ज पर वह उन्हें भी अपने ही हिसाब से पैसा देंगे । दूसरे लोगों की तरह अभिषेक जावरे ने भी एसबी जावरे के हिसाब से दिए जा रहे पैसे को लिया और जावरे एकेडमी से बाहर का रास्ता पकड़ा ।