Monday, December 12, 2016

रोटरी इंटरनेशनल डिस्ट्रिक्ट 3012 में चल रहे नोएडा रोटरी ब्लड बैंक की कमाई पर पड़ रहे 'डाके' का रोटरी के बड़े नेता संज्ञान लेकर दुबई रोटरी जोन इंस्टीट्यूट में गवर्नर इलेक्ट सतीश सिंघल को ईमानदारी बरतने का पाठ पढ़ायेंगे क्या ?

दुबई । दुबई में हो रहे रोटरी जोन इंस्टीट्यूट में ट्रेनिंग के लिए पहुँचे डिस्ट्रिक्ट 3012 के गवर्नर इलेक्ट सतीश सिंघल को यहाँ क्या अपने नियंत्रण में चलने वाले नोएडा रोटरी ब्लड बैंक को ईमानदारी, पारदर्शिता और प्रभावी तरीके से चलाने की ट्रेनिंग भी मिलेगी ? सतीश सिंघल दरअसल अपने इस ब्लड बैंक की कमाई को लेकर गंभीर आरोपों के घेरे में हैं; अब जब वह डिस्ट्रिक्ट गवर्नर बनने जा रहे हैं - तो कयास लगाया जा रहा है कि उक्त आरोपों में अच्छे/बुरे कारणों से और तेजी आयेगी, जो खुद उनके लिए, डिस्ट्रिक्ट के लिए तथा रोटरी के लिए बदनामी का सबब बनेंगे । नोएडा रोटरी ब्लड बैंक के मैनेजिंग ट्रस्टी के रूप में सतीश सिंघल पर गंभीर वित्तीय आरोपों से चूँकि रोटरी के कई बड़े नेता भी परिचित हैं; और समय समय पर उक्त आरोपों के कारण रोटरी की होने वाली बदनामी के प्रति वह चिंता भी व्यक्त करते रहे हैं - इसलिए अनुमान लगाया जा रहा है कि दुबई में रोटरी इंस्टीट्यूट में जब रोटरी के सभी बड़े नेता और पदाधिकारी उपस्थित होंगे, तो वह सतीश सिंघल को इस तथ्य से भी अवगत करायेंगे कि डिस्ट्रिक्ट गवर्नर के पद पर होने के कारण उन्हें अपनी नहीं तो कम से कम रोटरी की साख, विश्वसनीयता व प्रतिष्ठा का ख्याल तो करना ही चाहिए । उल्लेखनीय है कि नोएडा रोटरी ब्लड बैंक की आधारशिला 20 मई 2007 को पूर्व इंटरनेशनल डायरेक्टर सुदर्शन अग्रवाल ने रखी थी, तथा इसका विधिवत उद्घाटन 26 दिसंबर 2011 को तत्कालीन इंटरनेशनल प्रेसीडेंट कल्याण बनर्जी ने किया था । इस नाते से इसे लेकर लगने वाले आरोप रोटरी तथा इसके बड़े पदाधिकारियों के लिए भी खासे बदनामी भरे हो जाते हैं । समझा जाता है कि आरोपी स्थितियों पर यदि लगाम नहीं लगाई गई तो रोटरी के प्रोजेक्ट्स पर से लोगों का भरोसा उठ जायेगा - और यह रोटरी की पूरी अवधारणा के लिए मुसीबत भरा साबित होगा ।
नोएडा रोटरी ब्लड बैंक के मैनेजिंग ट्रस्टी के रूप में सतीश सिंघल की भूमिका पर आरोपों को विश्वसनीय बनाने का काम दरअसल दिल्ली स्थित रोटरी ब्लड बैंक के मुख्य कर्ता-धर्ता के रूप में पूर्व डिस्ट्रिक्ट गवर्नर विनोद बंसल की उपलब्धियों ने किया है । उल्लेखनीय है कि विनोद बंसल की देखरेख में चल रहे दिल्ली स्थित रोटरी ब्लड बैंक में प्रति माह करीब 2500 यूनिट ब्लड की बिक्री करके 15 से 20 लाख रुपए का लाभ दर्ज किया जा रहा है, जबकि सतीश सिंघल नोएडा रोटरी ब्लड बैंक में प्रति माह करीब 2500 यूनिट ब्लड की बिक्री से कुल करीब 34/35 हजार रुपए का ही लाभ 'बताते' हैं । जिन लोगों को दोनों ब्लड बैंक के हिसाब