Thursday, December 15, 2016

लायंस इंटरनेशनल डिस्ट्रिक्ट 321 सी वन के डिस्ट्रिक्ट गवर्नर शिव कुमार चौधरी के लिए लायंस इंटरनेशनल फाउंडेशन के ग्रांट कोऑर्डीनेटर से मिली लताड़ के बाद आपदा पीड़ितों की राहत के नाम पर हड़पी गई रकम को नरेश अग्रवाल की 'मदद' के बावजूद डकार पाना मुश्किल होगा

गाजियाबाद । आपदा पीड़ितों की मदद के नाम पर लायंस इंटरनेशनल फाउंडेशन से मिली पाँच हजार अमेरिकी डॉलर की ग्रांट को हड़पने की डिस्ट्रिक्ट गवर्नर शिव कुमार चौधरी की कोशिशों पर ग्रांट कोऑर्डीनेटर ने जो 'डंडा' चलाया है, उसने शिव कुमार चौधरी की कोशिशों को फेल करने का काम तो किया ही है - साथ ही यह भी स्पष्ट कर दिया है कि नरेश अग्रवाल और नेविल मेहता जैसे बड़े नेताओं ने भी उनकी 'मदद' से हाथ खींच लिए हैं । दरअसल शिव कुमार चौधरी को उम्मीद थी कि इन बड़े नेताओं की मेहरबानी से उन्होंने जैसे फर्जी तरीके से उक्त ग्रांट को स्वीकृत करा लिया है, वैसे ही वह इस ग्रांट का पैसा भी हड़प लेंगे । लेकिन लायंस इंटरनेशनल फाउंडेशन की ग्रांट कोऑर्डीनेटर की तरफ से उन्हें अभी जो धमकी भरा पत्र मिला है, उससे लग रहा है कि ग्रांट की रकम डकार पाना शिव कुमार चौधरी के लिए संभव नहीं होगा । उल्लेखनीय है कि ग्रांट कोऑर्डीनेटर ने शिव कुमार चौधरी को संबोधित पत्र में ग्रांट का हिसाब देने में आनाकानी करने की उनकी अभी तक की कोशिश पर तगड़ी लताड़ लगाते हुए, उन्हें 31 दिसंबर तक का समय देते हुए साफ चेतावनी दी है कि इस समय सीमा में उन्होंने यदि हिसाब नहीं दिया तो ग्रांट का पैसा वापस लेने की कार्रवाई शुरू की जाएगी ।
शिव कुमार चौधरी के लिए मुसीबत की बात यह है कि ग्रांट के पाँच हजार अमेरिकी डॉलर के समतुल्य तीन लाख चालीस हजार पचास रुपए उन्हें जो प्राप्त हुए हैं, उसके फर्जी खर्चे दिखाने का उन्हें कोई मौका नहीं मिल पाया है । उन्होंने ऋषिकेश के नजदीक नरेंद्रनगर में राहत सामग्री बाँटे जाने की जो फोटो तैयार की/करवाई भी, उसने उनके फर्जीवाड़े को पहली नजर में ही पकड़वा दिया है । शिव कुमार चौधरी ने धोखाधड़ी यह की कि इमरजेंसी ग्रांट तो उन्होंने पिथौरागढ़ व चमोली जिले के पीड़ितों के लिए ली, राहत सामग्री लेकिन उन्होंने इन जिलों से सैंकड़ों किलोमीटर दूर नरेंद्रनगर में बाँटी । तस्वीर में जो राहत सामग्री दिखी है, कोई भी उसका दाम तीस-चालीस हजार रुपए से ज्यादा नहीं बता रहा है । आपदा पीड़ितों की मदद के नाम पर की गई इस धोखाधड़ी के रंगे-हाथ पकड़े जाने के बाद शिव कुमार चौधरी की फिर और कोई हरकत करने की हिम्मत नहीं हुई ।
शिव कुमार चौधरी ने लेकिन यह हिम्मत खूब दिखाई कि लायंस इंटरनेशनल फाउंडेशन के ग्रांट का हिसाब देने के अनुरोधों को वह अनसुना करते रहें और कोई जबाव ही न दें । इस काम में उनकी बड़ी एक्सपर्टीज है । शिव कुमार चौधरी ने जिन जिन लोगों से पैसे ले रखे हैं, वह बेचारे अपने अपने पैसे वापस पाने के लिए गुहार लगाते रहते हैं - शिव कुमार चौधरी लेकिन उनकी सुनते ही नहीं हैं और उन्हें कोई जबाव ही नहीं देते । लायंस क्लब मसूरी के अध्यक्ष सतीश अग्रवाल जब तब सोशल मीडिया में शिव कुमार चौधरी से पैसे वापस करने का अनुरोध करते रहते हैं, लेकिन शिव कुमार चौधरी के कानों पर कभी जूँ रेंगती नहीं 'पाई' गई । शिव कुमार चौधरी ने यही फार्मूला लायंस इंटरनेशनल