का पता चला, उनके लिए हैरानी की बात यह हुई कि दिल्ली वाला ब्लड बैंक ढाई हजार के करीब यूनिट बेच कर जब 15 से 20 लाख रुपए के करीब का लाभ कमा लेता है, तो सतीश सिंघल की देखरेख में चलने वाले ब्लड बैंक की कमाई उतने ही यूनिट ब्लड बेचने के बाद 34/35 हजार रुपए के करीब पर ही क्यों ठहर जाती है ? यहाँ नोट करने की बात यह भी है कि दिल्ली वाला ब्लड बैंक बड़ा है, और इसलिए उसके खर्चे भी ज्यादा हैं; ब्लड के विभिन्न कंपोनेंट्स के दाम बिलकुल बराबर हैं - बल्कि एक कंपोनेंट के दाम सतीश सिंघल के ब्लड बैंक में कुछ ज्यादा ही बसूले जाते हैं । इस लिहाज से सतीश सिंघल की देखरेख में चलने वाले नोएडा रोटरी ब्लड बैंक का लाभ तो और भी ज्यादा होना चाहिए । लाभ के इस भीषण अंतर ने ब्लड बैंक के कर्ता-धर्ता के रूप में सतीश सिंघल की भूमिका को न सिर्फ संदेहास्पद बना दिया है, बल्कि गंभीर वित्तीय आरोपों के घेरे में भी ला दिया है ।
सतीश सिंघल का अपना व्यवहार व रवैया भी उनकी भूमिका के प्रति संदेह व आरोपों को विश्वसनीय बनाने का काम करता है । नोएडा रोटरी ब्लड बैंक के ट्रस्टी अक्सर शिकायत करते सुने गए हैं कि सतीश सिंघल ब्लड बैंक का हिसाब-किताब देने/बताने में हमेशा आनाकानी करते हैं, और पूछे जाने पर नाराजगी दिखाने लगते हैं । सतीश सिंघल अपना पूरा समय ब्लड बैंक में ही बिताते हैं, जिससे लगता है कि उनके पास और कोई कामधंधा नहीं है । सतीश सिंघल के इसी व्यवहार व रवैये से लोगों को यह लगता रहा है कि रोटरी ब्लड बैंक को उन्होंने अपनी कमाई का जरिया बना लिया है । ब्लड बैंक के कुछेक ट्रस्टी यह कहते सुने जाते रहे हैं कि सतीश सिंघल का कामकाज पूरी तरह चौपट हो गया है, और पिछले वर्षों में उन्हें काफी वित्तीय मुसीबतों का सामना करना पड़ा है । अपनी मुसीबतों से पार पाने के लिए वह पंडितों की शरण में भी गए; और किसी पंडित के सुझाव पर ही उन्होंने अपने नाम की स्पेलिंग में एक अतिरिक्त 'टी' और जोड़ा । सतीश को अंग्रेजी में जितने भी तरीके से लिखा जाता है, उसकी स्पेलिंग में एक ही 'टी' आता है; किंतु सतीश सिंघल खुद जब अपना नाम लिखते हैं, तो उसमें दो 'टी' लगाते हैं । अब सतीश सिंघल अपने नाम की स्पेलिंग में 'टी' एक बार की बजाए दो बार लिखें, या दस बार लिखें - किसी को क्या फर्क पड़ना चाहिए ? फर्क तो कुछ नहीं पड़ता है, दूसरों को लेकिन अजीब जरूर लगता है - और जब अजीब लगता है, तो फिर सवाल उठते हैं; सवाल उठते हैं, और उचित तरीके से जब उनके जबाव नहीं मिलते हैं तो लोग अपने अपने तरीके से उनके जबाव खोज लेते हैं । इस मामले में भी यही हुआ । यह तो नहीं पता कि सतीश सिंघल ने खुद बताया या लोगों ने अपने प्रयासों से जान लिया कि नाम में दो 'टी' लगाने का सुझाव किसी पंडित ने उन्हें दिया था और आश्वस्त किया था कि ऐसा करने से उनका कामधंधा फिर से चमक उठेगा । उनका कामधंधा फिर से पटरी पर लौटा या नहीं, यह तो सतीश सिंघल को ही पता होगा - लोगों को तो सिर्फ यह पता है कि पिछले कुछेक वर्षों से सतीश सिंघल अपना सारा समय ब्लड बैंक को ही देते हैं, और ब्लड बैंक का हिसाब-किताब पूछने पर बुरी तरह भड़क जाते हैं ।
सतीश सिंघल के इस व्यवहार और रवैये से लोगों को यह तो लगता रहा है कि सतीश सिंघल ब्लड बैंक में ऐसा कुछ करते हैं, जिसे दूसरों से छिपाकर रखना चाहते हैं । ब्लड बैंक के कुछेक ट्रस्टियों का ही आरोप भी रहा कि सतीश सिंघल ब्लड बैंक को अपने निजी संस्थान के रूप में इस्तेमाल करते हैं, और उसकी कमाई हड़प जाते हैं । सतीश सिंघल हालाँकि कई बार घाटे का रोना रोते हुए भी सुने गए हैं । तमाम तरह की बातों व आरोपों के बावजूद नोएडा रोटरी ब्लड बैंक में सतीश सिंघल का किया-धरा ज्यादा बबाल का कारण नहीं बना । किंतु अब जब दिल्ली स्थित रोटरी ब्लड बैंक के लाभ के तथ्य सामने आ रहे हैं, तो लोगों को हैरानी हो रही है कि सतीश सिंघल नोएडा ब्लड बैंक की आड़ में कर क्या रहे हैं ? कुछेक लोग हालाँकि सतीश सिंघल को संदेह का लाभ देना चाहते हैं - उनका कहना है कि सतीश सिंघल अगले रोटरी वर्ष में डिस्ट्रिक्ट गवर्नर के पद पर होंगे, इसलिए ब्लड बैंक की आड़ में मोटी कमाई करने के आरोपों के चलते उनके साथ-साथ डिस्ट्रिक्ट की भी बदनामी होगी; इसलिए इस मामले में उनका पक्ष भी सुना जाना चाहिए । ऐसे लोगों का कहना है कि यह ठीक है कि अभी तक सतीश सिंघल हिसाब-किताब माँगने पर भड़क उठते रहे हैं, लेकिन अब जब दिल्ली के रोटरी ब्लड बैंक के लाभ के आँकड़े आने पर मामला गंभीर हो गया है - तो उम्मीद की जानी चाहिए कि सतीश सिंघल भी इस गंभीरता को समझेंगे, तथा भड़कने की बजाए नोएडा ब्लड बैंक के हिसाब-किताब को पारदर्शी बनायेंगे । सतीश सिंघल चूँकि अपनी तरफ से ऐसा कुछ करते हुए दिख नहीं रहे हैं - इसलिए जरूरी लग रहा है कि रोटरी के बड़े नेता और पदाधिकारी इस मामले में खुद से संज्ञान लें । इसी जरूरत को देखते हुए उम्मीद की जा रही है कि दुबई में हो रहे रोटरी जोन इंस्टीट्यूट में रोटरी के बड़े नेता और पदाधिकारी सतीश सिंघल को ईमानदारी बरतने का पाठ पढ़ायेंगे ।
लोगों का कहना है कि नोएडा रोटरी ब्लड बैंक डिस्ट्रिक्ट 3012 के साथ-साथ रोटरी की भी मुख्य पहचान का एक संस्थान है : इसकी कमाई पर यदि सचमुच डाका पड़ रहा है, और या सचमुच उचित तरीके से इसमें कमाई का हिसाब-किताब नहीं रखा जा रहा है - तो यह सभी के लिए चिंता की बात होना चाहिए; इसके कर्ता-धर्ता का पद सँभाले बैठे सतीश सिंघल के लिए तो यह और भी ज्यादा चिंता की बात होना चाहिए । उनकी तमाम मेहनत के बाद भी नोएडा रोटरी ब्लड बैंक में कमाई का वास्तविक आँकड़ा यदि सचमुच वही है, जो वह बता रहे हैं - तो उन्हें खुद भी देखना चाहिए कि उनके जितना यूनिट ब्लड बेच कर दिल्ली वाला ब्लड बैंक उनके मुकाबले पचास गुना लाभ आखिर कैसे कमा पा रहा है ?