फाउंडेशन के साथ अपनाया । उल्लेखनीय है कि जुलाई महीने में ग्रांट का पैसा देते समय फाउंडेशन की तरफ से शिव कुमार चौधरी को स्पष्ट रूप से बता दिया गया था कि उन्हें एक महीने के भीतर इसका इस्तेमाल करके हिसाब भेजना है । ग्रांट का पैसा मिलने के बाद लेकिन शिव कुमार चौधरी ने फाउंडेशन के प्रति अपना रवैया ऐसा कर लिया, जैसे पूछ रहे हों कि 'भई, तू कौन है ?' महीने भर के भीतर हिसाब देना तो दूर की बात है, शिव कुमार चौधरी ने फाउंडेशन के हिसाब देने के बार बार भेजे जाने वाले नोटिसों का नोटिस तक नहीं लिया । जैसा व्यवहार वह अपने लेनदारों से करते हैं, ठीक वैसा ही व्यवहार उन्होंने लायंस इंटरनेशनल फाउंडेशन के साथ किया । इस तरह से उन्होंने ठोस तरीके से साबित किया कि पैसा लेकर उसका हिसाब देना या उसे वापस करना उनकी फितरत में नहीं है ।
पर, लायंस इंटरनेशनल फाउंडेशन के साथ उनकी यह झाँसेबाजी चल नहीं पाई । फाउंडेशन के ग्रांट कोऑर्डीनेटर ने 9 दिसंबर को लिखे अपने पत्र में शिव कुमार चौधरी को स्पष्ट चेतावनी दे दी है कि 31 दिसंबर के बाद बात को अनसुना करने तथा जबाव न देने की उनकी झाँसेबाजी नहीं चलेगी । शिव कुमार चौधरी के नजदीकियों ने बताया है कि 9 दिसंबर का पत्र मिलने के बाद उन्होंने कुछेक वरिष्ठ लायन नेताओं से यह जानने/समझने का प्रयास किया है कि वह यदि ग्रांट का हिसाब न दें और न ही ग्रांट का पैसा वापस करें, तो लायंस इंटरनेशनल क्या कार्रवाई कर सकता है ? उन्हें बताया गया है कि लायंस इंटरनेशनल डिस्ट्रिक्ट गवर्नर के रूप में उन्हें दिए जाने वाले खर्चे को रोक सकता है, तथा उन्हें डिस्ट्रिक्ट गवर्नर पद से हटा सकता है । इसके बाद, शिव कुमार चौधरी यह हिसाब जोड़ने और समझने में व्यस्त हैं कि ग्रांट का पैसा वापस करने में फायदा है, या उसे हड़प लेने में ।
शिव कुमार चौधरी ने हालाँकि अभी भी नरेश अग्रवाल और नेविल मेहता जैसे बड़े नेताओं से मदद मिलने की उम्मीद छोड़ी नहीं है । दरअसल इन्हीं दोनों की मदद से उन्हें झूठ और फ्रॉड पर टिके आवेदन पर ग्रांट स्वीकृत हुई थी । 'रचनात्मक संकल्प' ने 25 अगस्त 2016 की अपनी रिपोर्ट में विस्तार से यह बताया था कि उक्त ग्रांट किस तरह झूठे तथ्यों के आधार के बावजूद स्वीकृत हुई है । वास्तव में कोई भी इस बात पर विश्वास नहीं करेगा कि लायंस इंटरनेशनल फाउंडेशन का कामकाज देख रहे पदाधिकारी इतने बड़े गधे हैं कि कोई भी उन्हें हजारों डॉलर खर्च होने की झूठी कहानी सुनायेगा, और वह उसे तुरंत से कुछ हजार डॉलर दे देंगे । जाहिर है कि शिव कुमार चौधरी को उनकी झूठी कहानी पर जो पाँच हजार अमेरिकी डॉलर की रकम मिली है, उसमें कुछेक बड़े लायन नेताओं व पदाधिकारियों का हिस्सा और या कोई दूसरा स्वार्थ होगा ही । कुछेक लोगों को लगता है कि शिव कुमार चौधरी ने जिस तरह से नरेश अग्रवाल व नेविल मेहता की 'मदद' से ग्रांट स्वीकृत करा ली थी, उसी तरह से वह ग्रांट का हिसाब देने तथा उसका पैसा वापस करने से भी बच लेंगे । लेकिन ग्रांट कोऑर्डीनेटर की 9 दिसंबर की चिट्ठी की स्पष्ट व कठोर भाषा को पढ़ कर लगता नहीं है कि शिव कुमार चौधरी के लिए आपदा पीड़ितों की राहत के नाम पर हड़पी गई रकम को डकार पाना आसान होगा ।
लायंस इंटरनेशनल फाउंडेशन की ग्रांट कोऑर्डीनेटर का शिव कुमार चौधरी को चेतावनी देता 9 दिसंबर का पत्र :